अलफ़ातिहा: एक मौज्ज़ा और एक अद्भुत चमत्कार
अलफ़ातिहा पवित्र क़ुरआन की सबसे पहली सूरह है। आप यूट्यूब पर इस पवित्र सूरह के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं। बहुत से आलिमों ने अपने वीडियोज़ में इस सूरह के बारे में बहुत अच्छी शास्त्रीय जानकारी दी है। इंटरनेट पर आपको इसके बारे में बहुत अच्छी बुक्स भी मिलेंगी। इतना सब लिखने के बाद भी सूरह फातिहा की करिश्माई ताक़त के बारे में बताने के लिए बहुत कुछ बाक़ी है।
दुआ के रुक्न क्या हैं?
दुआ के दो रुक्न (स्तम्भ) हैं। जो न हों तो दुआ सिरे से दुआ ही नहीं होती। लोगों की दुआ बेअसर होने की वजह यही है कि अक्सर लोगों को दुआ के रुक्न के बारे में जानकारी नहीं है। नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआओं की एक बहुत प्रामाणिक किताब 'हिस्ने हसीन' में आदाबे दुआ के अध्याय में बताया गया है कि दुआ के दो रुक्न हैं:
1. यक़ीन 2. इख़्लास
इसके अलावा दुआ के कुछ और आदाब की बहुत उम्दा जानकारी भी इस अध्याय में दी गई है।
अलफ़ातिहा पवित्र क़ुरआन की सबसे पहली सूरह है। आप यूट्यूब पर इस पवित्र सूरह के बारे में बहुत ज़्यादा जानकारी हासिल कर सकते हैं। बहुत से आलिमों ने अपने वीडियोज़ में इस सूरह के बारे में बहुत अच्छी शास्त्रीय जानकारी दी है। इंटरनेट पर आपको इसके बारे में बहुत अच्छी बुक्स भी मिलेंगी। इतना सब लिखने के बाद भी सूरह फातिहा की करिश्माई ताक़त के बारे में बताने के लिए बहुत कुछ बाक़ी है।
अल फ़ातिहा एक दुआ है और यह एक बहुत असरदार दवा भी है। दुआ दिल की पुकार है। दिल का यक़ीन जितना मज़बूत होगा, दुआ उतनी ही असरदार होगी। जब दिल बीमार होता है तो दुआ भी बेअसर होती है। दिल की बीमारी दूर करने की दवा यह पवित्र सूरह अलफ़ातिहा खुद है। दिल की बीमारी है, यक़ीन का बिगड़ जाना। दिल की बीमारी है, भलाई और बुराई की तमीज़ खो देना। दिल की बीमारी है, अपने आपको, अपनी मंजिल को भूल जाना और सीधे रास्ते से हट जाना। अपने आपको रूपयों के पैमाने से तौलना और ख़ुद को दूसरों से घटिया और ग़रीब मानना दिल की बीमारी है। यह नाशुक्री है। अपने रब के नाशुक्री करना दिल की सबसे बड़ी बीमारी है।
इंसान का सबसे बड़ा संकट यह है कि उसका नज़रिया बिगड़ा हुआ है। जब इंसान का नज़रिया बिगड़ जाता है तो हर काम में नाकामी और मायूसी उसकी तक़दीर बन जाती है। वह मुसीबत में घिर जाता है। वह अपनी मुसीबत दूर होने के लिए ऊपर वाले से दुआ करता है तो उसकी दुआ भी बेअसर हो जाती है। यह संकट को और ज़्यादा विकट करने वाली बात है।
हर इंसान संकट में अपने पैदा करने वाले को पुकारता है लेकिन हर इंसान को वक़्त पर ऊपर वाले की मदद नसीब नहीं होती। कभी एक इंसान को बिना मांगे मन की मुराद मिल जाती है और कभी उसी इंसान को बहुत कोशिशें करने के बाद ज़रूरत की चीज़ तक नहीं मिल पाती। लोगों की जिंदगी गुज़र जाती है लेकिन वे यह बात कभी समझ नहीं पाते कि ऐसा क्यों होता है?
हर इंसान अपनी आत्मा में जानता है कि उसका एक पैदा करने वाला है; जिसने उसे ज़िंदगी दी है, जो उसे सांस देता है और वही इंसान को मौत देता है। सबका रब वही एक है। हर इंसान अपनी आत्मा में अपने रब को पहचानता है। हर इंसान अपने रब से हर समय जुड़ा हुआ है। हर इंसान चाहता है कि जब वह अपने रब से कुछ मांगे तो उसका रब उसे उसकी मांगी हुई चीज़ ज़रूर दे।
आज हम आपको रब से मांगने और पाने के बारे में ही इस लेख में बताएंगे। आज हम आपको आपकी ज़िंदगी का सबसे बड़ा राज़ बताएंगे। जिसे जानने के बाद आप की ज़िंदगी पूरी तरह बदल जाएगी। आज हम आपको आपके दिल की ताक़त के बारे में एजुकेट करेंगे। हम आपको दिल की बीमारी और उसकी सेहत के बारे में बताएंगे। आज हम आपको बताएंगे कि आपकी अक़्ल और आपका दिल कैसे काम करता है?
कुदरत का क़ानून कैसे काम करता है?
कुदरत का क़ानून कैसे काम करता है?
आपकी ज़िंदगी में जो कुछ हुआ, वह क्यों हुआ?
जो हो रहा है वह क्यों हो रहा है?
और जो होगा वह क्यों होगा?
आज हम आपको आपके दिल की क्रिएटिव पावर का इंट्रोडक्शन देंगे। इस पवित्र सूरह की उम्दा तफ़्सीरें आप सुन चुके हैं। आज हम आपको इस पवित्र सूरह से दिल और नज़रिए का इलाज करना और अपने मक़सद में कामयाबी पाना सिखाएंगे, जोकि आपकी मुराद है। आज हम आपको इस महान सूरह में पोशीदा वैलनेस साइंस के उसूल सिखाएंगे।
आप सबने यह बात सुनी होगी कि दुआ आपके यक़ीन से कुबूल होती है लेकिन आपने यह बात नहीं सुनी होगी कि आपकी जो दुआएँ कुबूल नहीं होतीं उनमें भी आपका यक़ीन ही रुकावट बनता है। आपकी दुआ आपके यक़ीन से ही क़ुबूल होती है और आपकी जो कुबूल होने से रूकती है, उसके पीछे भी आपका ही यक़ीन होता है। जिसे वेलनेस साइंस में लिमिटिंग बिलीफ़ (Limiting Belief) कहते हैं। एक यक़ीन आपकी दुआ को सपोर्ट करता है और दूसरा यक़ीन आपकी दुआ को रेज़िस्ट करता है। जो यक़ीन आपकी दुआ को सपोर्ट करता है वह अच्छा ययक़ी है और जो आपकी दुआ में रेज़िस्टेंस बनता है, वह आपके लिए घातक यक़ीन है। आपके अंदर रेजिस्टेंस जितना कम होगा, आपकी दुआ उतनी ज़्यादा और जल्दी क़ुबूल होगी।
इख़्लास (शुद्ध भाव से पूर्ण समर्पण करने) से रेजिस्टेंस कम होता है।
इसलिए आपको यह जानना ज़रूरी है कि
यक़ीन क्या है?
यह कैसे बनता है?
किस तरह का यक़ीन दुआ को सपोर्ट करता है?
और किस तरह का यक़ीन रेजिस्टेंस बनता है?
इख़्लास क्या है?
इख़्लास क्या है?
इख़्लास से रेज़िस्टेंस कैसे कम होता है।
दुआ के रुक्न क्या हैं?
दुआ के दो रुक्न (स्तम्भ) हैं। जो न हों तो दुआ सिरे से दुआ ही नहीं होती। लोगों की दुआ बेअसर होने की वजह यही है कि अक्सर लोगों को दुआ के रुक्न के बारे में जानकारी नहीं है। नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआओं की एक बहुत प्रामाणिक किताब 'हिस्ने हसीन' में आदाबे दुआ के अध्याय में बताया गया है कि दुआ के दो रुक्न हैं:
1. यक़ीन 2. इख़्लास
इसके अलावा दुआ के कुछ और आदाब की बहुत उम्दा जानकारी भी इस अध्याय में दी गई है।
पवित्र क़ुरआन में दिल, यक़ीन और इख़्लास, ये शब्द बहुत व्यापक अर्थों में आए हैं। उन सब का बयान इस छोटी सी किताब में मुमकिन नहीं है और यहाँ उसकी ज़रूरत भी नहीं है। हम इस छोटी सी किताब में आपको सिर्फ़ कुछ बहुत ज़रूरी जानकारी देना चाहते हैं, जिससे आप दिल, यक़ीन और दुआ के आपसी रिश्ते को समझ सकें। आपकी आसानी के लिए हम दिल की जगह सब्कॉन्शियस माइंड शब्द इस्तेमाल करेंगे। यह शब्द वेेेेलनेस साइंस का शब्द है। इससे आप इंटरनेट पर सब्कॉन्शियस माइंड की पावर के बारे में पढ़कर और ज़्यादा जानकारी हासिल कर सकेंगे और यह राज़ समझ सकेंगे कि आपका सब्कॉन्शियस माइंड बहुत ज़बर्दस्त क्रिएटिव पावर रखता है। आप सचमुच बहुत ज़्यादा ख़ुशनसीब हैं कि आपको यह जानकारी मिल रही है। यह जानकारी आपको अपनी ज़िंदगी में मनचाहे बदलाव करने की आज़ादी देती है।
आपका माइंड आपका अनमोल ख़ज़ाना है। यह वैसा ही एक ख़ज़ाना है, जैसा आपने अली बाबा की कहानी में एक गुफ़ा में छिपे खज़ाने के बारे में पढ़ा है। यह ख़ज़ाना आपकी चेतना, आपकी 'मैं' है। इस ख़ज़ाने की कोई हद (Limit) नहीं है क्योंकि आपकी चेतना में कोई सीमा नहीं है। आप अनंत विकास कर सकते हैं।
आपका आपका यक़ीन कैसे बनता है?
आपका आपका यक़ीन कैसे बनता है?
आपके माइंड के दो पहलू हैं। एक कॉन्शियस और दूसरा सबकॉन्शियसस। कॉन्शियस माइंड और सब्कॉन्शियस माइंड, एक ही माइंड के दो पहलू हैं। आप अपने कॉन्शियस माइंड से विचार और तर्क करते हैं और आख़िर में एक फ़ैसले तक पहुंचते हैं। आपके विचार बार-बार दोहराने की वजह से आपके सबकॉन्शियस माइंड में उतर जाते हैं। आप उन्हें सच मानने लगते हैं। वे आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न बन जाते हैं। बार-बार दोहराने की वजह से वे विचार आपका यक़ीन (Belief) बन जाते हैं, जिसे हिंदी में विश्वास कहते हैं। आपके लिए यह जान लेना ज़रूरी है कि आपका सबकॉन्शियस माइंड उन विश्वासों के अनुरूप ही आपकी ज़िंदगी में हालात बनाता है।
आपका माइंड कैसे काम करता है?
आपका सबकॉन्शियस माइंड आपकी भावनाओं का मक़ाम है। यह क्रिएटिव है। अगर आप अच्छा सोचते हैं तो आपको अच्छे नतीजे मिलते हैं और अगर आप बुरा सोचते हैं तो आपको बुरे नतीजे मिलते हैं। आप की आदतन सोच जैसी होती है वैसा ही आपका जीवन होता है। आपका माइंड इसी तरह काम करता है।
आपका माइंड कैसे काम करता है?
आपका सबकॉन्शियस माइंड आपकी भावनाओं का मक़ाम है। यह क्रिएटिव है। अगर आप अच्छा सोचते हैं तो आपको अच्छे नतीजे मिलते हैं और अगर आप बुरा सोचते हैं तो आपको बुरे नतीजे मिलते हैं। आप की आदतन सोच जैसी होती है वैसा ही आपका जीवन होता है। आपका माइंड इसी तरह काम करता है।
यह बात सबसे ज़्यादा ध्यान देने लायक़ है कि जब सबकॉन्शियस माइंड किसी विचार को स्वीकार कर लेता है तो वह हर पल उस विचार पर काम करता है। सब्कॉन्शियस माइंड अच्छे और बुरे दोनों तरह के विचारों पर समान रूप से काम करता है। ज़्यादातर लोग इस हकीकत से अनजान हैं। इसीलिए वे सबकॉन्शियस माइंड का नेगेटिव यूज़ करते हैं और बहुत नुक़्सान उठाते हैं। जब सबकॉन्शियस माइंड का नेगेटिव यूज़ किया जाता है तो यह नाकामी, घुटन, डर, ग़म, गुस्सा, शक और मायूसी पैदा करता है। जो लोग सब्कॉन्शियस माइंड के काम करने का तरीक़ा जानते हैं। वे इसका पॉज़िटिव यूज़ करते हैं और उन्हें कामयाबी, खुशी और समृद्धि मिलती है।
आपका सब्कॉन्शियस माइंड, कॉन्शियस माइंड की तरह दलील और बहस नहीं करता। यह उस उपजाऊ ज़मीन की तरह है, जो ज़रा नम है। यह हर तरह के बीज को स्वीकार कर लेती है। चाहे वह बीज बबूल का हो या आम का। आपके विचार बीज हैं। नकारात्मक और घातक विचार आपके सबकॉन्शियस माइंड में नकारात्मक रूप से काम करते हैं। वे जल्दी ही या थोड़े समय बाद आपके जीवन में प्रकट होते हैं। वे अपनी प्रकृति के अनुरूप आपके जीवन में नकारात्मक घटनाएं पैदा करते हैं। आपने नफ़रत, डर, ग़म, गुस्से और जलन के विचार बोए थे तो मानो आपने बबूल के बीज बोये थे। आपको बबूल बोकर आम नहीं मिले। आपको बबूल ही मिले। यही प्रकृति का नियम है।
अल्लाह ने कितनी अच्छी मिसाल दी है?
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने कैसी मिसाल पेश की? अच्छी उत्तम बात एक अच्छे शुभ वृक्ष के जैसी है, जिसकी जड़ गहरी जमी हुई हो और उसकी शाखाएँ आकाश में पहुँची हुई हों; अपने रब की अनुमति से वह हर समय अपना फल दे रहा हो। अल्लाह तो लोगों के लिए मिसालें पेश करता है, ताकि वे जाग्रत हों। और अशुभ और अशुद्ध बात की मिसाल एक अशुभ वृक्ष के जैसी है, जिसे धरती के ऊपर ही से उखाड़ लिया जाए और उसे कुछ भी स्थिरता प्राप्त न हो। ईमान लानेवालों को अल्लाह सुदृढ़ बात के द्वारा सांसारिक जीवन में भी और परलोक में भी सुदृढ़ता प्रदान करता है और अत्याचारियों को अल्लाह (उनके अत्याचार के कारण) विचलित कर देता है। और अल्लाह जो चाहता है, (अपने क़ानून के अनुसार) करता है।
क्या तुमने देखा नहीं कि अल्लाह ने कैसी मिसाल पेश की? अच्छी उत्तम बात एक अच्छे शुभ वृक्ष के जैसी है, जिसकी जड़ गहरी जमी हुई हो और उसकी शाखाएँ आकाश में पहुँची हुई हों; अपने रब की अनुमति से वह हर समय अपना फल दे रहा हो। अल्लाह तो लोगों के लिए मिसालें पेश करता है, ताकि वे जाग्रत हों। और अशुभ और अशुद्ध बात की मिसाल एक अशुभ वृक्ष के जैसी है, जिसे धरती के ऊपर ही से उखाड़ लिया जाए और उसे कुछ भी स्थिरता प्राप्त न हो। ईमान लानेवालों को अल्लाह सुदृढ़ बात के द्वारा सांसारिक जीवन में भी और परलोक में भी सुदृढ़ता प्रदान करता है और अत्याचारियों को अल्लाह (उनके अत्याचार के कारण) विचलित कर देता है। और अल्लाह जो चाहता है, (अपने क़ानून के अनुसार) करता है।
-पवित्र क़ुरआन 14:24-27
यह बात भी याद रखने लायक़ है कि आपका सबकॉन्शियस माइंड यह साबित करने की कोई कोशिश नहीं करता है कि आपके विचार सही हैं या ग़लत हैं, अच्छे हैं या बुरे हैं। यह तो आपके विचारों और सुझावों की प्रकृति के अनुरूप रेस्पॉन्ड करता है। मिसाल के तौर पर आप किसी झूठ को सच मान लें तो यह उस झूठ कर रेस्पॉन्ड करेगा। जैसे कि आप किसी रस्सी को साँप मान लें तो यह आपके अंदर वैसा ही डर पैदा करेगा जैसे कि आपके अंदर सचमुच साँप देखकर डर पैदा होता। आपका सबकॉन्शियस माइंड रस्सी को साँप मान लेता है क्योंकि आपके कॉन्शियस माइंड ने उसे रस्सी के बजाय सांप मान लिया था।
हिप्नोटिस्ट लोगों को सुझाव (suggestions) के ज़रिए ऐसे ही रस्सी का सांप दिखाते हैं। मनोवैज्ञानिकों ने अपने शोध में पाया है कि सबकॉन्शियस माइंड कोई चुनाव और तुलना नहीं करता है जोकि तार्किक प्रक्रिया के लिए ज़रूरी है। आपका सबकॉन्शियस माइंड किसी भी सजेशन को, सुझाव को स्वीकार कर लेगा; भले ही वह बिल्कुल झूठा हो। वह सुझाव स्वीकार करने के बाद उस सुझाव की प्रकृति के अनुरूप ही प्रतिक्रिया करेगा।
अगर आप अपने नज़रिए में खुद को ग़रीब मानते हैं। अगर आप बार-बार यह महसूस करते हैं कि
मैं अकेला हूँ।
मैं अकेला हूँ।
मैं परेशान हूं।
मैं दुखी हूं।
मैं नाकाम हूँ।
मेरे सामने अब कोई रास्ता बाक़ी नहीं है।
मैं इस मुसीबत से बाहर नहीं निकल सकता।
अब तो मुझे मौत ही मुक्ति देगी।
यह जमाना ही ख़राब है।
...तो आपके जीवन में आपका सबकॉन्शियस माइंड ऐसे हालात बनाएगा कि आपका यह घातक विश्वास पूरा हो और वह आपको उसी हाल में रखेगा, जिस हाल का आप विश्वास करते हैं। आपके बाहरी हालात आपके अंदरूनी नज़रिए का प्रतिबिम्ब मात्र हैं।
अलफ़ातिहा दिल की सबसे बड़ी बीमारी का इलाज कैसे करती है?
'मैं ग़रीब हूँ। मैं अकेला हूँ।' यह एक झूठ है। यह एक बीमार नज़रिया है, जो दिल की सबसे बड़ी बीमारी है। इस बीमारी को नाशुक्री कहा जाता है। इस बीमारी का इलाज यह है कि आप सच क़ुबूल करें। सच यह है कि ईशवर अल्लाह आपके साथ है। आप उन नेमतों को देखें, जो ऊपर वाले ने आपको जिंदगी के रूप में दी है। आपको उसने ज़मीनो आसमान, सूरज चांद सितारे, धूप रौशनी हवा पानी हरियाली सब्ज़ी और अच्छे खाने, मां-बाप रिश्तेदार दोस्त और बीवी बच्चे दिए हैं।
अलफ़ातिहा दिल की सबसे बड़ी बीमारी का इलाज कैसे करती है?
'मैं ग़रीब हूँ। मैं अकेला हूँ।' यह एक झूठ है। यह एक बीमार नज़रिया है, जो दिल की सबसे बड़ी बीमारी है। इस बीमारी को नाशुक्री कहा जाता है। इस बीमारी का इलाज यह है कि आप सच क़ुबूल करें। सच यह है कि ईशवर अल्लाह आपके साथ है। आप उन नेमतों को देखें, जो ऊपर वाले ने आपको जिंदगी के रूप में दी है। आपको उसने ज़मीनो आसमान, सूरज चांद सितारे, धूप रौशनी हवा पानी हरियाली सब्ज़ी और अच्छे खाने, मां-बाप रिश्तेदार दोस्त और बीवी बच्चे दिए हैं।
आप यह स्वीकार करें कि 'मेरे रब ने मुझे बेशुमार नेमतें दी हैं। उसी ने सारे जहानों को बनाया है और सारे जहानों की चीज़ों को मेरी भलाई में लगाया है। मैं उसका शुक्र अदा करता हूं। वह बेहद रहमत वाला है और उसकी रहमत मुझ पर सदा बनी रहती है। वही अंजाम के दिन का मालिक है। किसी दूसरे में अपनी कोई ताक़त नहीं है। हरेेेेक उसी के क़ानून का पाबंद हैं। वह मेरे साथ है और मैं उसी की मदद से अपने सब काम आसानी से करता हूं।' जब आप ऐसा कहते हैं तो आप अपने दिल को चंगा (Healed) करते हैं।
सूरह अलफ़ातिहा में आप यही सच स्वीकार करते हैं। पहले आप अपने नज़रिए (Self Concept) में अकेले औरऔर कमज़ोर थे। आपकी ज़िन्दगी में आपके यक़ीन के मुताबिक़ वैसे ही हालात ख़ुद ब ख़ुद ज़ाहिर हो रहे थे, जो आपके यक़ीन की तस्दीक़ (verification) कर रहे थे। सूरह फ़ातिहा पढ़ते हुए आप यक़ीन करते हैं कि सारे जहानों (Worlds) का पैदा करने वाला और आप पर सदा रहम करने वाला आपके साथ है, जो आपकी मदद करता है। इससे आपका अपने बारे में अपना नज़रिया (Self Concept) बदलता है।
सूरह अलफ़ातिहा में आप यही सच स्वीकार करते हैं। पहले आप अपने नज़रिए (Self Concept) में अकेले औरऔर कमज़ोर थे। आपकी ज़िन्दगी में आपके यक़ीन के मुताबिक़ वैसे ही हालात ख़ुद ब ख़ुद ज़ाहिर हो रहे थे, जो आपके यक़ीन की तस्दीक़ (verification) कर रहे थे। सूरह फ़ातिहा पढ़ते हुए आप यक़ीन करते हैं कि सारे जहानों (Worlds) का पैदा करने वाला और आप पर सदा रहम करने वाला आपके साथ है, जो आपकी मदद करता है। इससे आपका अपने बारे में अपना नज़रिया (Self Concept) बदलता है।
जब आप ऐसा करते हैं और रब से अपने काम में उसकी मदद माँगते हैं तो आपको उसकी मदद मिलती है। इस वक़्त भी आप उसी की मदद से साँस ले रहे हैं, जिससे आपका शरीर ज़िन्दा है।
शुक्रगुजार बनकर विश्वास के साथ रब से मदद माँगिए, आपको उसकी मदद ज़रूर मिलेगी।
जैसा आप दूसरों के साथ करेंगे, वैसा आपके साथ होगा
आप ज़मीन वालों पर रहम करें, आसमान वाला आप पर रहम करेगा।
आप अपने ऊपर निर्भर लोगों की, बेघर अनाथों और ग़रीबों की सुनें, ऊपर वाला आपकी सुनेगा।
जो आप दूसरों के साथ करते हैं, ऊपर वाला वैसा ही आपके साथ करता है।
इसलिए आप दूसरों से अपने लिए जैसा व्यवहार पसंद करते हैं, वैसा व्यवहार आप ख़ुद दूसरों के साथ करें।
आप अपनी ख़ूबियों को ज़ाहिर करें। आप दूसरों को। माफ़ करें।
सुख-शांति और समृद्धि पाने का तरीक़ा क्या है?
शुक्रगुजार बनकर विश्वास के साथ रब से मदद माँगिए, आपको उसकी मदद ज़रूर मिलेगी।
जैसा आप दूसरों के साथ करेंगे, वैसा आपके साथ होगा
आप ज़मीन वालों पर रहम करें, आसमान वाला आप पर रहम करेगा।
आप अपने ऊपर निर्भर लोगों की, बेघर अनाथों और ग़रीबों की सुनें, ऊपर वाला आपकी सुनेगा।
जो आप दूसरों के साथ करते हैं, ऊपर वाला वैसा ही आपके साथ करता है।
इसलिए आप दूसरों से अपने लिए जैसा व्यवहार पसंद करते हैं, वैसा व्यवहार आप ख़ुद दूसरों के साथ करें।
आप अपनी ख़ूबियों को ज़ाहिर करें। आप दूसरों को। माफ़ करें।
सुख-शांति और समृद्धि पाने का तरीक़ा क्या है?
आप मानसिक रूप से जिस बात को भी सच मानेंगे, आपका सबकॉन्शियस माइंड उसे स्वीकार कर लेगा और फिर वह उस विश्वास के अनुरूप आपके जीवन में हालात साकार कर देगा। बस आपको अपने सब्कॉन्शियस माइंड से कामयाबी, ख़ुशी, सुख-शांति और समृद्धि के विचार को स्वीकार करवाना है। इसके बाद आपका सब्कॉन्शियस माइंड रब के क़ानून के तहत अपनी क्रिएटिव पावर से काम लेकर आपकी मनचाही कामयाबी, ख़ुशी, सुख-शांति और समृद्धि पैदा कर देगा। आपका सबकॉन्शियस माइंड उस पर छोड़ी गई विचारों की इच्छा को आपकी जिंदगी में साकार करने के लिए पूरी लगन से काम करता है।
आपके माइंड का क़ानून यह है कि आपके सब्कॉन्शियस माइंड की प्रतिक्रिया आपके कॉन्शियस माइंड में रखे गए विचार की प्रकृति से तय होती है।
आपका सबकॉन्शियस माइंड जज़्बाती और चुनाव की शक्ति से ख़ाली है। आपका कॉन्शियस माइंड जिस बात को सच मानता है, यह भी उसे सच मान लेता है। इसलिए यह बहुत अहम है कि आप ऐसे विचार और वाक्य चुनें जो आपको कामयाबी, सुख-शांति और ख़ुशी दें। जो आपको सेहत दें और आपकी आत्मा को आनंद से भर दें।
सूरह अलफ़ातिहा बिगड़े हुए काम कैसे बनाती है?
सूरह अलफ़ातिहा बिगड़े हुए काम कैसे बनाती है?
सूरह अलफ़ातिहा के सभी विचार और वाक्य ऐसे ही हैं। उन्हें नमाज़ में बार बार दोहराने से वे सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न बन जाते हैं। फिर वे दूसरे विचारों से सिन्क्रोनाइज़्ड हो जाते हैं और जीवन में कामयाबी, सुख-शांति, समृद्धि, सेहत और ख़ुशी के हालात ख़ुद बनते चले जाते हैं।
माइंड पर रिसर्च करने वाले स्कॉलर्स ने बताया है कि जब विचार आपके सबकॉन्शियस माइंड तक पहुंच जाते हैं तो दिमाग की सेल्स में उनकी छाप बन जाती है। जैसे ही आपका सबकॉन्शियस माइंड किसी विचार को स्वीकार कर लेता है, वह उसे फ़ौरन साकार करने में जुट जाता है। विचारों के तालमेल के साथ काम करते हुए यह अपने मक़सद को साकार करने के लिए उस सारी जानकारी का इस्तेमाल करता है जो आपने ज़िंदगी भर जमा की है। यह आपके अंदर की अथाह ताक़त, एनर्जी और अक़्ल का इस्तेमाल करता है। नतीजे पाने के लिए यह क़ुदरत के सभी क़ानूनों का इस्तेमाल करता है। कई बार यह आपकी प्रॉब्लम का हल फ़ौरन तलाश कर लेता है जबकि कई बार कई दिन, हफ़्ते या इससे भी ज्यादा वक़्त लग जाता है। इसके तरीक़े बहुत अनोखे हैं।
यह बात आप हमेशा याद रखें कि कॉन्शियस और सब्कॉन्शियस, दो माइंड नहीं हैं। वे एक ही माइंड में होने वाली प्रोसेस के दो फ़ील्ड हैं। आपका कॉन्शियस माइंड दलील और तर्क करता है। यह काले और सफ़ेद में फर्क़ करता है। यह नफ़े और नुक़सान को तौलता है। यह विकल्प चुनता है। मिसाल के तौर पर आप अपना जीवन साथी चुनते हैं। आप अपना घर, अपना लिबास या पढ़ने के लिए कोई किताब चुनते हैं, तब आप ये सारे फ़ैसले कॉन्शियस माइंड से करते हैं। दूसरी तरफ़ आपके कॉन्शियस सेलेक्शन के बिना ही आपका दिल अपने आप काम करता है और आपकी बॉडी में साँस, ब्लड सर्कुलेशन और हाज़्मे की ज़रूरी प्रक्रियाएं चलती रहती हैं। ये सारे काम आपका सबकॉन्शियस माइंड करता है। इन प्रक्रियाओं के लिए आपके कॉन्शियस कंट्रोल की ज़रूरत नहीं होती है।
कॉन्शियस माइंड को ऑब्जेक्टिव माइंड भी कहा जाता है क्योंकि इसका ताल्लुक़ बाहरी चीज़ों से होता है। यह शरीर की पाँच ज्ञान इंद्रियों के ज़रिए सूचनाएं हासिल करता है। आपका ऑब्जेक्टिव माइंड आपके माहौल से संपर्क का गाइड और डायरेक्टर है। आप का ऑब्जेक्टिव माइंड ऑब्ज़र्वेशन, एक्सपेरिमेंट्स और एजुकेशन से सीखता है। मान लीजिए आप ताजमहल देखते हैं। आप उसके खूबसूरत पत्थरों की तराश को देखते हैं, आप उसकी बुनियादों को, उसकी दीवारों को और उसके मीनारों की ऊँचाई को देखते हैं। आप इस नतीजे पर पहुंचते हैं कि यह आर्किटेक्चर का एक अनोखा नमूना है। यह नतीजा निका निकालना ऑब्जेक्टिव माइंड का काम है। जैसा कि हम पहले बता चुके हैं कि तर्क करना और तौलना इसका सबसे बड़ा काम है।
आपके सबकॉन्शियस माइंड को सब्जेक्टिव माइंड भी कहा जाता है। यह अपने माहौल के प्रति जागरूक होता है लेकिन शरीर की ज्ञान इंद्रियों के माध्यम से नहीं। आपका सबकॉन्शियस माइंड अंतर्ज्ञान से सब कुछ भाँप लेता है। इसमें जज़्बात और यादें क़ायम रहती हैं। यह अपनी पूरी ताक़त से सबसे ज़्यादा अच्छा काम तब करता है, जब आपके शरीर की पाँचों ज्ञानेंद्रियां काम न कर रही हों। जब आप ऊँघ रहे होते हैं या उनींदी हालत में होते हैं, तब यह सब्जेक्टिव माइंड सबसे अच्छी तरह काम करता है। जब आप शांत होते हैं, तब यह आपके हित में काम करता है। जब आप खुश होते हैं और अच्छा महसूस करते हैं, तब यह आपकी सपोर्ट में काम करता है।
आपकी ज़िंदगी में हमेशा ऐसी कोई हालत रहती है, जिस पर आप दुख महसूस कर सकते हैं और ठीक उसी पल में आपकी ज़िंदगी में वे नेमतें भी मौजूद होती हैं, जिन्हें देखकर आप खुश हो सकते हैं।
1.'मैं लोगों से बहुत दुखी हूं' और
2.'मैं अपने रब से ख़ुश हूँ',
आप इन दो विचारों में से इसी पल में किसी एक विचार को चुनने के लिए आज़ाद हैं। आप इसी पल में दुख महसूस कर सकते हैं और आप इसी पल में ख़ुशी को भी महसूस कर सकते हैं। आप दुखी होना चाहते हैं या आप ख़ुश होना चाहते हैं; यह पूरी तरह आपका अपना चुनाव है। आपका ख़ुश होना या दुखी होना बाहर के हालात पर निर्भर नहीं है। यह पूरी तरह आपके चुनाव पर निर्भर है। इसी पल में, जिसमें आपकी सांस चल रही है, खुश होना या दुखी होना आपके मेन्टल एटीट्यूड पर निर्भर है।
आपके साथ क्या ट्रेज्डी हुई है?
1.'मैं लोगों से बहुत दुखी हूं' और
2.'मैं अपने रब से ख़ुश हूँ',
आप इन दो विचारों में से इसी पल में किसी एक विचार को चुनने के लिए आज़ाद हैं। आप इसी पल में दुख महसूस कर सकते हैं और आप इसी पल में ख़ुशी को भी महसूस कर सकते हैं। आप दुखी होना चाहते हैं या आप ख़ुश होना चाहते हैं; यह पूरी तरह आपका अपना चुनाव है। आपका ख़ुश होना या दुखी होना बाहर के हालात पर निर्भर नहीं है। यह पूरी तरह आपके चुनाव पर निर्भर है। इसी पल में, जिसमें आपकी सांस चल रही है, खुश होना या दुखी होना आपके मेन्टल एटीट्यूड पर निर्भर है।
आपके साथ क्या ट्रेज्डी हुई है?
आपके साथ ट्रेज्डी यह हुई है कि बचपन में आपके माँ-बाप ने और आसपास के लोगों ने आपके सबकॉन्शियस माइंड में डर, ग़म, ग़ुस्से, नफ़रत, जलन और शक के विचार बबूल और कैक्टस के बीजों की तरह बो दिए हैं। अब वे बबूल और कैक्टस आपके हालात बन कर आपके जीवन में प्रकट हो रहे हैं और आप दुख भोग रहे हैं। आपके साथ जो भी हुआ है, वह सिर्फ़ इसलिए हुआ है क्योंकि उन घटनाओं का कारण कुछ विश्वासों के रूप में आपके सबकॉन्शियस माइंड में जमााए गए जो कि एक पैटर्न के रूप में अब भी मौजूद और सक्रिय हैं।
आपके माइंड को दुख पर ध्यान जमाने के लिए ट्रेंड किया गया है। इसलिए आप हर समय उन बातों पर ध्यान जमाए रखते हैं, जिनसे आपको दुख महसूस होता है। आप उन बेशुमार नेमतों को भूल जाते हैं, जिन्हें देखकर आप खुश हो सकते हैं, जिन पर आप रब का शुक्र अदा कर सकते हैं। ज़्यादातर लोग जब अपने रब की नेमतों और निशानियों पर से गुज़रते हैं तो वे ऐसे गुज़रते हैं, जैसे वे उन्हें दिखाई न दे रही हों। यह अंधापन शरीर की आंख का अंधापन नहीं होता बल्कि यह उस दिल का अंधापन होता है जो सीने में है।
अगर आप भी अपनी जिंदगी में ज़्यादा वक़्त दुख महसूस करते हैं तो इसका मतलब यही है कि आप उन बातों पर ध्यान जमाए रखते हैं जो आपको दुख देती हैं। इससे यह पता चलता है कि आपका मेंटल एटीट्यूड नेगेटिव है। इसमें आपका ज़्यादा दोष नहीं है। आपके मां बाप ने और आपके माहौल ने आपके माइंड में नकारात्मक सोच के साँचे बना दिए हैं। उन्होंने आपको माफ़ी, मुहब्बत, मदद, ख़ुशी, कामयाबी और समृद्धि के विचार देने के बजाय आपको ग़रीबी, नफ़रत, डर, ग़म, गुस्से, शक और दुख के नकारात्मक विचार दिए हैं। उन्होंने आपको अतीत की कड़वी दास्तानें सुनाई हैं। उन्होंने आपको भविष्य का डर दिखाया है। आपका माइंड अतीत और भविष्य में डोलता रहता है और वह वर्तमान से ग़ायब है, जहां कि आप मौजूद हैं।
समाधान
आपको कामयाबी, सुख-शांति और समृद्धि के लिए अपनी नकारात्मक सोच के इन साँचों को जल्दी से जल्दी बदलना होगा।
यूनिवर्सल एनर्जी और दिव्य चेतना का संबंध क्या है?
समाधान
आपको कामयाबी, सुख-शांति और समृद्धि के लिए अपनी नकारात्मक सोच के इन साँचों को जल्दी से जल्दी बदलना होगा।
यूनिवर्सल एनर्जी और दिव्य चेतना का संबंध क्या है?
जिस यूनिवर्स में आप रहते हैं, उसकी हर चीज़ ऊर्जा से बनी है। चारों तरफ़ फैला हुआ यह विशाल यूनिवर्स ऊर्जा की लहरों का एक समुद्र है। आप इस समुद्र की एक बूंद है क्योंकि आपका शरीर भी उर्जा का एक रुप है। आपका विचार भी उर्जा का वैसे ही एक रुप है जैसे कि हर चीज़ ऊर्जा का एक रूप है। मानसिक विचार हो या बाहर की चीज़, हर एक ऊर्जा का ही रूप है। यह ऊर्जा अपना रूप बदलती रहती है। विचार प्राकृतिक प्रक्रिया से गुज़रकर वस्तु बनते रहते हैं। यह सारी ऊर्जा एक ही दिव्य चेतना (ख़ुदी Consciousness) में मौजूद है। जिसे 'अव्वल नूर' और 'नूरे अहमदी' कहते हैं। आपकी चेतना उसी दिव्य चेतना का अंश है।
जब आप किसी विचार या किसी चीज़ पर ध्यान देते हैं तो आप उसे अपनी ऊर्जा देते हैं। आप जिस चीज़ पर ध्यान देते हैं, वह आपको ज़्यादा महसूस होती है। जिस चीज़ को आप ज़्यादा महसूस करते हैं, वह आपकी ज़िंदगी में ज़्यादा बढ़ती है और ज़्यादा देर तक क़ायम रहती है। जब आप अपनी आत्मा में दुख महसूस करते हैं तो आप अपना दुख बढ़ाते हैं। जब आप कहते हैं कि 'मैं दुखी हूँ' तो आप अपने दुख को मज़बूती से पकड़ लेते हैं। आप उसे विदा होने से रोक देते हैं। ऐसा करके आप अपनी जिंदगी में दुख के नए नए हालात को आने की दावत भी देते हैं और आप इससे ग़ाफ़िल होते हैं।
जो लोग दीन की दावत में लगे हुए हैं, उन्हें यह राज़ समझ लेना चाहिए कि वे अपने यक़ीन और एहसास से अपनी ज़िन्दगी में अच्छे बुरे हालात और अच्छे बुरे लोगों को आने की दावत देते हैं। आप अच्छा यक़ीन करके और अच्छा एहसास रखकर अपनी ज़िन्दगी में अच्छे हालात और अच्छे लोगों को बुलावा दे सकते हैं। यह आत्मिक बुलावा एक ख़ामोश बुलावा है। दावत देने वाले ज़्यादातर बहन भाई इस तरीक़े को नहीं जानते। वे भविष्य की भयानक कल्पना से डरकर और डराकर बुरे हालात को दावत दे रहे हैं। वे अपनी कल्पना में विपरीत हालात में भी समस्या के समाधान को देखकर लोगों को अच्छी ख़बर दे सकते हैं। मैंने अपने उस्ताद महान रहस्यदर्शी आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह को विपरीत हालात में भी अच्छी कल्पना करते हुए और अच्छी ख़बरें देते हुए देखा है।
जब आप अपनी आत्मा में खुश होते हैं और अच्छा महसूस करते हैं, जब आप रब की दी हुई नेमतों पर ध्यान देते हैं और उन पर खुशी के साथ उसका शुक्र करते हैं तो आप अपनी जिंदगी में खुशी को बढ़ाते हैं और ज़्यादा नेमतों को आने की दावत देते हैं। अब आप अच्छी तरह जान सकते हैं कि सूरह अलफ़ातिहा आपकी ख़ुशी को बढ़ाती है और आपकी ज़िंदगी में ज़्यादा नेमतें खींचकर लाती रहती है।
हरेक समस्या से मुक्ति पाने का साइंटिफ़िक तरीक़ा क्या है?
जब आप किसी विचार या किसी चीज़ पर ध्यान देते हैं तो आप उसे अपनी ऊर्जा देते हैं। आप जिस चीज़ पर ध्यान देते हैं, वह आपको ज़्यादा महसूस होती है। जिस चीज़ को आप ज़्यादा महसूस करते हैं, वह आपकी ज़िंदगी में ज़्यादा बढ़ती है और ज़्यादा देर तक क़ायम रहती है। जब आप अपनी आत्मा में दुख महसूस करते हैं तो आप अपना दुख बढ़ाते हैं। जब आप कहते हैं कि 'मैं दुखी हूँ' तो आप अपने दुख को मज़बूती से पकड़ लेते हैं। आप उसे विदा होने से रोक देते हैं। ऐसा करके आप अपनी जिंदगी में दुख के नए नए हालात को आने की दावत भी देते हैं और आप इससे ग़ाफ़िल होते हैं।
जो लोग दीन की दावत में लगे हुए हैं, उन्हें यह राज़ समझ लेना चाहिए कि वे अपने यक़ीन और एहसास से अपनी ज़िन्दगी में अच्छे बुरे हालात और अच्छे बुरे लोगों को आने की दावत देते हैं। आप अच्छा यक़ीन करके और अच्छा एहसास रखकर अपनी ज़िन्दगी में अच्छे हालात और अच्छे लोगों को बुलावा दे सकते हैं। यह आत्मिक बुलावा एक ख़ामोश बुलावा है। दावत देने वाले ज़्यादातर बहन भाई इस तरीक़े को नहीं जानते। वे भविष्य की भयानक कल्पना से डरकर और डराकर बुरे हालात को दावत दे रहे हैं। वे अपनी कल्पना में विपरीत हालात में भी समस्या के समाधान को देखकर लोगों को अच्छी ख़बर दे सकते हैं। मैंने अपने उस्ताद महान रहस्यदर्शी आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह को विपरीत हालात में भी अच्छी कल्पना करते हुए और अच्छी ख़बरें देते हुए देखा है।
जब आप अपनी आत्मा में खुश होते हैं और अच्छा महसूस करते हैं, जब आप रब की दी हुई नेमतों पर ध्यान देते हैं और उन पर खुशी के साथ उसका शुक्र करते हैं तो आप अपनी जिंदगी में खुशी को बढ़ाते हैं और ज़्यादा नेमतों को आने की दावत देते हैं। अब आप अच्छी तरह जान सकते हैं कि सूरह अलफ़ातिहा आपकी ख़ुशी को बढ़ाती है और आपकी ज़िंदगी में ज़्यादा नेमतें खींचकर लाती रहती है।
हरेक समस्या से मुक्ति पाने का साइंटिफ़िक तरीक़ा क्या है?
आपकी जिंदगी में जो नेमते हैं, आप उन पर शुक्र करें और जो समस्याएं हैं, उन समस्याओं के हल पर विचार करें। आप अपनी समस्याओं पर नहीं बल्कि उनके समाधान पर ध्यान जमाएं। अपनी समस्याओं पर ध्यान जमा कर आप कहीं पहुंचने वाले नहीं हैं। हर समस्या का कोई हल ज़रूर होता है।
जब आप समस्या पर विचार करते हैं तो उस विचार से एक चित्र आपके माइंड में बनता है जो एक नकारात्मक चित्र होता है। ठीक ऐसे ही जब आप समस्या के हल पर विचार करते हैं तो वह विचार आपको अपने माइंड में एक चित्र के रूप में दिखता है। आपको यह जानना ज़रूरी है कि आपका माइंड बुरे और अच्छे दोनों तरह के चित्र बनाता रहता है। आपको ख़ुद ब ख़ुद बनने वाले इन चित्रों पर नजर रखनी है और बुरे चित्रों को हटाकर अच्छे चित्र पर ध्यान जमाना है।
आप अपने मन की अथाह शक्ति से काम लेना चाहते हैं तो आप अपनी समस्या के हल को एक चित्र के रूप में अपने दिल में हाज़िर कर लें। अगर आप उसे अपनी शक्ति और अपने साधनों से हासिल कर सकते हैं तो आप उसे करें और अगर आप उसे नहीं कर सकते, तब भी मायूसी की कोई बात नहीं है। आप उसके हल के चित्र (Image) को अपने दिल में जमाए रखें। जब आप उसे अपनी कल्पना में बार-बार देखते रहेंगे तो वह चित्र आपके दिल में जम जाएगा।
यह काम रात को सोते वक़्त बिल्कुल आख़िर में करें। उस वक़्त आप उनींदी हालत में होते हैं और आपके शरीर की पांचों ज्ञानेंद्रियां लगभग निष्क्रिय (inactive) होती हैं। आप जो पाना चाहते हैं, उस चीज़ को या उस हालत को अपने दिल में देखें और और सूरह अलफ़ातिहा पढ़ते रहें। आप इसी हालत में सो जाएं। रात के वक़्त बिल्कुल आख़िर में आप जो विचार अपने सबकॉन्शियस माइंड को देते हैं, वह पूरी रात उस पर काम करता है। वह आपकी ज़िंदगी में ऐसे मौक़े, लोग और साधन खींच कर लाता है, जो आपको उस चीज़ को या उस हालत को पाने में मदद कर सकते हैं।
आप अपनी कल्पना में पांचों सेंस; देखना, सुनना, छूना, चखना और सूंघना शामिल कर लें ताकि वह आपके सबकॉन्शियस माइंड में एक रीयल सीन फ़ील हो। आप उस सीन में लोगों को उस चीज़ या हालत के मिलने पर मुबारकबाद देते हुए देख और सुन सकते हैं। वे आपसे हाथ मिला रहे हैं और आप उनके हाथ का दबाव अपने हाथ पर महसूस कर सकते हैं। उस वक़्त आप कुछ मिठाई खा रहे हैं तो उसका ज़ायक़ा और उस माहौल की ख़ुशबू महसूस कर सकते हैं। सीन बिल्कुल नेचुरल हो, उसमें फंतासी (Fantasy) न हो।
रोज़ रोज़ यह करने से पूरा सीन आपके सबकॉन्शियस माइंड पर क्लियर हो जाएगा। यह सीन आपको बिल्कुल रीयल फ़ील होगा। जब यह सीन क्लियर हो जाए और रियल फ़ील होने लगे तो आप समझ लेेेें कि यह अब आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न बन चुका है।
जब आप समस्या पर विचार करते हैं तो उस विचार से एक चित्र आपके माइंड में बनता है जो एक नकारात्मक चित्र होता है। ठीक ऐसे ही जब आप समस्या के हल पर विचार करते हैं तो वह विचार आपको अपने माइंड में एक चित्र के रूप में दिखता है। आपको यह जानना ज़रूरी है कि आपका माइंड बुरे और अच्छे दोनों तरह के चित्र बनाता रहता है। आपको ख़ुद ब ख़ुद बनने वाले इन चित्रों पर नजर रखनी है और बुरे चित्रों को हटाकर अच्छे चित्र पर ध्यान जमाना है।
आप अपने मन की अथाह शक्ति से काम लेना चाहते हैं तो आप अपनी समस्या के हल को एक चित्र के रूप में अपने दिल में हाज़िर कर लें। अगर आप उसे अपनी शक्ति और अपने साधनों से हासिल कर सकते हैं तो आप उसे करें और अगर आप उसे नहीं कर सकते, तब भी मायूसी की कोई बात नहीं है। आप उसके हल के चित्र (Image) को अपने दिल में जमाए रखें। जब आप उसे अपनी कल्पना में बार-बार देखते रहेंगे तो वह चित्र आपके दिल में जम जाएगा।
यह काम रात को सोते वक़्त बिल्कुल आख़िर में करें। उस वक़्त आप उनींदी हालत में होते हैं और आपके शरीर की पांचों ज्ञानेंद्रियां लगभग निष्क्रिय (inactive) होती हैं। आप जो पाना चाहते हैं, उस चीज़ को या उस हालत को अपने दिल में देखें और और सूरह अलफ़ातिहा पढ़ते रहें। आप इसी हालत में सो जाएं। रात के वक़्त बिल्कुल आख़िर में आप जो विचार अपने सबकॉन्शियस माइंड को देते हैं, वह पूरी रात उस पर काम करता है। वह आपकी ज़िंदगी में ऐसे मौक़े, लोग और साधन खींच कर लाता है, जो आपको उस चीज़ को या उस हालत को पाने में मदद कर सकते हैं।
आप अपनी कल्पना में पांचों सेंस; देखना, सुनना, छूना, चखना और सूंघना शामिल कर लें ताकि वह आपके सबकॉन्शियस माइंड में एक रीयल सीन फ़ील हो। आप उस सीन में लोगों को उस चीज़ या हालत के मिलने पर मुबारकबाद देते हुए देख और सुन सकते हैं। वे आपसे हाथ मिला रहे हैं और आप उनके हाथ का दबाव अपने हाथ पर महसूस कर सकते हैं। उस वक़्त आप कुछ मिठाई खा रहे हैं तो उसका ज़ायक़ा और उस माहौल की ख़ुशबू महसूस कर सकते हैं। सीन बिल्कुल नेचुरल हो, उसमें फंतासी (Fantasy) न हो।
रोज़ रोज़ यह करने से पूरा सीन आपके सबकॉन्शियस माइंड पर क्लियर हो जाएगा। यह सीन आपको बिल्कुल रीयल फ़ील होगा। जब यह सीन क्लियर हो जाए और रियल फ़ील होने लगे तो आप समझ लेेेें कि यह अब आपके सबकॉन्शियस माइंड का पैटर्न बन चुका है।
रात में जब घर में सब सो रहे हों, तब आप जागकर बिस्तर पर लेटे लेटे ही यह काम कर सकते हैं। रात का यह वक़्त तहज्जुद का वक़्त कहलाता है। इस वक़्त आपका सबकॉन्शियस माइंड नींद ले चुकने की वजह से शांत होता है। इस वक़्त वह पूरी पावर से आपके हक़ में काम कर सकता है। यह काम आप 5-10 मिनट करें। आप इससे ज़्यादा देर तक भी यह काम कर सकते हैं लेकिन यह ध्यान रखना है कि ध्मान भटकने और बिखरने न पाए। जब आपका ध्यान अपने मन की मुराद से, अपने मक़सद से हटने लगे, तब आप फिर से अपनी पसंद की चीज़ या हालत देखने लगें।
सुबह को बिल्कुल जागते ही आपके शरीर की पाँचों ज्ञानेंद्रियाँ एकदम काम करने के लायक़ नहीं हो जातीं। उस वक़्त भी 5-10 मिनट यह काम ज़रूर करें।
किसी भी चीज़ या हालत की कल्पना करने से पहले यह तय लें कि वह चीज़ आपके कल्याण और विकास में मददगार हो, आपको उसकी सचमुच ज़रूरत हो और आपको यक़ीन हो कि यह चीज़ मिलना या यह हालत होना पॉसिबल है। जिस चीज़ या हालत को पाना आप इम्पॉसिबल मानते हों, उसकी कल्पना न करें। उस चीज़ या हालत के पाने को इंपॉसिबल मानना आपके सबकॉन्शियस माइंड का एक पैटर्न है। यह पैटर्न ही आपके लिए एक रेज़िस्टेंस है। आपको यह चीज़ या हालत सिर्फ़ तभी मिल सकती है, जब आप अपने सबकॉन्शियस माइंड से यह रेज़िस्टेंस दूर कर लें।
इख़्लास क्या है?
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इख़्लास से रेजिस्टेंस दूर होता है। इख़्लास यह है कि आप अपने पैदा करने वाले की अनंत शक्ति पर यक़ीन करें कि वह हर चीज़ पर क़ुदरत (सामर्थ्य) रखता है। वह चाहे तो अपनी अनंत शक्ति से आपके लिए यह काम कर सकता है। आप अपने आपको पूरी तरह उसी पर निर्भर समझें और अपना काम सिर्फ़ उसी के हुक्म से होने का ऐसे यकीन करें जैसे समुद्र में डूबती हुई नौका वाले करते हैं।
'वही है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नौका में होते हो और वह लोगों को लिए हुए अच्छी अनुकूल वायु के सहारे चलती है और वे उससे ख़ुश होते हैं कि अचानक उनपर प्रचंड वायु का झोंका आता है, हर तरफ़ से लहरें उनपर चली आती हैं और वे समझ लेते हैं कि बस अब वे घिर गए, उस समय वे अल्लाह ही को, निरी उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते हैं, "अगर तूने हमें इससे बचा लिया तो हम ज़रूर शुक्र करेंगे।"
हम आपको पहले ही बता चुके हैं कि इख़्लास से रेजिस्टेंस दूर होता है। इख़्लास यह है कि आप अपने पैदा करने वाले की अनंत शक्ति पर यक़ीन करें कि वह हर चीज़ पर क़ुदरत (सामर्थ्य) रखता है। वह चाहे तो अपनी अनंत शक्ति से आपके लिए यह काम कर सकता है। आप अपने आपको पूरी तरह उसी पर निर्भर समझें और अपना काम सिर्फ़ उसी के हुक्म से होने का ऐसे यकीन करें जैसे समुद्र में डूबती हुई नौका वाले करते हैं।
'वही है जो तुम्हें थल और जल में चलाता है, यहाँ तक कि जब तुम नौका में होते हो और वह लोगों को लिए हुए अच्छी अनुकूल वायु के सहारे चलती है और वे उससे ख़ुश होते हैं कि अचानक उनपर प्रचंड वायु का झोंका आता है, हर तरफ़ से लहरें उनपर चली आती हैं और वे समझ लेते हैं कि बस अब वे घिर गए, उस समय वे अल्लाह ही को, निरी उसी पर आस्था रखकर पुकारने लगते हैं, "अगर तूने हमें इससे बचा लिया तो हम ज़रूर शुक्र करेंगे।"
-पवित्र क़ुरआन 10:22
जो लोग समुद्री सफ़र करते रहते हैं। वे इस हालत को जानते हैं कि एक डूबने वाले आदमी का ध्यान हरेक शक्ति और युक्ति से कैसे हट जाता है। वह पूरे समर्पण भाव से और शुद्ध ह्रदय से अपने पैदा करने को कैसे पुकारता है?
अगर आपने समुद्री सफ़र नहीं किया तो आप आँखें बन्द करके कल्पना कर सकते हैं कि आप एक नौका में हैं और हर तरफ़ दूर तक सिर्फ़ पानी ही पानी है। हवा बिल्कुल ठीक है और आप अपनी मंज़िल की तरफ़ बढ़ रहे हैं। सब लोग एन्ज्वाय कर रहे हैं। आप भी ख़ुश हैं और अपने घर वालों से मिलने के बारे में सोचकर मुस्कुरा रहे हैं। अचानक वह सब होने लगता है, जिसका ज़िक्र ऊपर पवित्र आयत में आया है। नौका का कप्तान सारी तदबीरें करके फ़ेल हो जाता है। कहीं से आपको कोई मदद नहीं मिल सकती। आपकी पुकार आपका कोई मददगार सुन नहीं सकता और कोई सुन भी ले तो वह कुछ कर नहीं सकता। अब ऐसी हालत में हरेक से निराश होकर केवल अपने पैदा करने वाले अजन्मे अविनाशी परमेश्वर से ही मदद की जो आशा होती है, वह इख़्लास होता है।
इख़्लास के लिए आप पवित्र क़ुरआन की उन आयतों को बार-बार पढ़ते और समझते रहें, जिनमें ईश्वर अल्लाह की अनंत शक्ति का बयान है जैसे कि सूरह इख़्लास, आयतुल कुर्सी, सूरह बुरूज और सूरह यासीन की आयतें, जो कि इस किताब के शुरू में लिखी हुई हैं। ये आयतें बार बार पढ़ने और समझने से ये आपके सबकॉन्शियस माइंड का कोर बिलीफ बन जाएंगी, जो रेजिस्टेंस को खत्म कर देंगी और आपको सफलता दिलाएंगी।
यह सब करने से आपके माइंड पर आप का मक़सद (Goal) क्लियर हो जाता है। इससे यह फ़ायदा होता है कि आपका सबकॉन्शियस माइंड आपका गोल पाने के लिए मुनासिब मौक़े, लोग और साधन खींचकर आपकी जिंदगी में ले आता है। यह माइंड की नेचर है कि जब उस पर गोल क्लियर हो जाता है तो वह उसे हासिल करने के लिए हर मुमकिन कोशिश करता है। वह मुनासिब मौक़े, लोग और साधन दिखाता है, जो पहले भी मौजूद थे लेकिन वे गोल क्लियर न होने की वजह से पहले दिख नहीं रहे थे।
पहले एक क्रिस्टल क्लियर इमेज के रूप में आप अपने माइंड पर अपना गोल क्लियर करें फिर बाहर ज़रूरी काम करें
जब माइंड पर गोल क्लियर हो जाता है तो वह उसे पाने के साधन, मौक़े और लोग दिखाने लगता है। जो कुछ आपको बाहर देखना है, आपको पहले उसे अपने दिल में देखना होगा। जिस चीज़ या हालत को आप अपने दिल में देखते हैं और उसे रीयल फ़ील करते हैं और यक़ीन करते हैं कि यह एक सच है जो कि मैं अंदर देख रहा हूँ; आप क़ुदरत का कानून भी जानते हैं कि आप जिस चीज़ के होने का यक़ीन करते हैं, वह आपकी जिंदगी में कुछ वक़्त बाद हो जाती है। आप की सच्चाई अंदर से बाहर आ जाती है। एक वक़्त आता है जब अंदर के पोशीदा राज़ बाहर आ जाते हैं। आपके हालात में जो कुछ आज बाहर है, वह पहले आपके सबकॉन्शियस माइंड में सोच के साँचे के रूप में मौजूद था। आज और अब जबकि आप अपनी सोच के साँचे बदल रहे हैं तो आपकी ज़िंदगी में बदलाव आना लाज़िमी है।
जब माइंड पर गोल क्लियर हो जाता है तो वह उसे पाने के साधन, मौक़े और लोग दिखाने लगता है। जो कुछ आपको बाहर देखना है, आपको पहले उसे अपने दिल में देखना होगा। जिस चीज़ या हालत को आप अपने दिल में देखते हैं और उसे रीयल फ़ील करते हैं और यक़ीन करते हैं कि यह एक सच है जो कि मैं अंदर देख रहा हूँ; आप क़ुदरत का कानून भी जानते हैं कि आप जिस चीज़ के होने का यक़ीन करते हैं, वह आपकी जिंदगी में कुछ वक़्त बाद हो जाती है। आप की सच्चाई अंदर से बाहर आ जाती है। एक वक़्त आता है जब अंदर के पोशीदा राज़ बाहर आ जाते हैं। आपके हालात में जो कुछ आज बाहर है, वह पहले आपके सबकॉन्शियस माइंड में सोच के साँचे के रूप में मौजूद था। आज और अब जबकि आप अपनी सोच के साँचे बदल रहे हैं तो आपकी ज़िंदगी में बदलाव आना लाज़िमी है।
जो नापसंद बात आज आपकी जिंदगी में बाहर है, वह फ़ना होने वाली है क्योंकि एक नई हालत आपकी जिंदगी में आने वाली है। जिसे आज आप अपने दिल में देख रहे हैं और महसूस कर रहे हैं, जिस हालत को आज आप अपने दिल में जी रहे हैं, कल वही आपकी जिंदगी में बाहर सच होने वाली है। आपका यकीन के साथ देखना उस चीज़ को आपकी ज़िंदगी में खींच लाएगा। जो आप देखते हैं, उसे आप जन्म देते हैं। जो लोग यूनिवर्स एंड माइंड के क़ानू़न को जानते हैं, वे सब लोग जानते हैं कि ऐसा ही होता है।
- आप बीमार हैं तो आप अपनी कल्पना में खुद को पूरी तरह हेल्दी देख और महसूस कर सकते हैं।
- अगर आप अपने बाहरी हालात में ग़रीब हैं तो आप अपनी कल्पना में खुद को धनी देख सकते हैं और महसूस कर सकते हैं।
- आप पढ़ाई में कमज़ोर हैं तो आप अपनी कल्पना में अपने आप को अच्छे नंबरों से पास होते हुए देख सकते हैं।
- अगर आप बेरोज़गार हैं तो आप ख़ुद को अपनी पसंद का काम करते हुए और रुपया कमाते हुए देख सकते हैं।
- अगर आप की दुकान पर सेल कम है तो आप अपनी कल्पना में अपनी दुकान पर ग्राहकों की भीड़ देख सकते हैं।
- अगर आप की फ़सल कम है तो आप अपने खेत में भरपूर फसल देख सकते हैं।
- अगर आपका पैसा किसी ने उधार लेकर दबा लिया है और वह वापस करने से मना कर रहा है तो आप अपनी कल्पना में उसे वह रक़म खुशी-खुशी वापस करते हुए देख सकते हैं।
- अगर आप किराए के मकान में रहते हैं और आपको अपने मकान की ज़रूरत है तो आप कल्पना में अपनी पसंद के मकान में रह सकते हैं।
- अगर आपकी पत्नी आप से लड़ कर अपने मायके जाकर बैठ गई है तो आप उसे अपने घर में अपने पास बैठ कर बातें करते हुए देख सकते हैं। आप अपने दिल में उससे बातें कर सकते हैं और आप देखेंगे कि उसके वापस आने के साधन बनने लगेंगे।
- अगर आप कुंवारे हैं और शादी करना चाहते हैं तो आप अपनी पसंद के गुणों वाले जीवनसाथी को अपने पति या अपनी पत्नी के रूप में देख सकते हैं।
- अगर आप शादीशुदा हैं और आपका अपने जीवनसाथी से मनमुटाव रहता है तो आप उसे अपने आपको प्रेम और सम्मान देते हुए और अपनी बात मानते हुए देख सकते हैं।
- आप को किसी गलत मुकदमे में फंसा दिया गया है और आप दुख भोग रहे हैं। आपको हारने का डर सता रहा है तो आप अपनी कल्पना में जज को अपने समर्थन में फैसला देते हुए देखकर खुशी महसूस कर सकते हैं। आप खुद को मुकदमा जीता हुआ देख सकते हैं।
- आप अपने हक़ में सुबूत और गवाह पेश नहीं कर पाए और आप निर्दोष होने के बावजूद बेवजह जेल में बंद हैं तो आप खुद को जेल में बंद है देखने और दुखी महसूस करने के बजाय आप खुद को अपने घर पर अपने परिवार के बीच में देखकर खुशी महसूस कर सकते हैं। आप महसूस कर सकते हैं कि मैं आजाद हूं। आप 'मैं' के साथ जो भी हालत देखते और महसूस करते हैं, वह एक वक़्त बाद सच होकर आपके सामने आ जाती है।
- अगर आपके पीछे कुछ ज़ालिम बदमाश, माफ़िया डॉन पड़े हैं और वे आपको सता रहे हैं। आपकी जान और इज़्ज़त ख़तरे में है। आप कमज़ोर हैं और वे बलवान हैं तो आप अपनी कल्पना में ख़ुद को बलवान और उनको खाए हुए भूसे की तरह कुचला हुआ देख सकते हैं। जिसकी मिसाल ईश्वर अल्लाह ने सूरह अलफ़ील में दी है। आप उनके हाथ टूटे हुए देख सकते हैं। यह मिसाल सूरह लहब में दी गई है। ईश्वर अल्लाह ने अपनी वाणी पवित्र क़ुरआन में मिसालें इसीलिए दी हैं कि बात आपके माइंड पर क्लियर हो जाए। पवित्र क़ुरआन की मिसालें आपको पवित्र शक्ति से लैस करती है। ये गूढ़ ज्ञान (रहस्यमय ज्ञान) में आती हैं। जिनका उपयोग सब लोग नहीं जानते। ऐसा सिर्फ़ तभी करें, जब ऐसा करना दीन में और देश के क़ानून में जायज़ हो।
ये मेरी ज़िन्दगी के सच्चे अनुभव हैं
मैंने ये सब आपको अपने अनुभव बताए हैं। फिर मैंने अपने करीबी दोस्तों को यह ज्ञान दिया। उन सबको अपने कामों में इतनी ज़्यादा कामयाबी मिली कि उन सबके वाक़यात से एक पूरी किताब भर जाएगी। मैंने अपना मकान, बिज़नेस, कार, माल और परीक्षा में अंक ऐसे ही पाए हैं। मैंने इसी तरीक़े से अपना जीवन साथी और फिर बच्चे पाए हैं। इसी तरीक़े से मुझे अच्छे और मददगार दोस्त मिलते रहते हैं। मैं इस वक़्त आपसे अपने निजी एक्सपीरियंस शेयर कर रहा हूं।
एक परिवार का तुरंत कल्याण कैसे हुआ?
देहरादून में एक लड़की सुनंदा की छोटी बहिन काजल अपने प्रेमी के साथ चली गई। काजल किसी से प्रेम करती है, यह बात घर वालों में कोई न जानता था। घर वालों ने उसका रिश्ता पक्का कर दिया था। जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी। सुनंदा ने किसी के कहने पर मुझसे सलाह माँगी। मैंने उससे कहा कि वह सूरह अलफ़ातिहा की मदद वाली आयत, चौथी आयत 'इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन' (हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं) पढ़े और अपनी कल्पना में अपनी बहिन को अपने घर पर देखे। सुनंदा ने ऊपर बताए गए तरीक़े से काम लेते केवल यही एक आयत पढ़ी। वह दिन में भी यह आयत पढ़ती रही। 24 घंटे के अंदर ही उसकी बहिन का पता चल गया। घर वाले उसे वापस ले आए। घर लौटने के बाद भी काजल अपने बेरोज़गार शराबी आशिक़ को त्यागने के लिए तैयार न थी। जहाँ उसका रिश्ता हुआ था, वहाँ भी उसके भागने की ख़बर पहुँच चुकी थी। वे मिलने आने वाले थे। बड़ी विकट हालत थी। सुनंदा ने फिर मुझसे मदद माँगी। मैंने उसे बताया कि हर हालत में सिर्फ़ एक पैदा करने वाला ही आपकी मदद कर सकता है।
1. इसलिए जो आप चाहते हैं, उस मुराद की हालत पर अपने दिल में ध्यान जमाकर
2. पूरे इख़्लास और
3. पूरे यक़ीन के साथ अपने पैदा करने वाले से बार बार मदद माँगो।
सुनंदा ने ऐसा ही किया। काजल के दिल से उसके प्रेमी का विचार निकल गया। होने वाला पति और उसके घर वाले काजल से मिलने आए। उन्होंने उसे कहा कि वे उसे अब भी अपनाएंगे। कुछ वक़्त बाद सुनंदा ने यह ख़ुशख़बरी दी कि काजल की शादी हो गई है। इस तरह एक परिवार ने कई विकट समस्याओं से मुक्ति पाई और उसका इसी दुनिया में तुरंत कल्याण हुआ।
आपकी समस्या कुछ भी हो, आप उसके हल को अपनी कल्पना में देख सकते हैं। आपके माइंड में कोई सीमा नहीं है। आप जो चाहे, वह देख सकते हैं। आप जिस बात का चाहें, उसका यकीन कर सकते हैं। आपका शक और डर ही आपके सीमा है।
मैंने ये सब आपको अपने अनुभव बताए हैं। फिर मैंने अपने करीबी दोस्तों को यह ज्ञान दिया। उन सबको अपने कामों में इतनी ज़्यादा कामयाबी मिली कि उन सबके वाक़यात से एक पूरी किताब भर जाएगी। मैंने अपना मकान, बिज़नेस, कार, माल और परीक्षा में अंक ऐसे ही पाए हैं। मैंने इसी तरीक़े से अपना जीवन साथी और फिर बच्चे पाए हैं। इसी तरीक़े से मुझे अच्छे और मददगार दोस्त मिलते रहते हैं। मैं इस वक़्त आपसे अपने निजी एक्सपीरियंस शेयर कर रहा हूं।
एक परिवार का तुरंत कल्याण कैसे हुआ?
देहरादून में एक लड़की सुनंदा की छोटी बहिन काजल अपने प्रेमी के साथ चली गई। काजल किसी से प्रेम करती है, यह बात घर वालों में कोई न जानता था। घर वालों ने उसका रिश्ता पक्का कर दिया था। जल्द ही उसकी शादी होने वाली थी। सुनंदा ने किसी के कहने पर मुझसे सलाह माँगी। मैंने उससे कहा कि वह सूरह अलफ़ातिहा की मदद वाली आयत, चौथी आयत 'इय्याका नाबुदु व इय्याका नस्तईन' (हम तेरी ही बन्दगी करते हैं और तुझी से मदद माँगते हैं) पढ़े और अपनी कल्पना में अपनी बहिन को अपने घर पर देखे। सुनंदा ने ऊपर बताए गए तरीक़े से काम लेते केवल यही एक आयत पढ़ी। वह दिन में भी यह आयत पढ़ती रही। 24 घंटे के अंदर ही उसकी बहिन का पता चल गया। घर वाले उसे वापस ले आए। घर लौटने के बाद भी काजल अपने बेरोज़गार शराबी आशिक़ को त्यागने के लिए तैयार न थी। जहाँ उसका रिश्ता हुआ था, वहाँ भी उसके भागने की ख़बर पहुँच चुकी थी। वे मिलने आने वाले थे। बड़ी विकट हालत थी। सुनंदा ने फिर मुझसे मदद माँगी। मैंने उसे बताया कि हर हालत में सिर्फ़ एक पैदा करने वाला ही आपकी मदद कर सकता है।
1. इसलिए जो आप चाहते हैं, उस मुराद की हालत पर अपने दिल में ध्यान जमाकर
2. पूरे इख़्लास और
3. पूरे यक़ीन के साथ अपने पैदा करने वाले से बार बार मदद माँगो।
सुनंदा ने ऐसा ही किया। काजल के दिल से उसके प्रेमी का विचार निकल गया। होने वाला पति और उसके घर वाले काजल से मिलने आए। उन्होंने उसे कहा कि वे उसे अब भी अपनाएंगे। कुछ वक़्त बाद सुनंदा ने यह ख़ुशख़बरी दी कि काजल की शादी हो गई है। इस तरह एक परिवार ने कई विकट समस्याओं से मुक्ति पाई और उसका इसी दुनिया में तुरंत कल्याण हुआ।
आपकी समस्या कुछ भी हो, आप उसके हल को अपनी कल्पना में देख सकते हैं। आपके माइंड में कोई सीमा नहीं है। आप जो चाहे, वह देख सकते हैं। आप जिस बात का चाहें, उसका यकीन कर सकते हैं। आपका शक और डर ही आपके सीमा है।
आपको इस तरीक़े पर भी शक हो सकता है कि यह तरीक़ा बहुत आसान लग रहा है। क्या यह तरीका काम करेगा?
वेलनेस साईंसेज़
वेलनेस साईंसेज़
आपके दिल में ऐसा शक आए तो आप इंटरनेट पर 'द साइंस ऑफ ग्रेटीट्यूड' और 'क्रिएटिव विज़ुआलाइश़ेन' के नाम से बहुत सारा स्टडी मैटेरियल पढ़ सकते हैं। विदेशी मनोवैज्ञानिकों ने नबियों की शिक्षाओं पर रिसर्च करके अब कल्याण के विषय पर कई साईन्सेज़ बना ली हैं।
स्मार्ट वर्क का कांसेप्ट
आपको ये बातें कल्पना लोक की जादुई बातों जैसी लग रही होंगी और आप सोच रहे होंगे कि अगर सब कुछ कल्पना से ही हो जाता है तो फिर कर्म करने की क्या ज़रूरत है?
पहली बात यह समझ लीजिए कि हमने यह नहीं लिखा है कि आप केवल कल्पना करें और उस कल्पना से ही आपका सब काम ख़ुद अंजाम तक पहुँच जाएगा। आपको कल्पना के अलावा कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप ऐसा समझ रहे हैं तो मेहरबानी करके आप यह लेख दोबारा पढ़ें। हमने यह लिखा है कि आप जो काम करना चाहें, पहले आप उसे अपनी कल्पना में करें, उसके बाद कामयाबी के यक़ीन के साथ स्मार्ट वर्क करें।
दूसरी बात यह है कि अपने रब को पहचानना, उसकी ख़ूबियों को पहचानना और उसके क़ानूने क़ुदरत को पहचानना एक बहुत बड़ा काम है। इसके बाद क़ानूने क़ुदरत के मुताबिक़ कल्पना करना, अपने अंदर विचार और भावनाओं को नियंत्रित करना; अपने मन पर संयम करना है, जो तक़्वा में आता है। ये कोई मामूली काम नहीं हैं, जो हर एक कर लेगा। इसके लिए बहुत सब्र और लगातार अभ्यास की ज़रूरत है। क़ानूने क़ुदरत के मुताबिक़ ऐसी कल्पना करना जो बाहर की दुनिया में ज़ाहिर हो जाए, एक मानसिक कर्म है; दिल का एक बहुत बड़ा अमल है। हम आपको बड़े अमल की तरफ़ तवज्जो दिला रहे हैं।
तीसरी बात यह है कि जब तक अंदर का अमल नतीजे के रूप में बाहर ज़ाहिर न हो, तब तक आपको ज़ाहिरी दुनिया में मुनासिब अमल से भी उसे लगातार सपोर्ट करना ज़रूरी है। ये भी अमल ही होते हैं।
चौथी बात यह है कि इस पीरियड में आपको अपने अंदर वे गुण कौशल (Skills) भी डेवलप करने ज़रूरी है, जिनसे आप उन चीजों को और उस हालत को संभाल सकें। आप किसी मनपसंद चीज़ या किसी हालत को अपनी कल्पना और आस्था से पा ज़रूर सकते हैं लेकिन उसे संभालने के लिए आपको गुण कौशल की ज़रूरत पड़ती है। यह सब अपने अंदर डेवलप करना भी कर्म ही कहलाता है। यह तरीक़ा आपको कर्म से ग़ाफ़िल नहीं करता बल्कि यह आपको ऐसा काम करना सिखाता है जो आपको मनचाहे नतीजे दे। इसे स्मार्ट वर्क कहा जाता है। पुरानी सोच हार्ड वर्क जानती है। वेलनेस साईंस स्मार्ट वर्क सिखाती है।
आपको यह चमत्कारी तरीक़ा सिखाने का मक़सद आपके यक़ीन और आपकी चाहत के टकराव के बारे जागरूक करना है ताकि आप अपने अंदर और बाहर के पहलुओं में तालमेल बैठाते हुए काम करना सीख सकें।
सूरह अलफ़ातिहा क़द्रदानी और शुक्र का तरीक़ा सिखाती है, जो सब नबियों का तरीक़ा है। यही कामयाबी का सीधा रास्ता है। आप कामयाब लोगों के बारे में पढ़ें, जिन पर ईश्वर अल्लाह की कृपा और नेमतें बरसी हैं। आप उनके अच्छे गुणों को ज़्यादा से ज़्यादा अपनाएं। आप अपने अंदर जो भी अच्छाई रखेंगे, वह बाहर आपकी ज़िन्दगी में हालात के रूप में रेफ़्लेक्ट ज़रूर होगी।
जब आप ऐसा करते हैं तो आप ईश्वर अल्लाह के प्रकोप से और भटकने बच जाते हैं क्योंकि अब आप अंधेरों से उजाले की तरफ़ आ चुके हैं।
सावधानियाँ
1. आपको सबसे ज़्यादा सावधान रेजिस्टेंस से रहना है। आप बचपन से अब तक सोच के जिस साँचे को अपने अंदर लिए हुए हैं, वह आपको एकदम और आसानी से नहीं बदलने देगा। वह बार बार आप पर कंट्रोल करने की कोशिश करेगा। आपको अपने मक़सद पर और अपनी नई आदत पर जमे रहना होगा। इसके बावजूद पुरानी आदत बार बार उभर कर आएगी। मुझ में मेरी पुरानी आदतें आज भी उभर आती हैं लेकिन मैं उन्हें अवेयरनेस की वजह से पहचान लेता हूं कि यह मेरा अतीत है जो पलट कर मुझे क़ाबू करने की कोशिश कर रहा है। अवेयरनेस आपकी ताक़त है, जो आपको आपकी बुरी आदतों पर विजय दिलाती है और उनके हमलों से बचाती है। यह एक सतत संघर्ष है, जो आपके अंदर चलता रहता है। इसमें दोनों तरफ आप ही लड़ रहे होते हैं। एक तरफ आपकी नेगेटिव पर्सनैलिटी होती है, जो अतीत में दूसरे लोगों ने बना दी थी और दूसरी तरफ़ पॉज़िटिव पर्सनैलिटी है, जिसे आप 'अब' अपने माइंड में एक कांसेप्ट के रूप में जन्म दे रहे हैं। अपने सबसे बड़े दुश्मन आप ख़ुद ही हैं और ख़ुद पर विजय पाने वाले विजेता भी आप ही हैं। आपको एक नई और पाक ज़िन्दगी गुज़ारनी है तो आपको अपनी पुरानी पर्सनैलिटी को अपने अंदर ख़ुद ही क़ुर्बान करना होगा।
मेरे कुछ स्टूडेंट्स पर 2 साल बाद पुराना नेगेटिव एटीट्यूड फिर हावी हो गया और वे पहले जैसे नाशुक्रे हो गए। इससे आपको सावधान रहना होगा।
2. किसी को अपनी नफ़रत और दुश्मनी की वजह से अपनी मानसिक शक्ति से हरगिज़ नुक़सान न पहुंचाएं वर्ना वही ऊर्जा आपकी तरफ़ पलट कर आएगी और आपको ही हलाक कर देगी।
3. किसी वेलनेस कोच या गुरु की निगरानी में अपने आपको साधना शुरू करें। इससे आपको बहुत आसानी होगी। इससे आपको कामयाबी मिलना ज्यादा यक़ीनी हो जाएगा। वह आपकी सफलता और बाधा के बारे में आपको बताता रहेगा। जो लोग मन के नियम न जानते हों, उन्हें गुरू बनाना ऐसा ही है, जैसे किसी अनाड़ी डॉक्टर से दिल का ऑपरेशन करवाना।
4. अगर आप जल्दी कामयाबी चाहते हैं तो यह तरीक़ा आपके लिए नहीं है। यह तरीक़ा सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो बहुत ज्यादा सब्र कर सकते हैं।
5. आप सूरह अलफ़ातिहा अरबी में पढ़ें या उसका अनुवाद पढ़ें। आपको जैसा आसान लगे, वैसा करें। दोनों तरह आपका मक़सद पूरा होगा, इन् शा अल्लाह!
स्मार्ट वर्क का कांसेप्ट
आपको ये बातें कल्पना लोक की जादुई बातों जैसी लग रही होंगी और आप सोच रहे होंगे कि अगर सब कुछ कल्पना से ही हो जाता है तो फिर कर्म करने की क्या ज़रूरत है?
पहली बात यह समझ लीजिए कि हमने यह नहीं लिखा है कि आप केवल कल्पना करें और उस कल्पना से ही आपका सब काम ख़ुद अंजाम तक पहुँच जाएगा। आपको कल्पना के अलावा कुछ करने की ज़रूरत नहीं है। अगर आप ऐसा समझ रहे हैं तो मेहरबानी करके आप यह लेख दोबारा पढ़ें। हमने यह लिखा है कि आप जो काम करना चाहें, पहले आप उसे अपनी कल्पना में करें, उसके बाद कामयाबी के यक़ीन के साथ स्मार्ट वर्क करें।
दूसरी बात यह है कि अपने रब को पहचानना, उसकी ख़ूबियों को पहचानना और उसके क़ानूने क़ुदरत को पहचानना एक बहुत बड़ा काम है। इसके बाद क़ानूने क़ुदरत के मुताबिक़ कल्पना करना, अपने अंदर विचार और भावनाओं को नियंत्रित करना; अपने मन पर संयम करना है, जो तक़्वा में आता है। ये कोई मामूली काम नहीं हैं, जो हर एक कर लेगा। इसके लिए बहुत सब्र और लगातार अभ्यास की ज़रूरत है। क़ानूने क़ुदरत के मुताबिक़ ऐसी कल्पना करना जो बाहर की दुनिया में ज़ाहिर हो जाए, एक मानसिक कर्म है; दिल का एक बहुत बड़ा अमल है। हम आपको बड़े अमल की तरफ़ तवज्जो दिला रहे हैं।
तीसरी बात यह है कि जब तक अंदर का अमल नतीजे के रूप में बाहर ज़ाहिर न हो, तब तक आपको ज़ाहिरी दुनिया में मुनासिब अमल से भी उसे लगातार सपोर्ट करना ज़रूरी है। ये भी अमल ही होते हैं।
चौथी बात यह है कि इस पीरियड में आपको अपने अंदर वे गुण कौशल (Skills) भी डेवलप करने ज़रूरी है, जिनसे आप उन चीजों को और उस हालत को संभाल सकें। आप किसी मनपसंद चीज़ या किसी हालत को अपनी कल्पना और आस्था से पा ज़रूर सकते हैं लेकिन उसे संभालने के लिए आपको गुण कौशल की ज़रूरत पड़ती है। यह सब अपने अंदर डेवलप करना भी कर्म ही कहलाता है। यह तरीक़ा आपको कर्म से ग़ाफ़िल नहीं करता बल्कि यह आपको ऐसा काम करना सिखाता है जो आपको मनचाहे नतीजे दे। इसे स्मार्ट वर्क कहा जाता है। पुरानी सोच हार्ड वर्क जानती है। वेलनेस साईंस स्मार्ट वर्क सिखाती है।
आपको यह चमत्कारी तरीक़ा सिखाने का मक़सद आपके यक़ीन और आपकी चाहत के टकराव के बारे जागरूक करना है ताकि आप अपने अंदर और बाहर के पहलुओं में तालमेल बैठाते हुए काम करना सीख सकें।
सूरह अलफ़ातिहा क़द्रदानी और शुक्र का तरीक़ा सिखाती है, जो सब नबियों का तरीक़ा है। यही कामयाबी का सीधा रास्ता है। आप कामयाब लोगों के बारे में पढ़ें, जिन पर ईश्वर अल्लाह की कृपा और नेमतें बरसी हैं। आप उनके अच्छे गुणों को ज़्यादा से ज़्यादा अपनाएं। आप अपने अंदर जो भी अच्छाई रखेंगे, वह बाहर आपकी ज़िन्दगी में हालात के रूप में रेफ़्लेक्ट ज़रूर होगी।
जब आप ऐसा करते हैं तो आप ईश्वर अल्लाह के प्रकोप से और भटकने बच जाते हैं क्योंकि अब आप अंधेरों से उजाले की तरफ़ आ चुके हैं।
सावधानियाँ
1. आपको सबसे ज़्यादा सावधान रेजिस्टेंस से रहना है। आप बचपन से अब तक सोच के जिस साँचे को अपने अंदर लिए हुए हैं, वह आपको एकदम और आसानी से नहीं बदलने देगा। वह बार बार आप पर कंट्रोल करने की कोशिश करेगा। आपको अपने मक़सद पर और अपनी नई आदत पर जमे रहना होगा। इसके बावजूद पुरानी आदत बार बार उभर कर आएगी। मुझ में मेरी पुरानी आदतें आज भी उभर आती हैं लेकिन मैं उन्हें अवेयरनेस की वजह से पहचान लेता हूं कि यह मेरा अतीत है जो पलट कर मुझे क़ाबू करने की कोशिश कर रहा है। अवेयरनेस आपकी ताक़त है, जो आपको आपकी बुरी आदतों पर विजय दिलाती है और उनके हमलों से बचाती है। यह एक सतत संघर्ष है, जो आपके अंदर चलता रहता है। इसमें दोनों तरफ आप ही लड़ रहे होते हैं। एक तरफ आपकी नेगेटिव पर्सनैलिटी होती है, जो अतीत में दूसरे लोगों ने बना दी थी और दूसरी तरफ़ पॉज़िटिव पर्सनैलिटी है, जिसे आप 'अब' अपने माइंड में एक कांसेप्ट के रूप में जन्म दे रहे हैं। अपने सबसे बड़े दुश्मन आप ख़ुद ही हैं और ख़ुद पर विजय पाने वाले विजेता भी आप ही हैं। आपको एक नई और पाक ज़िन्दगी गुज़ारनी है तो आपको अपनी पुरानी पर्सनैलिटी को अपने अंदर ख़ुद ही क़ुर्बान करना होगा।
मेरे कुछ स्टूडेंट्स पर 2 साल बाद पुराना नेगेटिव एटीट्यूड फिर हावी हो गया और वे पहले जैसे नाशुक्रे हो गए। इससे आपको सावधान रहना होगा।
2. किसी को अपनी नफ़रत और दुश्मनी की वजह से अपनी मानसिक शक्ति से हरगिज़ नुक़सान न पहुंचाएं वर्ना वही ऊर्जा आपकी तरफ़ पलट कर आएगी और आपको ही हलाक कर देगी।
3. किसी वेलनेस कोच या गुरु की निगरानी में अपने आपको साधना शुरू करें। इससे आपको बहुत आसानी होगी। इससे आपको कामयाबी मिलना ज्यादा यक़ीनी हो जाएगा। वह आपकी सफलता और बाधा के बारे में आपको बताता रहेगा। जो लोग मन के नियम न जानते हों, उन्हें गुरू बनाना ऐसा ही है, जैसे किसी अनाड़ी डॉक्टर से दिल का ऑपरेशन करवाना।
4. अगर आप जल्दी कामयाबी चाहते हैं तो यह तरीक़ा आपके लिए नहीं है। यह तरीक़ा सिर्फ उन लोगों के लिए है, जो बहुत ज्यादा सब्र कर सकते हैं।
5. आप सूरह अलफ़ातिहा अरबी में पढ़ें या उसका अनुवाद पढ़ें। आपको जैसा आसान लगे, वैसा करें। दोनों तरह आपका मक़सद पूरा होगा, इन् शा अल्लाह!
6. जब आप एक्सपर्ट हो जाएं तो आप कोई काम करते हुए बिना आँखें बन्द किए भी अपनी मुराद पर ध्यान जमाकर पूरे इख़्लास और पूरे यक़ीन के साथ सूरह अलफ़ातिहा पढ़ते हुए अपने सबकॉन्शियस माइंड में सोच के नए साँचे बना सकते हैं।
7. आप अपने बच्चों को इस परम गुप्त दिव्य आत्ममिक ज्ञान की शिक्षा देकर कष्ट उठाने और नष्ट होने से बचा सकते हैं। आप उन्हें भरपूर प्रेम दें। आप उन्हें प्रेम, शाँति और परोपकार करना सिखाएं। आप उन्हें कार्टून, सीरियल्स, वीडियो गेम्स और नेगेटिव लोगों के विचारों से बचाएं। उनके जीवन में सुख-शाँति और समृद्धि ख़ुद आएगी। जैसा वे अंदर महसूस करेंगे और जैसा वे दूसरों के साथ करेंगे, क़ुदरती क़ानून के अनुसार उनके साथ वैसा ख़ुद होगा। वे जैसा बोएंगे, वैसा ज़रूर काटेंगे। इसलिए अपने बच्चों को अपने दिल में बाग़ लगाना सिखाएं, आग लगाना न सिखाएं। बाग़ को अरबी में जन्नत कहते हैं। जो आदमी अपने दिल में बाग़ लगाता है, मानो वह जीते जी जन्नत में रहता है क्योंकि जो कुछ उसके दिल में है, वह उसका सुख और आनंद ख़ुद ही भोगता है।
7. आप अपने बच्चों को इस परम गुप्त दिव्य आत्ममिक ज्ञान की शिक्षा देकर कष्ट उठाने और नष्ट होने से बचा सकते हैं। आप उन्हें भरपूर प्रेम दें। आप उन्हें प्रेम, शाँति और परोपकार करना सिखाएं। आप उन्हें कार्टून, सीरियल्स, वीडियो गेम्स और नेगेटिव लोगों के विचारों से बचाएं। उनके जीवन में सुख-शाँति और समृद्धि ख़ुद आएगी। जैसा वे अंदर महसूस करेंगे और जैसा वे दूसरों के साथ करेंगे, क़ुदरती क़ानून के अनुसार उनके साथ वैसा ख़ुद होगा। वे जैसा बोएंगे, वैसा ज़रूर काटेंगे। इसलिए अपने बच्चों को अपने दिल में बाग़ लगाना सिखाएं, आग लगाना न सिखाएं। बाग़ को अरबी में जन्नत कहते हैं। जो आदमी अपने दिल में बाग़ लगाता है, मानो वह जीते जी जन्नत में रहता है क्योंकि जो कुछ उसके दिल में है, वह उसका सुख और आनंद ख़ुद ही भोगता है।