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Saturday, August 31, 2019

Peace and Wellness Center खोलना क्यों ज़रूरी है? Dr. Anwer Jamal

फ़ैज़ ख़ान भाई ने रामपुर से सवाल किया है: Sir तारिक़ साहब ने बोला है कि अगले पार्लियामेंट सेशन मैं तब्दीली ए मज़हब के ख़िलाफ़ भी क़ानून बन सकता है। फिर तो उन आलिमों और उनके शागिर्दों को भी रोका जायेगा जो डायरेक्ट इस्लाम पेश करते हैं।
जवाब: आपने सही कहा बिल्कुल रोका जाएगा। कानून बनने से पहले ही एक बहुत बड़े मुबल्लिग़ को रोका जा चुका है।
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दीन का मक़सद
शांति व्यवस्था और कल्याण है।
यही दावा हरेक देश के संविधान का है।
आप शांति व्यवस्था और कल्याण के उनवान से काम करें।
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तौहीद का अक़ीदा अब सब धर्मों का साझा है और अगर आप इस अक़ीदे से शुरू करके अपनी हुकूमत क़ायम नहीं करना चाहते तो फिर किसी को तौहीद पर और आपकी तब्लीग़ पर आपि नहीं है।
हर दौर की ख़ास ज़रूरत होती है। जो दीन उसे पूरी करता है, लोग उसकी तरफ़ दौड़ते हैं।
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इस वक़्त बेरोज़गारी, बीमारी, असुरक्षा, जुर्म, आतंकवाद, ग़रीबी और ग्लोबल वार्मिंग आम है।
ये समस्याएं हर धर्म के लोगों के सामने हैं।
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अगर तौहीद से दुनिया की रोज़ी, सेहत और सलामती मिलती है तो हरेक इसे शौक़ से सीखता है। हरेक देश की सरकार चाहती है कि उसके देश से ये समस्याएं कम हों।
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रब पवित्र क़ुरआन में इनका हल अपने नाम से और शुक्रगुज़ारी से करना सिखाता है।
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आप समाज में शांति, रिचनेस, सेफ़्टी, सद्भावना और पेड़ लगाने का काम करेंगे,
आप लोगों को रब का और इंसानों का, अपने हाकिमों का शुक्रगुज़ार होना सिखाएंगे तो
आपको तब्लीग़ के लिए हरेक इन्वाईट करेगा।
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क्योंकि आप किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कर रहे हैं बल्कि सबको भूला हुआ धर्म याद दिला रहे हैं।
शुक्रगुज़ारी और कल्याण
सबका धर्म है।
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नये दौर में प्रेज़ेंटेशन को रिवायती दावती ट्रेंड से थोड़ा चेंज करना होगा। दावत के मक़सद पीस और वेलनेस पर काम करना होगा। इसके लिए तौहीद और यूनिवर्स में काम करने वाले क़ानून सिखाने होंगे। हर देश में हर धर्म के लोग इस पर काम कर रहे हैं। आप एक सेंटर का बोर्ड इमेज में देख सकते हैं।
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तौहीद, अद्ल और हुस्ने अख़़लाक़ से दावत शुरू होगी।
जन्म और मृत्यु का रहस्य बताना होगा।
दिल और जिस्म के रोगों की शिफ़ा के तरीक़े बताने होंगे। तिब्बे नबवी बेस्ड हर शहर में वेलनेस सेंटर खोलना आज के दौर की ज़रूरत है।
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आप नफ़ाबख़्श होंगे तो अहले ज़मीन आपको अपने बीच जगह देंगे।
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Friday, August 30, 2019

इंडियन मुस्लिम क्या करें? Dr. Anwer Jamal

आज मुस्लिम पूछते हैं कि हम क्या करें?
जवाब बहुत आसान है कि जो ब्राह्मण कर रहे हैं, वही तुम करो। वे बुद्धि से काम ले रहे हैं, तुम भी बुद्धि से काम लो। ब्राह्मण अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दे रहे हैं, तुम भी दो।
आपको पता होना चाहिए कि ब्राह्मणों का रिश्ता ब्रह्मा जी से है। उन्हें यहूदी ईसाई अब्राहम और मुस्लिम इब्राहीम के नाम से जानते हैं। जैसे अब्राहम और इब्राहीम नाम के कई लोग हुए हैं क्योंकि मशहूर हस्ती का नाम उनके बाद बहुत लोग रख लेते हैं। ऐसे ही ब्रह्मा नाम के ऋषि भी बहुत हुए हैं। बाद में यह एक पद बन गया था। जो चारों वेदों को जानता था, उसे ब्रह्मा कह देते थे। जो शुरू के ब्रह्मा थे, वह इबराहीम (अलैहिस्सलाम) थे। ब्राह्मणों में कुछ उनकी नस्ल से हैं और कुछ उनकी शिक्षा के स्नातक होने के कारण ब्राह्मण कहलाए।
यह बात सामने रहे तो ब्राह्मण अपने लगेंगे और ग़ैरियत की दीवार गिर जाएगी।
अब यह बात भी आसानी से समझ में आ जाएगी कि इतने दौर गुज़रने के बावुजूद भारतीय समाज की सभी जातियों पर ब्राह्मणों की पकड़ आज भी पहले जैसी है। यह सब उस बुद्धि की वजह से है, जो ब्रह्मा जी से उन्हें मिली है। यह उनकी बुद्धि और हिकमत का कमाल है। उन्होंने सैकड़ों सालों में दुनिया की बहुत सी संस्कृतियों से सीखा है। जिसमें ब्रह्मा जी (इब्राहीम) की असल शिक्षा दब गई है।
आज वे गली गली लोगों को उनकी समस्या का उपाय बता रहे हैं और लोग उनकी बात मान रहे हैं।
वे किसी को तीर्थ यात्रा बता रहे हैं, किसी को हवन बता रहे हैं, किसी को योगासन बता रहे हैं, किसी को ग्रह पूजा और मोती मूंगा पहनना बता रहे हैं। वे किसी को दुकान पर नींबू और मिर्च लटकाना बता रहे हैं। वे अपने तरीक़े से उपाय बता रहे हैं, आप अपने तरीक़े से उपाय बता दो।
  
भाई, सबसे पहले अपने जज़्बात क़ाबू करो और चैलेंज की भाषा बोलनी बंद करो। पिछली नस्लें यही बोलती रहीं। इमाम बुख़ारी से लेकर  बाबरी मस्जिद आंदोलन के नेता तक, सब चैलेंज की भाषा बोलते रहे। नतीजा नुक़्सान के सिवा कुछ न हुआ। प्रतिक्रया की मानसिकता और बदले की भावना से निकलो। 
अपना गोल सैट करो।
आप ख़ुद को, अपनी क़ौम को, देश और दुनिया को भविष्य में जैसा देखना चाहते हो, वैसा अपनी 'आत्मा' में देखो। इससे आप पर आपका विज़न क्लियर होगा। 
अब अपने विज़न पर चुपचाप काम करो, बस।
कम लिखे को ज़्यादा समझो।

आपको कुछ करना है तो सबसे पहले आप ब्राह्मणों की तरह भारत में बसी हुई जातियों की गिनती, उनके नाम और उनका इतिहास पढ़ो। उनकी मानसिकता को समझो।
उनसे काम लेना है तो यह देखो कि ब्राह्मण उनसे किस 'उपाय' से काम लेता है?
आप जानेंगे कि वह उन्हें 'उपाय बताने' के उपाय से वश में करता है।
आप भी उपाय बताएं।
अब आप गुरू बन गये। हर शहर में गली गली ऐसे गुरू हों, जो लोगों को सूरह फ़ातिहा से शुक्रगुज़ार बनने और अपने कामों में रब से मदद पाना सिखाएं।
ऐसे एक लाख गुरू हों।
लाख न हों तो दस हज़ार भी चलेंगे।
दस हज़ार उपाय बताने वाले गुरू चाहिएं।
अब आप 'बुद्धि' वाले बन चुके हैं।
भारत में काम जज़्बाती तक़रीरों से नहीं, ज्ञान और बुद्धि से चलेगा।
अब आप लोगों की सेवा करें और उन्हें जज़्बात क़ाबू में रखना सिखाएं। नफ़रत के बजाय मुहब्बत करना सिखाएं। उन्हें सफलता मिलेगी।
वे फ़ायदा देखकर आपकी बात मानेंगे। आपकी बात ब्राह्मण भी मानेंगे। आप उन्हें याद दिलाएं कि ब्रह्मा जी की शिक्षा वास्तव में यह है: 'हस्बुल्लाहु व नेमल वकील' अर्थात् हमें परमेश्वर काफ़ी है और वह अच्छा कार्यसाधक है। इस एक विश्वास से हर मुसीबत पलती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
मुझे ऐसे ब्राह्मण गुरू मिलते हैं, जो अपने और अपने शिष्यों के काम बनाने के लिए पवित्र क़ुरआन की दुआओं से काम लेते हैं।
पवित्र क़ुरआन में हर समस्या का उपाय है तो भाई आप वे उपाय सबको बताओ।
सच यह है कि भारत की जनता उपाय बताने वाले 'गुरूओं' के पीछे चलती है।
आप यह मानसिकता पहचानो। आप कल्याण गुरू बनो। आप ब्राह्मणों से ज़्यादा कल्याण करो। आप ब्राह्मणों का भी कल्याण करो।
आप कल्याण के बीज बोओ। भविष्य में आप कल्याण की फ़सल काटोगे। यह तय है।
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Danish Human भाई ने सवाल किया है: 
अस्सलामु अलैकुम। कैसे हैं आप? एक बात कहनी है। 
Aapki posts mein aksar ब्रह्मा का मतलब इब्राहीम(अ.) लिखा होता है।
Sir मैंने जो पढ़ा है उसके हिसाब से ब्रह्मा का मतलाब Creatoर(ख़ालिक़) होता है और इस हिसाब से यह अल्लाह का सिफ़ाती नाम हुआ तो ब्रह्मा को इब्राहीम(अ) से कैसे मुशाबेहत दी सकती है????
अगर लफ्ज़ ब्रह्मा वेदों या पुराणों में कहीं किसी इंसान 
के लियें भी आया है तो मुझे बताइएगा...इन शा अल्लाह।

जवाब: W alaykum assalam
Main achcha hun, Alhamdulillah!
इसे समझने के लिए आप अली नाम को ले लें। अली नाम क्रिएटर अल्लाह का है या एक इंसान का है या दोनों का है?
अगर अली नाम क्रिएटर और एक इंसान का हो सकता है तो ऐसे ही ब्रह्मा नाम भी क्रिएटर और इंसान दोनों का हो सकता है।
आप वेद पढ़ें। वेद के हर एक सूक्त के शुरू में उस सूक्त की रचना करने वाले ऋषि का नाम लिखा रहता है। कुछ सूक्तों के शुरू में आपको ब्रह्मा ऋषि का नाम लिखा हुआ मिलेगा। यह ब्रह्मा हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से अलग ऋषि है। यह एक पद नाम वाला ब्रह्मा ऋषि है।

Danish Human: JazakAllah...reply ke liyein.
जवाब: 🌹😊🌹

गीता का परम गुप्त सहज योग क्या है? Dr. Anwer Jamal

मैंने नरेश शर्मा जी की पोस्ट पर राजेश शर्मा जी का कमेंट पढ़ा। मैंने उन्हें जवाब में गीता का सहज योग समझाया। यह डायलाग आपके लिए फायदेमंद है। इसलिए मैं नरेश शर्मा जी की पोस्ट और दोनों कमेंट यहां पेश कर रहा हूँ।
Rajesh Sharma ji, 'मैं' एक दिव्य नाम है। इसके साथ जो भी गुण लगा दो और उसे रिपीट करके बोलते रहो तो वह एक समय बाद सूक्ष्म भाव जगत से स्थूल होकर जीवन में सहज साकार हो जाता है। यही सहज योग है।
गीता के दसवें अध्याय में श्री कृष्ण जी ने ख़ुद को पीपल, कुबेर और राजा आदि के रूप में पहचानने का उपदेश दिया है ताकि आपके जीवन में महानता और ऐश्वर्य आए।
लेकिन अज्ञानियों ने 'मैं' नाम के साथ वैसे ही खेल किया जैसे अज्ञानवश पांच भारतीय फ़ौजियों ने अपने ही हेलीकॉप्टर को गिरा लिया था और अब दोषी पाकर दण्ड पा रहे हैं।
मैं चौकीदार हूँ, एक दो बार कहने में कोई हरज नहीं है लेकिन इस वाक्य का रिपीटेशन चौकीदार ही बना देगा।
सारे मंत्र इसी मानसिक नियम के अनुसार फल देते हैं।
इसीलिए अपने मन में हर समय अपराध बोध लिए घूमना ठीक नहीं है क्योंकि 'मैं पापी हूँ' का विश्वास उसके जीवन में दण्ड के हालात लाता रहता है।
उसी के लिए संयम, पवित्राचरण और प्रायश्चित है ताकि मन निर्मल रहे और वह अंदर के सूक्ष्म भाव बाहर स्थूल होकर प्रकट हों तो जीवन में पवित्रता आए।
छल कपट करके कोई भी दूसरों को नहीं ख़ुद को धोखा देता है। मलिन आत्मा और अपराध बोध उसके अंदर से आनंद को ख़त्म कर देता और मरकर तो वह दुख पाता ही रहेगा।
आदमी अपनी आत्मा को कहां छोड़कर भागेगा?
बहरहाल 'हम पापी हैं' यह हमारी सामूहिक धारणा है। इसे भी बदलने की ज़रूरत है।
हमारा भौतिक जीवन हमारी मानसिक धारणाओं का प्रतिबिंब मात्र है।
'मैं प्रेम हूँ।'
'मैं शुद्ध हूँ।'
'मैं शांत हूँ।'
'मैं rich हूँ।'
'मैं सफल हूँ।'
'मैं शुक्रगुज़ार हूँ।'
ये अच्छे विश्वास हैं। इन्हें नियमित दोहराने की ज़रूरत है। आज मन के नियमों को समझने की बहुत ज़रूरत है।
Masood Ali Khan इन नियमों को सिखाते हैं।

Wednesday, August 28, 2019

मुफ़्त के माल से लाखों रूपये कमाने का सफल आयडिया Dr. Anwer Jamal


*बिज़नेस आयडिया*
हमारे शहर में एक आदमी मुफ़्त के चारे पर बकरे पालता है और ऊँची क़ीमत पर बेचता है।
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*मुफ़्त का चारा*
जो लोग फलों का जूस बेचते हैं उनके पास उस जूस का वेस्टेज खट्टा हो जाता है उस वेस्टेज में भी काफी हिस्सा दूसरा होता है और वह वेस्टेज पौष्टिक होता है जिसे बकरों के खाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है।
🍏🍎🍏
आप अपने घर पर जूस के बचे हुए पल्प से अपने लिए कई चीज़ें तैयार कर सकते हैं। नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें:

9 Ways to Make the Best of Your Juice Pulp

एक अक्लमंद आदमी ने कुछ जूस वालों से बात कर ली कि मेरा आदमी आकर आपसे यह वेस्टेज ले जाएगा। तैयार हो गए। उसका आदमी उन सब से फलों की वेस्टेज इकट्ठे करके ले जाता है जिसे  बकरों को चारे के रूप में दिया जाता।
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फ़्री के चारे पर बकरे पलकर क़ीमत में बिकते हैं और वह आदमी काफ़ी दौलत कमा रहा है।
Goat Farming एक बहुत सफल बिज़नेस है। अल्हम्दुलिल्लाह! अर्थात् अल्लाह का शुक्र है।
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क़स्बों की सब्ज़ी मंडी में सुबह को ऐसा ही बहुत चारा मिल जाता है, जो यहा़ं वहां बिखरा पड़ा रहता है। वहां से उसे लाने के लिए किसी लड़के को मुक़र्रर किया जा सकता है।
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दिल्ली की आज़ादपुर सब्ज़ी म़डी में गिरी पड़ी सब्ज़ी और पत्तों को बिहार के कुछ लोग जमा कर लेते हैं और फिर उन्हें छांटकर अलग करके उन ढाबों पर बेच देते हैं जो स्लम एरिया में ग़रीब लोगों के लिए सस्ता खाना तैयार करके बेचते हैं।
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चमत्कार या मार्गदर्शन: कैसे होती है मुराद पूरी? Dr. Anwer Jamal

साजिद ख़ान भाई ने गुजरात से यह सवाल किया है:
इसमें कोई गलती हो तो सुधारे 
यह सच में बात हुई थी।
💫💥 *Chamtkaar ya margdarshn* ✒📖

*time nikalke jarur padhna*

  *book fair me ek teacher se baat hue islam pe , teacher surat ki badi school me principal he , baat lmbi thi yaha sirf ek hi point rkhta hu*

💥 *teacher* : *yah mera beta muje "haji ali dargah ki mannat se mila he (unhe dargah pe kafi bharosha)*

📌 *me : teacher agar aapki ek ungli kut jaaye to kya aap duniya ki kisi bhi dargah ya chamtkari mandir (koibhi dharmik jagah) se mannat maan ke vapis la sakti ho ?*

*teacher : nahi , aisa thodi ho sakta he* ❓

📌 *me : agar mannat se ek beta mil sakta he to ek kati hue ungli kyu nahi ?* 

*teacher : !!!!???* ❗❓

💫 *me : teacher,  yah acid test he !!!*
*aisa kabhi nahi ho sakta !!*
*dargah jis bujurg ki he voh hame*
*way of life, do & don't sikhane aaye the*

📖✒ *islam ne apni satyta manvane ke liye rivayati chamtkar ko kabhi base nahi banaya* 
*Islam ne baudhik nishaniya di he taaki inshan uspe chintan manan karke saty ko pehchan ne ki koshis kare*

📌 *teacher : to fir Allah kati hue ungli kaise dega ?* ❓

*me : Allah hame guide karta he ki ungli ka ilaj karavo aur dhiraj rakho* ✅

📣 *Allah chahta to sabko iman vaala bana deta* 

📖 *lekin voh to dekhna chahta he ki saty samaj me aane ke baad kon truth pe chalta he aur kaun false pe*

*bahut interesting discussion thi yaha bas itna hi*

🌿🍂☘🌸🍁🍀🌹🌿

जवाब: आपकी इस बात में कोई ग़लती नहीं है।
लेकिन आपको यह बात जाननी है कि भारत की जनता आशीर्वाद और चमत्कार में विश्वास रखती है। भारत का हिंदू विश्वास रखता है, भारत का मुसलमान भी विश्वास रखता है।
हिंदू अपनी मुराद के लिए मंदिर में जाता है। मुसलमान बाबा या मज़ार के पास जाता है  या वह तावीज़ लेने के लिए जाता है। आप समझा कर तर्क से एक दो या 10-20 या 100 लोगों को रोक सकते हैं, भारत के सब लोगों को नहीं रोक सकते।
भारत के सब लोगों को शिर्क से रोकने के लिए आपको उन्हें बताना होगा कि जो भी मंदिर, पेड़ या मज़ार पर अपनी मुराद पाने के लिए जाता है और उसकी मुराद पूरी होती है तो उसकी मुराद रब के क़ानून के तहत पूरी होती है और वह क़ानून है यक़ीन का कानून।
जो भी इंसान कोई मक़सद रखता है और उसे उसके पूरा होने का यक़ीन है और फिर वह उसके लिए कोई अमल कर सकता है तो वह भी करता है और अगर वह जिस्म से अमल नहीं कर सकता, मजबूर है तो कोई बात नहीं लेकिन अगर वह विश्वास रखता है तो उसके जीवन में उसके विश्वास के कारण वह मुराद अपने आप किसी समय पर किसी न किसी रूप में ज़रूर पूरी हो जाती है।
अब कोई आदमी पेड़ पर, मूर्ति पर, मज़ार पर या तावीज़ पर यक़ीन रखता है तो वह पेड़, मूर्ति, मज़ार या तावीज़ उस मुराद को पूरी नहीं करता बल्कि उसका यक़ीन उस मुराद की शक्ल में पूरा होता है क्योंकि रब का क़ानून यही है।
इसीलिए इस्लाम में इख़्लास और यक़ीन दुआ के रुक्न हैं। 
इन्हीं के होने से दुआ, दुआ है। ये रुक्न न हों तो दुआ, दुआ नहीं होती। हलाल माल खाना, हलाल माल से पहनना और हलाल माल से अपनी ज़रूरतें पूरी करना दुआ क़ुबूल होने की शर्त है।
मुस्लिम सूफ़ी पूरी ज़िन्दगी सब लोगों को दुआ के रुक्न और शर्तें सिखाते रहे और खुद दुआ करके दिखाते भी रहे यानि वे लोगों को दुआ की थ्योरी सिखाते रहे और प्रैक्टिकल करके दिखाते रहे लेकिन लोगों ने न उनसे थ्योरी सीखी और न उनके प्रैक्टिकल को देखकर ऐसी दुआ करना सीखा कि उनकी दुआ अपना असर ज़ाहिर करे।
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सबसे बड़ी दुआ अल-फ़ातिहा है। इसमें शुक्र की तालीम है। रब का नाम है। उसकी रहमत का और उसकी अनंत क़ुदरत का और उसकी मदद का बयान है। सूरह फ़ातिहा की चौथी आयत में रब से मदद मांगने की दुआ है।
शुक्रगुज़ार बनकर उसकी रहमत पर नज़र करके जिस काम में भी इख़्लास और यक़ीन के साथ मदद की दुआ की जाती है और फिर उसके पूरा होने तक सब्र और मुनासिब अमल किया जाता है, वह दुआ अपने ठीक वक़्त पर किसी न किसी रूप में अपने आप ज़रूर पूरी हो जाती है।
अल्हम्दुलिल्लाह!
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इस तरह जो लोग ज्ञान के अभाव में ग़लत विकल्प चुनकर शिर्क कर रहे थे। वे ज्ञान मिलने पर सही तरीक़े से दुआ करेंगे और जब उनकी दुआ अपना असर ज़ाहिर करेगी तो फिर वे क्यों बाहर की चीज़ों से मदद मांगेंगे?
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हमें लोगों को मुराद पाने का सही तरीका सिखाना होगा। तब सब लोग शिर्क छोड़ेंगे।
शुक्रिया!

Tuesday, August 27, 2019

Vertical Gardening: मंदी के दिनों में बिना पैसे के बिना जॉब के खाएं अंडे दूध और सब्ज़ियाँ


Altaf Tetra bhai का  सवाल और हमारा जवाब
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*रोज़ी के बारे में*

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सवाल: पर मारा तो गरीब ही जाएगा ये याद रखना     फैक्ट्रियां बंद हो रही है मज़दूर कहां जाएंगे दो रोटी के पैसे कमाने???

जवाब: आज ग़रीब मज़दूर को सर्वाइव करना है तो उसे
रोटी के परंपरागत कांसेप्ट से मुक्त होना होगा कि उसे किसी दूसरे का काम करके ही पैसा मिलेगा और फिर उसे पैसे से रोटी मिलेगी।
बिना पैसे के भी रोटी मिली है और मिल सकती है।
रब ने रोज़ी का वादा किया है रोटी का नहीं।
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को फर्श और आकाश को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा, फिर उसके द्वारा हर प्रकार की पैदावार की और फल तुम्हारी रोजी के लिए पैदा किए, अतः जब तुम जानते हो तो अल्लाह के समकक्ष न ठहराओ।
पवित्र क़ुरआन 2:12

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी में ग़रीब मज़दूर के लिए उम्दा नमूना है।
हर ग़रीब आदमी अपने घर पर मुर्ग़ी, बत्तख़, भेड़, बकरी और ख़रगोश पाले। ये सब लगभग मुफ़्त में सड़क किनारे चारा चुगकर पल जाते हैं। मुर्ग़ी बकरियां रोज़ दूध अंडे देती हैं। घर के ख़ाली आंगन में या छत पर कई लेयर में गमले रखकर कम जगह में ज़्यादा लौकी, कद्दू, टमाटर, मूली, बैंगन, धनिया, मिर्च, पालक और पपीता आदि उगाए जा सकते हैं।
हमारे वालिद साहब शौक़िया आंगन में बाग़बानी करते थे। इतनी ज़्यादा सब्ज़ियां हो जाती थीं कि मौहल्ले वाले और दोस्त मांगकर ले जाते थे क्योंकि बिना खाद के आर्गेनिक सब्ज़ियों का ज़ायक़ा बिल्कुल अलग और लाजवाब होता है। Vertical Gardening से दीवारों पर बेकार बोतलों में भी सब्ज़ियां उगाई जाती हैं। यूट्यूब पर देखें वीडियोज़।


सरकारी ज़मीन में लगे गूलर, पीपल, बरगद, अंजीर के फल और सहजन के पत्ते तोड़ कर क़ायदे से पकाकर भी खाए जा सकते हैं। इन्हें बिना पकाए भी खाया जा सकता है। ये पौष्टिक होते हैं।