आज मुस्लिम पूछते हैं कि हम क्या करें?
जवाब बहुत आसान है कि जो ब्राह्मण कर रहे हैं, वही तुम करो। वे बुद्धि से काम ले रहे हैं, तुम भी बुद्धि से काम लो। ब्राह्मण अपनी बेस्ट परफॉर्मेंस दे रहे हैं, तुम भी दो।
आपको पता होना चाहिए कि ब्राह्मणों का रिश्ता ब्रह्मा जी से है। उन्हें यहूदी ईसाई अब्राहम और मुस्लिम इब्राहीम के नाम से जानते हैं। जैसे अब्राहम और इब्राहीम नाम के कई लोग हुए हैं क्योंकि मशहूर हस्ती का नाम उनके बाद बहुत लोग रख लेते हैं। ऐसे ही ब्रह्मा नाम के ऋषि भी बहुत हुए हैं। बाद में यह एक पद बन गया था। जो चारों वेदों को जानता था, उसे ब्रह्मा कह देते थे। जो शुरू के ब्रह्मा थे, वह इबराहीम (अलैहिस्सलाम) थे। ब्राह्मणों में कुछ उनकी नस्ल से हैं और कुछ उनकी शिक्षा के स्नातक होने के कारण ब्राह्मण कहलाए।
यह बात सामने रहे तो ब्राह्मण अपने लगेंगे और ग़ैरियत की दीवार गिर जाएगी।
अब यह बात भी आसानी से समझ में आ जाएगी कि इतने दौर गुज़रने के बावुजूद भारतीय समाज की सभी जातियों पर ब्राह्मणों की पकड़ आज भी पहले जैसी है। यह सब उस बुद्धि की वजह से है, जो ब्रह्मा जी से उन्हें मिली है। यह उनकी बुद्धि और हिकमत का कमाल है। उन्होंने सैकड़ों सालों में दुनिया की बहुत सी संस्कृतियों से सीखा है। जिसमें ब्रह्मा जी (इब्राहीम) की असल शिक्षा दब गई है।
आज वे गली गली लोगों को उनकी समस्या का उपाय बता रहे हैं और लोग उनकी बात मान रहे हैं।
वे किसी को तीर्थ यात्रा बता रहे हैं, किसी को हवन बता रहे हैं, किसी को योगासन बता रहे हैं, किसी को ग्रह पूजा और मोती मूंगा पहनना बता रहे हैं। वे किसी को दुकान पर नींबू और मिर्च लटकाना बता रहे हैं। वे अपने तरीक़े से उपाय बता रहे हैं, आप अपने तरीक़े से उपाय बता दो।
भाई, सबसे पहले अपने जज़्बात क़ाबू करो और चैलेंज की भाषा बोलनी बंद करो। पिछली नस्लें यही बोलती रहीं। इमाम बुख़ारी से लेकर बाबरी मस्जिद आंदोलन के नेता तक, सब चैलेंज की भाषा बोलते रहे। नतीजा नुक़्सान के सिवा कुछ न हुआ। प्रतिक्रया की मानसिकता और बदले की भावना से निकलो।
अपना गोल सैट करो।
आप ख़ुद को, अपनी क़ौम को, देश और दुनिया को भविष्य में जैसा देखना चाहते हो, वैसा अपनी 'आत्मा' में देखो। इससे आप पर आपका विज़न क्लियर होगा।
अब अपने विज़न पर चुपचाप काम करो, बस।
कम लिखे को ज़्यादा समझो।
आपको कुछ करना है तो सबसे पहले आप ब्राह्मणों की तरह भारत में बसी हुई जातियों की गिनती, उनके नाम और उनका इतिहास पढ़ो। उनकी मानसिकता को समझो।
उनसे काम लेना है तो यह देखो कि ब्राह्मण उनसे किस 'उपाय' से काम लेता है?
आप जानेंगे कि वह उन्हें 'उपाय बताने' के उपाय से वश में करता है।
आप भी उपाय बताएं।
अब आप गुरू बन गये। हर शहर में गली गली ऐसे गुरू हों, जो लोगों को सूरह फ़ातिहा से शुक्रगुज़ार बनने और अपने कामों में रब से मदद पाना सिखाएं।
ऐसे एक लाख गुरू हों।
लाख न हों तो दस हज़ार भी चलेंगे।
दस हज़ार उपाय बताने वाले गुरू चाहिएं।
अब आप 'बुद्धि' वाले बन चुके हैं।
भारत में काम जज़्बाती तक़रीरों से नहीं, ज्ञान और बुद्धि से चलेगा।
अब आप लोगों की सेवा करें और उन्हें जज़्बात क़ाबू में रखना सिखाएं। नफ़रत के बजाय मुहब्बत करना सिखाएं। उन्हें सफलता मिलेगी।
वे फ़ायदा देखकर आपकी बात मानेंगे। आपकी बात ब्राह्मण भी मानेंगे। आप उन्हें याद दिलाएं कि ब्रह्मा जी की शिक्षा वास्तव में यह है: 'हस्बुल्लाहु व नेमल वकील' अर्थात् हमें परमेश्वर काफ़ी है और वह अच्छा कार्यसाधक है। इस एक विश्वास से हर मुसीबत पलती है और हर मनोकामना पूरी होती है।
मुझे ऐसे ब्राह्मण गुरू मिलते हैं, जो अपने और अपने शिष्यों के काम बनाने के लिए पवित्र क़ुरआन की दुआओं से काम लेते हैं।
पवित्र क़ुरआन में हर समस्या का उपाय है तो भाई आप वे उपाय सबको बताओ।
सच यह है कि भारत की जनता उपाय बताने वाले 'गुरूओं' के पीछे चलती है।
आप यह मानसिकता पहचानो। आप कल्याण गुरू बनो। आप ब्राह्मणों से ज़्यादा कल्याण करो। आप ब्राह्मणों का भी कल्याण करो।
आप कल्याण के बीज बोओ। भविष्य में आप कल्याण की फ़सल काटोगे। यह तय है।
////
Danish Human भाई ने सवाल किया है:
अस्सलामु अलैकुम। कैसे हैं आप? एक बात कहनी है।
Aapki posts mein aksar ब्रह्मा का मतलब इब्राहीम(अ.) लिखा होता है।
Sir मैंने जो पढ़ा है उसके हिसाब से ब्रह्मा का मतलाब Creatoर(ख़ालिक़) होता है और इस हिसाब से यह अल्लाह का सिफ़ाती नाम हुआ तो ब्रह्मा को इब्राहीम(अ) से कैसे मुशाबेहत दी सकती है????
अगर लफ्ज़ ब्रह्मा वेदों या पुराणों में कहीं किसी इंसान
के लियें भी आया है तो मुझे बताइएगा...इन शा अल्लाह।
जवाब: W alaykum assalam
Main achcha hun, Alhamdulillah!
इसे समझने के लिए आप अली नाम को ले लें। अली नाम क्रिएटर अल्लाह का है या एक इंसान का है या दोनों का है?
अगर अली नाम क्रिएटर और एक इंसान का हो सकता है तो ऐसे ही ब्रह्मा नाम भी क्रिएटर और इंसान दोनों का हो सकता है।
आप वेद पढ़ें। वेद के हर एक सूक्त के शुरू में उस सूक्त की रचना करने वाले ऋषि का नाम लिखा रहता है। कुछ सूक्तों के शुरू में आपको ब्रह्मा ऋषि का नाम लिखा हुआ मिलेगा। यह ब्रह्मा हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम से अलग ऋषि है। यह एक पद नाम वाला ब्रह्मा ऋषि है।
Danish Human: JazakAllah...reply ke liyein.
जवाब: 🌹😊🌹