Sunday, November 10, 2019

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का पैग़ामे रहमत

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्म के मौक़े पर यह याद रखना और याद दिलाना ज़रूरी है कि

नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की शिक्षाओं से आज हर देश प्रकाशित है। आज कन्या को मारना बंद है और विधवा विवाह का रिवाज आम है। आज उनकी शिक्षाओं को आज 'ह्यूमन राईट्स' के नाम से सारी दुनिया स्वीकार कर चुकी है। किसी देश का क़ानून ऐसा नहीं है, जिसमें आज उनकी शिक्षाएं न हों।

एक ख़ास बात यह है कि मुस्लिम समाज को इस्लाम के मानवतावादी पहलू को सामने रखकर ख़ुद उस पर अमल करने की बहुत ज़रूरत है। इससे मुस्लिम समाज संकीर्णता और सांप्रदायिकता से मुक्त होगा।

हर वक़्त मस्जिद, मदरसा और मुस्लिम की फ़िक्र करना ठीक नहीं है। कुछ वक़्त अपने पड़ोसियों और दूसरे समुदाय के लोगों के दुख-दर्द दूर करने में भी अपना जान माल वक़्त ख़र्च करें। आख़िर हम सब एक रब के बंदे और एक आदम की औलाद हैं। यह भी दीन का हिस्सा है।
इस मौक़े पर मुश्ताक़ अहमद भाई ने हमें हदीसों का  यह एक बहुत कल्याणकारी कलेक्शन भेजा है। जिसके लिए हम उनके शुक्रगुज़ार हैं।
*💖सलाम उस पर कि जिसने तीर खा कर भी दुआएं दीं 🌹🌹✨💖*

*और (ऐ मुहम्मद) हमने (अल्लाह ने) आपको सब लोकों के लिए रहमत बनाकर भेजा है।*(क़ुरआन 21:107)

*करुणा के सागर नबी मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के कल्याणकारी संदेश* आज पहले से ज़्यादा फलदायी हो चुके हैं क्योंकि आज ज़मीन पर पहले से ज़्यादा इंसान आबाद हैं। हर धर्म का आदमी इन्हें अपनाकर अपना और संपूर्ण मानवता का कल्याण कर सकता है। भावार्थ हदीस नीचे दर्ज हैं:

✍तुम ज़मीन वालों पर रहम करो आसमान वाला तुम पर रहम करेगा (अबू दाऊद 4941)

✍स्वच्छता आधा ईमान है (मुस्लिम 534)

✍मां के क़दमों के नीचे जन्नत है। (निसाईं 3106)

✍बाप जन्नत का दरवाज़ा है। (इब्ने माजा 2089)

✍माता पिता के साथ अच्छा व्यवहार करो। तुम्हारी औलाद तुमसे अच्छा व्यवहार करेगी। (मुस्तद्रक 7248)

✍मोमिन वह नहीं जो ख़ुद पेट भर खाए और उसका पड़ोसी भूखा रहे। 
(अस् सिलसिला तुस्सहीहा 387)

✍कोई पिता अपने पुत्र को सदाचार की शिक्षा से बेहतर कोई चीज़ नहीं देता।
 (तिरमिज़ी 1952)

✍अगर क़यामत आने वाली हो और खजूर के पौधे लगाने की मोहलत मिल जाए तो उसे लगा दे। (मसनद अहमद 12770)

✍आत्महत्या हराम है।
 (बुखारी 1365)

 ✍रास्ते से पत्थर या तकलीफ़ देने वाली चीज़ हटा देना सदक़ा है। (मिसकात उल मसाबीह 1911)

 ✍तुम में सबसे बेहतर वह है जिसका व्यवहार अच्छा हो।
( बुख़ारी शरीफ 6029)

✍जो लोगों का शुक्र अदा नहीं करता वह अल्लाह का भी शुक्र अदा नहीं कर सकता।
 (तिर्मीज़ी 1954)

 ✍रिश्ता नाता तोड़ने वाला जन्नत में दाखिल नहीं होगा।
(अबू दाऊद 1696)

 ✍पानी पिलाना उत्तम दान है। (दाऊद 1679)

✍पहलवान वह नहीं जो कुश्ती में हरा दे बल्कि असली पहलवान तो वह है जो गुस्से की हालत में अपने पर क़ाबू रखें , बेक़ाबू ना हो जाए।
(बुखारी 6114)

✍जब तुम में से कोई ऐसे व्यक्ति को देखे जो दौलत व शक्ल सूरत में उससे बढ़कर हो तो उसे ऐसे व्यक्ति का ध्यान करना चाहिए जो उससे कमतर हो।
 (बुखारी 6490)

✍जिसके पास कोई बेटी हो और वह उसे जीवित न दफ़नाए (वर्तमान में कन्या भ्रूण हत्या), न उसे कमतर जाने, न बेटे को उस पर प्राथमिकता दे तो अल्लाह तआला उसे स्वर्ग में दाख़िल करेगा।
(अबु दाऊद 5146)

✍जिसकी तीन बेटियां या तीन बहनें हों या दो बेटियां या दो बहनें हों, वह उनकी अच्छी परवरिश और  देखभाल करे और उनके मामले में अल्लाह से डरे तो उसके लिए जन्नत है।
(तिरमिज़ी 1916)

✍सबसे अच्छे वे लोग हैं जो क़र्ज़ की अदायगी में अच्छे हों।
(इब्ने माजा 2423)

✍झूठी क़समें खाकर माल बेचने वाले का माल तो बिक जाता है लेकिन कमाई से बरकत खत्म हो जाती है।
( मसनद अहमद 5781)

 ✍मैं ऐसे व्यक्ति के लिए स्वर्ग की ज़मानत देता हूं जो सत्य पर होते हुए भी झगड़ा छोड़ दे।
 (अबू दाऊद 4800 )

✍सख्त झगड़ालू व्यक्ति अल्लाह के नज़दीक अत्यंत नापसंदीदा व्यक्ति है।
 (मिश्कातुल मसाबीह 3762)

 ✍इस्लाम में बेहतर है, लोगों को खाना खिलाना, परिचित और अपरिचित दोनों को सलाम करना।
(अबु दाऊद 5194 )

✍ कमज़ोर निगाह वाले को रास्ता दिखाना सदक़ा है।
( मसनद अहमद 3614)

✍बीवी के कामों में मदद करना सुन्नत है। (बुखारी 676)

✍पत्नी को अपने हाथ से खाना खिलाना सदका है।
 (बुख़ारी 56)

✍भलाई की बातें बताने वाले को उतना ही पुण्य मिलता है जितना उस पर चलने वाले को।
(तिरमिज़ी 2671)

✍कोई भी प्राणी जो भूखा हो, उसका पेट भरना उत्तम दान है।
 (मिश्कातुल मसाबीह 1946)

✍रिश्वत देने वाले और रिश्वत लेने वाले दोनों पर अल्लाह की लानत है।
(इब्ने माजा 2313)

✍दो झगड़ा करने वालों में पहले सुलह समझौता करने वाले के गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं। (अत् तर्ग़ीब 2759)

✍जो व्यक्ति अत्याचार से बालिश्त बराबर ज़मीन हासिल करता है, रोज़े  क़यामत सात ज़मीनों तक उसके गले में तौक़ (जंजीर) डाला जाएगा।
(मिश्कात उल मसाबीह 293)

✍आपस में सुलह करवाना अफ़ज़लतरीन सदक़ा है।
 (अल सिलसिला तुस्सहिहा 37)

✍किसी से ऐसा मज़ाक़ मत करो जो झगड़े का सबब बने।
 (तिरमिज़ी 1995)

✍सबसे बा बरकत निकाह वह है जिसमें ख़र्च कम हो। 
(मिश्कात उल मसाबीह 3097)

✍शराब के पीने, पिलाने वाले, उसके बेचने वाले, उसको बनाने वाले, बनवाने वाले, उसे ले जाने वाले और जिसके लिए ले जाई जाए, उन सब पर अल्लाह की लानत है।
(अबु दाऊद 3674)

✍जिसके दिल में राई के दाने के बराबर भी अहंकार होगा वह स्वर्ग में नहीं जाएगा।
 (मुस्लिम 266)

✍जो नरमी से वंचित रहा वह कल्याण से वंचित रहा।
(मुसनद अहमद 3442)

✍जिसने लूटमार की, वह हममें से नहीं। 
(तिरमिज़ी 1601)

✍अपने भाई से मुस्कुरा कर मिलना सदक़ा है।
(तिरमिज़ी 1970)

✍तुम में से कोई मोमिन नहीं हो सकता जब तक कि वह अपने भाई के लिए वही पसंद न करे जो अपने लिए पसंद करता है।
(निसाई 5042)

✍ईर्ष्या नेकियों को ऐसे खा जाती है जैसे लकड़ी को आग।
( अबु दाऊद 4903)

✍जो व्यक्ति माफ़ कर देता है, अल्लाह उसका सम्मान बढ़ाता है।
(मुस्लिम 6592)

✍आसानी करो सख्ती न करो खुश करो नफ़रत न दिलाओ। 
(बुखारी 69)

नोट: हदीसों के संपादन में किसी प्रकार की कमी देखें तो ज़रूर सुधार कर लें और ईमेल करके हमें सूचित कर दें। हम भी सुधार कर लेंगे, इन् शा अल्लाह!
ईमेल: allahpathy@gmail.com
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