Friday, July 3, 2020

स्वामी दयानंद जी के लेखन को सत्य माना जाए तो क्या नए स्मारक नई आय का साधन बन सकते हैं?

स्वामी दयानंद जी की प्रसिद्ध पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश भारत की आर्थिक स्थिति सुधारने में बहुत बड़ी सहायता कर सकती है।
आप सब जानते हैं कि पश्चिमी देशों के लोग प्रेम और सैक्स की घटनाओं के स्मारकों को देखने के लिए टूर करते हैं। जैसे कि वे ताजमहल और अजन्ता व ऐलोरा देखने आते हैं। जिससे देश को अरबों रूपये का व्यापार और टैक्स लाभ होता है।
यदि हम ऐसे और अधिक स्मारक बनाएं तो भारत सरकार को और अधिक व्यापार व टैक्स प्राप्त होगा।

विदेशी टूरिस्टों को आकर्षित करने के लिए
हमें घोड़े के लिंग से मर चुकी और जल चुकी नारियों के प्रति विशेष आदर प्रदर्शित करने की आवश्यकता है।
ऐसी नारियों के राष्ट्रीय स्मारक बनें और उन पर डाक टिकट जारी हो।
यदि ऐसे स्मारक बनें तो पूरी दुनिया से करोड़ों लोग ऐसी वीर भारतीय नारियों के स्मारक पर नमन करने आएंगे।
जिनसे टूरिज़्म बढ़ेगा और सरकार को जीएसटी व अन्य टैक्स ताजमहल से अधिक मिल सकता है।

ऐसी एक घटना का वर्णन स्वामी दयानंद जी ने किया है:
'सुनते हैं कि एक इसी देश में गोरखपुर का राजा था। उस से पोपों ने यज्ञ कराया। उस की प्रिय राणी का समागम घोड़े के साथ कराने से उसके मर जाने पर पश्चात् वैराग्यवान् होकर अपने पुत्र को राज्य दे, साधु हो, पोपों की पोल निकालने लगा।'
-सत्यार्थ प्रकाश 11वाँ समुल्लास
ऐसी सभी बलिदानी वीर आर्य रानियों के नाम और उनके गौरवशाली इतिहास को विश्व के सामने लाना भारत की आर्थिक दशा सुधारने की दृष्टि से आवश्यक है। इससे उनका बलिदान भी सबके सामने आ सकेगा।

नए स्मारक नई आय का साधन बनेंगे।
मैं स्वामी दयानंद जी के इस रहस्योद्घाटन को राष्ट्र हित में आप जैसे विद्वानों को विचार हेतु समर्पित करता हूं।
हम सबको सांप्रदायिक संकीर्णता से ऊपर उठकर राष्ट्र हित में इस पर विचार करने की आवश्यकता है।

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