यह पोस्ट एक झूठे दावे की वीडियो के खण्डन में लिखी गई है। सबसे पहले पेश है वह वीडियो:
मेरा जवाब:
इंसान को पैदा करने वाले रब ने पवित्र क़ुरआन के रूप में एक ऐसी किताब दी है जिसमें इंसान के व्यक्तिगत और सामूहिक जीवन में फ़लाह और कल्याण पाने का क़ानून बयान किया गया है। वह किताब भविष्यवाणियां भी करती है। वह ऐसे बहुत से गुणों से भरपूर है। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में फ़रमाया है कि पवित्र क़ुरआन जैसी किताब लिखना इंसानों के बस का काम नहीं है।
पैग़म्बर मुहम्मद साहब ने सब लोगों को पवित्र क़ुरआन सुनाया। उनकी बीवियों, बेटियों, दामादों और नवासों ने पवित्र क़ुरआन को रब का संदेश माना। उसे उनके दोस्तों ने माना। पवित्र क़ुरआन वह किताब है जिसे पैग़म्बर मुहम्मद साहब के दुश्मनों ने भी उनका दोस्त बनकर माना। यहां तक कि जो लोग मुहम्मद साहब से लड़े और पवित्र क़ुरआन का जीवन भर विरोध करते हुए मर गए, वे दुश्मन भी हमेशा मोहम्मद साहब को सच्चा इंसान मानते रहे। उनके दुश्मन भी अपनी दौलत अमानत के रूप में उनके पास उनकी सच्चाई के कारण रखवाते रहे।
पैग़म्बर मुहम्मद साहब की सच्चाई की वजह से ही रब का सच्चा कलाम उनके दिल पर उतरा और उनकी सच्चाई की वजह से ही लोगों ने पवित्र क़ुरआन को माना और उन्होंने अपने माल और अपनी जानों की कुर्बानियां दीं। पैग़म्बर मोहम्मद साहब ने क़ुरआन को फैलाया। आज क़ुरआन हर देश के क़ानून का हिस्सा है। अमेरिका हो या भारत हो या कोई अन्य देश हो सब देशों ने पवित्र क़ुरआन के कई कानूनों को कल्याणकारी देखकर न्याय और शाँति व्यवस्था के लिए अपने देश का क़ानून बनाया है। आज पूरी दुनिया में इस्लाम को एक अरब 53 करोड़ मुस्लिम मानते हैं और मुस्लिम के अलावा भी अन्य धर्मों के करोड़ों लोग क़ुरआन की शिक्षाओं को अपनी भलाई के लिए मानते हैं। आज सब देशों के लोग पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं को अपने देश के संविधान के रूप में मानते हैं। चाहे लोगों को पता हो या पता न हो लेकिन आज पवित्र क़ुरआन लोगों की रोज़ाना की ज़िंदगी में किसी न किसी रूप में शामिल है। पवित्र क़ुरआन की शिक्षाओं में अपनी भलाई देखकर आज हर देश की हर भाषा में लोग इसे पढ़ रहे हैं। आज हर हर शहर में पवित्र क़ुरआन मौजूद है। दुनिया की सबसे अधिक पढ़ी जाने वाली किताब पवित्र क़ुरआन है। पवित्र क़ुरआन की यह ख़ासियत है कि इसे लाखों लोगों ने पूरा याद किया है। दूसरी किसी किताब के इतने हाफ़िज़ और कंठस्थी नहीं हैं।
पवित्र क़ुरआन का विरोध करने वाले दुश्मनों ने पवित्र कुरआन जैसी किताब लिखने की कोशिश की लेकिन वे क़ुरआन जैसी किताब न लिख सके। जिस पर वे खुद चले हों या जिस पर उनकी बीवियां, बेटियां, दामाद, ससुर, दोस्त और उनके मानने वाले चले हों। पैग़म्बर मुहम्मद साहब के दुश्मन बहुत बड़े सियासी लीडर थे और वे अपने कबीलों के लिए क़ानून बनाते रहते थे। तब भी वे कोई ऐसी किताब न लिख सके जिसे वे क़ुरआन जैसी किताब बता देते। उनकी लिखी किसी किताब को पढ़कर उनके दुश्मन उनके दोस्त नहीं बने। उनकी लिखी कोई किताब दुनिया के हर देश और हर शहर में आज मौजूद नहीं है जैसे कि पवित्र क़ुरआन मौजूद है। आज पैग़म्बर मुहम्मद साहब के दुश्मनों का नाम केवल इसलिए जाना जाता है कि वे पवित्र क़ुरआन का विरोध करते थे क्योंकि पवित्र क़ुरआन लोगों को चौधरियों की पूजा से, मूर्तिपूजा से रोकता है। पवित्र क़ुरआन सरदार चौधरियों को कमज़ोरों पर ज़ुल्म करने से मना करता है और वह अमीर लोगों के माल में बेघर, अनाथों और ग़रीबों का हक़ ठहराता है। जिसे मक्का के सरदार मानना नहीं चाहते थे। वे दूसरों को अपने बराबर खड़े होने देना नहीं चाहते थे। वे मूर्ति पूजा के चढ़ावे से वंचित होना नहीं चाहते थे। वे कमज़ोरों को दबाकर उनका माल हड़प लेते थे। वे बेघर, अनाथों और ग़रीबों को अपने माल में हिस्सा नहीं देना चाहते थे। वे ज़ालिम सरदार आज अपने साहित्य या अपने रचनात्मक कामों के लिए याद नहीं किए जाते। ऐसे सख़्त दुश्मनों ने भी कभी यह दावा न किया कि उन्होंने पवित्र क़ुरआन जैसी कोई किताब बनाई है।
आज मैंने एक मित्र के कहने पर एक वीडियो देखी। जिसमें एक लौंडा अपनी पहचान छिपाकर यह दावा कर रहा है कि नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों ने पवित्र क़ुरआन जैसी किताब उनके सामने ही बना ली थी। यह एक बिल्कुल झूठा दावा है। इसे झूठा साबित करने की ज़रूरत भी नहीं है। बस इतना कह देना काफ़ी है कि
'अच्छा, अगर नबी मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों ने पवित्र क़ुरआन जैसी कोई किताब लिखी थी तो लाओ उस किताब को हमें दिखाओ।
उस किताब के लेखकों का नाम बताओ।
उस किताब की शिक्षाएं और कानून बताओ। वह किताब कमज़ोरों और गरीबों का भला करने के लिए क्या शिक्षा देती है?, उसके बारे में बताओ। उस किताब के लेखक का, उसके परिवार का, उसके दोस्तों का और उस किताब को सच्चा मानने वालों का जीवन दिखाओ ताकि हम देख सकें कि क्या वाक़ई वह किताब पवित्र क़ुरआन की तरह लोगों के दिलों में याद और नक़्श हो जाती है?
क्या वाक़ई वह किताब भी क़ुरआन की तरह लोगों का नज़रिया बदलकर उनका जीवन बदलती है?
क्या वह किताब भी भविष्यवाणी करती है और वह बाद में सच साबित होती है?, जैसे कि अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के द्वारा मक्का फ़तह होने की भविष्यवाणी है और बाद में वह भविष्यवाणी पूरी हुई।
क्या नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों के द्वारा भी अपनी किताब में अपने द्वारा मदीना का विजेता बनने की भविष्यवाणी की गई थी जैसा कि वे कहते थे और क्या उस किताब की भविष्यवाणी पवित्र क़ुरआन की भविष्यवाणी की तरह पूरी हुई?'
बस यह सुनते ही झूठे दावेदार भाग खड़े होंगे और वे अपने दिल में ख़ुद से कहेंगे: 'भाग झूठे भाग'
क्योंकि न तो नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों ने पवित्र क़ुरआन जैसी किताब लिखी थी और न वे उस किताब को आज दिखा सकते हैं। उनके पास ऐसी कोई किताब नहीं है जिसे वे अपने दावे के सुबूत में दिखा सकें। वे झूठे लोग ख़ुद क़ुरआन जैसी किताब लिखने में नाकाम होने के बाद यह दावा कर रहे हैं कि पवित्र क़ुरआन जैसी किताब नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के विरोधियों ने तभी लिख दी थी। अगर लिख दी थी तो पवित्र क़ुरआन आज भी बाक़ी है और वह किताब तभी क्यों मिट गई?
जो किताब ख़ुद को क़ुरआन की तरह बाक़ी न रख सकी तो वह किताब पवित्र क़ुरआन जैसी तो न हुई!
ये झूठे धोखेबाज़ लोग आम भोले शरीफ़ मुस्लिमों के ईमान में ख़लल और फ़साद डालने के लिए बिना सुबूत के सिर्फ़ झूठे दावे करते हैं। वे कहते हैं कि हम इस्लाम छोड़ चुके हैं। जबकि हक़ीक़त में ये दूसरे धर्म के बेरोज़गार लोग हैं, जिनसे दुकान, खेत और कारख़ाने में मेहनत करके पिज़्ज़ा पेप्सी नहीं खाया जाता। सो ये चैनल खोल कर बकर बकर कुछ भी बोल देते हैं और लाईक कमेंट बटोरने के चक्कर में बहुत बदतमीज़ी करते हैं। जिससे इनकी सोच और इनकी गिरावट का पता चलता है। मैं इनके लिए वैसे शब्द नहीं बोल रहा हूँ जैसे ये अपनी वीडियो में अल्लाह और उसके रसूल के बारे में टीआरपी बढ़ाने के लिए बोलते हैं।
बहरहाल इनके ज़रिए इस्लाम का नकारात्मक प्रचार होता है। जिससे लोग इस्लाम का ओपिनियन जानने के लिए उत्सुक हो जाते हैं और जब उनके सामने इस्लाम के प्रचारक इस्लाम का कांसेप्ट रखते हैं तो वे इस्लाम क़ुबूल कर लेते हैं। हमें उम्मीद है कि नक़ाब पहनकर इस्लाम को कोसने वाले दूसरे धर्म के ये लौंडे भी एक दिन इस्लाम क़ुबूल कर लेंगे जैसे कि
आमीन।
माशा अल्लाह ! इल्म की ऐसी रौशनी से नहला दिया आपने की अब कोई तारीकी बाकी नहीं रही।
ReplyDeleteआखिर का पैराग्राफ़ वीडियो भेजने वाले को बहुत चुभा है।
आपका बेहद शुक्रगुज़ार हूँ कि आपने दीन पर लगने वाले हर्फ़ को मिटाने की पुरजोर कोशिश की है। अल्लाह क़ुबूल फरमाए।