मैंने लेखराम द्वारा लिखी गई स्वामी दयानंद जी की जीवनी में पढ़ा है कि स्वामी दयानंद की एक बहन बचपन में पेट रोग से बहुत दुख उठाकर मर गई थी। बहन की दुखद मौत देखकर दयानंद जी ने सोचा कि मैं योग सीखकर अमर हो जाऊँ। योगी गुरु की खोज में स्वामी दयानंद जी घर से भाग गए । दयानंद जी भारत के कई प्रांतों का भ्रमण करते हुए हिमालय पर पहुँचे लेकिन उन्हें ऐसा एक भी योगी न मिला जो उन्हें योग करके अमर होना सिखा देता।
एक दिन उन्होंने हिमालय पहाड़ की एक नदी में डूबकर आत्महत्या करने की कोशिश की और वह कंठ तक पानी में चले भी गए थे लेकिन फिर वह नदी से यह संकल्प लेकर निकले कि मैं ब्राह्मणों की पोल खोलूँगा और स्वामी दयानंद जी ने पूरे जीवन जो लेख लिखे, वे मुख्य रूप से ब्राह्मणों की पोल खोलने पर केंद्रित थे।
उन्होंने अपने ग्रंथ सत्यार्थ-प्रकाश में भी यही कार्य किया।
उनकी मृत्यु के बाद उनके मिशन को किन लोगों ने क़ब्ज़ा लिया और उनके असल सत्यार्थ प्रकाश को छिपाकर दूसरा संस्करण थोड़ा बदलकर और ने समुल्लास बढ़ाकर क्यों प्रकाशित कर दिया?,
यह आज शोध का विषय है।
धन्यवाद।
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