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Saturday, March 24, 2018

The Miracle of Kun Fayakoon लड़कियों की हिफ़ाज़त, शादी और डबल इन्कम का तरीक़ा सीखें

यह लेख एक किताब का हिस्सा है...
काम की बात
आपको इस किताब से जो सबसे ख़ास बात पता चलेगी, वह यह है कि जब आप सुबह शाम रोज़ अपनी मुराद का तसव्वुर करते हुए एक मुद्दत तक बार बार दुआ और अमल करते हैं तो आप एक चुम्बक की तरह ऐसे असबाब, माफ़िक़ हालात और मददगार लोग खींचते हैं, जिनसे काम लेकर आप अपनी मुराद को पूरा कर सकते हैं।
इसमें काम की बात यह है कि दुआ और अमल करते वक़्त अपने दिल में अपनी चाहत के काम को ऐसे देखना ज़रूरी है, जैसे आप उस काम को बनने के बाद देखना चाहते हैं। इस एक बात को सबसे पहले और सबसे अलग इसलिए बताया जा रहा है ताकि आप इस बात की अहमियत को समझें कि जो कुछ आप अपने दिल में बार बार देखते और महसूस करते हैं, वह आपकी ज़िन्दगी में हालात की शक्ल में ज़ाहिर होता रहता है। आपकी ज़िन्दगी आपके नज़रिए का मैटेरियलाईज़ेशन ही है।
अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाहि अलैह ने अपने ख़ुत्बे में एक जगह ‘इल्म अस्मा कुल्लहा’ की हक़ीक़त बताते हुए इसे तसव्वुरात की तश्कील लिखा है। आप कहेंगे कि यह बात तो हमारी समझ में नहीं आई। आप सही कहते हैं। यह एक गहरी हक़ीक़त है। इसे समझना आसान नहीं है लेकिन अगर आपने 30 साल लगाकर भी इस राज़ को समझ लिया तो आप यह जान लेंगे कि एक आदमी और पूरे समाज की ज़िन्दगी में जो हालात पेश आते हैं, वे पहले तसव्वुर होते हैं। बाद में वे क़ानूने क़ुदरत के तहत ज़ाहिर होते हैं। उन्हें लोग हक़ीक़त कहते हैं। तसव्वुरात (imaginations) हक़ीक़त बनते हैं।

परिचय
अल्हम्दुलिल्लाह, मैं ख़ुशनसीब हूँ कि अपनी तरह की यह पहली किताब अल्लाह की मदद से लिख पाया। अल्लाह का और ज़्यादा शुक्र है कि आप भी ख़ुशनसीब हैं क्योंकि यह अनमोल खज़ाना इस वक़्त आपके हाथों में है। यह किताब दुआ की आम किताबों से अलग क़िस्म की है क्योंकि इसमें तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़ के उन क़ुदरती क़ानूनों की जानकारी दी गई है, जिन्हें आम लोग नहीं जानते और ख़ास लोगों में भी कोई इक्का दुक्का ही जानता है। वे इक्का दुक्का लोग भी तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़,दोनों को एक साथ नहीं जानते। जो लोग तिब्बे नबवी की जानकारी रखते हैं, वे वेलनेस साईन्सेज़ नहीं जानते और जो वेलनेस साईन्सेज़ के कोच हैं, उन्होंने तिब्बे नबवी को नहीं पढ़ा है। मुसलमानों को यह जानना ज़रूरी है कि नबियों के फ़लाही उलूम (कल्याणकारी ज्ञान) पर रिसर्च करके डाॅक्टर्स और रिसर्च स्काॅलर्स ने कई तरह की ‘वेलनेस साईन्सेज़’ तैयार कर ली हैं। इनके ज़रिए अब अपना और दूसरों का भला करना ज़्यादा आसान हो गया है। नाॅलिज के इस ज़माने में भी एशिया की ज़्यादा बड़ी तादाद ऐसी है, जो नहीं जानती कि वेलनेस साईन्सेज़ किसे कहते हैं?

यह किताब इसीलिए अपनी तरह की अनोखी किताब है कि इसके ज़रिए आपको तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़ के उन उसूलों की जानकारी मिल रही है, जिनसे काम लेकर आप अपने दिल की मुराद पा सकते हैं। आप अपना हरेक गोल अचीव कर सकते हैं। आप कामयाबी और ख़ुशी पा सकते हैं। आप रूहानी तरक़्क़ी कर सकते हैं। इसी के साथ आप अपनी ज़िम्मेदारियों को पूरा करने के लिए ज़रूरी सेहत, दौलत, जाॅब, घर, कार, जीवन साथी, दोस्त, मुहब्बत, हिफ़ाज़त और समाज में इज़्ज़त पा सकते हैं।

आजकल लोगों के पास मोटी किताबें पढ़ने का वक़्त नहीं है। इसलिए हमने इसमें सिर्फ़ ज़रूरी नियमों की जानकारी दी है, जिससे काम लेकर आप अपनी मुराद पा सकें। जो लोग अपने बिगड़े काम बनाना चाहते हैं, वे इस किताब के उसूलों से काम लें। जो लोग ज़्यादा जानकारी पाना चाहते हैं वे तिब्बे नबवी और न्यूरो-लिंग्विस्टिक प्रोग्रामिंग को पहले पढ़ लें और फिर दूसरी वेलनेस साईन्सेज़ को पढ़ें। उन्हें यूनिवर्स और माइन्ड के बारे में नई रिसर्च और करिश्माई ताक़तों की जानकारी मिलेगी। जिससे वे इस पोशीदा राज़ को समझ पाएंगे कि वे अपने कामों को किस किस तरह बिगाड़ते रहते हैं?

ख़ास बात यह है कि किताब सिर्फ़ मुसलमानों के लिए या किसी एक धर्म या एक देश के लोगों के लिए नहीं लिखी गई है बल्कि सबकी फ़लाह (कल्याण) की नीयत से लिखी गई है, इसलिए इसमें वे आसान दुआएं दी गई हैं, जिन्हें सब कर सकें। इसमें ऐसी लैंग्वेज का इस्तेमाल किया गया है, जिसे सब समझ सकें। यह किताब लिखते हुए कई बातों को इसलिए छोड़ दिया गया कि उसमें मुसलमान दिलचस्पी लेते लेकिन दूसरों की समझ में वे बातें न आतीं। यह किताब फ़ायदा उठाने और पहुँचाने के एक बड़े सिलसिले की शुरूआत है। हमने कुछ नियमों को इस किताब में इसलिए नहीं लिखा है क्योंकि हम उन्हें अपनी दूसरी किताबों में और आॅडियोज़ में बता चुके हैं। आप इसे उनसे जोड़कर पढ़ेंगे तो आपको यह समझ में आ जाएगा कि यूनिवर्स और माइन्ड में अल्लाह के क़ुदरती क़ानून कैसे काम करते हैं! आप उन किताबों को नहीं पढ़ेंगे तब भी आपकी मुराद उन नियमों से ही हासिल हो जाएगी, जो कि इस किताब में बताए गए हैं, इन् शा अल्लाह!

यह किताब पढ़ने भर से ही आपको उस बादशाहत की पहचान हो जाएगी, जो कि आपके रब ने आपको पैदाईशी तौर पर दी है। आपको उस हथियार, क़िले और अनमोल ख़ज़ाने की पहचान हो जाएगी, जो कि उसने आपको दुआ की शक्ल में दिए हैं। यह भी मुमकिन है कि आपको ‘मैं’ के रूप में मिले हुए सबसे बड़े ख़ज़ाने की पहचान हो जाए।

यह किताब ग़रीबी की चेतना को मिटाकर ग़रीबी और क़र्ज़ के झूठे तिलस्म को ही मिटा देती है। इससे उन करोड़ों किसानों, मज़दूरों और बेटियों को ख़ास तौर से फ़ायदा होगा, जो कि ग़रीबी और क़र्ज़ की वजह से दुख झेल रहे हैं। मैं जानता हूँ कि जिस बात के लिए लोग सरकारों, नेताओं और पाॅलिसी को दोष दे रहे हों, उसके लिए वे ख़ुद ज़िम्मेदार हैं, ऐसा मानने को हरेक तैयार नहीं होगा। ...लेकिन सच यही है कि ज़िन्दगी आपकी है तो ज़िम्मेदारी भी आपकी ही है। अपने दिल में तनाव रखकर आप शाँति नहीं पा सकते। ख़ुद को बेबस मानकर आप अपने हालात नहीं बदल सकते। नफ़रत का बीज बोकर आप मुहब्बत का फल नहीं पा सकते। जब आप शिकायत और नफ़रत का रास्ता छोड़कर शुक्र और मुहब्बत के रास्ते पर चलते हैं तो आप सही रास्ते पर आगे बढ़ते हैं। आपको अपनी मन्ज़िल ज़रूर मिलती है। आप जब चाहें अपना रास्ता बदल सकते हैं। अल्लाह ने आपको अपना रास्ता और अपनी मन्ज़िल चुनने की आज़ादी दी है। उसने आपको दुआ करने की ताक़त दी है। इसका मतलब यह है कि उसने आपको अपने हालात बदलने की ताक़त दी है। यह आपकी ज़िम्मेदारी है कि आप अपनी ताक़त को पहचानें और उससे अपनी और सबकी भलाई में काम लें।

दुआ क्या है?
दिल की पुकार का नाम दुआ है। जब उसी को ज़ुबान से बोल कर कहा जाता है तो वह भी दुआ कहलाती है। ज़ुबान के बोल दिल की पुकार को ज़ाहिर करने का ज़रिया हैं। जो दुआ दिल से होती है, वह हमेशा क़ुबूल होती है, चाहे ज़ुबान से अल्फ़ाज़ अदा न हों। जो लोग ज़ुबान से दुआ करते हैं लेकिन उनका दिल उनकी दुआ का न साथ देता है और न असर क़ुबूल करता है, वह दुआ क़ुबूल नहीं होती। जो लोग ज़ुबान से दुआ करते हैं और अपने दिल में अपनी मुराद को ऐसे हाज़िर रखते हैं जैसे कि उनका काम हो चुका हो, उनका दिल उनकी दुआ का साथ देता है और उनकी दुआ का असर भी क़ुबूल करता है, उनकी दुआएं बहुत ज़्यादा क़ुबूल होती हैं। 
पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया है-‘दुआ मोमिन का हथियार है।

यह हदीस आपने सुनी होगी। इससे आप यह जान सकते हैं कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम दुआ को एक हथियार के रूप में देखते थे और वह इससे एक हथियार की तरह काम लेते थे।  हथियार से आदमी अपनी हिफ़ाज़त करता है। हथियार से आदमी अपने निशाने पर वार करता है और जीत हासिल करता है। अल्लाह के नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने अपने दुश्मनों से बहुत अच्छी तरह अपनी हिफ़ाज़त की और उन पर ऐतिहासिक जीत भी हासिल की। एक ऐसी जीत जिसने कमज़ोरों और ज़ालिमों के सताए हुए लोगों को समाज में बराबरी और इन्साफ़ के मौक़े दिए और दुनिया के क़ानून की बुनियादों को बदल डाला। उनका क़ानून हरेक क़ानून पर ग़ालिब आया। दुनिया की सारी हुकूमतों ने उनके क़ानून को मानवाधिकार के नाम से अपना क़ानून बनाया। नए नए नाम से लोग उनके तरीक़े को अपनाते जा रहे हैं। यह उनकी दुआ का ही मौज्ज़ा (मिरेकल) है। 
पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की दुआएं आज भी सबके लिए सुरक्षित हैं। जो चाहे उन्हें सीख सकता है और जो चाहे उनकी दुआ को कर सकता है। आप अपनी दुआओं में करिश्माई तासीर देखना चाहते हैं तो आप दुआ के साथ उस तसव्वुर (काॅन्सेप्ट) को भी समझने की कोशिश करें जो उसे एक हथियार की तरह इस्तेमाल करता है। जब आप अपनी दुआ को एक हथियार के रूप में देखते हैं तो यह एक हथियार की तरह काम करती है।

अपनी दुआ के बारे में आपका यक़ीन 
आपने भी ज़िन्दगी में दुआ ज़रूर की होगी।
फिर क्या हुआ?
क्या आपकी दुआ से आपकी मुसीबत टली?
क्या आपकी दुआ से आपका काम बना?
क्या आपकी दुआ ने हथियार की तरह आपकी हिफ़ाज़त की?
आप ग़ौर करेंगे तो आपको याद आएगा कि आपकी दुआ ने कभी असर दिखाया और कभी वह बेअसर साबित हुई?
क्या आपको यक़ीन है कि आप अपने काम के लिए दुआ करेंगे तो वह काम बन जाएगा?
अगर आपको यक़ीन नहीं है तो क्यों नहीं है?

झूठे यक़ीन का असर 
क्या आप दुआ के लिए किसी बुज़ुर्ग और रूहानी पीर के पास जाते हैं?
बुज़ुर्गों से दुआ कराना अच्छी बात है। आप उनसे दुआ ज़रूर कराएं क्योंकि यह सुन्नत है लेकिन इससे भी ज़्यादा ज़रूरी है ख़ुद ‘क़ानूने दुआ सीखना और दुआ करना’। ख़ुद इस लायक़ बनना कि आपकी दुआ से आपका काम दुनिया और आखि़रत में बन जाए। ज़्यादातर लोग दुआ का क़ानून नहीं जानते। वे नहीं जानते कि दुआ के रूक्न और शर्तें क्या हैं? सबसे अच्छी बात यह है कि आप बुज़ुर्गों से दुआ का क़ानून सीख लें। हमारी किताब ‘क़ानूने दुआ मय इस्मे आज़म’ पढ़कर आप दुआ का क़ानून जान सकते हैं। यह अपनी तरह की एक अनोखी किताब है। इस किताब के क़ानून से हरेक धर्म-मत का आदमी फ़ायदा उठा सकता है।
आप ख़ुद इस क़ाबिल क्यों नहीं हैं कि आप अपने रब से अपनी भलाई की दुआ करें और वह उसे सुन ले और आपका काम कर दे?
आपमें और रूहानी इल्म के माहिर बुज़ुर्ग में किस बात का फ़र्क़ है?
आप इसका वही एक रटा हुआ जवाब देंगे कि हम बहुत गुनाहगार हैं। हम इस क़ाबिल नहीं हैं कि हमारी दुआएं क़ुबूल हो सकें।
हक़ीक़त यह है कि आपका यह यक़ीन बिल्कुल झूठा है और यह भी एक वजह है जो आपकी दुआएं क़ुबूल नहीं होतीं।
क्या आपने ख़ुद अपनी ज़िन्दगी में कई बार नहीं देख लिया कि आपकी दुआएं पूरी हुई हैं?
अगर गुनाहों की वजह से आपकी दुआएं क़ुबूल न होतीं तो फिर आपकी वे दुआएं भी क़ुबूल न हुई होतीं।

क़ुबूलियत की घड़ी
कई बार आपने दुआ नहीं की बल्कि आपके दिल में एक बात आई और वह ख़ुद ही पूरी हो गई। आप अपनी बात को इतनी जल्दी पूरी होते देखकर हैरत में पड़ गए। आपने सोचा होगा कि यह दुआ क़ुबूल होने की घड़ी थी। इसलिए मेरी दुआ क़ुबूल हो गई। मेरा ख़याल पूरा हो गया। ऐसा सबके साथ होता है।
...लेकिन क्या आपने कभी ग़ौर किया है कि वह घड़ी किस वजह से क़ुबूल होने की घड़ी बनी?
यह वह घड़ी होती है, जब आप एक बात सोचते हैं और उस पर शक नहीं करते। वह घड़ी यक़ीन की घड़ी थी। जब जब आप यक़ीन की हालत में होंगे, तब तब आपकी बात पूरी होगी। आपको अपनी जिस दुआ पर, जिस ख़याल पर शक नहीं होता, वह ज़रूर पूरा होता है। आदमी को जिस बात पर शक नहीं होता, उसे उस पर पूरा यक़ीन होता है।
यक़ीन दिल की ताक़त है। यही वह रूहानी ताक़त है, जिससे दुआ क़ुबूल होती है। जब भी आपके दिल की ताक़त आपकी दुआ का साथ देगी, आपकी बात ज़रूर पूरी होगी। चाहे वह बात दुआ हो या आपका ख़याल हो।
ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने कहा है-
मैं तुमसे सत्य कहता हूँः यदि कोई इस पहाड़ से यह कहे ‘तू उखड़ कर समुद्र में जा गिर’ और उसके मन में किसी तरह का कोई संदेह न हो बल्कि विश्वास हो कि जैसा उसने कहा है, वैसा ही हो जाएगा तो उसके लिए वैसा ही होगा। मत्ती 21ः23

गुनाहों के बावुजूद दुआएं क्यों पूरी होती हैं?
क्या आपने दूसरे धर्म-मतों के लोगों को दूसरे तरीक़ों से प्रार्थना करते हुए नहीं देखा? आपने उनके मुंह से सुना होगा कि उनकी प्रार्थना पूरी हुई। उनकी मुराद पूरी हुई। उनका काम बन गया।
वे सब लोग भी आप जैसे ही हैं और उनमें से कुछ आपसे भी बड़े गुनाहों को करते रहते हैं। इसके बावुजूद उनकी दुआएं पूरी होती हैं। उनके काम बनते हैं।
क्या आपने कभी ग़ौर किया है कि उनके साथ ऐसा क्यों होता है?

सवाल करने वाला जवाब ज़रूर पाता है
हमने 30 साल से ज़्यादा इस सवाल का जवाब तलाश किया। हमने क़ुरआन व हदीस से लेकर तौरात, ज़बूर, इन्जील, वेद, उपनिषद, गीता, योग, फ़िलाॅसफ़ी, आर्ट, साईन्स व सूफ़ी दर्शन तक सब पढ़ा। हमने तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़ की सैकड़ों किताबों और हज़ारों आर्टिकल्स को पढ़ा। हमने किताबें ख़रीद कर पढ़ीं। हमने कई शहरों में कई बड़ी लायब्रेरियों की सदस्यता लेकर किताबें पढ़ीं। फिर इन्टरनेट का दौर आ गया तो इन्टरनेट पर किताबें डाउनलोड करके पढ़ीं।
हमारे सामने यही सवाल था कि एक आदमी की एक दुआ क्यों पूरी हो जाती है और उसी आदमी की दूसरी दुआ क्यों बेअसर हो जाती है?
रब कहता है कि ‘उदऊनी अस्तजिब लकुम’ यानि तुम मुझे पुकारो मैं तुम्हें जवाब दूँगा। -क़ुरआन

लोग रब को पुकारते हैं लेकिन उन्हें लगता है कि कभी हमारी माँगी हुई चीज़ हमें मिल गई और कभी नहीं मिली। कई बार उनके साथ उल्टा हो जाता है। वे दुश्मन से हिफ़ाज़त माँगते हैं और दुश्मन उन्हें क़त्ल कर देता है। लड़कियाँ सलामती माँगती हैं और बदमाश उनके चेहरों पर तेज़ाब फेंक कर भाग जाते हैं या उनके साथ बुरा सुलूक कर देते हैं। माँ अपने बच्चों की लम्बी उम्र माँगती हैं और वे मर जाते हैं। क़र्ज़दार अपने क़र्ज़ की अदायगी के लिए पुकारता है लेकिन उसका क़र्ज़ नहीं उतरता और वह आत्महत्या कर लेता है। जेल में बन्द बेगुनाह क़ैदी रिहाई की दुआ करते हैं लेकिन उन्हें सज़ा सुना दी जाती है। रोज़ाना हम अख़बारों में ऐसी बहुत सी ख़बरें पढ़ते हैं। ख़ुद ख़ाना ए काबा में ही हादसे हो जाते हैं, जो कि अम्न की जगह है और वहाँ दुआएं सुनी जाती हैं। वहाँ आदमी गुनाहों से हटा हुआ भी होता है।

कई बार लोग इन्हें अपने गुनाहों की सज़ा या अपनी तक़दीर मानकर चुप हो जाते हैं लेकिन हमने ऐसा मस्जिदों के नेक इमामों और मुअजि़्ज़नों के साथ भी होते देखा। हमने ऐसा नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों के पाबन्द मुफ़्ती मौलवियों के साथ भी होते देखा। हमारे एक दोस्त मुफ़्ती साहब अल्लाह के हुक्म और रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की सुन्नतों के बहुत ज़्यादा पाबन्द थे। वे दुआएं भी मस्नून ही पढ़ते थे। उनके साथ उनके मैनेजर ने धोखा किया। उन पर क़र्ज़ हो गया। वह जितना ज़्यादा क़र्ज़ उतरने की दुआ करते थे। उन पर उतना ही ज़्यादा क़र्ज़ चढ़ता चला गया। कई साल दुख उठाने के बाद किसी दीनदार आदमी ने उनका क़र्ज़ उतार दिया लेकिन उनका कारोबार पूरी तरह ऐसा ख़त्म हुआ कि आज तक ख़त्म है। उन्हें शहर छोड़कर क़स्बे में जाना पड़ा। उन्हें देवबन्द में रहना पसन्द है लेकिन वह आज भी अपनी पसन्द की जगह से दूर हैं।
आपने देखा होगा कि कोई लड़की 18 साल की उम्र में शादी के लायक़ हो गई। उसकी माँ और वह शादी की दुआएं करते हैं। दुआएं करते करते लड़की 35 साल की हो गई लेकिन उस लड़की की शादी नहीं हुई। कुछ लड़कियाँ तो कुँवारी ही रह गईं। एक बिल्कुल जायज़ ऐसे काम की दुआ की गई, जिसे करने का हुक्म रब ने दिया है। उस काम के लिए दुआ की गई लेकिन वह काम नहीं हुआ। इन्सान की बुनियादी ज़रूरतों के लिए की गई दुआएं बेअसर क्यों हो जाती हैं?

आपके दिल में भी यह सवाल ज़रूर आया होगा और आपने इस पर सोच विचार किया होगा। इसी वजह से आज यह किताब आपके हाथ में है ताकि आपको जवाब मिले।

अल्लाह का यह क़ुदरती क़ानून है कि आपके सवाल का आपको जवाब दिया जाता है। कई बार मैं अपने सवाल को भूल जाता हूं लेकिन कई साल बाद उसका जवाब मुझे दिया जाता है। आपका सवाल आपकी ताक़त है। आपका सवाल हमेशा जवाब लेकर आता है। इसलिए हमेशा अच्छे सवाल करें। चाहे आप अपने दिल में बिल्कुल चुपके से कोई सवाल कर रहे हों, उसे भी आपका रब सुन रहा होता है। आपका सवाल आपकी बहुत बड़ी पाॅवर है। आप अपने सवाल की ताक़त से हर वह चीज़ पा सकते हैं, जो कि आप पाना चाहें।

इन्कम डबल करने का तरीक़ा
मान लीजिए, आपकी आमदनी 25 हज़ार रूपये प्रतिमाह है। आपकी आमदनी आपको कम पड़ती है। आप इसे बढ़ाना चाहते हैं। इसका आसान तरीक़ा यह है कि आप अपने दिल में रोज़ बार बार यह सवाल करें कि मैं 50 हज़ार रूपये प्रतिमाह कैसे कमा सकता हूं?
आपके ऐसा करने से आपका दिल यानि सब्काॅन्शियस माइन्ड इस ख़याल पर रिएक्शन ज़ाहिर करेगा। आपके दिल में एक एक करके ऐसे कई विचार आने लगेंगे, जिनसे आप हर महीने 50 हज़ार रूपये कमा सकते हैं। आप उन्हें एक डायरी में नोट करते रहें। उनमें से जो बातें आपको सही और करने के लायक़ लगें। आप उन्हें कर सकते हैं तो आप उन्हें ज़रूर करें। आपको फ़ायदा होगा। आपके सवाल का जवाब आपके ही दिल में होता है लेकिन आप जानते नहीं हैं। कई बार आपका दिल यह करिश्मा भी दिखाता है कि वह बाहर से किसी किताब या किसी आदमी को आपकी ज़िन्दगी में अट्रैक्ट कर लेता है, जो आपको आपके सवाल का जवाब देता है। जैसा कि इस वक़्त आपके साथ हो रहा है।

आज आदमी हर सवाल के जवाब के लिए बाहर की तरफ़ देखने का इतना ज़्यादा आदी हो गया है कि वह अपनी अन्दरूनी और क़ुदरती ताक़त को बिल्कुल ही भूल गया है। वह सवाल का जवाब अपने अन्दर से पाने के बजाय उसे गूगल में लिख कर डाल देता है। आप इन्कम बढ़ाने का सवाल गूगल में लिख कर डाल दें। आपको वहाँ से जवाब मिल जाएगा। आपको बाहर से भी जवाब इसीलिए मिलता है क्योंकि नेचर में इस बात का इन्तेज़ाम मौजूद है कि हरेक को उसके सवाल का जवाब मिले, हर आदमी जिस चीज़ की तलाश करे, वह उसे पा ले। आम लोग इसे इत्तेफ़ाक़ समझते हैं लेकिन यह रब का क़ुदरती क़ानून है।

यक़ीन का क़ुदरती क़ानून
ऐसे ही यक़ीन का क़ानून एक क़ुदरती क़ानून है। कई बार आदमी अपने दिल में चुपके से एक बात सोच रहा होता है। उसे दिल में एक सीन की झलक सी दिखती है और वह पूरी हो जाती है क्योंकि उसे उस पर कोई शक पैदा नहीं हुआ था। कई बार वह ध्यान भी नहीं देता कि उसने कोई झलक देखी थी। कई बार जब उसके साथ कोई बात पेश आती है तो उसे ऐसा लगता है कि जैसा उसके साथ यह पहले भी हो चुका है लेकिन उसे याद नहीं आता कि उसके साथ यह कब और कहाँ हुआ था?
आपके दिल में किसी से मिलने का ख़याल आता है। आपके दिल में उसका चेहरा दिखता है और फ़ौरन ही वह आदमी ख़ुद मिलने आ जाता है या उसकी काॅल आ जाती है। आपके दिल में कोई चीज़ खाने का ख़याल आता है। आपको अपने दिल में उस चीज़ की तस्वीर बिल्कुल साफ़ दिखाई देती है। तभी कोई आदमी वह चीज़ आपके पास लेकर ख़ुद ही आ जाता है। ऐसा होता रहता है लेकिन लोग नहीं जानते कि ऐसा क्यों होता है?
अगर आप इस क्यों को जान और समझ लें तो आप रब के क़ुदरती क़ानून से काम लेकर अपने दिल की ज़्यादातर मुरादें ज़रूर पूरी कर सकते हैं। आपकी हर मुराद पूरी हो सकती है अगर आप अपने दिल की हक़ीक़त को समझ लें।

यक़ीन कैसे काम करता है?
आपका दिल रब का दरबार है, जहाँ हर वक़्त उसका नूर ऐसे ही मौजूद रहता है जैसे कि उसका नूर अर्श पर मौजूद रहता है। आपके दिल को अर्श के साथ एक ख़ास ताल्लुक़ है हालाँकि अक्सर लोग अपने दिल की हक़ीक़त से वाक़िफ़ नहीं हैं। अगर वे वाक़िफ़ होते तो वे अपने दिल में ख़ुद को अकेला, कमज़ोर, ज़माने का सताया हुआ और दुःखी न मानते। ...क्योंकि जिस बात को आप अपने बारे में सच मानते हैं, वह अपने बारे में आपका यक़ीन बन जाता है। वह बात आप अपने दिल में यानि रब के दरबार में मानते हैं। आपका यक़ीन अपने आप में ख़ुद एक मक़बूल दुआ होती है। फिर आप वही बन जाते हैं जो आप ख़ुद को मानते हैं। आपके साथ बुरे हालात और ज़्यादा पेश आते हैं। आप ख़ुद को और ज़्यादा अकेला, कमज़ोर, ज़माने का सताया हुआ और दुःखी मानते हैं और आपके मानने के बाद आपके साथ बुरे हालात और ज़्यादा पेश आते हैं। इस तरह आप एक दुःख देने वाले भयानक चक्र में फंस जाते हैं। 
आप कहेंगे कि जब मेरे हालात दुःख देने वाले हैं तो मैं ख़ुद को दुःखी क्यों न मानँ?

दुःख से मुक्ति पाने का तरीक़ा
ज़रा ग़ौर करें कि ये हालात आपकी ज़िन्दगी में क्यों आए?
आपने क्यों माना कि आप अकेले और कमज़ोर हैं?
क्या वाक़ई आप अकेले और कमज़ोर हैं?
क्या वह पैदा करने वाला रब हर वक़्त आपके साथ नहीं है? क्या उसी की मदद से आप हर वक़्त साँस नहीं लेते? साँस लेना कितना बड़ा काम है! जब आप उस रब की मदद से इतना बड़ा काम कर सकते हैं तो आपने ख़ुद को कमज़ोर क्यों माना?
सिर्फ़ इसलिए कि आपने कभी अपने साँस पर ग़ौर नहीं किया। कभी आपने अपनी नींद पर ग़ौर नहीं किया। जब आप सो जाते हैं। तब भी आपका साँस लगातार चलता रहता है। आपका दिल (सब्काॅन्शियस माइन्ड) हर वक़्त जागता रहता है और आपकी भलाई में लगा रहता है। यह अल्लाह की आम रहमत है, जिसे वह हर वक़्त सब पर करता रहता है लेकिन ज़्यादातर लोग उसकी रहमत पर और उसकी क़ुदरत पर ध्यान नहीं देते। जब आप साँस लें तो यह निशानी देखकर ख़ुद को याद दिलायें कि मेरा रब मेरे साथ है।
जब आप रात को सो जाते हैं। तब आप सपने देखते हैं। जिनमें से कुछ सपने ज्यों के त्यों पूरे हो जाते हैं और कुछ सपने दूसरे रूप में पूरे होते हैं। इससे पता चलता है कि इस दुनिया में आपके सपने पूरे हो सकते हैं। जब आप सपने देखते हैं तब आपकी आँख सो रही होती है। आप जिस्म की आँख के बिना भी देख सकते हैं। जब आप अपनी अन्दरूनी आँख से देखते हैं तो उसे सपना कहते हैं और जब आप जागते हुए अपनी अन्दरूनी आँख से देखते हैं तो उसे कल्पना और तसव्वुर कहते हैं।
जब आप कल्पना और तसव्वुर करते हैं तब आपको पता नहीं होता लेकिन आप अल्लाह के नाम ‘अल्-मुसव्विर’ से काम लेते हैं। कल्पना और तसव्वुर आपके दिल की क्रिएटिव पाॅवर है। जब आप कल्पना करें तब आप महसूस करें कि मेरा रब मेरे साथ है। मैं उसी की क्रिएटिव पाॅवर से काम ले रहा हूँ।

अपने रब को पहचानें
आपके पास अपना निजी कुछ भी नहीं है। आप किसी ख़ूबी के मालिक नहीं हैं। आपके पास जो कुछ भी है, चाहे वह आपके अन्दर हो या आपके बाहर हो, वे सब आपके रब की ख़ूबियाँ हैं, जिनसे आप काम ले रहे हैं ताकि आप अपने रब को पहचानें और याद रखें कि मेरा रब मेरे साथ है। जब आप ऐसा करते हैं तो आपके दिल से अपने अकेले और कमज़ोर होने का झूठा यक़ीन ख़त्म हो जाता है। इसी के साथ वे हालात भी ख़त्म हो जाते हैं, जो इस यक़ीन की वजह से आपकी ज़िन्दगी में पैदा हो रहे थे।
इसलिए जब आप अपनी दुआ को पूरा होते देखना चाहें तो सबसे पहले अपने दिल के झूठे यक़ीन को मिटा डालें और अपने साथ उस रब को हर पल महसूस करना शुरू करें, जो हमेशा आपके साथ रहता है और जिसकी मदद से आप बड़े बड़े काम करते रहते हैं। जब आप ऐसा मानेंगे और अपने साथ ज़बर्दस्त क़ुदरत वाले रब को देखने की आदत बना लेंगे तो आप अपनी ज़िन्दगी में चमत्कार देखेंगे।

कुन फ़यकून: तुरन्त चमत्कार देखें
तिब्बे नबवी में नज़र के अच्छे और बुरे असर पर इब्ने क़य्यिम रहमतुल्लाहि अलैह और दूसरे स्काॅलर्स ने बहुत तफ़्सील से जानकारी दी है। आपका देखना और मानना आपकी ज़िन्दगी में चमत्कार दिखाता है। तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़ में जो पाॅवरफ़ुल तकनीकें सिखाई जाती हैं, वे आपकी ज़िन्दगी में बहुत बड़ा चमत्कार करती हैं। आप इसे खुद अपनी आँखों से देख सकते हैं। आप देख सकते हैं कि आपका यक़ीन आपकी फ़िज़िकल रिएलिटी को कितना ज़्यादा प्रभावित करता है। हम आपको यहाँ एक बहुत आसान तकनीक सिखा रहे हैं। आप इसे कीजिए और तुरन्त चमत्कार देखिए।


आप अपने दोनों हाथों को अपने सामने खोलकर देखिए। आप अपने दोनों हाथों की कलाईयों और हथेलियों पर बनी लकीरों को देखिए और फिर आप उन्हें आपस में मिलाते हुए दोनों हाथों को जोड़ लीजिए। अब आप चेक कीजिए कि आपके किस हाथ की उंगलियाँ दूसरे हाथ से छोटी हैं? आपके एक हाथ की उंगलियाँ दूसरे हाथ से मामूली सी छोटी होंगी। आप दोनों हाथों को अलग कर लें और फिर से पहले की तरह सावधानी से जोड़कर चेक करें कि किस हाथ की उंगलियाँ दूसरे हाथ के मुक़ाबले छोटी हैं?


इसके बाद आप किसी एक उंगली को चुन लीजिए। अब आप दोनों हाथ अलग अलग कर लीजिए। जिस उंगली को आपने चुना है, आप उसे अपने सामने रखकर उसे देखिए और अपने दिल में यह मानिए कि यह उंगली तेज़ी से लम्बी हो रही है। आप 25 सेकंड तक ऐसा कीजिए। इस बीच आप न तो किसी और चीज़ को देखिए और न ही किसी दूसरी बात को सोचिए। आप 25 सेकंड तक सिर्फ़ अपनी उंगली को देखते रहें और यह मानते रहें कि आपकी यह उंगली तेज़ी से लम्बी हो रही है। यह काम आराम से करना है। अपने दिल या दिमाग़ पर किसी तरह का ज़ोर डालने की कोई ज़रूरत नहीं है।

आप 25 सेकंड के बाद अपने दोनों हाथों को बताए गए तरीक़े से जोड़कर चेक कीजिए। आपकी वह उंगली पहले के मुक़ाबले लम्बी हो चुकी होगी। यह चमत्कार आपने अपने अन्दर की ताक़त से काम लेकर ख़ुद किया है। अब आप विश्वास कर सकते हैं कि आॅनलाईन मैरिज कोर्स की तकनीकें सचमुच ज़बर्दस्त चमत्कार करती हैं और तुरन्त करती हैं।

चमत्कार दिखाने वाली शक्ति का इस्तेमाल सीखिए
एक ज़बर्दस्त ताक़त हमेशा आपके अन्दर काम करती है लेकिन आप इससे ज़्यादातर अपने खि़लाफ़ काम लेते हैं। जिससे आपकी शादी में रूकावटें आती हैं और आपको बेमेल जीवन साथी मिलते हैं जो आपको अपमानित करते हैं, आपको दुख देते हैं और आपसे बेवफ़ाई करते हैं। आपके साथ ऐसा क्यों होता है?, इसे आप नहीं जान पाते। आप अपनी ज़बर्दस्त ताक़त का अपने खि़लाफ़ इस्तेमाल करते हैं, ऐसा सिर्फ़ इसलिए होता है। अब मैरिज हेल्प सेन्टर के आॅनलाईन कोर्स ‘जल्दी शादी कैसे हो?’ के ज़रिये यह सम्भव है कि आप घर बैठे अपनी चमत्कारिक शक्ति से काम लेने का सही तरीक़ा सीख सकते हैं। आप अपने मन की मुराद पा सकते हैं। आप अपने सुनहरे सपनों को साकार कर सकते हैं। आपका फ़ैसला आपकी ज़िन्दगी को बदल सकता है। आप इस कोर्स की जानकारी हमसे मंगा सकते हैं।

अपनी दुआ के बारे में क्या मानें?
आप अपनी दुआ के बारे में यह मानें कि मेरा रब हमेशा मेरी दुआ सुनता है और अपनी रहमत से बहुत जल्दी उसे पूरी करता है।
आप इस बात को अपने दिल में अपने आप से कहते रहें ताकि यह आपका यक़ीन बन जाए। जब यह बात आपका यक़ीन बन जाएगी, तब आपकी दुआएं बहुत जल्दी पूरी होने लगेंगी।

अवेयरनेस (होश) के साथ दुआ क्यों ज़रूरी है?
जब आप दुआ करें तो आप अपने दिल को ग़फ़लत से निकालें।
अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया ‘‘तुम अल्लाह तआला से ऐसी हालत में दुआ किया करो कि क़ुबूलियत का यक़ीन रखा करो और यह जान रखो कि अल्लाह तआला ग़फ़लत से भरे दिल से दुआ क़ुबूल नहीं करता।      (हदीस)

अवेयरनेस (होश) का तरीक़ा
अपने दिल को ग़फ़लत से निकालने का तरीक़ा अपने दिल में उस काम की कल्पना करना है, जिस काम के लिए आप दुआ कर रहे हैं। आप कल्पना कीजिए कि वह काम होने के बाद आप क्या कर रहे होंगे? लोग आपसे क्या कह रहे होंगे? और आप उस वक़्त कितने ख़ुश होंगे? 
इस तरह आप अपने दिल में अपनी मुराद का कल्पना कीजिए। इससे आप अपनी मुराद पर अवेयरनेस देंगे, जो कि आपका मक़सद goal है। जितनी ज़्यादा आप अवेयरनेस देंगे, आपके यक़ीन को उतनी ज़्यादा ताक़त मिलेगी कि यह चीज़ मेरे पास मौजूद है। जिस चीज़ को आप अपने दिल में हाज़िर कर लेंगे, वह चीज़ ख़ुद को आपकी ज़िन्दगी में बाहर भी हाज़िर करने के लिए ख़ुद रास्ते बनाती हुई आपकी तरफ़ बढ़ेगी जैसे कि एक बीज ज़मीन में बोने और केयर पाने के बाद ख़ुद अंकुर फाड़कर बाहर निकलता है और ख़ुद पनपता और बढ़ता है।

कल्पना को हक़ीक़त की तरह महसूस करने का तरीक़ा
बस बीज की तरह आपकी कल्पना में भी जान होनी चाहिए। जिस बात को आप अपने पाँचों सेन्सेज़ के साथ अपनी कल्पना में एक हक़ीक़त के तौर पर बार बार महसूस करते हैं। आप ख़ुद को उस सीन का एक हिस्सा महसूस करते हैं। आपको ऐसा लगता है जैसे कि आपके साथ सचमुच वैसा हो रहा है। इससे आपकी कल्पना आपको हक़ीक़त लगती है। इससे उसमें जान पड़ती है। फिर वह ख़ुद पूरी होती है। यह अल्लाह का क़ानून है।
अल्लाह के क़ुदरती क़ानून को जानने से भी इन्सान को यक़ीन आ जाता है। अल्लाह का क़ानून यह है कि आप अपने दिल में बार बार जो कल्पना (imagination) करते हैं। वह आपके दिल में नक़्श हो जाती है। वह आपके दिल का यक़ीन बन जाती है। अब आप अपने दिल की इस पुकार को मुंह से बोलेंगे तो आपके बोल को आपका दिल सपोर्ट करेगा। जब आप लगातार ऐसा करते रहते हैं तो आपका दिल आपकी ज़िन्दगी में ऐसे असबाब, मददगार लोग और माफ़िक़ मौक़े दिखाने लगता है, जिनसे आप काम लेकर अपनी मुराद को पूरा कर लेते हैं और आपकी दुआ नेचुरली पूरी हो जाती है।

जब भी आदमी यक़ीन के इस क़ुदरती क़ानून से काम लेता है तो उसका काम हो जाता है। हालाँकि वह नहीं जानता कि उसका काम रब के क़ुदरती क़ानून के तहत हुआ है और उस ताक़त से हुआ है, जो उसने हरेक इन्सान में रखी है ताकि हर इन्सान अपने और सबके कल्याण और फ़लाह के लिए काम करे।

हरेक धर्म-मत के लोग यक़ीन से ही फ़ायदा पाते हैं
ऐसा बहुत होता है कि औरतें और मर्द जब किसी मूर्ति, पेड़, जानवर या क़ब्र पर दुआ या मन्नत माँगते हैं और वहाँ अपनी मुराद के लिए कोई धागा बाँधते हैं या कोई दूसरी रस्म करते हैं तो वे अपनी कल्पना में अपने मन की मुराद को बिल्कुल साफ़ देख लेते हैं। उनका दूर दराज़ का सफ़र करके जाना उनके यक़ीन को ज़ाहिर करता है कि उन्हें यक़ीन होता है कि वहाँ जाने से उनकी मुराद पूरी हो सकती है। उन्हें यह यक़ीन दूसरे लोगों की बातें सुनकर होता है, जो उन्हें बताते हैं कि वहाँ जाने से हमारी मुराद पूरी हो गई। जब वे ख़ुद वहाँ जाते हैं तो वे वहाँ हज़ारों लाखों लोगों की भीड़ देखते हैं। वे अपने मन में तर्क करते हैं कि अगर यहाँ कोई शक्ति न होती तो इतने सारे लोग यहाँ क्यों आते? इस तर्क से उनका शक दूर हो जाता है। वहाँ उन्हें कई ऐसे लोग मिलते हैं, जो बताते हैं कि उनकी मुराद पूरी हुई है। उनकी बात सुनकर उनका यक़ीन और ज़्यादा बढ़ जाता है। कुछ लोग उस जगह के कई सौ या हज़ारों साल पुराना होने की वजह से भी यक़ीन करने लगते हैं कि उनकी मुराद ज़रूर पूरी होगी। जिन लोगों को यक़ीन हो जाता है, उनका काम उनके यक़ीन की वजह हो जाता है। वे लोग इस राज़ को न जानने की वजह से समझते हैं कि उस जगह की वजह से या उस देवी-देवता, मज़ार, पेड़ या जानवर ने उसकी प्रार्थना स्वीकार करके उनका काम कर दिया है।
सच यह है कि आपकी दुआ आपके यक़ीन की वजह से पूरी होती है। यह क़ानून उस रब का बनाया हुआ है, जिसने आपको बनाया है। आप अपने घर में अपने बिस्तर पर बैठकर भी यक़ीन के साथ दुआ करेंगे तो वह ज़रूर पूरी होगी।
रब का क़ानून यह है कि आपका वह काॅन्सेप्ट ज़रूर फ़िज़िकल रिएलिटी बनेगा, जिसे आप कल्पना के ज़रिए अवेयरनेस दे रहे हैं।

लड़कियों की शादी में मुश्किल क्यों आती है?
हम कन्या, महिला, माँ और बेटी हरेक को सेफ़ और ख़ुशहाल देखना चाहते हैं। हरेक बेटी को उसकी अन्दरूनी ताक़त का सही इस्तेमाल सिखा कर यह सपना साकार किया जा सकता है। मिसाल के तौर पर हम लड़कियों की शादी का मसला लेते हैं ताकि लड़कियों को अपने अन्दर की शक्ति का इस्तेमाल करना सिखाएं।
जब एक लड़की ख़ुद को रंग, क़द, एजुकेशन और दहेज में कम पाती है तो वह डरती है कि उसकी शादी होने में मुश्किल आएगी। फिर उसका यक़ीन उसकी ज़िन्दगी में ऐसे हालात लाता है, जिससे उसकी शादी होने में मुश्किल पेश आती है। जब वह इन तजुर्बात से गुज़रती है तो वह सोचती है कि मुझे पहले ही इस बात का डर था और वही बात हो गई। अब वह परेशानी के हाल में दुआ करती है। दुआ के वक़्त भी उसका दिल इधर उधर की फ़ालतू बातों में लगा रहता है। वह ग़ाफ़िल दिल से दुआ करती है। उसे कई साल लग जाते हैं लेकिन उसकी दुआ पूरी नहीं होती। उसकी ढलती हुई उम्र देखकर उसके माँ बाप तंग आ जाते हैं कि कोई मेल का मुनासिब लड़का मिलेगा। वे उसके लिए बेमेल लड़का पसन्द कर लेते हैं। शादी होने के बाद जब लड़की ससुराल जाती है तो उसे अपने रंग, क़द, एजुकेशन और दहेज को लेकर वही बातें सुनने को मिलती हैं, जो वह अपने दिल में मानती थी। दूसरे लोगों की ज़ुबान से वह अपने ही यक़ीन को सुनती है।

दिल की दुनिया सच्ची है
दिल की दुनिया हक़ (सच) की दुनिया है और बाहर की दुनिया उसका साया है। जो आवाज़ें आप अन्दर सुनते हैं, बाहर की आवाज़ें उसी की गूंज म्बीव हैं। आपको बाहर अपनी पसन्द की ख़ूबियों वाले जीवनसाथी के साथ शादी करनी है तो पहले आप उसे अपने दिल में हाज़िर कीजिए। आपको उससे अपनी तारीफ़ और इज़्ज़त के बोल सुनने हैं तो आप पहले आप उससे वे बातें अपने दिल में सुनिए। इससे भी बढ़कर यह कि आप अपने दिल में उसे तारीफ़ और इज़्ज़त के बोल कहें। जो आप उसे अपने दिल में देंगी, वह आपको बाहर की दुनिया में पलटकर मिलेगा।
यह ज़िन्दगी बहुत आसान है, अगर आप अपने मेहरबाान रब के क़ानून के मुताबिक़ ज़िन्दगी गुज़ारो। आपको अपनी शादी करनी है तो अपने दिल में भी अपनी शादी के सीन को हाज़िर करो। तब दुआ करो। दुआ मोमिन का हथियार है। जब हथियार चलाने वाला अपने निशाने को देखता है तो आप भी दुआ करते वक़्त अपने दिल में अपने निशाने को देखें।
वेलनेस साईन्सेज़ के सारे स्काॅलर्स इस बात पर एकमत हैं कि जब दिल यानि सब्काॅन्शियस माइन्ड को  क्रिस्टल की तरह एक साफ़ इमेज के रूप में कोई गोल दे दिया जाता है और उसके बाहर की दुनिया में अपने ठीक वक़्त पर ज़ाहिर होने का विश्वास रखा जाता है तो यह उसे फ़िज़िकल रिएलिटी बनाने के लिए सारे असबाब ख़ुद अट्रैक्ट कर लेता है। 
‘जल्दी शादी कैसे हो?’ आॅनलाईन मैरिज कोर्स में इसे पूरी तरह खोल कर समझाया गया है कि सब्काॅन्शियस माइन्ड कैसे काम करता है और रेज़िस्टेन्स को कैसे दूर करें?

यक़ीन कीजिए कि हिफ़ाज़त के लिए फ़रिश्ते साथ हैं
आजकल लड़कियाँ ख़ुद को असुरक्षित महसूस करती हैं। लड़कों के साथ भी कई तरह के हादसे पेश आ जाते हैं। यहाँ तक कि सिक्योरिटी गार्ड्स की मौजूदगी में ही नेताओं को क़त्ल करने की घटनाएं हुई हैं। सिक्योरिटी देने वाले पुलिसकर्मी और फ़ौजियों पर भी आए दिन क़ातिलाना हमले हो जाते हैं। उनकी हिफ़ाज़त कौन करेगा? बाहरी साधनों से हिफ़ाज़त के बावुजूद उनके साथ वही होता है, जो उनका यक़ीन होता है। हरेक आदमी को सरकार सिक्योरिटी गार्ड नहीं दे सकती। 
ज़्यादातर लोग नहीं जानते कि अल्लाह ने हरेक आदमी को सिक्योरिटी गार्ड दे रखे हैं, जो अल्लाह के हुक्म से उसकी हिफ़ाज़त करते हैं।
‘उसके आगे और पीछे रक्षक (फ़रिश्ते) होते हैं, जो अल्लाह के हुक्म से उसकी हिफ़ाज़त करते हैं।’ -क़ुरआन 13ः11

बुरे हादसों और एक्सीडेन्ट से बचाव का तरीक़ा
लोगों की आम आदत है कि आप उन्हें कोई बात बताएं तो वे उसे समझने के बजाय ऐतराज़ की जल्दी में रहते हैं। जो लोग अल्लाह के क़ानून को नहीं जानते, जब वे पहली बार इस आयत को पढ़ेंगे तो वे ऐतराज़ करेंगे कि जब हर आदमी की हिफ़ाज़त के लिए अल्लाह ने उसके आगे और पीछे फ़रिश्ते लगा रखे हैं तो उनके साथ बुरे हादसे और एक्सीडेन्ट क्यों हो जाते हैं?

अब हम पूरी आयत लिखते हैं। इसे पढ़िए और समझने की कोशिश कीजिए-
‘उसके आगे और पीछे रक्षक (फ़रिश्ते) होते हैं, जो अल्लाह के हुक्म से उसकी हिफ़ाज़त करते हैं। अल्लाह किसी क़ौम की हालत नहीं बदलता जब तक कि वे अपने नफ़्स में जो कुछ है उस (मानसिकता) को नहीं बदलते। अल्लाह किसी क़ौम पर बुराई का इरादा करता है तो फिर वह उससे हटती नहीं और फिर उसके सिवा कोई मददगार नहीं।’ -क़ुरआन 13ः11

हक़ीक़त यह है कि हरेक इन्सान के साथ रब है और उसने उसकी हिफ़ाज़त के लिए उसके आगे पीछे फ़रिश्ते लगा रखे हैं। ज़मीन और आसमानों की हर चीज़ को उसके काम में लगा रखा है। अल्लाह रात और दिन को लाता रहता है। अल्लाह ने इन्सान को उसकी माँ के पेट में बेहतरीन तक़्वीम पर बनाया है। अल्लाह उसे नींद देता है। वह नींद में भी उसकी साँस जारी रखकर उसकी जान की हिफ़ाज़त करता है। इसके बावुजूद वह कभी अपने साथ अपने अनन्त शक्तिशाली रब को महसूस नहीं करता। वह ख़ुद को अकेला और असुरक्षित महसूस करता रहता है। यह उसके दिल का गहरा यक़ीन बन जाता है। इस तरह वह अपनी मानसिकता में बदलाव कर देता है। इस बदलाव के बाद उसकी ज़िन्दगी उसके यक़ीन का आईना बन जाती है। उसके साथ वैसे ही हालात पेश आने लगते हैं, जैसा वह अपने दिल में यक़ीन करता है क्योंकि अल्लाह अपना क़ुदरती क़ानून बताते हएु कहता है कि मैं अपने बन्दे के साथ उसके गुमान के मुताबिक़ हूँ।
‘तुम्हें जो भलाई पहुँचती है वह अल्लाह की तरफ़ से है, और जो बुरी हालत तुम्हें पेश आ जाती है वह तुम्हारे अपने नफ़्स (की ख़राबी) की वजह से होती है’ -क़ुरआन 4ः79

आप बुरे हादसों और एक्सीडेन्ट से बचाव चाहते हैं तो आपको आँखें खोलकर देखना होगा कि अल्लाह तआला आपको हर पल आसमानों और ज़मीन की कितनी मुसीबतों और आफ़तों से बचाता रहता है। फिर आप ज़मीन और आसमान की हर चीज़ को देखें। हर चीज़ घूम रही है लेकिन इस तरह घूम रही है कि आप सुरक्षित रहें। आप खुली आँखों से अपने रब को अपनी हिफ़ाज़त करते हुए देख सकते हैं। अल्लाह आपको दिखाई नहीं देता लेकिन उसके सिस्टम को आप देख सकते हैं। आयतुल कुर्सी (2ः255) में अल्लाह ने अपनी हिफ़ाज़त का बयान ख़ुद किया है। आप इस आयत को पढ़िए। इससे आपको अल्लाह के सिक्योरिटी सिस्टम पर अवेयरनेस हासिल होगी। फिर आपकी अवेयरनेस आपकी हिफ़ाज़त करेगी।

ऐसे ही अपने आगे और पीछे लगे हुए फ़रिश्ते आपको दिखाई नहीं देते लेकिन र्क़ुआन में लिखा हुआ आप देख सकते हैं। आप उसमें लिखी बात को सच मान सकते हैं। उस बात को अपना गहरा यक़ीन (core belief) बना सकते हैं। अब आपका यह यक़ीन आपकी हिफ़ाज़त करेगा। जो आपसे दुश्मनी करेगा, वह मुसीबत में फंसेगा और नुक़्सान उठाएगा।
आदमी हिफ़ाज़त के सिस्टम और अल्लाह के क़ानून को समझकर अपने रब से हिफ़ाज़त की दुआ करे और ख़ुद को अपने रब की हिफ़ाज़त में समझे तो वह ज़रूर सुरक्षित रहेगा।

दुश्मन की नज़र से हिफ़ाज़त का अमल
अल्लाह के नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दुश्मन हमला करने की ताक में रहते थे और कई बार वे बड़ी बड़ी फ़ौज लेकर उनसे लड़ने भी आए। अल्लाह ने हमेशा उनकी हिफ़ाज़त की। सीरत की सभी बड़ी किताबों में यह सच्चा वाक़या दर्ज है कि मक्का के जो बड़े सरदार ग़रीबों और कमज़ोरों को बराबरी और तरक़्क़ी के मौक़े दिए जाने के विरोधी थे, वे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जानी दुश्मन बन गए। एक रात उन्होंने दर्जनों क़ातिल भेज दिए। वे अपने हाथों में हथियार लेकर नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के घर को घेर कर खड़े हो गए। यह हिजरत की रात का वाक़या है। हज़रत मुहम्मद अलैहि वसल्लम ने उनकी कोई परवाह नहीं की। उन्होंने सूरह यासीन की नौवीं आयत पढ़ी-
‘और हमने उनके आगे भी एक दीवार बना दी है और एक दीवार उनके पीछे भी, फिर उन पर पर्दा डाल दिया, तो उन्हें कुछ सुझाई नहीं दे सकता।’ -क़ुरआन 36ः9

वह यह आयत पढ़ते हुए और दुश्मनों के सिरों पर मिट्टी डालते हुए उनके सामने से गुज़र गए। वे दुश्मन उन्हें देख नहीं पाए। इस तरह वह र्क़ुआन की ज़बर्दस्त ताक़त से काम लेने का नमूना भी सबको दिखाकर गए हैं। आज भी आप क़ुरआन की इस ज़बर्दस्त ताक़त से काम ले सकते हैं। आम लोग इस ताक़त से काम लेना नहीं जानते। हज़रत शाह वलीउल्लाह रहमतुल्लाह अलैह के रूहानी इल्म की किताबों, तिब्बे नबवी और वेलनेस साईन्सेज़ की बरसों की स्टडी के बाद यह राज़ हाथ आया है कि आपका यक़ीन, नीयत, क़ुरआन के मीनिंग (अर्थ) पर अवेयरनेस और तसव्वुर (कल्पना) आपकी वे ख़ूबियाँ हैं, कि जब आप इनसे काम लेते हुए महान क़ुरआन पढ़ते हैं तो आप क़ुरआन की उस ज़बर्दस्त ताक़त से काम लेते हैं जो कि एटमिक पाॅवर से बहुत बहुत ज़्यादा असरदार है।

यह पाॅवर आज भी काम करती है। दिल्ली की एक लड़की ने किसी सही वजह से अपना घर छोड़ दिया। उसे घर के लोग तलाश करने लगे। उसके घर के लोग काफ़ी अमीर थे। लड़की का भाई वकील भी था। उन्होंने पुलिस में रिपोर्ट कर दी। आखि़रकार पुलिस ने उसका पता लगा लिया। उस लड़की को अदालत में पेश होना था। समाज में आज भी मददगार लोग हैं। एक कल्याणकारी संस्था ने उस लड़की को अकेला देखकर उसे पनाह दे दी थी। उस संस्था का एक कार्यकर्ता उसे लेकर अदालत पहँुचा। वह उसे बहन मानता था। उसने ख़ुद मुझे यह वाक़या बताया कि हमें लड़की के घरवालों से ग़ुण्डई और दबंगई का डर था कि वे अदालत पहुँचने से पहले ही अपनी बहन को पहचान कर पकड़ लेंगे। वे लड़की को अपने घर ले जाएंगे और लड़की का अदालत में बयान नहीं हो पाएगा।

वे अदालत के अहाते में बैठे हुए थे। तब उस मददगार भाई ने सूरह यासीन की यह नौवीं आयत पढ़ी। उस लड़की के घरवाले उनके सामने से गुज़र गए। वे उन्हें देख नहीं पाए। लड़की ने अदालत में जज साहब को अपना बयान दिया। जज साहब ने उसके भाई के इल्ज़ाम को ग़लत पाया और उस लड़की को राहत दी।
अगर कोई लड़की घर से निकलते हुए किसी ग़ुण्डे बदमाश से डरती है या कोई आदमी किसी मुजरिम से डरता है या कोई किसान किसी सूदख़ोर महाजन से डरता है कि वह उसके साथ ज़्यादती करेगा तो वह घर से निकलने से पहले सूरह यासीन की नौवीं आयत को 2-3 मिनट तक उसका मतलब समझते हए पढ़ ले और अपने ऊपर हिफ़ाज़त की नीयत से फूंक ले। जो अरबी में न पढ़ सके, वह इसका अनुवाद ही पढ़ ले। अपने दिल में तसव्वुर करे कि उस दुश्मन के आगे पीछे दीवार है और उस पर पर्दा पड़ा हुआ है। सो वह अब अपने सामने से जाने वालों को देख नहीं सकता। जब कोई यक़ीन, नीयत, क़ुरआन के मीनिंग (अर्थ) पर अवेयरनेस और तसव्वुर (कल्पना) के साथ यह अमल करेगा तो वह दुश्मन उसे देख नहीं पाएगा।

दुआ हिफ़ाज़त का मज़बूत क़िला भी है
पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की एक ख़ास दुआ हम यहाँ सबके फ़ायदे के लिए सिखा रहे हैं। इसे हरेक धर्म-मत का आदमी, औरत, लड़की और बच्चा कर सकता है।
तहस्सन्तु बिल्लाहिल्-लज़ी ला इलाहा इल्ला हुवा इलाही व इलाहु कुल्लि शैइन व अआतसम्तु बिरब्बि व रब्बि कुल्ला शैइन व तवक्कल्तु अलल हय्यिल्-लज़ी ला यमूतू वस्तद्-फ़अतुश्-शर्रा बिला हौला वला क़ूव्वता इल्ला बिल्लाहि हस्बियल्लाहु व निअमल वकील हस्बियर्-रब्बु मिनल इबादि हस्बियल ख़ालिक़ु मिनल मख़्लूक़ि हस्बियर्-रज़्ज़ाक़ु मिनल मर्ज़ूक़ि हस्बियल्लज़ी हुवा हस्बी हस्बियल्लज़ी बियदिहि मलकूतू कुल्लि शैइन व हुवा युजीरू वला युजारू अलैहि हस्बियल्लाहु व कफ़ा समिअल्लाहु लिमन दआ लैइसा वराअल्लाहि मरामी हस्बियल्लाहु ला इलाहा इल्ला हुवा अलैहि तवक्कल्तु व हुवा रब्बुल अर्शिल अज़ीम।

अर्थः मैंने ला इलाहा इल्ला हू का क़िला बना लिया। वही अल्लाह मेरा और हर चीज़ का माबूद है। मैंने अपने रब और हर चीज़ के रब से बचाव तलब किया और उस ज़िन्दा पर तवक्कुल (काम बनाने का भरोसा) किया जो कभी मरेगा नहीं। और मैंने शर को ला हौला वला क़ूव्वता इल्ला बिल्लाह के ज़रिए दफ़ा किया। अल्लाह मेरे लिए काफ़ी है और पैदा करने वाला मेरे लिए मख़्लूक़ के बनिस्बत काफ़ी है और रोज़ी देने वाला रिज़्क़ पाने वालों की तरफ़ से मेरे लिए काफ़ी है। मेरे लिए वह काफ़ी है जिसके क़ब्ज़ा ए क़ुदरत में हर चीज़ की मिल्कियत है। वह सज़ा दे सकता है, कोई उसे सज़ा नहीं दे सकता। मुझे वह अल्लाह काफ़ी है जिसने पुकारने वाले की पुकार सुनी और अल्लाह के अलावा मेरा मक़सद नहीं। अल्लाह मेरे लिए काफ़ी है। उसके सिवा कोई माबूद नहीं। उसी पर मैंने (काम बनाने का) भरोसा किया और वही अज़ीम अर्श का रब है।  (तिब्बे नबवी लेखकः इब्ने क़य्यिम पेज नम्बर 207 व 208)

इस दुआ में यह हक़ीक़त बयान की गई है आप ‘ला हौल’ के पाक बोल से एक क़िले के रूप में काम ले सकते हैं। इस हक़ीक़त पर आगाही (awareness) सिर्फ़ तसव्वुर (कल्पना) के ज़रिये ही मुमकिन है क्योंकि इस क़िले को फ़िज़िकल सेन्सेज़ से देखना मुमकिन नहीं है। जब आप अपनी कल्पना में ख़ुद को ‘ला हौल’ के क़िले में देखते हैं तो आप ख़ुद को सेफ़ महसूस करते हैं। इन्सान एक मज़बूत और सेफ़ जगह की कल्पना करता है तो उसके दिल में एक क़िले का ख़याल आता है। जो लोग नबियों के रूहानी इल्म की समझ रखते हैं, वे जानते हैं कि पाक बोल नीयत और तसव्वुर का असर क़ुबूल करते हैं और वे ‘आलमे अम्र’ (सूक्ष्म जगत) में उसी रूप में बदल जाते हैं। फिर उसका असर ‘आलमे ख़ल्क़’ (भौतिक जगत) में ज़ाहिर होता है। जैसा आप ख़ुद को अन्दर देखते और महसूस करते हैं, वैसा ही हाल आपका बाहर नेचुरली बन जाता है। आप तिब्बे नबवी में ऐसी बहुत सी दुआएं पाएंगे।

हक़ीक़त यह है कि दुआ की रूहानी ताक़त से काम लेने वाले दुआओं को हमेशा से एक मज़बूत क़िले के रूप में देखते आए हैं। इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद रह. ने दुआओं की एक किताब लिखी तो उसका नाम ही हिस्ने हसीन यानि ‘मज़बूत क़िला’ रख दिया। इस किताब के शुरू में उन्होंने अपना सच्चा वाक़या भी लिखा है कि इस क़िले में उन्होंने कैसे पनाह ली और ताक़तवर ज़ालिम दुश्मनों से वह कैसे सलामत रहे?

इमाम मुहम्मद बिन मुहम्मद लिखते हैं-और जब इस मैं इस (हिस्ने हसीन) की तरतीब और इस्लाह मुकम्मल तौर पर कर चुका तो मुझे एक ऐसे दुश्मन (तैमूरी लश्कर के सरदार) ने अपने पास हाज़िरी का हुक्म दिया (जो इतना ताक़तवर और ज़ालिम था कि) उसको अल्लाह तआला के सिवा और कोई दफ़ा ही नहीं कर सकता था, तो मैं फ़रार और रूपोश हो गया और इसी हिस्ने हसीन के क़िले में पनाह ले ली (यानि इस रूपोशी के ज़माने में हिस्ने हसीन की दुआएं करता रहा) तो एक रात मुझे ख़्वाब में सारे नबियों के सरदार अलैहिस्सलातु वस्सलाम की ज़ियारत नसीब हुई। मैंने देखा कि मैं हुज़ूरे अक़्दस सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बायीं तरफ़ बैठा हुआ हूँ और गोया हुज़ूर अलैहिस्सलातु वस्सलाम मुझसे फ़रमाते हैंः कहो क्या चाहते हो? मैंने अर्ज़ किया, या रसूलुल्लाह! अल्लाह तआला से मेरे और तमाम मुसलमानों के लिए (इस किताब के ज़रिये तमाम मुसीबतों और आफ़तों से महफ़ूज़ रहने की दुआ फ़रमाईये, तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ के लिए अपने मुबारक हाथ उठाए। गोया मैं आपके मुबारक हाथों की तरफ़ देख रहा हूँ। फिर आपने दुआ फ़रमाई और दुआ से फ़ारिग़ होकर अपने मुबारक चेहरे पर हाथ फेरे। जुमेरात की शब में मैंने यह ख़्वाब देखा और इतवार की रात को दुश्मन (शहर की घेरेबन्दी छोड़कर) भाग गया।

अल्लाह तआला ने इस किताब में (जमाशुदा) रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम (की मुबारक ज़ुबान से निकले हुए) पाक बोल और मस्नून दुआओं (के पढ़ने) की बदौलत मुझ से और तमाम (बस्ती के) मुसलमानों से इस मुसीबत को दफ़ा फ़रमाया जो उम्मीद से परे थी। (हिस्ने हसीन दीबाचा पेज नम्बर 11 व 12)

ग़ुलामी में काम आती हैं शमशीरें न तदबीरें
हो ज़ौक़े यक़ीं पैदा तो कट जाती हैं ज़न्जीरें
कोई अन्दाज़ा कर सकता है उसके ज़ोरे बाज़ू का
निगाहे मर्दे मोमिन से बदल जाती हैं तक़दीरें
-अल्लामा इक़बाल रहमतुल्लाहि अलैह