आज हम *Dawah Psychology* में
1. Personal Attraction Point
2. Common Attraction Point और
3. Subconscious Mind के काम करने के तरीक़े की जानकारी देंगे।
3. Subconscious Mind के काम करने के तरीक़े की जानकारी देंगे।
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मेरी स्टडी और 30 साल के तब्लीग़ी फ़लाही अमल का ज़़ाती तजुर्बा यह है कि
हम लोगों से आमने सामने बातचीत करके, सोशल वेबसाइट्स पर पोस्ट और कमेंट करके अपने नज़रिए को दूसरे के दिल में नक़्श करते हैं/कर सकते हैं। इसके लिए हमें यह जानना ज़रूरी है कि इंसान का दिल (subconscious mind) कैसे काम करता है?
💓🌹💓
इंसान के सामने जो बात बार बार रिपीट होती है, वह उसके दिल में नक़्श हो जाती है,
चाहे वह ग़लत हो या सही।
इंसान के दिल में ग़लत और बुरी बात जमेगी तो वह भ्रम का शिकार रहेगा और लोगों से लड़ता रहेगा। जो लोग उसके काम आ सकते हैं, वह उन्हें अपने ख़िलाफ़ कर लेगा और वह नुक़्सान उठाएगा। उसके दिल में सच्ची और अच्छी बात जमेगी तो उसका मन शाँत रहेगा। वह लोगों से दोस्ती का बर्ताव करेगा और इससे उसका भला होगा।
💛💚💛
जब कोई बात किसी इंसान के सामने माँ बाप गुरू और लीडर जैसी उसकी मौतबर शख़्सितें बार बार और बहुत ज़्यादा दोहराती हैं तो वह उसे सच मान लेता है और
फिर वह बात उसका विश्वास और नज़रिया बन जाता है।
फिर वह बात उसका विश्वास और नज़रिया बन जाता है।
वह नज़रिया उसके subconscious mind का पैटर्न होता है। उस नज़रिए से उसकी सीमाएं (limitations) तय हो जाती हैं। अब उसके जीवन में उस नज़रिए के मुताबिक़ हालात ख़ुद जन्म लेते हैं और वह समझता है कि वह अपने हालात के सामने बेबस है।
इस तरह वह उस नज़रिए के तिलिस्म (Matrix) में क़ैद हो जाता है, जो दूसरों ने बार बार उसके सामने रिपीट करके उसके दिल में जमा दिया है।
वह इससे unconscious होता है कि वह दूसरों के नज़रिए का ग़ुलाम है और अगर वह अपने नज़रिए का ग़ुलाम न रहे बल्कि उसका मालिक बन जाए यानि अपने नज़रिए को सच्चा और अच्छा बना ले तो उसके हालात भी बदल जाएंगे।
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जब एक बच्चे के सामने बार बार किसी क़ौम के लिए नफ़रत, दुश्मनी और बदले की बात बचपन से दोहराई जाए तो यह बात उसकी धारणा (core belief) बन जाती है
और उसका दिल (subconscious mind) ख़ुद नेचुरली उस क़ौम के लिए उसकी धारणा (अक़ीदे) के मुताबिक़ उसके अंदर विचार, भावना, कर्म और अंजाम पैदा करता है। वह बात (कलिमा) नेचुरल तरीक़े से हालात के रूप में अपने ठीक वक़्त पर साकार हो जाती है।
एक आदमी दूसरे आदमी से, एक क़ौम दूसरी क़ौम से और एक देश दूसरे देश से लड़ने लगता है। इसीलिए आज लड़ाई जारी है और लोग मर रहे हैं। जिसका फ़ायदा थोड़े से धनपति, धर्म गुरू और राजनेता उठा रहे हैं। जब वे आपके दिल पर क़ब्ज़ा कर सकते हैं तो आप ख़ुद अपने दिल के पर काबू क्यों नहीं कर सकते?
एक आदमी दूसरे आदमी से, एक क़ौम दूसरी क़ौम से और एक देश दूसरे देश से लड़ने लगता है। इसीलिए आज लड़ाई जारी है और लोग मर रहे हैं। जिसका फ़ायदा थोड़े से धनपति, धर्म गुरू और राजनेता उठा रहे हैं। जब वे आपके दिल पर क़ब्ज़ा कर सकते हैं तो आप ख़ुद अपने दिल के पर काबू क्यों नहीं कर सकते?
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जब कोई इंसान अपने दिल की निगरानी नहीं करता तो दूसरे लोग उस पर क़ब्ज़ा जमा लेते हैं। वे उसमें अपने हित के अनुसार बातें जमा देते हैं। वे उसे अपने फ़ायदे के लिए लड़ने के लिए और अपना धन और अपनी जान देने के लिए तैयार कर लेते हैं। यह ज़हनी ग़ुलामी है।
यही ग़ुलामी इंसान के लिए बर्बादी (ویل) है। नाशुक्रे मुजरिम पापी के लिए यह नक़द जहन्नम (नर्क) है लेकिन ज़्यादातर लोग इसे पहचानते नहीं।
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मुबल्लिग़ दाई का काम इंसान को उसकी मौजूदा बर्बादी की वजह बताना और उसे बर्बादी से फ़लाह की तरफ़ बढ़ने की सीधी राह दिखाना है।
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सोशल मीडिया पर पोस्ट और कमेन्ट के ज़रिए एक दाई मुबल्लिग़ को यही काम अंजाम देना होता है।
💞
आप जितना ज़्यादा अपने पाठकों के मनोविज्ञान को समझेंगे,
उतना ज़्यादा आप उन्हें समझा पाएंगे कि उन्हें कैसे बुरे हालात में क़ैद किया गया है। तभी आप उन्हें क़ायल कर पाएंगे।वे अपना फ़ायदा देखकर आपकी बात मानेंगे।
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पौराणिक, आर्य समाजी, हिन्दुत्ववादी, ब्राह्मण, ठाकुर, बनिया, दलित, वामपंथी, कबीर पंथी, बच्चा, किशोर, जवान, बूढ़ा, क़ैदी, कुंवारी लड़की, शादीशुदा औरत, विधवा, तलाक़शुदा, नौकरीपेशा, गृहस्थन, अनपढ़, शिक्षित, मज़दूर, व्यापारी, किसान, फ़ौजी, अफ़सर, शायर, नेता, डाक्टर, रोगी
हिन्दी, पंजाबी, दक्षिण भारतीय और कान्वेंट एजुकेटिड,
इनमें से हरेक का मनोविज्ञान दूसरों से कुछ अलग है। हरेक को अलग बात में Attraction महसूस होता है।
और कुछ बातें सबके लिए बराबर attraction रखती हैं।
💓⭐💓
हम इन्हें
1. Personal Attraction Points और
2. Common Attraction Points कह सकते हैं।
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जब हम इन दोनों बातों को नज़र अंदाज़ करके एक लगे बंधे ढर्रे से सबको मैसेज देते हैं तो यह भी अपने अंदर एक अच्छी बात होती है लेकिन उसकी तरफ़ लोग कम आकर्षित होते हैं
और लोगों पर उनका पुराना नज़रिया ग़ालिब रहता है।
जब हम इन दोनों बातों को सामने रखकर लोगों को मैसेज देते हैं तो फिर उनका ख़ुद पर क़ाबू नहीं रहता और
वे माँ बाप गुरू और लीडर, हरेक की बात को पीछे डालकर आपकी बात को सच मान लेते हैं क्योंकि उन्हें उससे अपनी फ़लाह (कल्याण) का यक़ीन आ जाता है।
'मुझे कैसे नफ़ा होगा?' यह बात हरेक को अट्रैक्ट करती है। जो आदमी लोगों को नफ़े की बात बताता है, लोग उसे अपना गुरू बना लेते हैं। इस तरह वह रब के कुदरती क़ानून के तहत ज़मीन में जम जाता है। उसकी दावत भी लोगों के दिलों में जम जाती है।
'मुझे कैसे नफ़ा होगा?' यह बात हरेक को अट्रैक्ट करती है। जो आदमी लोगों को नफ़े की बात बताता है, लोग उसे अपना गुरू बना लेते हैं। इस तरह वह रब के कुदरती क़ानून के तहत ज़मीन में जम जाता है। उसकी दावत भी लोगों के दिलों में जम जाती है।
💓⭐💓
मैं Common Attraction Points में ऐसी बातें रखता हूँ, जो सबको आकर्षित करती हैं, जैसे कि
1. मैं कौन हूँ?
2. मैं क्यों पैदा हो गया?
3. मरने के बाद इंसान का क्या होता है?
4. ईश्वर अल्लाह कौन है और वह हमारे लिए क्या करता है?
5. मेरी भलाई किस काम में है और किन कामों से मुझे नुक़्सान पहुंच सकता है?
💓⭐💓
मैं Personal Attraction Points में वे बातें रखता हूँ, जिनकी तरफ़ एक आदमी अट्रैक्ट होता है और दूसरे नहीं होते। जैसे कि एक जवान और कुँवारी लड़की के दिल में यह सवाल होता है कि मुझे अच्छा पति कैसे मिलेगा?
जिन लड़कियों की शादी में दहेज या क़द और ख़ूबसूरती कम होने की वजह से देर हो रही है, उनके दिल में सवाल होता है कि मेरी शादी जल्दी कैसे हो?
जब आप उन्हें इसका जवाब देंगे तो वे अट्रैक्ट होंगी लेकिन एक बच्चे या एक बूढ़े को यह जवाब अट्रैक्ट नहीं कर सकता।
एक बच्चे को उसकी पसंद के खिलौनै या सायकिल पर बात करना अट्रैक्ट करेगा जबकि एक अफ़सर इस बात से अट्रैक्ट न होगा।
एक अफ़सर इस बात से अट्रैक्ट होगा कि वह अपनी पसंद की सीट कैसे पाए या अपने आला अफसरान को ख़ुद पर कैसे मेहरबान रखे।
ऐसे ही किसी ब्राह्मण को वेदों में अग्नि विषय पर और पौराणिक कथाओं पर बात करना, अल्लामा इक़बाल की मशहूर नज़्म 'इमामे हिन्द' सुनाकर उनके गुण गाना तुरंत अट्रैक्ट करेगा लेकिन यही बात दलित और वामपंथी लेखक को आपसे दूर कर देगी।
दलित और वामपंथी लेखकों को सामाजिक न्याय और आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी बात अट्रैक्ट करेगी।
एक किसान को फ़सल में बरकत और एक व्यापारी को ज़्यादा सेल और ज़्यादा नफ़ा कैसे हो?, यह बात अट्रैक्ट करेगी।
ऐसे ही हरेक इंसान को कोई अलग बात अट्रैक्ट करती है।
💓⭐💓
जब हम एक मुबल्लिग़ के रूप में बात करें तो अपने सामने वाले को Common Attraction Points के साथ उसके Personal Attraction Point पर जानकारी ज़रूर दें, जो सच हो और तुरंत भौतिक लाभ देती हो।
आप ध्यान देंगे तो आपको अल्लाह और उसके नबियों की दावत में ये दोनों बातें मौजूद मिलेंगी। देखें:
"और मैंने कहा, अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है, वह बादल भेजेगा तुमपर ख़ूब बरसनेवाला, और वह माल और बेटों से तुम्हें बढ़ोतरी प्रदान करेगा, और तुम्हारे लिए बाग़ पैदा करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रवाहित करेगा।"
---पवित्र क़ुरआन 71:11-13
💓⭐💓
एक बुनियादी उसूल
मैं Common Attraction Points में ऐसी बातें रखता हूँ, जो सबको आकर्षित करती हैं, जैसे कि
1. मैं कौन हूँ?
2. मैं क्यों पैदा हो गया?
3. मरने के बाद इंसान का क्या होता है?
4. ईश्वर अल्लाह कौन है और वह हमारे लिए क्या करता है?
5. मेरी भलाई किस काम में है और किन कामों से मुझे नुक़्सान पहुंच सकता है?
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मैं Personal Attraction Points में वे बातें रखता हूँ, जिनकी तरफ़ एक आदमी अट्रैक्ट होता है और दूसरे नहीं होते। जैसे कि एक जवान और कुँवारी लड़की के दिल में यह सवाल होता है कि मुझे अच्छा पति कैसे मिलेगा?
जिन लड़कियों की शादी में दहेज या क़द और ख़ूबसूरती कम होने की वजह से देर हो रही है, उनके दिल में सवाल होता है कि मेरी शादी जल्दी कैसे हो?
जब आप उन्हें इसका जवाब देंगे तो वे अट्रैक्ट होंगी लेकिन एक बच्चे या एक बूढ़े को यह जवाब अट्रैक्ट नहीं कर सकता।
एक बच्चे को उसकी पसंद के खिलौनै या सायकिल पर बात करना अट्रैक्ट करेगा जबकि एक अफ़सर इस बात से अट्रैक्ट न होगा।
एक अफ़सर इस बात से अट्रैक्ट होगा कि वह अपनी पसंद की सीट कैसे पाए या अपने आला अफसरान को ख़ुद पर कैसे मेहरबान रखे।
ऐसे ही किसी ब्राह्मण को वेदों में अग्नि विषय पर और पौराणिक कथाओं पर बात करना, अल्लामा इक़बाल की मशहूर नज़्म 'इमामे हिन्द' सुनाकर उनके गुण गाना तुरंत अट्रैक्ट करेगा लेकिन यही बात दलित और वामपंथी लेखक को आपसे दूर कर देगी।
दलित और वामपंथी लेखकों को सामाजिक न्याय और आर्थिक सुरक्षा से जुड़ी बात अट्रैक्ट करेगी।
एक किसान को फ़सल में बरकत और एक व्यापारी को ज़्यादा सेल और ज़्यादा नफ़ा कैसे हो?, यह बात अट्रैक्ट करेगी।
ऐसे ही हरेक इंसान को कोई अलग बात अट्रैक्ट करती है।
💓⭐💓
जब हम एक मुबल्लिग़ के रूप में बात करें तो अपने सामने वाले को Common Attraction Points के साथ उसके Personal Attraction Point पर जानकारी ज़रूर दें, जो सच हो और तुरंत भौतिक लाभ देती हो।
आप ध्यान देंगे तो आपको अल्लाह और उसके नबियों की दावत में ये दोनों बातें मौजूद मिलेंगी। देखें:
"और मैंने कहा, अपने रब से क्षमा की प्रार्थना करो। निश्चय ही वह बड़ा क्षमाशील है, वह बादल भेजेगा तुमपर ख़ूब बरसनेवाला, और वह माल और बेटों से तुम्हें बढ़ोतरी प्रदान करेगा, और तुम्हारे लिए बाग़ पैदा करेगा और तुम्हारे लिए नहरें प्रवाहित करेगा।"
---पवित्र क़ुरआन 71:11-13
💓⭐💓
एक बुनियादी उसूल
जो बात सच हो
तुरंत भौतिक लाभ देती हो
बार बार दोहराई जाती हो
और उस तरीक़े से कामयाबी पाने वालों के वाक़यात भी सामने हों तो सुनने वाला उसे ज़रूर मानता है।
अल्हम्दुलिल्लाह!
💛💖💛
हम पोस्ट और कमेन्ट में इन बातों का ध्यान रखें तो हम अपनी बात अपने पाठकों के दिल में नक़्श कर सकते हैं।
🌱⭐🌱
यह एक बुनियादी रहनुमा उसूल है।
इसके अलावा कुछ ख़ास उसूल भी होते हैं,
जैसे कि
🌞🌞🌞🌞
कोई नर्म और मददगार इंसान हो तो
उसके अच्छे कामों की तस्दीक़ और तारीफ़ से काम लिया जाएगा और फिर बात की जाएगी।
इल्मी तकब्बुर (ज्ञान-अहंकार) वाले किसी आर्य समाजी विचारक पर यह तरीक़ा काम न देगा, जो अल्लाह, क़ुरआन और सब धर्मों की मज़ाक़ उड़ाता हो। अपनी नज़र में सबसे बड़ा ज्ञानी वह ख़ुद है। जब तक आप उसके तकब्बुर को पहले चूरा और फिर पाउडर न बना दें, वह आपको अपने से नीच और मूर्ख समझता रहेगा।🌞🌞🌞🌞
किसी और को दूसरी तरह झिंझोंड़ डालना भी आपके मैसेज पर अट्रैक्ट कर सकता है ताकि वह हर वक़्त अपने मन में आपसे लड़ता रहे।
इससे आप उसके मन में समा जाते हैं और वह हर वक़्त आपकी फ़िक्र पर तवज्जो जमाए रखता है।
...और वह चीज़ उसके वुजूद में बढ़ने लगती है,
जिस पर वह ज़्यादा ध्यान देता है।
💓
वह बार बार FB Wall पर या Blog पर आकर आपके लेख पढ़ता है ताकि आपकी कमी पकड़ कर आपको हराए।
या
वह दूसरी जगह से इस्लाम के बारे में पढ़ता है ताकि आपसे बहस कर सके।
इस तरह इस्लाम के बारे में वह लगातार अंधेरे से उजाले की तरफ़ सफ़र करता है।
अल्हम्दुलिल्लाह।
🍏💕🍏
इन सब लोगों से सोशल वेबसाइट्स पर बात करते हुए मैं अपने और दूसरे के कुछ लिंक्स ज़रूर छोड़ता हूँ क्योंकि वह उन्हें जाँचने की नीयत से ज़रूर पढ़ेगा। उसके अलावा उस पोस्ट पर आने वाले दूसरे बहुत से लोग भी उन्हें पढ़ते हैं।
हर आदमी के दिल कुछ नया देखने और छिपे हुए को देखने का जज़्बा होता है।
मुहब्बत का चश्मा कैसे पहनाएं?
जो लोग आज सोशल वेबसाइट्स पर इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत फैला रहे हैं या ऐतराज़ कर रहे हैं, वे नफ़्सियाती मर्ज़ (psychosocial disorders) के शिकार हैं। उन पर कोई लाजिकल जवाब असर नहीं करेगा क्योंकि उनका दिल (subconscious mind) नफ़रत और दुश्मनी की वजह से उसे क़ुबूल नहीं करता। उनके दिल में बचपन से जमे हुए नफ़रत और दुश्मनी के अक़ीदों को बदलकर मुहब्बत और दोस्ती के विचारों को जमाना ज़रूरी है। तब वे उन सवालों को छोड़ देंगे, जिनका सोर्स नफ़रत थी।
ज़्यादातर मुबल्लिग़ सवालों का लाजिकल जवाब देते रहते हैं लेकिन वे उसके सोर्स को ज्यों का त्यों छोड़ देते हैं। जिससे उनके दिलों में वैसे सवाल लगातार उठते रहते हैं।
जब आप ऐसे किसी मनोरोगी को
किसी मुसीबत का हल बताते हैं या
कोई दुनियावी फ़ायदा उठाने या
मन की मुराद पाने का तरीक़ा बताते हैं तो वह थोड़ी देर के लिए सारी नफ़रत और दुश्मनी को एक तरफ़ कर देता है और आपकी बात सुनता है। जब वह बार बार ऐसा करता है तो उसकी नफ़रत और दुश्मनी कमज़ोर पड़ने लगती है। उसके दिल में आपकी मुहब्बत बढ़ने लगती है।
जब आप उसे दिल (subconscious mind) के काम करने का तरीक़ा बताते हैं तो वह पूरी तरह समझ जाता है कि उसके दिल में क्या ख़राबी थी और वह कैसे आ गई थी?
अब वह नफ़रत और दुश्मनी की क़ैद से रिहा हो सकता है। अब वह अपना दिल और अपना नज़रिया बदल सकता है। अब वह आपको और इस्लाम को मुहब्बत के चश्मे से देख सकता है। मुहब्बत का नज़रिया मुहब्बत का चश्मा है। इस्लाम का मुबल्लिग़ वहीं है जो दुश्मनों को मुहब्बत का चश्मा पहना सके।
इन सब लोगों से सोशल वेबसाइट्स पर बात करते हुए मैं अपने और दूसरे के कुछ लिंक्स ज़रूर छोड़ता हूँ क्योंकि वह उन्हें जाँचने की नीयत से ज़रूर पढ़ेगा। उसके अलावा उस पोस्ट पर आने वाले दूसरे बहुत से लोग भी उन्हें पढ़ते हैं।
हर आदमी के दिल कुछ नया देखने और छिपे हुए को देखने का जज़्बा होता है।
जो लोग आज सोशल वेबसाइट्स पर इस्लाम के ख़िलाफ़ नफ़रत फैला रहे हैं या ऐतराज़ कर रहे हैं, वे नफ़्सियाती मर्ज़ (psychosocial disorders) के शिकार हैं। उन पर कोई लाजिकल जवाब असर नहीं करेगा क्योंकि उनका दिल (subconscious mind) नफ़रत और दुश्मनी की वजह से उसे क़ुबूल नहीं करता। उनके दिल में बचपन से जमे हुए नफ़रत और दुश्मनी के अक़ीदों को बदलकर मुहब्बत और दोस्ती के विचारों को जमाना ज़रूरी है। तब वे उन सवालों को छोड़ देंगे, जिनका सोर्स नफ़रत थी।
ज़्यादातर मुबल्लिग़ सवालों का लाजिकल जवाब देते रहते हैं लेकिन वे उसके सोर्स को ज्यों का त्यों छोड़ देते हैं। जिससे उनके दिलों में वैसे सवाल लगातार उठते रहते हैं।
जब आप ऐसे किसी मनोरोगी को
किसी मुसीबत का हल बताते हैं या
कोई दुनियावी फ़ायदा उठाने या
मन की मुराद पाने का तरीक़ा बताते हैं तो वह थोड़ी देर के लिए सारी नफ़रत और दुश्मनी को एक तरफ़ कर देता है और आपकी बात सुनता है। जब वह बार बार ऐसा करता है तो उसकी नफ़रत और दुश्मनी कमज़ोर पड़ने लगती है। उसके दिल में आपकी मुहब्बत बढ़ने लगती है।
जब आप उसे दिल (subconscious mind) के काम करने का तरीक़ा बताते हैं तो वह पूरी तरह समझ जाता है कि उसके दिल में क्या ख़राबी थी और वह कैसे आ गई थी?
अब वह नफ़रत और दुश्मनी की क़ैद से रिहा हो सकता है। अब वह अपना दिल और अपना नज़रिया बदल सकता है। अब वह आपको और इस्लाम को मुहब्बत के चश्मे से देख सकता है। मुहब्बत का नज़रिया मुहब्बत का चश्मा है। इस्लाम का मुबल्लिग़ वहीं है जो दुश्मनों को मुहब्बत का चश्मा पहना सके।
तब्लीग़े दीन का काम नफ़्सियाती इलाज (Psychological treatment) करने जैसा नहीं है बल्कि
नफ़्सियाती इलाज करना ही है।
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ज़्यादातर लोग दिल (अक़ीदे और नज़रिए) के मरीज़ हैं।
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दिल (के नज़रिए) को बदलना मक़सूद (Goal) है।
क़ल्बे सलीम मक़सूद (Goal) है।
इसी से फ़लाह और कल्याण है।
🍎🍏🍎
इसके लिए हमें सच्ची और अच्छी बातों को, रब की अनंत क़ुदरत को और उसके क़ुदरती नियमों को बार बार रिपीट करते रहना है ताकि वे हमारे दिल में जम जाएं और जो हमसे सुनें, उनके दिल में भी नक़्श हो जाएं।
जैसा नक़्शा (blueprint) होगा, आपकी ज़िन्दगी वैसी ही होगी।
इसलिए आपके अंदर एक रब की जो पहचान दर्ज हैं उस पर फ़ोकस करें, उसमें मुहब्बत, माफ़ी, मदद और शुक्र जैसे अच्छे गुणों को डेवलप करें। आपका नक़्श अच्छा बनेगा।
आपके अपने अंदर एक किताब पोशीदा है, जिसे किताबे मक्नून कहेंगे। आप उस किताब को अच्छा लिखें। आप आज भी उसे पढ़ सकते हैं, जिसे आप कल पढ़ेंगे।
وَكُلَّ إِنسَانٍ أَلْزَمْنَاهُ طَائِرَهُ فِي عُنُقِهِ ۖ وَنُخْرِجُ لَهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ كِتَابًا يَلْقَاهُ مَنشُورًا ﴿١٣﴾اقْرَأْ كِتَابَكَ كَفَىٰ بِنَفْسِكَ الْيَوْمَ عَلَيْكَ حَسِيبًا ﴿١٤
हमने प्रत्येक मनुष्य का शकुन-अपशकुन उसकी अपनी गरदन से बाँध दिया है और क़ियामत के दिन हम उसके लिए एक किताब निकालेंगे, जिसको वह खुला हुआ पाएगा। पढ़ ले अपनी किताब (कर्मपत्र)! आज तू स्वयं ही अपना हिसाब लेने के लिए काफ़ी है।"
-पवित्र क़ुरआन 17:13-14
وَكُلَّ إِنسَانٍ أَلْزَمْنَاهُ طَائِرَهُ فِي عُنُقِهِ ۖ وَنُخْرِجُ لَهُ يَوْمَ الْقِيَامَةِ كِتَابًا يَلْقَاهُ مَنشُورًا ﴿١٣﴾اقْرَأْ كِتَابَكَ كَفَىٰ بِنَفْسِكَ الْيَوْمَ عَلَيْكَ حَسِيبًا ﴿١٤
हमने प्रत्येक मनुष्य का शकुन-अपशकुन उसकी अपनी गरदन से बाँध दिया है और क़ियामत के दिन हम उसके लिए एक किताब निकालेंगे, जिसको वह खुला हुआ पाएगा। पढ़ ले अपनी किताब (कर्मपत्र)! आज तू स्वयं ही अपना हिसाब लेने के लिए काफ़ी है।"
-पवित्र क़ुरआन 17:13-14