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Sunday, September 30, 2018

फ़लाह और कल्याण का Universal Law क्या है?

*फ़लाह की सलाह*
Dr. Anwer Jamal
🌹💖🌹
“शुक्र और तारीफ़” का तरीक़ा फ़लाह और कल्याण पाने का “बिलकुल सीधा” तरीक़ा है.
ईश्वर अल्लाह ने सूरह फ़ातिहा के ज़रिए सारे जिन्न व इन्सानों की नाशुक्री की इस सबसे बड़ी नफ़सियाती बीमारी (psychological Disorder)
का इलाज किया है.
नाशुक्री से ही आर्थिक, सामाजिक और पारिवारिक और सारे पहलुओं में ख़राबी आकर 'अज़ाब' यानी कष्ट होता है.
🌿📈🌿
यह रब का क़ानून ए क़ुदरत है.
यह हमेशा से है और यह हमेशा क़ायम रहता है.
कोई भी नाशुक्री करके अजाब से बच नहीं सकता और जो शुक्र करता है वह फ़लाह यानि कल्याण ज़रूर पाता है.
👑
पवित्र क़ुरआन शुक्र की तालीम से भरा हुआ है.
ईश्वर अल्लाह ने बन्दों को अपनी नेमतों पर ध्यान देने और शुक्र करने के लिए बार बार कहा है.
📗
Allama ibne Qayyim ने शुक्र और सब्र पर एक पूरी किताब लिखी है.
यह इंटरनेट पर फ़्री मिलती है.
शुक्र दिल की एक कैफ़ियत है, एक mental attitude है.
जब इंसान का फ़ोकस “मेरे पास रब की नेमतें हैं” पर होता है तो वह शुक्र की कैफ़ियत में होता है और जब उसका फोकस “नहीं है” पर होता है तो वह अपने दिल में नाशुक्री करता है.
फिर यही उसका attitude बन जाता है.
हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है कि
इसलिये ध्यान से सुनो क्योंकि जिसके पास 'है' उसे और भी दिया जायेगा और जिसके पास 'नहीं है', उससे जो उसके पास दिखाई देता है, वह भी ले लिया जायेगा।”
(लूका की इंजील 8:18)

सब धर्मों के लोगों को कष्टों से मुक्ति के लिए शुक्र की तालीम देनी ज़रूरी है.
शुक्र से ही फ़लाह (wellness) होती है.
यही वेलनेस एजुकेशन है.
इसी की तालीम देने के लिए सारे नबी आए और ज्ञान आया. सबसे आख़िर में पवित्र क़ुरआन उतरा.
पवित्र क़ुरआन सुनने के लिए और फ़ातिहा पढ़ने के लिए सबको पाँच बार रब पुकारता है-
हय्या अलल फ़लाह 
आओ कल्याण पाओ

मस्जिदें सिर्फ़ मुस्लिमों के कल्याण के लिए नहीं बल्कि सबके कल्याण के लिए बनाई गयी थीं.
मस्जिदें मानव जाति के लिए कल्याण केंद्र हैं, जहाँ सबको wellness education दी जाती थी और दी जानी चाहिए.
पहला सबक़ सबको शुक्र का दिया जाए ताकि
सबके कष्ट दूर हों.
💚
जो लोग मस्जिद तक नहीं आते, उनके पास जाकर उन्हें मुहब्बत के साथ 'फ़लाह की सलाह' देने का नाम दावत और तब्लीग़ है।
💖
इस अमल से ख़ुद हमारी ख़ुदी बुलन्द होती है और ख़ुद हमें भी फ़लाह नसीब होती है।
क्योंकि *Universal Law* यह है कि हम जैसा बोते हैं, वैसा काटते हैं.

हम जिस नीयत से जो काम दूसरों के साथ मन, वचन और शरीर से करते हैं, वह अपने ठीक वक़्त पर ख़ुद हमारी ज़िन्दगी में वाक़ै (घटित) हो जाता है।
दुनिया की कोई भी ताक़त ऐसा होने से रोक नहीं सकती.
आप अपनी ज़िन्दगी में अच्छी चीज़ें पाना चाहते हैं तो आप दूसरों को अच्छी चीज़ें दें।
दूसरों को अच्छी सलाह दें.
दूसरों की अच्छे कामों में मदद करें.

Saturday, September 22, 2018

Ved ke Baare me Hazrat Maulana Shams Navaid Usmani rahmatullahi alaih Ke Sahi Aqeede Ka mukhtasar bayan

*Dawah Psychology*
🌹🌹🌿🕋🌿🌹🌹
कल 20.09.2018 को हमसे भाई ख़ुर्शीद इमाम ने एक सवाल पूछा, जो दावते दीन से मुताल्लिक़ है। वह सवाल हम अपने जवाब के साथ यह आपके साथ शेयर कर रहे हैं। अगर आप उस पर कुछ लिखना चाहें तो हमारी फ़ेसबुक पोस्ट पर लिखने की मेहरबानी करें ताकि एक मुद्दे पर सबकी राय एक जगह जमा हो जाए और उससे ज़्यादा दाईयों को फ़ायदा मिले। पोस्ट का लिंक नीचे है।
🌿⚖🌿
sawal:
Assalam u alaikum Anwar bhai. Ek bhai ne Mujhse poocha hai ki Anwar bhai VED ko khudai kalaam nahi maante - ispe  maine apne vichar rakhun.
Main apne vichar rakhne se pehle zaruri samajhta hun ki aapka muaqif kya hai ispe. behtar hoga agar audio me respond karen.
🌹🕋🌹
Jawab:
W alykum Assalam
Bhai Khursheed Imam!
🌿💚🌿
Aapke sawal ke jawab me is WhatsApp message me mukhtasar taur par yh arz hai ki
Aap jaante Hain ki
Vedon ko kya manna hai ?
Yh Maine Apne Ustad Maulana Shams Navaid Usmani rahmatullahi alaih se seekha hai.
🌿💚🌿
Hazrat Maulana Usmani rh. ne Ved ki bahut zyada gahri study ki thi.
🌿💚🌿
*Agar ab bhi na jaage to...'* men unki kuchh buniyadi baaten aa gayi hain lekin jitni baaten Woh Apni zubaan se Apni Majlis me Apne shagirdo ko batate the,
Woh bahut zyada baaten thin.
💚
Haqiqat yh hai ki
Hazrat Maulana rh. ki ek ek Majlis ko bhi lafz ba lafz record Kiya jata to har Majlis ek mukammal book ban jaati.
📚📚📚
Is tarah books Ka dher lag jata.
Jo uloom Woh bataya karte the,
Woh bas unki hi khasiyat thi.
Woh uloom aur Woh marifat Maine phir Kisi bade se bade aalim ki zubaan se aaj tak bhi na sune.
💚🌿💚
Woh sab uloom unke saamne record Nahi ho paaye aur zyadatar hissa ab unke shagirdon ke mind me hi save hai.
Jise Hazrat Maulana rh. ki Tarah bayan Karne ki Qudrat bhi Kisi shagird me Nahi hai.
🌿💚🌿
Maulana ek munfarid shakhsiyat the.
Unke ek ek lafz me bahut gahraaee thi.
Ek lafz ke farq ki taalim dekar Maulana Momin ko apne *aqeede* ki hifazat Karna sikhaate the.
Alhumdulillah!
🌹🌹🌹🌹
Iski ek umda Misaal Ved ke baare me unka Qaul hai, Jo Aapke sawal Ka umda jawab bhi hai.
Alhumdulillah!!
🌹🕋🌹
Maulana Baar Baar Kaha karte the aur 'Agar Ab bhi na jaage to...' book ke publish hone ke baad to Maulana bahut zor aur taakeed ke sath kahte the ki
*Ved kalam e ilahi nhi Hai.*
*Balki Vedon me kalam e ilahi hai.*
🌹🌿🌹

Waqt guzarne ke sath Jaise Jaise main Sanatani aur Arya Samaji; Vedic Literature ki zyada se zyada study karta Gaya.
Waise waise unke Qaul ki Sadaqat aur Ehmiyat mujh par aur zyada wazeh hoti gayi.
💚
Ho Sakta hai ki aam logo ko yh Baat mamuli lage
Lekin is Qaul me bahut gahraayi hai aur gumrahi se Momino aur Daeeyon Ka bachaw bhi hai.
🌹🌿🌹
Vedon ke baare me Mera Aqeeda bhi wohi hai Jo mere Ustad Hazrat Maulana Shams Navaid Usmani rh. Ka tha.
🌿👑🌿
Mere tamam articles ko isi aqeede se jodkar dekhne ki meharbani Karen.
🍇🌹🍇
Aapka Shukriya!

Friday, September 21, 2018

Dawah Psychology से पाएं अपनी बुरी आदतों से आज़ादी

Assalamu aleykum! Good morning!!
Aapsey nivedan hai please mujhey yeh feedback dijiye ya yeh poori imaandari se bataiye ki mai kaisa hu? Merey andar kya kamiya hai? Mujhme kya khoobiya hai? Mujhey apney andar kya sudhaar laaney chaahiye aur kin baato me aur izaafa karu? Mujhey duniya aur aakhirat ka ek kaamyab insan banna hai isliye mai aapsey apney baarey me pooch raha hu kyunki mainey ek aalim ko suna to unhonne 10 points kaamyabi ke bataye unmey se ek point yeh bhi tha ki aap khudkey baarey me doosro se jaaniye unsey feedback lijiye. Aapkey jawab ka muntazar.
-DR. Amir Masood khan
💚
W alykum Assalam! अल्लाह ने क़ुर'आन में अधिकतर लोगों को जाहिल कहा है क्योंकि उन्होंने अपने नफ़्स की ख़्वाहिशों और वासनाओं को अपना इलाह और हाकिम बना रखा है और वे ख़ुद उनके फ़रमाँबरदार ग़ुलाम बने हुए हैं। यह जहालत का काम है कि ग़ुलाम को हाकिम बनाकर हाकिम ख़ुद उसका ग़ुलाम बन जाए।
ऐसे लोग जब हमें देखकर राय बनाते हैं तो वे हमेशा ग़लत राय बनाते हैं।
Higher State of Mind वाले लोग दुनिया के पैमाने में ख़ुद को नहीं ढालते बल्कि वे अपने असल मक़सद को पहचानते हैं।
मिस्र के मशहूर आलिम और अदीब शैख़ अली तन्तावी रहमतुल्लाहि अलैह एक जगह बड़ी क़ीमती बात कहते हैं।
शैख़ तन्तावी फ़रमाते हैं:
जो लोग हमें नहीं जानते उनकी नज़र में हम आम हैं।

जो हम से हसद (jealousy) रखते हैं उनकी नज़र में हम मग़रूर हैं।

जो हमे समझते हैं उनकी नज़र में हम अच्छे हैं।

जो हमसे मुहब्बत करते हैं उनकी नज़र में हम ख़ास हैं।

जो हमसे दुश्मनी रखते हैं उनकी नज़र में हम बुरे हैं।

हर शख़्स का अपना एक अलग नज़रिया और देखने का तरीक़ा है।

लिहाज़ा दूसरों की नज़र में अच्छा बनने के पीछे अपने आप को मत थकाइये।

अल्लाह आप से राज़ी हो जाए यही आप के लिए काफ़ी है।

लोगों को राज़ी करना ऐसा मक़सद है जो कभी पूरा नहीं हो सकता,

अल्लाह को राज़ी करना ऐसा मक़सद है जिस को छोड़ा नहीं जा सकता,

तो जो चीज़ मिल नहीं सकती उसे छोड़ कर वह चीज़ पकड़िये जिसे छोड़ा नहीं जा सकता !!

Allah ko raazi Karna hai to Aap khud ko Apne nafs ki khwahishon par Hakim Bana Len. Allah aapko Aazaad Dekh Kar aapse razi ho jaayega.
Allah aapse Razi ho Jayega to Aapke Saare kaam bante chale jayenge.
🏇🏻
Aap Iske liye sirf ek kaam Kar len to aapki do tihayi kamiyan Khatm ho jayengi kyonki ek Kami se dusri Kami paida Hoti hai. Jab aap ek Kami ki jagah khuoobi rakhte Hain to ek khoobi se doosri khoobi paida Hoti hai.

Apne ghusse par Qabu paayen aur khamoshi ikhtiyar Karen.
Aap Is ek point par Saal Bhar Amal Karen.
Isse Aapke andar wh 'shu'oor' paida Hoga,
Jo Allah aapme, Apne har Bande me dekhna Chahta hai.
🍇🌿🍇
*ग़ुस्सा न कर* -हदीस

एक बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता  हुआ एक सांप  घुस आया .दुकान में सांप की दिलचस्पी की कोई चीज़ नहीं थी , उसका जिस्म वहां पड़ी आरी  से टकरा कर मामूली सा ज़ख़्मी हो गया, घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी क़ूव्वत के साथ हमला कर दिया,सांप के मुंह से खून बहना शुरू हो गया,
इस बार सांप ने अपनी सोच के मुताबिक़ आरी को लपेट कर उसे घोंट कर मारने की कोशिश करने लगा।
दूसरे  दिन दुकानदार ने दुकान खोली तो एक सांप मुर्दा पाया जो किसी और वजह से नहीं , बल्कि खुद के महज तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था.

‎बाज़ वक़्त हम अपने गुस्से में दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं मगर वक़्त गुज़रने के बाद हमें पता चलता है के हम ने अपना ही ज़्यादा नुकसान कर डाला है , अच्छी ज़िन्दगी के लिए बाज़ वक्त हमें
कुछ चीज़ों को
कुछ लोगों को
कुछ हादसों को
कुछ यादों को
कुछ कामों को
कुछ बातों को
नज़र अंदाज़ करना चाहिए
उन्हें माफ़ करना चाहिए

अपने आप को माफ़ करने का आदी बनाना चाहिए.
जरूरी नहीं कि हम हर एक्शन पर रिएक्शन  दें.
हमारे कुछ रिएक्शन हमें सिर्फ़ नुक़सान ही नहीं देते बल्कि हमें बर्बाद भी कर सकते हैं।
हमारा रिएक्शन ज़ेहनी बर्बादी का शिकार बना सकता है, वक्त की बर्बादी , सोच की बर्बादी , मंज़िल की बर्बादी का सबब बन सकता है !!!
*Dawah Psychology* के मुताबिक़ इन से बचने के लिए सब से बड़ी क़ूव्वत और ताक़त है, सब्र और माफ़ी !!!
सब्र और माफ़ी की आदत वालों पर ग़ुस्सा काबू नहीं कर पाता।
🌹🕋🌹
शुक्रिया!

Sunday, September 16, 2018

The Most Logical Answer to Atheists जो कर दे बोलती बन्द

हरेक नास्तिक जब मुझे ईश्वर और धर्म को छोड़ने की सलाह देता है तो मैं उससे एक ऐसी बात कहता हूँ, जिस पर वह चुप हो जाता है। साम्यवादी और समाजवादी विचारधारा के नास्तिक भी चुप रह जाते हैं। यह दलील उन्होंने पहले कभी सुनी ही नहीं होती।
सच्चा वाक़या
फ़ेसबुक पर नीर गुलाटी एक समाजवादी विचारधारा के नास्तिक हैं। उन्होंने हमारी एक पोस्ट पर जो कमेंट दिया, आप उस पर हमारा जवाब पढ़िए:

नीर गुलाटी: पोस्ट अच्छी है. यदि अल्लाह का हवाला न भी देते तो भी अच्छी ही रहती. मेरी आज की पोस्ट पढ़िए यही प्रश्न उठाया है. की साहित्य और धरम की स्थापित परम्पराओं को तोड़े बगैर सामाजिक चिंतन विज्ञानं नहीं हो सकता.

जवाब: Neer Gulati जी, पोस्ट की सराहना के लिए शुक्रिया।
आपकी दावत पर मैं ने आपकी पोस्ट पढ़ी। उसके अन्त में आपने लिखा है कि 'यदि भारतीय दर्शन को और मार्क्सवाद को भी वैज्ञानिक होना है तो उसे सहित्य और धर्म द्वारा स्थापित परम्पराओं से बाहर आना ही होगा'
मैं पूर्ण आदर के साथ यह कहना चाहूंगा कि आप स्वयं धर्म द्वारा स्थापित परम्परा से बाहर नहीं आ पाए हैं तो आपकी सलाह पर दूसरा क्यों बाहर आ जाए?
प्रमाण: आप आज भी बाप बेटी और बहन भाई के 'रिश्तों की पवित्रता' की परम्परा का पालन करते होंगे जो कि धर्म ने निर्धारित की है।
यह पवित्रता का भाव हमें ईश्वर अल्लाह देता है, जो हमें इंसान बनाती है। जो इस परम्परा से बाहर निकल गया, वह फिर पशु है।
इसलिए ईश्वर अल्लाह का नाम लेना और उसका शुक्र करना ज़रूरी है।
/////////
एक दूसरे नास्तिक विचारक को हमने इन अल्फ़ाज़ में यह बात कही:
मेरा आपकी विचारधारा पर यह सवाल है कि
क्या नास्तिकता माँ बेटे और भाई बहन के रिश्तों की पवित्रता सिखा सकती है,
जो हर इंसान की अनमोल पूँजी है?
यह पूँजी सिर्फ़ दीन धर्म देता है,
जिसे नास्तिक भी लेता है और उसे निभाता है.
रिश्तों की पवित्रता निभाने वाले नास्तिक हक़ीक़त में नास्तिक नहीं केवल पाखंडी हैं.
//////
रिश्तों की पवित्रता की दलील के सामने हरेक नास्तिक सिर झुका कर चुप हो जाता है।

Saturday, September 15, 2018

jaisi Karni waisi bharni Explained By Dr. Anwer Jamal


Ek question hai...uncle...ki Allah ne ye duniya banayi aur Kaha jata hai jaisa hum karte hai vaisa hi hame milta hai.
matlab Jaise amaaal hum karte hi vaisa hi hamere Saath future Mai HOTA hai. Jaise agar hum Apne MAA baap ke Saath Bura sulook karenge t hamare bachhe hamare Saath Bura karenge ......Jaise Maine Bura sulook Kiya Apne MAA baap k Saath to mere bachhe mere Saath waisa hi karenge aur phir unke bachhe unke Saath. ..to agar mere bachhe mere Saath Bura sulook Kar rahe hain to vo to Allah Ka kahna maan rahe hain kyuki Allah unke zariye mujhe saza dena chata hai par kal phir Allah unke bachhon ko ye hukm dega ki inke Saath Bura Karo kyonki isne Apne MAA BAAP ko sataya tha...so Allah ye silsila khatam kyun nhi Kar deta?
-Faisal
Jawab: Insan ko Janna Chahiye ki
Allah ne insan ko uski zindgi me bhalai aur burayi ke selection ki azadi di hai ki Jo bhi wo Apne liye select karega use wohi milega.
Agar Woh Apne liye bhalayi Chahta hai to use apne Dil me Ek bhala insan banna Hoga aur Bhali baat kahni hogi aur bhale kaam Karne honge. Jab Woh Apne andar aur bahar ki zindgi me bhala Hoga to Uske kaamo Ka anjaam bhi bhala Hoga.
Agar Woh iske khilaf karta hai to use apne bure kamo Ka Bura natija milega. Jisse Woh Bach nhi Sakta.
Ab agar Kisi ne Apne MAA BAAP ko Dekha ki Woh Apne parents ke sath Bura bartaw Kar rahe Hain to wh aadmi Allah ki taraf se majboor Nahi hai ki Woh zuroor Apne MAA BAAP ke sath Bura bartaw kare.
Use bhi bhalayi aur burayi me selection ki azadi hai. Jab Woh Apne liye bhalayi select karega aur Apne MAA BAAP ke sath achcha bartaw karega to Woh burayi ke us silsile ko wahin kaat dega. Woh aage  Apni aulaad se achcha bartaw payega. Uske MAA BAAP ko unke bure kamo Ka badla Allah Kisi dusri Aulad se dilwa dega ya koi aur shakl Bana dega.
Allah Chahta hai ki Zameen se burayi Ka ye silsila khatm ho. Isiliye usne Nabi bheje aur logo ko bhalayi aur burayi ki tameez sikhayi aur hamesha Bhalayi ko select Karne aur sabke sath bhalayi Karne Ka hukm Diya.
Islam ki Tabligh Ka maqsad logo ko burayi se bachne aur bhale kaam Karne ki
inspiration aur training dena hi hai. Isi kaam se Duniya peaceful aur joyful hogi.
Allah Chahta to Apne hukm se sab logo ko farishto jaisa Bana deta lekin usne insan ko farishto se alag banaya hai Taki Allah ke insaf Karne ki aur uski maafi aur maghfirat ki sifaten bhi zahir hon. Yh tab Hoga jab log Bura Karen. Unme se Jo Tauba aur islah karega, Allah use maafi aur maghfirat dega aur Jo aisa na karega Woh waisa hi phal payega, Jaisa Amal usne Kiya tha.

Allah ne Momin ko Apna naam 'Momin' Diya hai Taki Allah Hamare zariye sabko AMN (PEACE) de. Koi Aapke sath Bura kare to bhi aap Uske sath jawab me Bura Kar sakte Hain aur aap chahen to use maaf karke Uske sath achcha Amal Kar sakte Hain.
Allah ne yh Duniya Apni khubiyon ko zahir Karne ke liye banayi hai.
Hame Chahiye ki ham Apne Amal se Allah ki khubiyon ko zahir Karen.
Jab ham Kisi ko maaf karte Hain aur Kisi ki buri baton ko dhakte Hain to hamse Allah ki khoobi zahir Hoti hai kyonki maaf Karna aur logon ki burayi dhakna (maghfirat) Haqiqat me Allah ki khoobiyan Hain. Jo Aadmi Allah ki zyada se zyada khubiyan is Duniya me zahir karega, Woh Allah ke utne zyada qareeb ho Jayega.
Jab zyada se zyada log Allah ki zyada se zyada khubiyan zahir karenge to burayi Duniya me dab jayegi.
Yhi insan Ka kaam hai.
Allah Ka insan ke liye yhi plan hai.

Friday, September 14, 2018

Qur'an और Sunnat से अमीर बनने के सच्चे क़िस्से Dr. Anwer Jamal

सवाल: जनाब इसे क्या कहेंगे कि किसी ग़रीब मुसलमान को सामने से गुज़रते  देखकर यह तसव्वुर किया जाता है कि देश में सारी समस्याओं की जड़ यह मुस्लिम है। चाहे वह मुस्लिम कितना ही शुक्र करता हो। -मुश्ताक़, दिल्ली

जवाब: जो लोग ऐसा करते हैं, उनके दिलों में नफ़रत का रोग है। वे राजनैतिक कारणों से ऐसा करते हैं। हम मुसलमानों की ग़रीबी के लिए भी उन्हें और नेताओं को दोष दे सकते हैं लेकिन यह भी हक़ीक़त है कि ऐसा करने से मुस्लिम का हाल नहीं बदलेगा और न ही उनका ख़याल बदलेगा। दूसरों ख़्याल बदलने के लिए मुस्लिम को अपना हाल बदलना होगा।
पवित्र क़ुरआन के नियमों पर चलकर मुस्लिम अपना हाल बदल सकता है। पवित्र क़ुरआन अमीरी और बरकत के नियम सिखाता है। जिनमें एक नियम 'शुक्र करना' है।
*शुक्र* करने वाला आदमी ईसाई या हिन्दू भी होगा तो वह ग़रीब नहीं रह सकता और वह ज़रूरत की चीज़ों से महरूम नहीं रह सकता।
तब शुक्र करने वाला मुस्लिम कैसे ग़रीब रह जाएगा।
💚
जो लोग ग़रीब हैं और मुस्लिम भी हैं और ज़ुबान से शुक्र करते हैं;
आप उनसे पूछना।
वे आपको ग़रीब, मुस्लिम और शुक्र; इन तीन अल्फ़ाज़ का मतलब भी न बता पाएंगे।
💚
दीन में इस का नाम जहालत है।
मुस्लिम अपनी इसी जहालत की वजह से ग़रीब है।
🌿
आज दुनिया में वेलनेस कोच हैं, जो ग़रीब को अमीर बनना सिखाते हैं। वे फ़ीस के रूप लाखों रूपए लेते हैं। उन्हें यह फ़ीस उनसे मदद लेने वाली सरकारें और संस्थाएं देती हैं।
मैं एक वेलनेस कोच हूँ। मैं ग़रीबों बिल्कुल मुफ़्त में अमीरी के नियम सिखाता हूँ। इन नियमों पर चलकर मैंने काफ़ी दौलत कमाई है। अल्हम्दुलिल्लाह!!!
मैं कई ग़रीबों को शुक्र करना सिखाकर अमीर बना चुका हूं।
🌿
*शुक्र का मतलब* है क़द्र करना!
अल्लाह की क़द्र करना
अल्लाह के ज्ञान 'पवित्र क़ुरआन' और उससे पहले आ चुके ज्ञान की क़द्र करना, जो कल्याणकारी है।
अल्लाह के क़ानून की क़द्र करना
अल्लाह की जो मदद हमें हर वक़्त मिली हुई है, उसकी क़द्र करना
अल्लाह ने हमें जो दिल, दिमाग़, आँख, नाक, कान, हाथ, पैर और दूसरे organs दिए हैं, जो ज़िन्दगी और वक़्त दिया है; उसकी क़द्र करना।
हमें जिस शहर या बस्ती में, जिन लोगों के बीच और जिन रिश्तों के साथ पैदा किया है; उनकी क़द्र करना।
जो वसाएल means दिए हैं, उनकी क़द्र करना।
इन सब पर तवज्जो देना, इनसे अपनी और सबकी भलाई में बेहतरीन काम लेना।
💚
कुछ साल पहले  मेरे पास एदल सिंह ग़रीबी और भारी क़र्ज़ की शिकायत लेकर आया। वह एक मज़दूर और सरकारी चौकीदार था। उसने दो बेटों की शादी क़र्ज़ लेकर की थी। वे दोनों अलग हो गए थे। बाक़ी छ: बच्चे और थे। मैं ज़ुहर की नमाज़ पढ़कर बाहर निकला तो वह आकर मेरे पैरों में बैठ गया था।
एदल सिंह ने मुझसे अपनी ग़रीबी और क़र्ज़दारी की शिकायत की।
मैंने उसे कहा कि अल्लाह ने अपने नबी मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को भेजकर दुनिया की हर समस्या को खत्म कर दिया है। अल्लाह ने ग़रीबी को भी तभी ख़त्म कर दिया था। अब दुनिया में वही ग़रीब रहेगा जो पैग़म्बर साहिब की बात पर ध्यान न देगा।
पैग़म्बर साहिब ने बताया है कि
अल्लाह ने दुनिया में दस हिस्से बरकत उतारी है और उस बरकत के नौ हिस्से तिजारत (व्यापार) में रखे हैं। 
(भावार्थ हदीस)
मैंने उसे अपने गांव में अपने घर के बाहर सब्ज़ी बेचने के लिए कहा।
इससे वह मज़दूर से व्यापारी में बदल रहा था। जिससे वह तंगी से निकलकर उस बड़े मैदान में जा रहा था, जिसमें 90% बरकत है।
उसने मेरी सलाह मानकर सब्ज़ी बेचना शुरू कर दी।
6 महीने में उसके चेहरे पर प्रोटीन की परतें भर गईं। वह ख़ुशहाल नज़र आने लगा।
जब मैंने उसका हाल बदला हुआ देखा तो उससे पूछा कि
एदल सिंह! अब क्या हाल है?
उसने अपनी पिंडलियों पर हाथ रखकर ख़ुशी के साथ बताया कि 'गुरू जी, मैं यहां तक तिर गया हूं।' यह गांव की एक कहावत है, जो खेत में पिंडलियों तक पानी भरने पर बोलते हैं और इसका मतलब काम पूरा अंजाम पाना होता है।
उसने यह भी कहा कि मैं पहले की तरह मज़दूरी कर रहा हूं और मेरे घर के बच्चे सब्ज़ी बेच रहे हैं।

पहले जो बच्चे सिर्फ़ ख़र्च कर रहे थे, वे अब कमाने वालों में बदल चुके थे। गाँव में उसके परिवार की इज़्ज़त भी बढ़ गई थी। कई ज़मीदार किसानों पर अब उसका क़र्ज़ चढ़ गया था। जो ज़मींदार पहले उसे समस्या मानते थे, वे अब उसे समाधान मानने लगे थे।
एदल सिंह के पास सब कुछ पहले से मौजूद था। हमने सिर्फ़ उसका नज़रिया बदला था। उसे अपना और लोगों का और मौकों का ज़्यादा अच्छा इस्तेमाल करना सिखाया। हमने उसे ज़ुबानी और हक़ीक़ी शुक्र सिखाया था, जो सब नबियों और सत्पुरूषों की तालीम है।
उसने ज़्यादा क़द्र की, उसने ज़्यादा शुक्र किया। रब ने उसे बरकत दी। उसका क़र्ज़ उतर गया और उसकी ग़रीबी ख़त्म हो गई। अब वह अमीरी में तरक़्क़ी कर रहा है।
ऐसे ही हर आदमी अपनी ग़रीबी रब का शुक्र करके यानि उसके नियम का पालन करके दूर कर सकता है।
हरेक आदमी अपने घर के हरेक मेम्बर को कुछ चीज़ बेचना सिखाए ताकि रब उसे बरकत दे। जब उसे रब की बरकत मिलेगी तो उसकी ग़रीबी दूर होनी तय है।
इंटरनेट के दौर में व्यापार बहुत आसान हो चुका है। आज आप बिना पूँजी और बिना दुकान के भी अच्छा व्यापार कर सकते हैं। इसके लिए कई कोर्स भी अवेलेबल हैं। जिन्हें आप कर सकते हैं।
पैग़म्बर मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अनाथ थे। जब वह जवान हुए तो वह पार्टनरशिप में व्यापार करने लगे। पैग़म्बर मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम और उनकी पत्नी ख़दीजा रज़ियल्लाहु अन्हा दोनों इम्पोर्ट और एक्सपोर्ट करते थे। दोनों के पास बहुत दौलत थी। दोनों ने यह सारी दौलत भूखे, नंगे, बीमारों, ग़ुलामों और हर धर्म के ज़रूरतमंदों पर ख़र्च कर दी थी। एक बयान के मुताबिक़ पैग़म्बर साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के पास दूसरे माल के अलावा 25,000 दीनार थे। जो कि लगभग 55 किलो सोना बैठता है। यह सब तिजारत और शुक्र की बरकत है। जिसकी शिक्षा पैग़म्बर मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम सबको देते हैं।

अभी हमने सिर्फ़ व्यक्तिगत लेवल पर काम करने‌ की बरकत बताई है।
दौलत पर शुक्र करने में यह भी शामिल हैं कि आप अपनी जायज़ तरीक़े से कमाई दौलत का एक हिस्सा ज़रूरतमंदों और ग़रीबों की भलाई में ख़र्च करें। आपका रब उसे कुछ वक़्त बाद दस गुना बढ़ाकर लौटाएगा।
 مَن جَاءَ بِالْحَسَنَةِ فَلَهُ عَشْرُ أَمْثَالِهَا
जो कोई नेकी लेकर आएगा, उसे उसका दस गुना बदला मिलेगा. -पवित्र क़ुरआन 6:160

जब आप अपनी दौलत को ज़रूरतमंदों और ग़रीबों को देंगे तो यह दौलत कई तरह से बढ़ने लगेगी। आपका इलाज और झगड़ों और हादसों में लगने वाला माल भी बचेगा। जब पूरा समाज मिलकर यह मुबारक अमल करता है तो बहुत ज़्यादा बरकत होती है।
पैग़म्बर साहिब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के साथियों ने ऐसा किया और उन सबकी दौलत बहुत ज़्यादा बढ़ गई। यह एक ऐतिहासिक सच्चाई है।

इंडिया के बोहरा मुस्लिम समाज की आर्थिक मज़बूती की वजह उनकी तिजारत और ज़कात ही है। जिसे आप आज भी देख और सीख सकते हैं। मुझे एक दोस्त ने बताया है कि 

दाऊदी बोहरा समाज की सबसे बड़ी कामयाबी का कारण उनकी आर्थिक मजबूती है ।। और यह आर्थिक मजबूती इस लिए है क्योकि इनके यहां ज़कात का सिस्टम है ।। और हर दाऊदी बोहरे के लिए अनिवार्य है कि वह अपनी ज़कात अपनी संस्था को ही देगा ।।। 

इस्लाम में ज़कात उन लोगो पर लागू होती है जिनके पास 7.5 तोला सोना से अधिक संपत्ति है। उन्हें अपनी कुल संपत्ति में से 2.5 फीसद ज़कात ग़रीबों को देना अनिवार्य है  ।।

उसके बाद दाऊदी बोहरा में ज़कात बांटने का सिस्टम, distribution of wealth का सिस्टम भी इतना बढ़िया है कि कोई भी मजबूर या लाचार दाऊदी बोहरा उनके सेंटर पर जाएगा तो उसकी उचित मदद पूरी तरह से की जाती है । जिससे कि उनके समाज का हर तबक़े का आदमी अपने पैरों पर खड़ा होता है । 

एक इंटरनेट की रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर दुनिया के सिर्फ़ top most 400  अमीर अपनी कुल संपत्ति से वार्षिक सिर्फ़ 2.5 फीसद माल दुनिया के दूसरे लोगों को दे दें तो 1. food 2. medical 3. house, 4. education 5. water की समस्या को तक़रीबन खत्म किया जा सकता है। जिससे समाज का हर व्यक्ति वैसे ही ख़ुशहाल रहेगा जैसे कि आप मुस्लिम बोहरा समाज को देखते हो । 

पैग़म्बर मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के ज़माने के बाद हज़रत उमर की ख़िलाफत में एक भी शहरी ऐसा न बचा था जो 7.5 तोले से कम संपत्ति रखता हो। इसकी वजह इस्लाम में 7.5 तोले से अधिक संपत्ति रखने वालों से ज़कात लेकर उसे ज़रूरतमंदों और ग़रीबों में distribute करना है।

हजरत मुआज़ र. को जब यमन का गवर्नर बनाकर भेजा गया तो उनके गवर्नेंस में मात्र 3 साल में सारे शहरी 50 तोला से अधिक संपत्ति वाले बन गए ।  जब उनसे पूछा गया कि यह कैसे हुआ ? तो उन्होंने बताया कि मैंने पहले साल सभी की basic need जैसे रोटी कपड़ा मकान को पूरा करने के बाद जो money बची उससे लोगो मेंसे जिन लोगों का जो हुनर था, उन्हें उसी तरह के उत्पादन करने का सामान मुहैय्या करवाया और इसी तरह 3 साल लगातार करता गया ।। जिससे लोग manufacturer बन गए जिससे वे खुद ही business man बन गए और वे इतना उत्पादन करने वाले बन गए कि export करने लगे। जिससे उनको बेहतर से बेहतर आमदनी हुई  और सिर्फ़ 3 साल में हर शहरी अमीर था कोई कम और कोई ज़्यादा।

Wednesday, September 12, 2018

Wellness Approach: दीन की दावत का एक पावरफ़ुल साइंटिफिक तरीक़ा

दोस्तो! आपने अपनी दावते दीन के बाद बहुत बार सोचा होगा कि आख़िर ये लोग इतनी सच्ची और अच्छी बात को क्यों नहीं मानते? तब आपके दिल में यह ख़्वाहिश पैदा हुई होगी कि काश! मैं कोई ऐसा तरीक़ा जानता, जिससे जो मेरी बात सुनता, वह उसे मान भी लेता।
रब ने आपकी उसी ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए आप तक इल्मो-हिकमत का यह अनमोल ख़ज़ाना आसानी से पहुंचा दिया है। अब इसकी क़द्र करना आपकी ज़िम्मेदारी है।

हमारी फ़ेसबुक मैसेंजर पर इस्लाम के एक मुबल्लिग़ भाई से दावत के सब्जेक्ट पर बात हो रही थी। उन्होंने कहा कि दावत का ये उसूल है कि पहले उन बातिल नज़रियात को ठीक किया जाए, और कॉमन चीज़ों पर बात की शुरुआत की जाए, इसके लिए आपको उनके धर्म ग्रंथों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, तो काम बहुत आसान हो जाएगा। अगर हम शुरू में ही मांसाहार और शादी जैसे ग़ैर ज़रूरी मसाइल पर बहस में  उलझ गए तो असर ग़लत जाएगा।
मैंने कहा-यह तरीक़ा बिल्कुल ठीक है। लोगों का नज़रिया ही तो बिगड़ा हुआ है। उसी की वजह से उनके आमाल और उनके हालात ख़राब हैं। उसी की वजह से जरायम बढ़े मैंहैं।  खुद पहले इसी तरीक़े से समाज में सच्चाई और नेकी का प्रचार करता रहा।  तब मैं उतना ही जानता था, जितना मुझे बताया गया था कि लोग शिर्क करके जहन्नम में जा रहे हैं। इन्हें एक रब की इबादत का अक़ीदा और तरीक़ा बताकर जन्नत में जाने वाला बनाना है। मैं 25 साल तक ऐसे ही दावत और तब्लीग़ करता रहा। जब मैंने देखा कि लोग तो दुनिया को भी जहन्नम बना रहे हैं, तब मैंने दावती तजुर्बात के बाद ख़ुद अपने नज़रिए को बदला। जिससे मुझे पहले से ज़्यादा अच्छे रिज़ल्ट मिले। पिछले 5 साल से मैं Wellness Approach के साथ बात कर रहा हूँ।

आप साइंटिस्ट की तरह अपनी दावत के असर की भी study करें। आप study के लिए 2 ग्रुप बना लें!
दोनों ग्रुप से दो अलग तरह बात करें और फिर उनके नतीजों को देखें।

Intellectual Approach
१. एक ग्रुप से पहले अक़ीदे पर बात करें कि अल्लाह ईश्वर एक है। मरने के बाद ज़िन्दगी है। उनकी किताबों से और साईंस से भी साबित कर दीजिए।
सुनने वाला बहुत ध्यान से सुनेगा और हामी भी भरेगा।
मैं 25 साल तक ऐसे ही दावत देता रहा। उसके सवालों के जवाब देने में घंटों लग जाते थे। कभी कभी एक ही आदमी से या एक ग्रुप के सवालों के जवाब देने में मेरे कई महीने और कई साल भी लग गए। ... लेकिन ज़्यादातर लोगों का कुछ भी भला न हुआ। मैं बहुत हैरान हुआ कि मेरे बरसों खप गए और आज तक ये शिर्क से दूर न हुए। आख़िर ऐसा क्यों हुआ?
मैंने इस सवाल पर खोज शुरू की और कई साल तक मानव मन के रहस्यों पर लिखी सैकड़ों किताबें और हज़ारों लेख पढ़े। मुझे पता चला कि इंसान अपनी ज़रूरत और मुराद पूरी होने के लिए शिर्क करता है।

Wellness Approach
२. अल्लाह ने शिर्क करने वालों के बारे में बताया है कि
'ऊलाइका कल-अनआमि बल् हुम अज़ल्ल'
لَهُمْ قُلُوبٌ لَّا يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ آذَانٌ لَّا يَسْمَعُونَ بِهَا ۚ أُولَـٰئِكَ كَالْأَنْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ ۚ أُولَـٰئِكَ هُمُ الْغَافِلُونَ ﴿١٧٩
यानि उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें है जिनसे वे देखते नहीं; उनके पास कान है जिनसे वे सुनते नहीं। वे चौपायों (भेड़ आदि) की तरह हैं बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह हैं। वही लोग है जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं।
पवित्र क़ुरआन 12:179

मुझे क़ुरआन से लोगों का मनोविज्ञान समझने में बहुत मदद मिली। मैंने देखा कि शिर्क और जुर्म करने वालों का चौपायों की तरह सबसे ज़्यादा attraction खाने-पीने, शादी, घर, लिबास, औलाद और माल जैसी चीज़ों की तरफ़ है, जो शरीर के लिए ज़रूरी हैं।
ज़्यादातर लोग शरीर के तल पर ही जी रहे हैं। जो लोग इन चीजों को पाने के लिए दूसरों को कुचल देते हैं, वे जानवरों की तरह हैं बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह हैं। वे अल्लाह के क़ानून से ग़ाफ़िल हैं, जो यूनिवर्स और माइन्ड में हमेशा काम करता है।
ये सब चीज़ें अल्लाह के दीन में भी जायज़ हैं। अल्लाह इन्हें मांगने और पाने का हुक्म भी देता है और अपना क़ानून भी बताता है, जिससे ये चीज़ें लोगों को मिलती हैं।
यह पता होने के बाद मैंने लोगों का Attraction point तलाश किया। 
अब मैंने लोगों से उनके goal पर, उनकी basic needs पर बात करनी शुरू की।
जिसके पास जो था, उसकी तरफ़ उसकी तवज्जो न थी। उसकी तवज्जो उस चीज़ की तरफ़ थी, जो दूसरों के पास थी और उसके पास न थी। किसी को रोज़गार की, किसी को मकान की, किसी को शादी की और किसी को औलाद की कमी थी। कोई सेहत चाहता था और कोई अपने पीछे लगे हुए दुश्मन और मुक़द्दमे से नजात चाहता था।

इन्सान नफ़े का बन्दा है
सबसे पहले अब मैं यही पूछता हूं कि
तेरा रब एक ही है, जो तेरी शहरग से क़रीब है। जो तू अपने दिल में सोचता है, वह उसे भी सुनता है। उसी ने तुझे वीर्य की बूंद से यह सुन्दर रूप दिया है। उसी ने तेरी हड्डियाँ और माँस बनाया है। जब तू कुछ न जानता था, तब उसी ने तुझे अपनी माँ का दूध पीना सिखाया। वही तुझे साँस देता है। जब तू होता है। वह तब भी जागता है और तेरी भलाई के लिए तुझे रात भर करवटें दिलाता है। तेरा रब तेरे साथ है। वही तेरा भला करता है। जो वह चाहता है, कर देता है। तू उस अनन्त शक्ति के मालिक से क्या चाहता है कि वह तुझे अपनी अपार कृपा से दे?
वह फ़ौरन ही अपना दुख बताता है।
तब मैं उसे सूरह फ़ातिहा के मुताबिक़ इख़लास यक़ीन और दुआ बता देता हूं और मुनासिब कोशिश करते रहने को कहता हूं। मैं उसे उन लोगों को दोस्त बनाने के लिए कहता हूं, जो उस चीज़ को पाने में उससे पहले कामयाब हो चुके हैं। अब वह बार बार मेरे पास आने लगता है। अब उसके सारे सवाल उसकी फ़लाह Wellness से जुड़े होते हैं।
मैंने अपने दावती तजुर्बात में यह पाया है कि आपकी Approach जैसी होगी, सुनने वाला वैसे ही सवाल करेगा।
वह लगातार सलाह लेकर अपनी नीयत और अमल संवारता है और फिर एक वक़्त बाद वह अपने रब से अपनी मुराद पा लेता है।

इसके बाद उनका यक़ीन जम जाता है कि हां, रब सुनता और देता है।
अब वे भी रब की सुनते हैं कि
रब ने यह हलाल किया है और यह हराम।
अब वे मानते हैं क्योंकि उन्हें रब की बात मानने में अपना भला नज़र आता है।
जो भी मैं बताता हूं वे अब मानते हैं। वे मेरी किसी बात को रद्द नहीं करते क्योंकि मैं उसके जीवन के मुद्दों में उसे रब से मदद पाना सिखाता हूं।
मदऊ को क़ुबूल करने की हालत में लाना ज़रूरी है।
यह तब होता है जब हम उससे अपने level पर नहीं,
उसके level पर बात करते हैं। इस दौरान उनके धर्म और साईंस की वे सब बातें अब भी करता हूं, जो पहले करता था। पहले तरीक़े को छोड़ा नहीं है बल्कि अपने तजुर्बात और स्टडी के बाद उसे इम्प्रूव किया है, उसकी तासीर को हज़ारों गुना बढ़ा दिया है। मैंने दूसरे दाईयों को भी यह तरीक़ा सिखाया। उन्हें भी पहले से बेहतर नतीजे मिले।
Wellness Approach के इस दूसरे तरीक़े से बहुत ज़्यादा लोगों का कल्याण हुआ।
अल्हम्दुलिल्लाह!!!
आप इस तरीक़े को सब नबियों के तरीक़े में पाएंगे।
अल्लाह ने क़ुरआन में सबसे पहले बन्दों को अपनी भलाई के कामों में अपनी 'ख़ास मदद' पाना ही सिखाया है। इससे भी हम जान सकते हैं कि रब ख़ुद अपने बन्दों को क्या सिखा रहा है!
हमेशा की तरह आज भी हरेक इंसान को अपने रब की ग़ैबी मदद की ख़ास ज़रूरत है।
यह ग़ैबी मदद कैसे मिलती है? इसका क़ानून सब तक पहुंचाने का नाम 'तब्लीग़' है।
इस तरीक़े से हम अपने समाज में और पूरे देश में ग़रीबी, भूख, बीमारी, झगड़ों और जरायम को कम कर सकते हैं। देश और दुनिया को पीसफ़ुल बना सकते हैं जोकि अल्लाह के दीन का मक़सद है।