भाई सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी ने फ़ेसबुक पर अपनी वाल पर लिखा:
जो धर्म में चमत्कार तलाशते हैं, वे घोर अंधविश्वासी हैं। अगर चमत्कार होता तो अल्लाह के रसूल को कई जंग नहीं लड़नी पड़ती। कई मौक़ों पर शिकस्त का सामना न करना पड़ता। दुश्मनों की शर्तों पर समझौता नहीं करना पड़ता।
ईसा मसीह को सूली पर न चढ़ना पड़ता। गॉड की तरफ से मदद आ जाती और वो बच जाते।
श्री राम को रावण से युद्ध न करना पड़ता। रावण को मारने के लिए विभीषण की ज़रूरत नहीं पड़ती। कोई अदृश्य शक्ति रावण का काम तमाम कर देती। सीता का अपहरण भी रावण नहीं कर पाता।
पांडवों को जंगल में दर दर न भटकना पड़ता। कोई चमत्कार कौरवों के सर्वनाश कर देता। भगवान कृष्ण को सामने नहीं आना पड़ता।
इसलिए हे देशवासियों कोरोना पर किसी चमत्कार की अपेक्षा न करें। बचाव करें। मोदी जी के दिशा निर्देश पर चलें।
हमने उनकी पोस्ट पर यह कमेंट किया:
आपकी बात आधी सही है और आधी इस्लाह मांग रही है।
जो कुछ मोदी जी ने कहा,
वह मोदी जी की अपनी बात नहीं है।
हर धर्म यही कहता है कि
कल्याणकारी शुभ कर्मों को करो और अपना या दूसरे का अहित न करो।
हैल्थ के विषय में हर धर्म विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह पर अमल करने का निर्देश देता है और भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोगों को वही करने के लिए कहा है जो चिकित्सकों ने उन्हें जनता से कहने की सलाह दी है।
मोदी जी की बात हर एक धर्म के अनुकूल है और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह उसमें शामिल है इसलिए उनकी बात पर अवश्य चलना चाहिए। आपकी यह बात सही है।
लेकिन इस सबके बीच में आप यह चमत्कार भी देखेंगे के लाखों-करोड़ों टाइप के वायरस मौजूद हैं लेकिन उनमें सब वायरस एक्टिव नहीं हैं। केवल एक कोरोना वायरस अटैक कर रहा है और बाकी वायरस मानव जाति को इस दर्जे की हानि नहीं पहुंचा रहे हैं। उन सब असंख्य वायरसों का हानि न पहुंचाना क्या मानव जाति के ऊपर परमेश्वर अल्लाह की कृपा नहीं है?
और क्या यह चमत्कार नहीं है कि लाखों-करोड़ों टाइप के वायरस और बैक्टीरियाओं से मनुष्य बचा हुआ है?
ज़रा सोचिए अगर हर टाईप का वायरस कीटाणु मानव जाति पर अटैक कर दे तो यह 1 दिन में समाप्त हो जाएगी।
कोरोना की कोई दवा नहीं है लेकिन फिर भी बहुत लोग कोरोना की बीमारी से ठीक हो रहे हैं तो क्या यह चमत्कार नहीं है कि जिस बीमारी की दवा नहीं है, उस बीमारी से भी मनुष्य ठीक हो रहा है?
परमेश्वर अल्लाह ने हर इंसान के अंदर बीमारी से लड़ने की शक्ति दी है। जिसे मनुष्य ने लालच , डर, ग़म, गुस्से और नकारात्मक नज़रिए से कमज़ोर कर लिया है।
इसी के साथ वह एलोपैथिक दवाओं के रूप में और खाने पीने की चीजों में तरह तरह के ज़हर अपनी बॉडी में ले चुका है। जिससे वह बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं रहा। इस वजह से वह कोरोना के सामने शिकस्त खा रहा है।
पूरी मानव जाति को अपने तनाव भरे जीवन में शांति लाने के तरीक़े को सीखना होगा।
उसे परमेश्वर अल्लाह ने खाने पीने में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिंदगी में जो आदर्श दिया है उसका पालन करना होगा जिसमें जौ, शहद, खजूर, अंजीर, एलोवेरा, दूध, पनीर, सिरका, खीरा, तरबूज, बेर और पाक साफ़ ताजा पानी पीना जो कि खुद अपने अंदर दवाएं भी हैं। और उनके तरीक़े में सूरज की रौशनी में जिस्मानी मेहनत करके पसीना बहाना है। इससे भी सेहत सलामत रहती है और इम्यूनिटी बढ़ती है।
आप जानते हैं कि प्राचीन काल में जब फ़िरऔन सरकश हो गया तो उससे मूसा अलैहिस्सलाम ने कोई जंग नहीं लड़ी और अल्लाह ने उसे डुबो दिया। ऐसे ही नमरूद से हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कोई जंग नहीं लड़ी और वह एक कीड़े से मर गया।
जब फ़िरऔन सरकशी करता है तो अल्लाह कीड़े पैदा करता है और अहंकारी अतयाचारी की सारी हेकड़ी निकल जाती है।
इस वक़्त ज़मीन के फ़िरऔनों की सारी हेकड़ी निकली हुई है
और आप रब का चमत्कार चाहते हैं तो चमत्कार आज और अभी हो जाएगा।
यह बीमारी अभी एकदम रूक जाएगी।
सारे फ़िरऔन और उनके हामान और उनके क़ारून और उनके फ़ौजी रब के सामने नाक ज़मीन पर रखकर माफ़ी मांगें और अपनी ज़िम्मेदारी मानें कि
हम सरकश हो गए थे और अब हम इताअत करेंगे।
सब तौबा करें, चमत्कार अभी होगा।
कौन कहता है कि चमत्कार नहीं हुए या चमत्कार नहीं होंगे.
चमत्कार अल्लाह करता है। उसकी अनंत शक्ति को मानो और उससे मदद मांगो तो चमत्कार होगा।
सरकशी की जाएगी तो बीमारी का वार होगा।
ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि दवा और वैक्सीन के भरोसे सरकश बने रहो और चमत्कार हो जाए।
ऐसा न होगा।