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Friday, March 20, 2020

कोरोना जैसी बीमारियाँ क्यों आती हैं?, एक धार्मिक दृष्टिकोण

भाई सलीम अख़्तर सिद्दीक़ी ने फ़ेसबुक पर अपनी वाल पर लिखा:
जो धर्म में चमत्कार तलाशते हैं, वे घोर अंधविश्वासी हैं। अगर चमत्कार होता तो अल्लाह के रसूल को कई जंग नहीं लड़नी पड़ती। कई मौक़ों पर शिकस्त का सामना न करना पड़ता। दुश्मनों की शर्तों पर समझौता नहीं करना पड़ता।
ईसा मसीह को सूली पर न चढ़ना पड़ता। गॉड की तरफ से मदद आ जाती और वो बच जाते।
श्री राम को रावण से युद्ध न करना पड़ता। रावण को मारने के लिए विभीषण की ज़रूरत नहीं पड़ती।  कोई अदृश्य शक्ति रावण का काम तमाम कर देती। सीता का अपहरण भी रावण नहीं कर पाता।
पांडवों को जंगल में दर दर न भटकना पड़ता। कोई चमत्कार कौरवों के सर्वनाश कर देता। भगवान कृष्ण को सामने नहीं आना पड़ता।
इसलिए हे देशवासियों कोरोना पर किसी चमत्कार की अपेक्षा न करें। बचाव करें। मोदी जी के दिशा निर्देश पर चलें।

हमने उनकी पोस्ट पर यह कमेंट किया:
आपकी बात आधी सही है और आधी इस्लाह मांग रही है।
जो कुछ मोदी जी ने कहा,
वह मोदी जी की अपनी बात नहीं है।
हर धर्म यही कहता है कि
कल्याणकारी शुभ कर्मों को करो और अपना या दूसरे का अहित न करो।
हैल्थ के विषय में हर धर्म विशेषज्ञ चिकित्सक की सलाह पर अमल करने का निर्देश देता है और भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी ने लोगों को वही करने के लिए कहा है जो चिकित्सकों ने उन्हें जनता से कहने की सलाह दी है।
मोदी जी की बात हर एक धर्म के अनुकूल है और विशेषज्ञ चिकित्सकों की सलाह उसमें शामिल है इसलिए उनकी बात पर अवश्य चलना चाहिए। आपकी यह बात सही है।
लेकिन इस सबके बीच में आप यह चमत्कार भी देखेंगे के लाखों-करोड़ों टाइप के वायरस मौजूद हैं लेकिन उनमें सब वायरस एक्टिव नहीं हैं। केवल एक कोरोना वायरस अटैक कर रहा है और बाकी वायरस मानव जाति को इस दर्जे की हानि नहीं पहुंचा रहे हैं। उन सब असंख्य वायरसों का हानि न पहुंचाना क्या मानव जाति के ऊपर परमेश्वर अल्लाह की कृपा नहीं है?
और क्या यह चमत्कार नहीं है कि लाखों-करोड़ों टाइप के वायरस और बैक्टीरियाओं से मनुष्य बचा हुआ है?
ज़रा सोचिए अगर हर टाईप का वायरस कीटाणु मानव जाति पर अटैक कर दे तो यह 1 दिन में समाप्त हो जाएगी।
कोरोना की कोई दवा नहीं है लेकिन फिर भी बहुत लोग कोरोना की बीमारी से ठीक हो रहे हैं तो क्या यह चमत्कार नहीं है कि जिस बीमारी की दवा नहीं है, उस बीमारी से भी मनुष्य ठीक हो रहा है?
परमेश्वर अल्लाह ने हर इंसान के अंदर बीमारी से लड़ने की शक्ति दी है। जिसे मनुष्य ने लालच , डर, ग़म, गुस्से और नकारात्मक नज़रिए से कमज़ोर कर लिया है।
इसी के साथ वह एलोपैथिक दवाओं के रूप में और खाने पीने की चीजों में तरह तरह के ज़हर अपनी बॉडी में ले चुका है। जिससे वह बीमारी से लड़ने में सक्षम नहीं रहा। इस वजह से वह कोरोना के सामने शिकस्त खा रहा है।
पूरी मानव जाति को अपने तनाव भरे जीवन में शांति लाने के तरीक़े को सीखना होगा।
उसे परमेश्वर अल्लाह ने खाने पीने में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम जिंदगी में जो आदर्श दिया है उसका पालन करना होगा जिसमें जौ, शहद, खजूर, अंजीर, एलोवेरा, दूध, पनीर, सिरका, खीरा, तरबूज, बेर और पाक साफ़ ताजा पानी पीना जो कि खुद अपने अंदर दवाएं भी हैं। और उनके तरीक़े में सूरज की रौशनी में जिस्मानी मेहनत करके पसीना बहाना है। इससे भी सेहत सलामत रहती है और इम्यूनिटी बढ़ती है।
आप जानते हैं कि प्राचीन काल में जब फ़िरऔन सरकश हो गया तो उससे मूसा अलैहिस्सलाम ने कोई जंग नहीं लड़ी और अल्लाह ने उसे डुबो दिया। ऐसे ही नमरूद से हज़रत इब्राहीम अलैहिस्सलाम ने कोई जंग नहीं लड़ी और वह एक कीड़े से मर गया।
जब फ़िरऔन सरकशी करता है तो अल्लाह कीड़े पैदा करता है और अहंकारी अतयाचारी की सारी हेकड़ी निकल जाती है।
इस वक़्त ज़मीन के फ़िरऔनों की सारी हेकड़ी निकली हुई है
और आप रब का चमत्कार चाहते हैं तो चमत्कार आज और अभी हो जाएगा।
यह बीमारी अभी एकदम रूक जाएगी।
सारे फ़िरऔन और उनके हामान और उनके क़ारून और उनके फ़ौजी रब के सामने नाक ज़मीन पर रखकर माफ़ी मांगें और अपनी ज़िम्मेदारी मानें कि
हम सरकश हो गए थे और अब हम इताअत करेंगे।
सब तौबा करें, चमत्कार अभी होगा।
कौन कहता है कि चमत्कार नहीं हुए या चमत्कार नहीं होंगे.
चमत्कार अल्लाह करता है। उसकी अनंत शक्ति को मानो और उससे मदद मांगो तो चमत्कार होगा।
सरकशी की जाएगी तो बीमारी का वार होगा।
ऐसा बिल्कुल नहीं होगा कि दवा और वैक्सीन के भरोसे सरकश बने रहो और चमत्कार हो जाए।
ऐसा न होगा।

Thursday, March 19, 2020

Surah Kausar ki Barakat wali Theli ka amal, The Blessing Money Bag

मैं कम शब्दों में कहता हूँ कि
पवित्र क़ुरआन बरकत वाली किताब है और बरकत नज़र आती है लेकिन समझ में नहीं आती।
मैंने सूरह कौसर का यह अमल ख़ुद किया है। मैंने अपने घरवालों, रिश्तेदारों और सब दोस्तों को यह अमल बताया है। जितने लोगों ने इस रूहानी अमल को किया है। उन सबको अल्लाह ने बहु ज़्यादा बरकत दी है। चाहे आप किसी भी धर्म के मानने वाले हों, आप इस रूहानी अमल को कर सकते हैं क्योंकि यह बहुत आसान है। अगर आप अपने जीवन में खुली आँखों बरकत देखना चाहते हैं तो आप सूरह कौसर ज़रूर पढ़ें।
पूरा तरीक़ा आप वीडियो में देखें और इसे शेयर करें:

Monday, March 16, 2020

आप घटनाओं को दावती नज़रिए से देखेंगे तो आपको दावत के काम में आसानी रहेगी -Dr. Anwer Jamal

आप जब दावते हक़ के काम में लगते हैं तो शुरू में आपको रह काम मुश्किल दिखाई देगा लेकिन जब आप इसे कुछ साल तक रेग्युलर करते रहेंगे तो फिर आपका नज़रिया दावती नज़रिया बन जाएगा। आपका नज़रिया आपके लिए एक चश्मे की तरह होता है। इस चश्मे से आपको अपने काम में बहुत मदद मिलेगी।
*Dawah Pychology*
जब मैं दावते हक़ की नीयत से एक मामूली सी बात को देखता हूँ तो मैं उसे भी अपनी दावते हक़ के लिए इस्तेमाल कर लेता हूं जैसे कि मैंने आज यह ख़बर पढ़ी और मैंने इसके ज़रिए नास्तिकों से एक सवाल कर दिया। देखें मेरी फ़ेसबुक पोस्ट:
👇🏻
#Facebook से दूरी आपकी ज़िंदगी में सेहत और ख़ुशहाली लाएगी।
वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है।
अब जो नास्तिक या शिक्षित प्राणी दूसरे लोगों को विज्ञान के अनुसार जीने की सलाह देते हैं,
क्या वे #फ़ेसबुक को हमारे लिए छोड़ देंगे?
क्योंकि हमें विज्ञान की परवाह नहीं है। हमें तो अपने दिल की चाहत पूरी करनी है। विज्ञान जो चाहे कहे। विज्ञान की बात सुनें लॉजिकल वैज्ञानिक सोच वाले।

Sunday, March 15, 2020

आत्मज्ञान का संक्षिप्त उपदेश A Short Sermon on Self Realisation by Dr. Anwer Jamal

आज मैंने फ़ेसबुक पर Abu Shariq भाई की पोस्ट पढ़कर उस पर अपना कमेंट दर्ज किया। मैं उनकी पोस्ट और अपना कमेंट दोनों को यहां दर्ज कर रहा हूँ:
पोस्ट
जब भी क़ुरआन को सिर्फ हिदायत हासिल करके अमल करने के लिए पढ़ा मुझे कभी मायूसी नहीं हुई । क़ुरआन थोड़ा पढ़िये, रोज़ पढ़िये और उस को दिल और दिमाग़ मे उतार कर अमल कीजिए तो महसूस होगा कि ख़ुदा की ग़ुलामी मे ही असल आज़ादी पोशीदा है। क़ुरआन की हिदायत के अलावा दूसरे मज़हबी रीति रिवाज में ज़्यादातर ख़ुराफ़ात और अंधविश्वास है ।
कमेंट
आपकी बात सच है।
दूसरे मज़हब भी शुरू में सच और सरल थे क्योंकि रब ने सब क़ौमों में अपना संदेश अवतरित किया है। इसीलिए सब क़ौमों में कुछ नियम एक मिलते हैं।
फिर सब धर्मों में अत्याचारी राजा, ख़लीफ़ा और उनके दरबारी पंडित आलिम हुए।
उन्होंने धर्म में फेर बदल किए।
दूसरे धर्मों में ज़्यादा हुए और इस्लाम में कम हो पाए क्योंकि
ख़लीफ़ा, बादशाह और उनके ख़ुशामदी आलिम क़ुरआन को नहीं बदल पाए।
फिर भी उन्होंने नक़ली हदीसें और फ़र्ज़ी मसले गढ़े और मुस्लिमों को उन मसलों के आधार पर बांटा।
अब सब मज़हबों के पंडित और आलिम जो पहले मुग़ल, अंग्रेज़ और कांग्रेस के साथ थे, वे अपनी ख़ैर के लिए संघ के साथ हैं।
दरबारी आलिमों का हित पूंजीपतियों के साथ होता है और वे जनता को अपने हित में गधे और बैल की तरह जोते रखते हैं।
पवित्र क़ुरआन इंसान को गधे और बैल के जैसी इस ग़ुलामी से निकालता है।
वह बताता है कि
अल्लाह ने आदम में अपनी रूह में से फूंक कर ज़िंदगी दी थी। आदम के बेटे बेटियों में वही ख़ुदाई रूह मौजूद है
जिसे रूह/ख़ुदी/आत्मा कहते हैं।
यह रब का हुक्म (अम्रे इलाही) है।
इस कायनात का हर ज़र्रा रब के हुक्म के अधीन है।
रब के हुक्म से हर चीज़ का वुजूद है।
जब इंसान अपने अंदर रब का हुक्म मौजूद पाता है और ख़ुद को सरापा रब का हुक्म पाता है और फिर अगले मरहले में वह इससे अपनी पसंद के काम लेने के तरीक़े सीखता है जो कि रब ने उन आयतों में सिखाए हैं जिनमें 'अम्रे रब' का ज़िक्र है तो फिर इंसान हर चीज़ की ग़ुलामी से आज़ाद हो जाता है।
मैंने गीता के उपदेश में भी इस आत्मज्ञान को देखा है और इस सहज योग को लुप्त कर दिया गया है ताकि जनता गधे और बैल की योनि में जीती रहे।
इस आज़ादी का पाठ न मंदिरों में बचा है और न मस्जिदों में।
दोनों जगह सिर्फ़ रस्में हैं।
मस्जिद से काबा तक, आज सिर्फ़ रस्में हैं। मान्यताप्राप्त शाही आलिमों ने इस्लाम की रूह निकालकर दीनी मक़ामात को महज़ रस्म अदायगी की जगह बना दिया है।
ख़ुशी की बात यह है कि
पवित्र क़ुरआन पूरी तरह सुरक्षित है और इसे समझकर पढ़ने से इंसान मानसिक, आर्थिक, सामाजिक आज़ादी हासिल कर सकता है।
अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन के रूप में पूर्ण आज़ादी की होम डिलीवरी कर दी है।
इस आज़ादी के बाद धरती स्वर्ग लगेगी और मरकर भी आत्मा स्वर्ग देखेगी। जैसी आत्मा होगी, उसकी गति और प्रगति वैसी होती है।

Friday, March 13, 2020

#corona से बचने के लिए बार बार वुज़ू और शुक्र करें क्योंकि शुक्र से immunity पावरफ़ुल होती है

Shubham Balande ने फ़ेसबुक पर एक ग्रुप में लिखा: कुछ मुस्लिम भाई कहते है कुरान में हर सवाल का जवाब है!
मुल्लाजी ज़रा कोरोना के इलाज का फार्मूला ढूंढ के बताइए 😋
🌹💚🌹
इस पर हमने यह जवाब दिया:
मुल्ला जी ने #corona से बचने का पता लगा लिया है कि कोरोना का इलाज बार बार वुज़ू करना है और शुक्र करना है।
शुक्र करने से इम्यूनिटी पावरफ़ुल होती है और कोरोना को रोकने का एकमात्र तरीक़ा यही है कि
अपनी इम्यूनिटी मज़बूत बनाई जाए।
सांप और चमगादड़ के मांस न खाए जाएं।
इस्लाम में जिन जानवरों का मांस खाना हलाल है, उन्हें खाकर आज तक मक्का मदीना से लेकर हरिद्वार के पास बसे ज्वालापुर तक और गढ़वाल और नेपाल तक कोई छूत का रोग या महामारी नहीं फैली।
कश्मीरी पंडित मांसाहारी है। उनमें कोई महामारी नहीं फैली।
बंगाल और उड़ीसा के पंडित जी दबाकर मच्छी चावल खाते हैं और कोई महामारी नहीं फैली क्योंकि मछली इस्लाम में हलाल फ़ूड है। आप गूगल सर्च करके *#science_of_gratitude* पढ़ें।


Wednesday, March 11, 2020

होली के हुड़दंग में उत्तर प्रदेश में 100 लोगों से ज़्यादा की जान गई

होली प्रेम का त्यौहार है। होली के अवसर पर प्रेम के कई रंग देखने में आते हैं।
आप दूसरे धर्मों की परंपराओं के प्रति जागरूकता बढ़ाने के मक़सद से यह वीडियो देख सकते हैं। वीडियो की voice quality बहुत ख़राब है और मैं थोड़ा कम भी सुनता हूँ। इसलिए मेरी समझ में वह कविता नहीं आई, जो ये लोग गा रहे हैं:

...और यह न्यूज़ भी देखें:

Wednesday, March 4, 2020

Arsenic album 30 होमियोपैथी दवा से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है

केरल में कोरोना वायरस का तीसरा मामला सामने आने पर अब इसका खतरा चारों तरफ मंडराने लगा है. इस बीच पश्चिम बंगाल सरकार ने भी इस वायरस से प्रभावित 8 मरीजों की पहचान की है.


केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने भारत में कोरोना वायरस से बचाव के लिए एक एडवायजरी जारी की है. आयुष मंत्रालय ने कहा है कि समय रहते कोरोना का बचाव कर लेने पर इसके गंभीर परिणामों से बचा जा सकता है.


सेंट्रल काउंसिल फॉर रिसर्च इन होम्योपैथी के वैज्ञानिक सलाहकार बोर्ड ने कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए होम्योपैथी की 'आर्सेनिक एल्बम-30’ को 3 दिन तक खाली पेट लेने को कारगर उपाय माना है.

अगर किसी मरीज में कोरोना का संक्रमण कायम रहता है तो एक माह बाद आर्सेनिक एल्बम की खुराक को दोबारा लिया जा सकता है. इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी की रोकथाम के लिए भी आर्सेनिक की यह दवा ली जा सकती है.


आयुष मंत्रालय के मुताबिक, तुलसी, काली मिर्च और पिप्पली जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां भी लोगों को कोरोना वायरस से बचा सकती है.





आयुष मंत्रालय के मुताबिक कोरोना से होने वाले संक्रमण को बचाने वाली यूनानी दवाओं में शरबते उन्नाब, तिर्याक़े-अर्बा, तिर्याक़े नज़ला, ख़मीरा मार्वारिद जैसी दवा ली जा सकती है. मंत्रालय की एडवाइजरी में आम लोगों को साफ-सफाई से रहने की सलाह दी गयी है.


यूनानी डॉक्टरों ने कोरोना वायरस के बचाव के लिए सुपाच्य, हल्का एवं नरम आहार लेने की सलाह दी है.


केंद्र सरकार की इस एडवाइजरी को पढ़ने के लिए आप इस लिंक पर क्लिक कर सकते हैं: https://pib.gov.in/PressReleseDetailm.aspx?PRID=1600940


केंद्र सरकार के आयुष मंत्रालय ने कहा है कि लोगों को कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए दवा की सलाह दी जा रही है, लेकिन इसे एक्सपर्ट डॉक्टर की सलाह के बाद ही लिया जाना चाहिए.





क्या हैं कोरोना से बचने के उपाय?

  1. आयुर्वेदिक: पिप्पली, काली मिर्च और सोंठ का 5 ग्राम पाउडर और तुलसी की 3-5 पत्तियों को 1 लीटर पानी में तब तक उबालें, जब तक पानी घटकर आधा लीटर न रह जाए. इसके बाद एक काढ़े को एक बोतल में भरकर रख लें. इसे धीरे-धीरे पीते रहें.
  2. शेषमणि वटी 500 मिलीग्राम रोजाना दिन में 2 बार लें.
  3. सुबह के समय तिल के तेल की दो बूंद नाक में डालें.
  4. डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी उपचार नहीं करें.

होम्योपैथी: आर्सेनिक एल्बम-30 होमियोपैथी दवा से कोरोना वायरस के संक्रमण से बचा जा सकता है.


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