आप जब दावते हक़ के काम में लगते हैं तो शुरू में आपको रह काम मुश्किल दिखाई देगा लेकिन जब आप इसे कुछ साल तक रेग्युलर करते रहेंगे तो फिर आपका नज़रिया दावती नज़रिया बन जाएगा। आपका नज़रिया आपके लिए एक चश्मे की तरह होता है। इस चश्मे से आपको अपने काम में बहुत मदद मिलेगी।
*Dawah Pychology*
जब मैं दावते हक़ की नीयत से एक मामूली सी बात को देखता हूँ तो मैं उसे भी अपनी दावते हक़ के लिए इस्तेमाल कर लेता हूं जैसे कि मैंने आज यह ख़बर पढ़ी और मैंने इसके ज़रिए नास्तिकों से एक सवाल कर दिया। देखें मेरी फ़ेसबुक पोस्ट:
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#Facebook से दूरी आपकी ज़िंदगी में सेहत और ख़ुशहाली लाएगी।
वैज्ञानिकों ने यह पता लगाया है।
अब जो नास्तिक या शिक्षित प्राणी दूसरे लोगों को विज्ञान के अनुसार जीने की सलाह देते हैं,
क्या वे #फ़ेसबुक को हमारे लिए छोड़ देंगे?
क्योंकि हमें विज्ञान की परवाह नहीं है। हमें तो अपने दिल की चाहत पूरी करनी है। विज्ञान जो चाहे कहे। विज्ञान की बात सुनें लॉजिकल वैज्ञानिक सोच वाले।
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