Assalamu aleykum! Good morning!!
Aapsey nivedan hai please mujhey yeh feedback dijiye ya yeh poori imaandari se bataiye ki mai kaisa hu? Merey andar kya kamiya hai? Mujhme kya khoobiya hai? Mujhey apney andar kya sudhaar laaney chaahiye aur kin baato me aur izaafa karu? Mujhey duniya aur aakhirat ka ek kaamyab insan banna hai isliye mai aapsey apney baarey me pooch raha hu kyunki mainey ek aalim ko suna to unhonne 10 points kaamyabi ke bataye unmey se ek point yeh bhi tha ki aap khudkey baarey me doosro se jaaniye unsey feedback lijiye. Aapkey jawab ka muntazar.
-DR. Amir Masood khan
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W alykum Assalam! अल्लाह ने क़ुर'आन में अधिकतर लोगों को जाहिल कहा है क्योंकि उन्होंने अपने नफ़्स की ख़्वाहिशों और वासनाओं को अपना इलाह और हाकिम बना रखा है और वे ख़ुद उनके फ़रमाँबरदार ग़ुलाम बने हुए हैं। यह जहालत का काम है कि ग़ुलाम को हाकिम बनाकर हाकिम ख़ुद उसका ग़ुलाम बन जाए।
ऐसे लोग जब हमें देखकर राय बनाते हैं तो वे हमेशा ग़लत राय बनाते हैं।
Higher State of Mind वाले लोग दुनिया के पैमाने में ख़ुद को नहीं ढालते बल्कि वे अपने असल मक़सद को पहचानते हैं।
मिस्र के मशहूर आलिम और अदीब शैख़ अली तन्तावी रहमतुल्लाहि अलैह एक जगह बड़ी क़ीमती बात कहते हैं।
शैख़ तन्तावी फ़रमाते हैं:
जो लोग हमें नहीं जानते उनकी नज़र में हम आम हैं।
जो हम से हसद (jealousy) रखते हैं उनकी नज़र में हम मग़रूर हैं।
जो हमे समझते हैं उनकी नज़र में हम अच्छे हैं।
जो हमसे मुहब्बत करते हैं उनकी नज़र में हम ख़ास हैं।
जो हमसे दुश्मनी रखते हैं उनकी नज़र में हम बुरे हैं।
हर शख़्स का अपना एक अलग नज़रिया और देखने का तरीक़ा है।
लिहाज़ा दूसरों की नज़र में अच्छा बनने के पीछे अपने आप को मत थकाइये।
अल्लाह आप से राज़ी हो जाए यही आप के लिए काफ़ी है।
लोगों को राज़ी करना ऐसा मक़सद है जो कभी पूरा नहीं हो सकता,
अल्लाह को राज़ी करना ऐसा मक़सद है जिस को छोड़ा नहीं जा सकता,
तो जो चीज़ मिल नहीं सकती उसे छोड़ कर वह चीज़ पकड़िये जिसे छोड़ा नहीं जा सकता !!
Allah ko raazi Karna hai to Aap khud ko Apne nafs ki khwahishon par Hakim Bana Len. Allah aapko Aazaad Dekh Kar aapse razi ho jaayega.
Allah aapse Razi ho Jayega to Aapke Saare kaam bante chale jayenge.
🏇🏻
Aap Iske liye sirf ek kaam Kar len to aapki do tihayi kamiyan Khatm ho jayengi kyonki ek Kami se dusri Kami paida Hoti hai. Jab aap ek Kami ki jagah khuoobi rakhte Hain to ek khoobi se doosri khoobi paida Hoti hai.
Apne ghusse par Qabu paayen aur khamoshi ikhtiyar Karen.
Aap Is ek point par Saal Bhar Amal Karen.
Isse Aapke andar wh 'shu'oor' paida Hoga,
Jo Allah aapme, Apne har Bande me dekhna Chahta hai.
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*ग़ुस्सा न कर* -हदीस
एक बंद दुकान में कहीं से घूमता फिरता हुआ एक सांप घुस आया .दुकान में सांप की दिलचस्पी की कोई चीज़ नहीं थी , उसका जिस्म वहां पड़ी आरी से टकरा कर मामूली सा ज़ख़्मी हो गया, घबराहट में सांप ने पलट कर आरी पर पूरी क़ूव्वत के साथ हमला कर दिया,सांप के मुंह से खून बहना शुरू हो गया,
इस बार सांप ने अपनी सोच के मुताबिक़ आरी को लपेट कर उसे घोंट कर मारने की कोशिश करने लगा।
दूसरे दिन दुकानदार ने दुकान खोली तो एक सांप मुर्दा पाया जो किसी और वजह से नहीं , बल्कि खुद के महज तैश और गुस्से की भेंट चढ़ गया था.
बाज़ वक़्त हम अपने गुस्से में दूसरों को नुकसान पहुँचाने की कोशिश करते हैं मगर वक़्त गुज़रने के बाद हमें पता चलता है के हम ने अपना ही ज़्यादा नुकसान कर डाला है , अच्छी ज़िन्दगी के लिए बाज़ वक्त हमें
कुछ चीज़ों को
कुछ लोगों को
कुछ हादसों को
कुछ यादों को
कुछ कामों को
कुछ बातों को
नज़र अंदाज़ करना चाहिए
उन्हें माफ़ करना चाहिए
अपने आप को माफ़ करने का आदी बनाना चाहिए.
जरूरी नहीं कि हम हर एक्शन पर रिएक्शन दें.
हमारे कुछ रिएक्शन हमें सिर्फ़ नुक़सान ही नहीं देते बल्कि हमें बर्बाद भी कर सकते हैं।
हमारा रिएक्शन ज़ेहनी बर्बादी का शिकार बना सकता है, वक्त की बर्बादी , सोच की बर्बादी , मंज़िल की बर्बादी का सबब बन सकता है !!!
*Dawah Psychology* के मुताबिक़ इन से बचने के लिए सब से बड़ी क़ूव्वत और ताक़त है, सब्र और माफ़ी !!!
सब्र और माफ़ी की आदत वालों पर ग़ुस्सा काबू नहीं कर पाता।
🌹🕋🌹
शुक्रिया!
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