दोस्तो! आपने अपनी दावते दीन के बाद बहुत बार सोचा होगा कि आख़िर ये लोग इतनी सच्ची और अच्छी बात को क्यों नहीं मानते? तब आपके दिल में यह ख़्वाहिश पैदा हुई होगी कि काश! मैं कोई ऐसा तरीक़ा जानता, जिससे जो मेरी बात सुनता, वह उसे मान भी लेता।
रब ने आपकी उसी ख़्वाहिश को पूरा करने के लिए आप तक इल्मो-हिकमत का यह अनमोल ख़ज़ाना आसानी से पहुंचा दिया है। अब इसकी क़द्र करना आपकी ज़िम्मेदारी है।
हमारी फ़ेसबुक मैसेंजर पर इस्लाम के एक मुबल्लिग़ भाई से दावत के सब्जेक्ट पर बात हो रही थी। उन्होंने कहा कि दावत का ये उसूल है कि पहले उन बातिल नज़रियात को ठीक किया जाए, और कॉमन चीज़ों पर बात की शुरुआत की जाए, इसके लिए आपको उनके धर्म ग्रंथों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, तो काम बहुत आसान हो जाएगा। अगर हम शुरू में ही मांसाहार और शादी जैसे ग़ैर ज़रूरी मसाइल पर बहस में उलझ गए तो असर ग़लत जाएगा।
हमारी फ़ेसबुक मैसेंजर पर इस्लाम के एक मुबल्लिग़ भाई से दावत के सब्जेक्ट पर बात हो रही थी। उन्होंने कहा कि दावत का ये उसूल है कि पहले उन बातिल नज़रियात को ठीक किया जाए, और कॉमन चीज़ों पर बात की शुरुआत की जाए, इसके लिए आपको उनके धर्म ग्रंथों की अच्छी जानकारी होनी चाहिए, तो काम बहुत आसान हो जाएगा। अगर हम शुरू में ही मांसाहार और शादी जैसे ग़ैर ज़रूरी मसाइल पर बहस में उलझ गए तो असर ग़लत जाएगा।
मैंने कहा-यह तरीक़ा बिल्कुल ठीक है। लोगों का नज़रिया ही तो बिगड़ा हुआ है। उसी की वजह से उनके आमाल और उनके हालात ख़राब हैं। उसी की वजह से जरायम बढ़े मैंहैं। खुद पहले इसी तरीक़े से समाज में सच्चाई और नेकी का प्रचार करता रहा। तब मैं उतना ही जानता था, जितना मुझे बताया गया था कि लोग शिर्क करके जहन्नम में जा रहे हैं। इन्हें एक रब की इबादत का अक़ीदा और तरीक़ा बताकर जन्नत में जाने वाला बनाना है। मैं 25 साल तक ऐसे ही दावत और तब्लीग़ करता रहा। जब मैंने देखा कि लोग तो दुनिया को भी जहन्नम बना रहे हैं, तब मैंने दावती तजुर्बात के बाद ख़ुद अपने नज़रिए को बदला। जिससे मुझे पहले से ज़्यादा अच्छे रिज़ल्ट मिले। पिछले 5 साल से मैं Wellness Approach के साथ बात कर रहा हूँ।
आप साइंटिस्ट की तरह अपनी दावत के असर की भी study करें। आप study के लिए 2 ग्रुप बना लें!
दोनों ग्रुप से दो अलग तरह बात करें और फिर उनके नतीजों को देखें।
Intellectual Approach
१. एक ग्रुप से पहले अक़ीदे पर बात करें कि अल्लाह ईश्वर एक है। मरने के बाद ज़िन्दगी है। उनकी किताबों से और साईंस से भी साबित कर दीजिए।
सुनने वाला बहुत ध्यान से सुनेगा और हामी भी भरेगा।
मैं 25 साल तक ऐसे ही दावत देता रहा। उसके सवालों के जवाब देने में घंटों लग जाते थे। कभी कभी एक ही आदमी से या एक ग्रुप के सवालों के जवाब देने में मेरे कई महीने और कई साल भी लग गए। ... लेकिन ज़्यादातर लोगों का कुछ भी भला न हुआ। मैं बहुत हैरान हुआ कि मेरे बरसों खप गए और आज तक ये शिर्क से दूर न हुए। आख़िर ऐसा क्यों हुआ?
मैंने इस सवाल पर खोज शुरू की और कई साल तक मानव मन के रहस्यों पर लिखी सैकड़ों किताबें और हज़ारों लेख पढ़े। मुझे पता चला कि इंसान अपनी ज़रूरत और मुराद पूरी होने के लिए शिर्क करता है।
Wellness Approach
२. अल्लाह ने शिर्क करने वालों के बारे में बताया है कि
'ऊलाइका कल-अनआमि बल् हुम अज़ल्ल'
لَهُمْ قُلُوبٌ لَّا يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ آذَانٌ لَّا يَسْمَعُونَ بِهَا ۚ أُولَـٰئِكَ كَالْأَنْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ ۚ أُولَـٰئِكَ هُمُ الْغَافِلُونَ ﴿١٧٩
لَهُمْ قُلُوبٌ لَّا يَفْقَهُونَ بِهَا وَلَهُمْ أَعْيُنٌ لَّا يُبْصِرُونَ بِهَا وَلَهُمْ آذَانٌ لَّا يَسْمَعُونَ بِهَا ۚ أُولَـٰئِكَ كَالْأَنْعَامِ بَلْ هُمْ أَضَلُّ ۚ أُولَـٰئِكَ هُمُ الْغَافِلُونَ ﴿١٧٩
यानि उनके पास दिल है जिनसे वे समझते नहीं, उनके पास आँखें है जिनसे वे देखते नहीं; उनके पास कान है जिनसे वे सुनते नहीं। वे चौपायों (भेड़ आदि) की तरह हैं बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह हैं। वही लोग है जो ग़फ़लत में पड़े हुए हैं।
पवित्र क़ुरआन 12:179
मुझे क़ुरआन से लोगों का मनोविज्ञान समझने में बहुत मदद मिली। मैंने देखा कि शिर्क और जुर्म करने वालों का चौपायों की तरह सबसे ज़्यादा attraction खाने-पीने, शादी, घर, लिबास, औलाद और माल जैसी चीज़ों की तरफ़ है, जो शरीर के लिए ज़रूरी हैं।
ज़्यादातर लोग शरीर के तल पर ही जी रहे हैं। जो लोग इन चीजों को पाने के लिए दूसरों को कुचल देते हैं, वे जानवरों की तरह हैं बल्कि उनसे भी ज़्यादा गुमराह हैं। वे अल्लाह के क़ानून से ग़ाफ़िल हैं, जो यूनिवर्स और माइन्ड में हमेशा काम करता है।
ये सब चीज़ें अल्लाह के दीन में भी जायज़ हैं। अल्लाह इन्हें मांगने और पाने का हुक्म भी देता है और अपना क़ानून भी बताता है, जिससे ये चीज़ें लोगों को मिलती हैं।
ये सब चीज़ें अल्लाह के दीन में भी जायज़ हैं। अल्लाह इन्हें मांगने और पाने का हुक्म भी देता है और अपना क़ानून भी बताता है, जिससे ये चीज़ें लोगों को मिलती हैं।
यह पता होने के बाद मैंने लोगों का Attraction point तलाश किया।
अब मैंने लोगों से उनके goal पर, उनकी basic needs पर बात करनी शुरू की।
जिसके पास जो था, उसकी तरफ़ उसकी तवज्जो न थी। उसकी तवज्जो उस चीज़ की तरफ़ थी, जो दूसरों के पास थी और उसके पास न थी। किसी को रोज़गार की, किसी को मकान की, किसी को शादी की और किसी को औलाद की कमी थी। कोई सेहत चाहता था और कोई अपने पीछे लगे हुए दुश्मन और मुक़द्दमे से नजात चाहता था।
इन्सान नफ़े का बन्दा है
इन्सान नफ़े का बन्दा है
सबसे पहले अब मैं यही पूछता हूं कि
तेरा रब एक ही है, जो तेरी शहरग से क़रीब है। जो तू अपने दिल में सोचता है, वह उसे भी सुनता है। उसी ने तुझे वीर्य की बूंद से यह सुन्दर रूप दिया है। उसी ने तेरी हड्डियाँ और माँस बनाया है। जब तू कुछ न जानता था, तब उसी ने तुझे अपनी माँ का दूध पीना सिखाया। वही तुझे साँस देता है। जब तू होता है। वह तब भी जागता है और तेरी भलाई के लिए तुझे रात भर करवटें दिलाता है। तेरा रब तेरे साथ है। वही तेरा भला करता है। जो वह चाहता है, कर देता है। तू उस अनन्त शक्ति के मालिक से क्या चाहता है कि वह तुझे अपनी अपार कृपा से दे?
वह फ़ौरन ही अपना दुख बताता है।
तब मैं उसे सूरह फ़ातिहा के मुताबिक़ इख़लास यक़ीन और दुआ बता देता हूं और मुनासिब कोशिश करते रहने को कहता हूं। मैं उसे उन लोगों को दोस्त बनाने के लिए कहता हूं, जो उस चीज़ को पाने में उससे पहले कामयाब हो चुके हैं। अब वह बार बार मेरे पास आने लगता है। अब उसके सारे सवाल उसकी फ़लाह Wellness से जुड़े होते हैं।
मैंने अपने दावती तजुर्बात में यह पाया है कि आपकी Approach जैसी होगी, सुनने वाला वैसे ही सवाल करेगा।
वह लगातार सलाह लेकर अपनी नीयत और अमल संवारता है और फिर एक वक़्त बाद वह अपने रब से अपनी मुराद पा लेता है।
इसके बाद उनका यक़ीन जम जाता है कि हां, रब सुनता और देता है।
अब वे भी रब की सुनते हैं कि
रब ने यह हलाल किया है और यह हराम।
अब वे मानते हैं क्योंकि उन्हें रब की बात मानने में अपना भला नज़र आता है।
जो भी मैं बताता हूं वे अब मानते हैं। वे मेरी किसी बात को रद्द नहीं करते क्योंकि मैं उसके जीवन के मुद्दों में उसे रब से मदद पाना सिखाता हूं।
मदऊ को क़ुबूल करने की हालत में लाना ज़रूरी है।
यह तब होता है जब हम उससे अपने level पर नहीं,
उसके level पर बात करते हैं। इस दौरान उनके धर्म और साईंस की वे सब बातें अब भी करता हूं, जो पहले करता था। पहले तरीक़े को छोड़ा नहीं है बल्कि अपने तजुर्बात और स्टडी के बाद उसे इम्प्रूव किया है, उसकी तासीर को हज़ारों गुना बढ़ा दिया है। मैंने दूसरे दाईयों को भी यह तरीक़ा सिखाया। उन्हें भी पहले से बेहतर नतीजे मिले।
Wellness Approach के इस दूसरे तरीक़े से बहुत ज़्यादा लोगों का कल्याण हुआ।
अल्हम्दुलिल्लाह!!!
आप इस तरीक़े को सब नबियों के तरीक़े में पाएंगे।
अल्लाह ने क़ुरआन में सबसे पहले बन्दों को अपनी भलाई के कामों में अपनी 'ख़ास मदद' पाना ही सिखाया है। इससे भी हम जान सकते हैं कि रब ख़ुद अपने बन्दों को क्या सिखा रहा है!
हमेशा की तरह आज भी हरेक इंसान को अपने रब की ग़ैबी मदद की ख़ास ज़रूरत है।
यह ग़ैबी मदद कैसे मिलती है? इसका क़ानून सब तक पहुंचाने का नाम 'तब्लीग़' है।
आप इस तरीक़े को सब नबियों के तरीक़े में पाएंगे।
अल्लाह ने क़ुरआन में सबसे पहले बन्दों को अपनी भलाई के कामों में अपनी 'ख़ास मदद' पाना ही सिखाया है। इससे भी हम जान सकते हैं कि रब ख़ुद अपने बन्दों को क्या सिखा रहा है!
हमेशा की तरह आज भी हरेक इंसान को अपने रब की ग़ैबी मदद की ख़ास ज़रूरत है।
यह ग़ैबी मदद कैसे मिलती है? इसका क़ानून सब तक पहुंचाने का नाम 'तब्लीग़' है।
इस तरीक़े से हम अपने समाज में और पूरे देश में ग़रीबी, भूख, बीमारी, झगड़ों और जरायम को कम कर सकते हैं। देश और दुनिया को पीसफ़ुल बना सकते हैं जोकि अल्लाह के दीन का मक़सद है।
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