50,000 रूपये महीना कमाने का तरीक़ा, आज़माया हुआ
मैं आपको यह ख़ास तरीक़ा एक सच्चे वाक़ये के ज़रिए सिखाऊंगा।
क्या आप तैयार हैं?
ओके, आप तैयार हैं तो ठीक है।
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यह तरीक़ा 'शुक्र' करने और शिकायत से बचने पर based है।
दो साल पहले यू. पी. में हुए विधानसभा चुनाव के दौरान मुझे कई लोगों ने मुझसे पूछे बिना राजनैतिक ग्रुप्स में जोड़ लिया। ये वे लोग थे, जो मेरे साथ किसी ग्रुप में थे या उनके पास मेरा नंबर था। मैं राजनैतिक ग्रुप में नहीं रहता। उस पर यह कि हर ग्रुप में तीन सौ मैसेज रोज़ आते थे।
मैंने उनसे शिकायत नहीं की बल्कि मैंने उनकी मेहनत सराहना की और उसमें बना रहा।
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मैं सोचने लगा कि मैं इस opportunity का कैसे फ़ायदा उठा सकता हूँ?
मुझे एक नौजवान लड़के का ध्यान आया। जिसकी job छूट गई थी और उस पर अपने परिवार की ज़िम्मेदारियां थीं। वह एक कंपनी के कुछ प्रोडक्ट्स बेच रहा था लेकिन सेल बहुत कम थी। चार पाँच हज़ार रूपये महीने की सेल थी। यह उसके गुज़ारे के लिए काफ़ी न थी।
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एक दिन मैंने उन सभी राजनैतिक ग्रुप्स के सभी एडमिन को छोड़कर बाक़ी सब लोगों के नंबर सेव कर लिए और फिर रात में तीन चार बजे बैठकर चार व्हाट्स एप ग्रुप बना दिए। हरेक ग्रुप में 256 मेंबर्स थे।
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मैंने उस नौजवान व्यापारी को उन सभी ग्रुप का एडमिन बना दिया और मैंने वे सभी राजनैतिक ग्रुप छोड़ दिए। मैंने अपने बनाए वे ग्रुप भी छोड़ दिए। वह नौजवान उन ग्रूप्स में अपना माल सेल करने लगा। उसे कुछ आर्डर मिले। उसे कुछ दूसरे ग्रुप वालों ने भी जोड़ लिया। उसके पास सौ से ज़्यादा ग्रुप हो गए। फिर उसने फ़ेसबुक पर पेज बनाकर अपना माल बेचना शुरू कर दिया।
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सब्र के साथ एक साल की मेहनत के बाद वह व्हाट्स एप और फ़ेसबुक के ज़रिए सेल करके 50,000/- रूपये महीना कमाने लगा और यह इन्कम लगातार बढ़ रही है।
अल्हम्दुलिल्लाह!
सब्र और शुक्र से आप अपने मक़सद में कामयाबी पा सकते हैं। अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में सब्र और शुक्र से कामयाबी और फ़लाह पाने का पूरा तरीक़ा बताया है। सो पवित्र क़ुरआन के तरीक़े पर जो भी चलेगा, बेरोज़गार और ग़रीब न रहेगा। वह सफल और अमीर बनेगा।
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ख़ास बात:
1. शुक्र का मतलब है क़द्र करना। अब तक आम लोग इसे दीनी बात समझकर रस्मी तौर पर अल्हम्दुलिल्लाह और अल्लाह का शुक्र है, कहते हैं। वे अल्लाह की तरफ़ से मिले हुए लोगों, मौक़ों और साधनों की क़द्र नहीं करते। आप इन्हें पहचानें और इनकी क़द्र करें।
2. सब्र का मतलब है डटे रहना। जब आप एक नया काम शुरू करते हैं तो उसकी आदत नहीं होती, उसका तजुर्बा नहीं होता और जिस काम की आदत नहीं होती, उसमें मुश्किलें बहुत आती हैं। हरेक काम के शुरू में यही होता है। इसकी वजह से बहुत लोग वह काम छोड़ देते हैं। इस तरीक़े से कामयाबी नहीं मिलती। जो लोग लगातार डटे रहते हैं। उन्हें उस काम की आदत पड़ जाती है। उन्हें कुछ तजुर्बा भी हो जाता है। इसके बाद उन्हें वह काम आसान लगने लगता है।
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जो भी आदमी दुनिया में कहीं अपनी मेहनत का सुफल पा रहा है, सब्र और शुक्र की वजह से ही पा रहा है। चाहे उसे पता न हो लेकिन वह इस्लाम पर चल रहा होता है। सब्र और शुक्र सफलता का क़ुदरती क़ानून है। लोगों ने इसे सिर्फ़ दीन और मज़हब तक सीमित समझ लिया है। हक़ीक़त में यह क़ुदरती क़ानून ज़िन्दगी को जीने लायक़ बनाता है।
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अब फिर लोकसभा चुनाव 2019 आ रहे हैं।
मैंने सोचा कि मैं यह कामयाब तजुर्बा इस मुल्क के सब धर्म के सारे नौजवानों को बता दूँ ताकि आप भी सोचें कि आप इस शुभ अवसर से शुभ लाभ कैसे उठा सकते हैं?
Jazakalllah sir
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