मैंने सत्यानंद महाराज सत्य जी की पोस्ट पर जवाब में यह कमेंट किया:
ख़ुदा ठोस नहीं है तो उसके बारे में कोई जवाब ठोस कैसे हो सकता है?
क्या कभी आपने पूूूरी मानव जाति को #अल्बोनियम मैटल के बारे में सोचते हुए सुना है?
नहीं!
क्यों?
क्योंकि अल्बोनियम मैटल का कोई वुजूद नहीं है। पूरी मानव जाति किसी ऐसी चीज़ के बारे में नहीं सोच सकती जिसका वुजूद न हो।
दो चार लोग ज़रूर ऐसी चीज़ के बारे में सोच सकते हैं, जो न हो लेकिन पूरी धरती के अरबों आस्तिक और नास्तिक सब ख़ुदा परमेश्वर के बारे में सोचते हैं तो यह सोच ख़ुदा के होने का सुबूत है।
जितने लोगों ने ख़ुुुदा परमेश्वर के बारे में सोचा, उनकी सोच को जब लोगों ने लिखा तो उतने ही धर्म मत बन गए।
उन सबमें से एक दीन ख़ुदा का भेजा हुआ है।
वह दीन कौन सा है?
यह तय करना इंसान का काम है।
रब को इंसान की अक़्ल का इम्तेहान लेना है कि कौन सा इंसान सही दीन तक पहुंचता है।
इसीलिए उसने इतने सारे धर्म और दीन बनने दिए हैं।
जल छलका एक से दूजे में जाकर बना इंसान
जो न विचारे ख़ुद को कैसे पहचानेगा भगवान
-डा० अनवर जमाल
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