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Monday, March 4, 2019

मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह का सबसे बड़ा काम यह है कि ...Dr. Anwer Jamal

परमतत्ववेत्ता आचार्य मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह 'ग़ज़्वा ए हिन्द' का हिन्दी में भावार्थ 'महाभारत' करते थे। वह कहते थे कि महाभारत माज़ी के सीग़े (past tense) में मुस्तक़बिल ( भविष्य) की ख़बर है।
मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह का सबसे बड़ा काम यह है कि उन्होंने सब धर्मों के मानने वालों के सामने एकता और एकत्व का सबसे मज़बूत आधार रख दिया है। वह कहते थे कि पैग़म्बर मुहम्मद साहब सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को मुस्लिम आत्म-ज्ञानी परमात्मा (प्रथम आत्मा) के रूप में पहचानते हैं। सभी धर्म-दर्शनों की परंपराओं में इस सत्य को अपने अपने ढंग से समझा और समझाया गया है।
जैसे जैसे मैंने सभी धर्मों के ग्रंथों को पढ़ा, वैसे वैसे उनकी बात ज़्यादा क्लियर होती गई।

देवासुर संग्राम भारत का एक पुराना कांसेप्ट है। बाद में इसे 'महाभारत' के रूप में काव्य का रूप दिया गया। इसी का एक अंश गीता है।
सत्य असत्य के इस युद्ध को हदीस में अरबी शैली में 'ग़ज़्वा ए हिन्द' बताया गया है। ग़ज़्वा वह युद्ध होता है, जिसके सत्य पक्ष का निर्देशन शाँति और न्याय की स्थापना के लिए मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम 'ख़ुद' करते हैं।
आत्मा के रहस्य को न समझने के कारण (आत्मज्ञान से) जाहिल लोग ग़ज़्वा ए हिन्द को केवल भौतिक सामग्री से होने वाले युद्ध के रूप में लेकर अर्थ का अनर्थ कर रहे हैं। इसीलिए वे यह नहीं बता सकते कि इस युद्ध में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अब कैसे शामिल हो सकते हैं?

गायत्री परिवार के संस्थापक श्री राम शर्मा आचार्य जी ने और ब्रह्माकुमारी मिशन के संस्थापक दादा लेखराज जी ने और बहुत से हिन्दू विद्वानों ने सूक्ष्म जगत और भौतिक जगत के आपसी संबंध के बारे में और भारी तबाही के बाद निकट भविष्य में शाँति स्थापित होने के बारे में लिखा है।
बाईबिल में हम पाते हैं कि रचयिता ने मूसा अलैहिस्सलाम को अपना नाम 'अहम्' (I AM) बताया है।
देखें: Exodus 3:15

पशु स्तर की चेतना वाली आम जनता इस सूक्ष्म परम गोपनीय ज्ञान को समझ नहीं सकती। ज्ञानी लोग तक इसमें ग़लती करते हैं। बहुत लोग परमेश्वर, परमात्मा और आत्मा का भेद और संबंध नहीं जानते। वे हमेशा तीन को एक या एक को तीन कर देते हैं या फिर वे उसे पत्थर मारने लगते हैं, जो उन्हें आत्मा (मैं) का ज्ञान देता है। ईसा मसीह अलैहिस्सलाम के साथ उनकी क़ौम ने यही किया। देखें, ईसा मसीह ने कहा-
मैं तुमसे सच सच कहता हूँ, कि पहले इसके कि अब्राहम उत्पन्न हुआ, मैं हूँ । तब उन्होंने यीशु को मारने के लिए पत्थर उठा लिए। मगर वह छिप गया और मंदिर से बाहर निकल गया। -यूहन्ना 8:58-59

मैं और आप परमात्मा के एक अंश हैं। इस अंश को आत्मा और अहम् बोलते हैं। यह 'अहम्' शब्द प्रभु का एक गुप्त नाम है। जिसका ज़िक्र वेद में भी है, 'वेद अहमेतं पुरूष महानतम्' और 'अहमिद्धि पितुष्परि' में 'अहम्' का महत्व बताया गया है।
वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसः परस्तात्।
तमेव विदित्वातिमृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यतेऽयनाय।।
यजुर्वेद 31/18
अहमिद्धि पितुष्परि मेधामृतस्य जग्रभ। अहं सूर्य इवाजनि । ऋग्वेद 8/6/10
गीता के दसवें अध्याय में 'अहम्' की प्रधानता बहुत सुन्दर उपमा और अलंकारों के साथ गीताकार ने बताई है।

हरेक शरीरधारी, हरेक जीव के ह्रदय में, कण कण में यह 'अहम्' तत्व मौजूद है। सब इसी एक नूर से उपजे हैं। यही वह ज्योति है जो अखण्ड है। इसी चेतन ज्योति के कारण हरेक चीज़ सहज तरीक़े से उस काम को अंजाम देती है, जिसके लिए वह मौजूद हैं।
पैग़म्बर मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया है कि मेरा नाम अहमद है। इस नाम में 'अहम्' पोशीदा है।

ग़ज़वा ए हिन्द को समझने के लिए आपको यह समझना ज़रूरी है कि जब जब इस दुनिया में इतना भारी उत्पात मचता है जिसे रोकना लौकिक मनुष्यों के बस का नहीं होता तब आत्मा अपने आपको सृजता है।
'तदात्मानं सृजाम्यहम्' (गीता)
जब आत्मा ख़ुद को ख़ुद में नये रूप में मैनेज करता है तब उसकाअसर भौतिक जगत पर पड़ता है और यहां नये लोग खड़े होते हैं, जो यहाँ शाँति स्थापित करते हैं। यह सब परमात्मा (अहमद) अर्थात Holy Spirit के निर्देशन में होता है।
पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने लिखा है कि
'हम बदलेंगे, युग बदलेगा।'
ब्रह्माकुमारी का ध्यान और मंत्र यही है:
I am Peace.
I am pure.
I am Love.

जो लोग अपने आपको शाँत, शुद्ध और प्रेम के रूप में पहचानते हैं, वे अपनी नकारात्मकता पर विजय पा लेते हैं। ऐसे सब लोग परमात्मा के निर्देशन में अपने अंदर एक मनोवैज्ञानिक युद्ध लड़ रहे हैं। अपने नफ़्स से लड़ने को हदीस में जिहादे अकबर कहा गया है। यही लोग प्रत्यक्ष जगत में भी सबको न्याय और शाँति का उपदेश देते हैं। सभी लोग एक दूसरे से अच्छी बातें सीखते हुए सबकी भलाई के काम करें तो  वे ग़लतियाँ कम होती जाएंगी, जो आत्म-तत्व (ख़ुदी) को समझने में लोग कर रहे हैं।
स्थायी और बहु आयामी परिवर्तन के लिए हमें अपनी आत्मा में ख़ुद को विराट, शाँत और समृद्ध रूप में सिरजने की ज़रूरत है। यह छाया (साया reflection) जगत है। अंदर का रूप ख़ुद बाहर प्रकट होता है। बाहर की हालत ख़ुद बदलती है। इसी सिद्धांत पर सेल्फ़ हेल्प लिट्रेचर सबको हरेक समस्या का समाधान देता है।
मेरा सबसे यही आग्रह है कि हम सब भाषाई और धार्मिक संकीर्णता से ऊपर उठकर सब धर्मों के ग्रंथों से 'आत्म तत्व' को पहचानें ताकि हमारा कल्याण (फ़लाह) हो। आत्म ज्ञान से आत्म कल्याण होता है।
हम सब एक ही तत्व से बने हैं। हम सब एक हैं। हर समस्या का हल भी एक ही जगह, हमारी 'ख़ुदी' में है।

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