नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की पैदाईश पर ख़ुश होना बहुत अच्छा काम है। हरेक मोमिन बंदे को इस बात पर ख़ुश होना चाहिए। इसलिए ख़ुश ज़रूर हों।
इस मौक़े को धूम धड़ाके से मनाना ज़रूरी नहीं है। इसलिए इससे बचें।
रहमत के कामों से सब धर्म के लोगों का भला करना सचमुच क़ाबिले तारीफ़ है लेकिन मेरे विचार में एक और त्यौहार का इज़ाफ़ा करना ठीक नहीं है।
मैंने अपने उस्ताद मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह को ईद मीलादुन्-नबी को टीम के साथ मिलकर कुछ करके मनाते हुए नहीं देखा।
इस आसानी के लिए मैं उनका और सभी उलमा ए देवबंद का शुक्रगुज़ार हूँ।
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मुस्लिमों के एक तबक़े ने ईद मीलादुन्-नबी नाम रखकर इस्लाम में एक नया त्यौहार बना दिया है, जोकि ग़लत है।
उसके ग़लत होने के साथ इसमें जो फ़ुज़ूलख़र्ची और दूसरी ख़राबियां होती हैं, जैसे कि नमाज़ का छूट जाती है। जुलूस देखने और चाट पकौड़ी खाने के लिए लड़कियाँ बन ठन कर आ जाती हैं और ठेलम ठाली के लिए लड़के आ जाते हैं। जिससे छेड़ छाड़ से लेकर झगड़े तक, प्यार से लेकर घर से फ़रार तक की नौबत आ जाती है।
यह एक सच्चाई है कि जब बहुत सारे लोग किसी कारण से एक जगह जमा होते हैं तो आने जाने में कुछ लोग ज़रूर मर जाते हैं। जितने लोग घरों से निकलते हैं, उतने लोग अपने घरों को वापस नहीं लौटते।
ईद मीलादुन्-नबी का त्यौहार धूम धड़ाके से न मनाकर इन सब नुक़्सानों से बचा जा सकता है।
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इस दिन को कोई नाम देकर ख़ास न करें, ख़ास करके नेकी के काम न करें क्योंकि यह भी ईद मीलादुन्-नबी को प्रोमोट करता है।
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इसके बावजूद भी एक बड़ी तादाद ईद मीलादुन्-नबी का त्यौहार धूम धड़ाके से ज़रूर मनाएगी। उन्हें मनाने दें। उन पर ऐतराज़ न करें क्योंकि वे नहीं मानेंगे।
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इनमें जो लोग समझाने से समझ जाएं, उन्हें समझाएं और अगर समझाने से फ़साद और झगड़े का अंदेशा हो तो आज के हालात में इन्हें समझाने से में बचें। जो भी करें, समाज की शांति को क़ायम रखते हुए करें।
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*Solution:*
हाँ, इस दिन को मनाने वालों के जमा होने की जगह पर दीनी शुऊर पैदा करने वाली किताबें तक़सीम कर सकते हैं।
उन लोगों को खाना, कपड़े और दवा वग़ैरह बांटकर अपनी मुहब्बत का एहसास कराना अच्छी बात है।
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इस दिन बड़े पैमाने पर पैग़ाम पहुंचाना मुमकिन है।
सीरत पर ऑडियोवी वीडियोज़नाकर अपने दोस्तों को बड़े पैमाने पर शेयर करें और नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ख़ूबियों को सामने लाएं।
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*धर्म के शिक्षक बहन भाई* इस दिन का लाभ दावते दीन में लें तो यह मेरी नज़र में ठीक है।
दावते दीन का मक़सद है लोगों को रब का शुक्रगुज़ार बनना सिखाना।
रब के जो क़ानून ज़मीन और आसमान में क़ायम हैं और हर धर्म की किताब में लिखे हुए हैं, उनकी शिक्षा देना; जैसे कि जैसा बोओगे, वैसा काटोगे। इसलिए अच्छे बीज बोओ। प्रेम के बीज बोओ, प्रेम की फ़सल काटो।
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हर धर्म के ग़रीब लोगों को ज़रूरत की चीज़ें प्रेम से बाँटो तो इस नेक काम में हर धर्म का आदमी सपोर्ट करेगा।
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इस दिन पूरे नगर में डीजे पर सहने लायक़ आवाज़ में नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के महान चरित्र का और उनके कामों का परिचय हर धर्म के लोगों को और ख़ुद मुस्लिमों को भी दें और
उन्हें उनकी ज़िंदगी का मक़सद याद दिलाएं।
रब की तरफ़ लौटने को याद दिलाएं।
लोगों को सीधे रास्ते के बारे में बताएं तो
इस दिन प्रशासन सपोर्ट करता है।
ऐसी सपोर्ट अन्य दिनों में नहीं मिलती।
प्रशासन समाज में शांति व्यवस्था चाहता है। मुस्लिम भी प्रशासन को सपोर्ट करें।
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