फ़ैज़ ख़ान भाई ने रामपुर से सवाल किया है: Sir तारिक़ साहब ने बोला है कि अगले पार्लियामेंट सेशन मैं तब्दीली ए मज़हब के ख़िलाफ़ भी क़ानून बन सकता है। फिर तो उन आलिमों और उनके शागिर्दों को भी रोका जायेगा जो डायरेक्ट इस्लाम पेश करते हैं।
जवाब: आपने सही कहा बिल्कुल रोका जाएगा। कानून बनने से पहले ही एक बहुत बड़े मुबल्लिग़ को रोका जा चुका है।
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दीन का मक़सद
शांति व्यवस्था और कल्याण है।
यही दावा हरेक देश के संविधान का है।
आप शांति व्यवस्था और कल्याण के उनवान से काम करें।
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तौहीद का अक़ीदा अब सब धर्मों का साझा है और अगर आप इस अक़ीदे से शुरू करके अपनी हुकूमत क़ायम नहीं करना चाहते तो फिर किसी को तौहीद पर और आपकी तब्लीग़ पर आपि नहीं है।
हर दौर की ख़ास ज़रूरत होती है। जो दीन उसे पूरी करता है, लोग उसकी तरफ़ दौड़ते हैं।
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इस वक़्त बेरोज़गारी, बीमारी, असुरक्षा, जुर्म, आतंकवाद, ग़रीबी और ग्लोबल वार्मिंग आम है।
ये समस्याएं हर धर्म के लोगों के सामने हैं।
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अगर तौहीद से दुनिया की रोज़ी, सेहत और सलामती मिलती है तो हरेक इसे शौक़ से सीखता है। हरेक देश की सरकार चाहती है कि उसके देश से ये समस्याएं कम हों।
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रब पवित्र क़ुरआन में इनका हल अपने नाम से और शुक्रगुज़ारी से करना सिखाता है।
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आप समाज में शांति, रिचनेस, सेफ़्टी, सद्भावना और पेड़ लगाने का काम करेंगे,
आप लोगों को रब का और इंसानों का, अपने हाकिमों का शुक्रगुज़ार होना सिखाएंगे तो
आपको तब्लीग़ के लिए हरेक इन्वाईट करेगा।
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क्योंकि आप किसी का धर्म परिवर्तन नहीं कर रहे हैं बल्कि सबको भूला हुआ धर्म याद दिला रहे हैं।
शुक्रगुज़ारी और कल्याण
सबका धर्म है।
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नये दौर में प्रेज़ेंटेशन को रिवायती दावती ट्रेंड से थोड़ा चेंज करना होगा। दावत के मक़सद पीस और वेलनेस पर काम करना होगा। इसके लिए तौहीद और यूनिवर्स में काम करने वाले क़ानून सिखाने होंगे। हर देश में हर धर्म के लोग इस पर काम कर रहे हैं। आप एक सेंटर का बोर्ड इमेज में देख सकते हैं।
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तौहीद, अद्ल और हुस्ने अख़़लाक़ से दावत शुरू होगी।
जन्म और मृत्यु का रहस्य बताना होगा।
दिल और जिस्म के रोगों की शिफ़ा के तरीक़े बताने होंगे। तिब्बे नबवी बेस्ड हर शहर में वेलनेस सेंटर खोलना आज के दौर की ज़रूरत है।
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आप नफ़ाबख़्श होंगे तो अहले ज़मीन आपको अपने बीच जगह देंगे।
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