Altaf Tetra bhai का सवाल और हमारा जवाब
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*रोज़ी के बारे में*
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सवाल: पर मारा तो गरीब ही जाएगा ये याद रखना फैक्ट्रियां बंद हो रही है मज़दूर कहां जाएंगे दो रोटी के पैसे कमाने???
जवाब: आज ग़रीब मज़दूर को सर्वाइव करना है तो उसे
रोटी के परंपरागत कांसेप्ट से मुक्त होना होगा कि उसे किसी दूसरे का काम करके ही पैसा मिलेगा और फिर उसे पैसे से रोटी मिलेगी।
बिना पैसे के भी रोटी मिली है और मिल सकती है।
रब ने रोज़ी का वादा किया है रोटी का नहीं।
वही है जिसने तुम्हारे लिए ज़मीन को फर्श और आकाश को छत बनाया, और आकाश से पानी उतारा, फिर उसके द्वारा हर प्रकार की पैदावार की और फल तुम्हारी रोजी के लिए पैदा किए, अतः जब तुम जानते हो तो अल्लाह के समकक्ष न ठहराओ।
पवित्र क़ुरआन 2:12
नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िंदगी में ग़रीब मज़दूर के लिए उम्दा नमूना है।
हर ग़रीब आदमी अपने घर पर मुर्ग़ी, बत्तख़, भेड़, बकरी और ख़रगोश पाले। ये सब लगभग मुफ़्त में सड़क किनारे चारा चुगकर पल जाते हैं। मुर्ग़ी बकरियां रोज़ दूध अंडे देती हैं। घर के ख़ाली आंगन में या छत पर कई लेयर में गमले रखकर कम जगह में ज़्यादा लौकी, कद्दू, टमाटर, मूली, बैंगन, धनिया, मिर्च, पालक और पपीता आदि उगाए जा सकते हैं।
हमारे वालिद साहब शौक़िया आंगन में बाग़बानी करते थे। इतनी ज़्यादा सब्ज़ियां हो जाती थीं कि मौहल्ले वाले और दोस्त मांगकर ले जाते थे क्योंकि बिना खाद के आर्गेनिक सब्ज़ियों का ज़ायक़ा बिल्कुल अलग और लाजवाब होता है। Vertical Gardening से दीवारों पर बेकार बोतलों में भी सब्ज़ियां उगाई जाती हैं। यूट्यूब पर देखें वीडियोज़।
सरकारी ज़मीन में लगे गूलर, पीपल, बरगद, अंजीर के फल और सहजन के पत्ते तोड़ कर क़ायदे से पकाकर भी खाए जा सकते हैं। इन्हें बिना पकाए भी खाया जा सकता है। ये पौष्टिक होते हैं।
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