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Monday, August 3, 2020

इबादत और इस्तआनत यानी ग़ुलामी और मदद के आपसी रिशते को समझकर अपनी इबादत सही करें

आपको पता हो या पता न हो लेकिन इस दुनिया की हर चीज़ एनर्जी से बनी है। एनर्जी एक लहर, wave है और यह wave, thought wave है। यह पूरा यूनिवर्स हक़ीक़त में विचार समुद्र है।
इसमें आपकी नैया डोल रही है तो आपको अपने विचार का चुनाव ठीक करना होगा।

आप किसी विचार को पैदा नहीं कर सकते।
हर विचार आपके पैदा होने से पहले कहीं मौजूद है।
विचार बस आपके मन में आते हैं।
आप केवल उनका चुनाव और मैनेजमेंट कर सकते हैं।
आपकी जीत हार और आपकी ग़रीबी अमीरी सब हालात हैं और ये हालात आपके #thought_management के नतीजे हैं।
आपकी जान माल आबरू पर बनी हुई है। आपके दिल का चैन ग़ारत है। आपको हर दम यह आशंका रहती है कि न जाने मंगोल या चीनी या कोई और दुश्मन किधर से हमला कर दे ...लेकिन
मौलवी साहब इसे अल्लाह का अज़ाब या नाराज़गी बता रहे हैं।
वे यह क़ुबूल नहीं कर रहे हैं कि
हमारे तख़मीने फ़ेल हो गए।
तुम हमारे मरवाए हुए हो क्योंकि हमारे पास हिफ़ाज़त का कोई विज़न नहीं था और हमने तुम्हें मस्जिदों में thought management सिखाया नहीं।

एक मौलवी साहब ने और फिर बहुत सारे मौलवी साहिबान ने यह वजह बताई कि मुस्लिमों ने दावते दीन का काम छोड़ दिया है। अगर मुस्लिम दावते दीन का काम करते और सबको मुस्लिम कर लेते तो आज मंगोल आदि के हमलों का डर न होता।
अगर ऐसा होता तो पाकिस्तान चैन से होता क्योंकि वहाँ अब तक़रीबन सब मुस्लिम ही हैं। उनका भी चैन ग़ारत है। वहां ग़रीबी है जबकि दुबई के शैख़ ने रेगिस्तान में फूल खिला दिए और वहाँ चैन भी है और वहाँ हर किसी के दावते दीन का काम करने पर भी पाबंदी है।
आप कहेंगे कि पाकिस्तान को अच्छे लीडर नहीं मिले।
अगर कोई पाकिस्तान के नागरिकों से पूछे कि बुरे लीडर कहाँ से आते हैं?
तो वे कहेंगे कि हममें से आते हैं और हमारे 'चुनाव' से आते हैं।

इस बात आकर हम पर और हमारे चुनाव टिकती है।
और 'चुनाव' बिना विचार के मुमकिन नहीं है।
बुरे लीडर की जगह अच्छा लीडर लाना भी विचार का चुनाव बदले बिना मुमकिन नहीं है।
यह तय है।
आपकी बाहर की हर समस्या का हल जाकर आपके अंदर के विचार पर टिकता है।
जब इंसानी सोसायटी पर कोई आफ़त मुसीबत या ग़ुलामी पड़ती थी तो नबियों आकर यही सिखाया कि अपने विचार बदलो। अपने दिल से बुरे विचार निकालो और अच्छे विचार जमाओ।

आपके अंदर हर वक़्त विचार आते हैं। आपके विचार आपकी शक्ति हैं। अब वक़्त है अपनी शक्ति पहचानने का।
आपको राजनैतिक लीडर और पेशवा-पुरोहित आपकी शक्ति की पहचान नहीं कराते ताकि आप अपनी मर्ज़ी से उसका इस्तेमाल न करने लगें। वे आपको ग़ुलाम बनाए हुए हैं और उनके बाप दादा ने आपके बाप दादा से ख़ुद को मनवाया और अब वे ख़ुद को आपसे मनवाते रहते हैं।
ये अपने नज़रिए में 'इलाहुल अर्ज़' यानी भूदेव बन चुके हैं और आपसे अपनी ग़ुलामी करवा रहे हैं। ग़ुलामी को ही अरबी में इबादत कहते हैं।

ये बातिल माबूद आप पर तभी तक मुसल्लत हैं, जब तक आप विचार नहीं करते। पवित्र क़ुरआन आपको विचार करने को कहता है और ये आपको दीन की बातों पर विचार करने से रोकते हैं।
विचार करना दीन का काम है। आप इस समय किस वक़्त की नमाज़ पढ़ेंगे?
आप यह बात अक़्ल और विचार से तय करते हैं। दीन की हर बात में अक़्लमंदी है और बातिल माबूद आपसे कहते हैं कि
दीन में अक़्ल को दख़ल नहीं है। हमारा दीन नक़्ल पर है।

आप जानते हैं कि नक़्ल करना बंदर का काम है।
हर धर्म के बातिल माबूदों ने अपने मानने वालो को बंदर बनाकर छोड़ दिया है और ऐसे बंदरों के लिए अल्लाह ने ज़िल्लत यानी पस्ती मुक़र्रर की है:
कहो, "क्या मैं तुम्हें बताऊँ कि अल्लाह के यहाँ परिणाम की दृष्टि से इससे भी बुरी नीति क्या है? कौन गिरोह है जिसपर अल्लाह की फिटकार पड़ी और जिसपर अल्लाह का प्रकोप हुआ और जिसमें से उसने बन्दर और सूअर बनाए और जिसने बढ़े हुए फ़सादी (ताग़ूत) की बन्दगी की, वे लोग (तुमसे भी) निकृष्ट दर्जे के थे। और वे (तुमसे भी अधिक) सीधे मार्ग से भटके हुए थे।" -पवित्र क़ुर'आन 5:60

अफ़सोस की बात यह है कि फ़ितरत मस्ख़ (विकृत) हो चुकी है, जिसकी भविष्यवाणी हदीस में की गई है:
عبداللہ بن مسعود رضي اللہ تعالی عنہما بیان کرتے ہیں کہ نبی صلی اللہ علیہ وسلم نے فرمایا :

( قیامت سے قبل مسخ اورزمین میں دھنسنا پتھروں کی بارش ہوگی ) سنن ابن ماجہ حدیث نمبر ( 4059 ) اور صحیح ابن ماجہ ( 3280 ) ۔
अब आप इस बात से ज़रूर सहमत होंगे कि आपका असल मसला अल्लाह के ग़ैर की इबादत करना है।
इबादत और इस्तआनत (मदद) आपस में जुड़े हुए हैं। आप #creator_of_nature अल्लाह की इबादत करेंगे तो अल्लाह अपनी नेचर से आपकी मदद करता है और उससे मदद मांगने पर और ज़्यादा मदद करेगा।
जब आपने पेशवा पुरोहितों की ग़ुलामी (इबादत) की है तो उन्होंने मुसीबत में आपकी मदद नहीं की बल्कि उन्होंने ताग़ूत के सामने समर्पण करके ख़ुद को बचाया और लिंचिंग में छोड़ दिया और आपको अल्लाह की नेचर ने भी सपोर्ट न किया।

अगर आप विचार करेंगे तभी आप इस राज़ को समझ सकते हैं कि
आपकी मुसीबत की जड़ बुरे मौलवी साहब यानी उलमा ए सू हैं जो अपनी इबादत (ग़ुलामी) कराते हैं। जो आपके विज़न से औरतों की आबरू की हिफ़ाज़त जैसे अहम प्वाईंट को हटा चुके हैं। वे कभी इस पर न मस्जिद में तक़रीर करते हैं और न इस पर दो चार किताब लिखते हैं। वे इस अहम मौज़ू को छोड़कर दाढ़ी की लम्बाई पर किताब लिखते हैं।

यह यूनिवर्स एक समुद्र की तरह है, जिसमें हर चीज़ तैर रही है।
ۚ
وَكُلٌّ فِي فَلَكٍ يَسْبَحُونَ ﴿٤٠﴾

'और सब एक-एक कक्षा में तैर रहे हैं।' -पवित्र क़ुर'आन 36:40
आप इस आयत में 'तैरना' शब्द देख सकते हैं।
अब वक़्त है कि आप जिस यूनिवर्स में रहते हैं, आप उसकी हक़ीक़त को और ख़ुद अपनी हक़ीक़त को समझें और Creator की इबादत करें ताकि यह नेचर आपको सपोर्ट करे। अगर आपको नेचर सपोर्ट करती है तो यह आपके दुश्मन को भी डुबा सकती है जैसे फ़िरऔन को डुबोया। आप हमेशा अच्छे विचार का चुनाव करें।
हमें उलमा ए हक़ से यह इल्म मुन्तक़िल हुआ है। उनसे अल्लाह राज़ी हो और अल्लाह से दुआ है कि वह उन पर और ज़्यादा रहमत नाज़िल करे।

कह दो, "यही मेरा मार्ग है। मैं अल्लाह की ओर बुलाता हूँ। मैं स्वयं भी पूर्ण प्रकाश में हूँ और मेरे अनुयायी भी - महिमावान है अल्लाह! - और मैं कदापि बहुदेववादी (भूदेववादी) नहीं हूँ।"
-पवित्र क़ुरआन 12:108


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