आप सच्चे धर्म को पहचानना चाहते हैं तो आप उसे नाम से नहीं पहचान सकते। आप सच्चे धर्म को इस बात से पहचान सकते हैं कि उसके मानने से ग़रीबों और कमज़ोरों का क्या भला हुआ है?
धर्म दो तरह का होता है। एक अपने फ़ायदे के लिए इंसान बनाता है और दूसरा सबके फ़ायदे के लिए सबका रचयिता (Creator) बनाता है।
एक धर्म जो इंसान बनाता है। वह उसमें ग़रीबों को ग़ुलाम और अछूत बनाता है और उन्हें शिक्षा, व्यापार और इबादतगाह से दूर रखा जाता है। यह असल में अधर्म होता है।
दूसरा धर्म जो इंसान के रचयिता का है, वह उसमें सबको आवाज़ देकर इबादतगाह में बुलाता है और सब जातियों के ग़रीबों और ग़ुलामों को नवाबों और ज्ञानियों के आगे और उनकी बग़ल में तुरंत खड़ा कर देता है। रचयिता का धर्म उन्हें मुफ़्त शिक्षा देता है और व्यापार करने के अवसर देता है। उनका आत्मिक, भौतिक और सामाजिक, हर तरह पूरा कल्याण करता है।
रचयिता के धर्म में ग़ुलाम को अमीर लोग अपना धन देकर उसे आज़ाद करना इबादत समझते हैं।
एक धर्म का आधार शोषण है तो दूसरे का न्याय!
एक का आधार ऊंच-नीच है तो दूसरे का बराबरी।
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