Translate

Sunday, February 9, 2020

आईये, अब अल्लाह के नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करना छोड़ दें -DR. ANWER JAMAL

इस्लाम का एक मुबल्लिग़ अपने मदऊ लोगों से जो भी बात कहे, उन बातों में उसकी एक बुनियादी बात यह ज़रूर होती कि ऐ लोगो, अल्लाह की नाफ़रमानी न करो। जो अल्लाह की नाफ़रमानी करता है, उस पर अल्लाह का ग़ज़ब होता है।
उसकी तब्लीग़ के असर से कुछ लोग अल्लाह की नाफ़रमानी से बचने लगते हैं।
यह एक ट्रैजेडी कही जाएगी कि ख़ुद मुबल्लिग़ उस काम को करता रहे, जिससे अल्लाह ने रोका है और उस काम को अपनी तब्लीग़ में करता है तो बहुत बड़ी नाफ़रमानी है और जब ट्रेनिंग कैम्प लगाकर दूसरों को सिखाया जाए कि इस नाफ़रमानी को तुम भी करो तो फिर नाफ़रमानी की सूरते हाल एक ख़त्म न होने वाली चेन की सूरत में जारी हो जाती है, जिसका गुनाह हमेशा खाते में लिखा जाता रहेगा।
अल्लाह तआला ने अपने कलाम में बिल्कुल साफ़ हुक्म दिया है- 'अच्छे नाम अल्लाह ही के हैं। तो तुम उन्हीं के द्वारा उसे पुकारो और उन लोगों को छोड़ो जो उसके नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करते हैं। जो कुछ वे करते है, उसका बदला वे पाकर रहेंगे.'
-पवित्र क़ुरआन 7:180
अल्लाह तआला मोमिनों को हुक्म दे रहा है कि 'उन लोगों को छोड़ो जो उसके नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करते हैं।'
यह हुक्म इतना साफ़ है कि हरेक मोमिन इसे क़ुबूल करेगा कि हाँ, उन लोगों को छोड़ देना चाहिए जो अल्लाह के नामों के सम्बन्ध में कुटिलता ग्रहण करते हैं।
अल्लाह के नामों में कुटिलता करना क्या है?, यह एक पूरा सब्जेक्ट है लेकिन इसमें एक बात भी है कि अगर कोई कहे कि सूरज, चाँद, राहु, केतु, आग, पानी, आकाश, पृथिवी और वायु परमेश्वर के नाम हैं तो यह कहना अल्लाह के नामों में कुटिलता करना है। जो भी ऐसा करे, उसे छोड़ दो। उसकी इस मान्यता को छोड़ दो कि सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु परमेश्वर के नाम हैं और उसकी किताबों से वे हवाले देना छोड़ दो, जिनमें सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को परमेश्वर के नाम बताए गए हैं।

आपको ताज्जुब हो सकता है कि ऐसा कौन है जो सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को परमेश्वर के नाम बताए। ये नाम परमेश्वर के नहीं हैं बल्कि ये नाम चीज़ों के हैं।
स्वामी दयानंद ऐसा आदमी है, जो अपनी किताब सत्यार्थ प्रकाश के पहले समुल्लास में सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को परमेश्वर के नाम बताता है। इसी मान्यता के आधार पर उसने वेदों में सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु का अर्थ परमेश्वर करके वेद मंत्रों का मनचाहा अर्थ ऐसे तराशा है, जैसे दर्ज़ी अपनी पसंद से कपड़ा काटता है।
उन्हीं वेद मंत्रों का अर्थ दयानंद से पहले के विद्वान के भाष्य में देखा जाता है तो वह सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु का अर्थ सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु ही बताता है।
अब इसका फ़ैसला कैसे हो कि सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु चीज़ों के नाम हैं या परमेश्वर के?
हम इसका फ़ैसला पवित्र क़ुरआन से करेंगे क्योंकि
'अगर अब भी ना जागे तो...' नाम की किताब में अध्याय 21 का शीर्षक है- 'कसौटी केवल क़ुरआन'
इस अध्याय में यह वेद का अनुवाद करने वाले पंडितों को यह सुझाव दिया गया है और बिल्कुल ठीक सुझाव दिया गया है कि यदि वेदों के अनुवादक क़ुरआन की रौशनी में वेदों का अध्ययन करें तो वे तमाम रहस्य और गुत्थियाँ सुलझ जाएंगी जो वेदों में आज तक उनके लिए वाग्जाल बनी हुई हैं...' पृष्ठ 183
अब आप ख़ुद पवित्र क़ुरआन की रौशनी में यह देख लें कि क्या अल्लाह ने क़ुरआन में सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को अपना नाम बताया है?
नहीं!
तो फिर जब 'कसौटी केवल क़ुरआन' है तो आप फ़ैसला करें कि आप सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को परमेश्वर अल्लाह का नाम मानकर अल्लाह के नामों में जो कुटिलता ग्रहण किए हुए थे, उसे छोड़ देंगे ताकि आप अल्लाह की नाफ़रमानी से बच जाएं और आपसे दूसरे लोगों में भी यह बात नहीं जानी चाहिए।
हक़ीक़त यह है कि इस्लाम में एकेश्वरवाद देखकर हिन्दू मुस्लिम बन रहे थे। स्वामी दयानन्द जी ने हिन्दुओं को इस्लाम से रोकने के लिए वेदों में एकेश्वरवाद दिखाना ज़रूरी समझा। इसके लिए उन्होंने सूरज, चाँद, राहु, केतु, अग्नि, जल, आकाश, पृथिवी और वायु को परमेश्वर का नाम बताकर अपनी पसंद का अर्थ जबरन सिद्ध कर दिया लेकिन रब का शुक्र है कि पवित्र क़ुरआन की रौशनी में देखने से यह कुटिल चाल पकड़ में आ गई।
इसलिए इस्लाम की तब्लीग़ करने वाले मोमिन भाई स्वामी दयानन्द की इस कुटिल चाल को पहचानें और उनके द्वारा किए गए वेदानुवाद को ख़ुद चेक करें कि जिस नाम को वह परमेश्वर का नाम बता रहे हैं, वह परमेश्वर का नाम है या किसी चीज़ का नाम है?
स्वामी दयानन्द ने बहुत जगह ऐसा किया है कि वेद में किसी ऐतिहासिक घटना का ज़िक्र आया है तो उन्होंने उस जगह अलंकार मानकर वेद मंत्रों का मनचाहा अनुवाद कर दिया है। परमेश्वर अल्लाह ने पवित्र क़ुरआन में मिसालें बयान करके यह बात भी ज़ाहिर कर दी है कि वह कैसी मिसालें देता है?
इससे यह तय करना आसान हो जाता है कि यह मिसाल परमेश्वर अल्लाह ने दी है या नहीं!
उन वेद मंत्रों को दूसरे संप्रदाय के पंडितों के अनुवाद में भी देख लें। इससे भी बात को समझना और अल्लाह की नाफ़रमानी को छोड़ना आसान हो जाता है।

No comments:

Post a Comment