जो लोग आप से नफ़रत करते हैं आप उन्हें तर्क देकर अपने आप से मुहब्बत करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। बचपन से उन लोगों के मन में थोड़ी थोड़ी करके नफरत डाली गई है और राजनैतिक हितों के लिए कुछ लोगों ने उनके माईंड में नफ़रत की प्रोग्रामिंग कर दी है। जिससे उनका माइंड नफरत के लिए सेट हो चुका है। वे आप से नफ़रत करते हैं और अब उन्हें आप से नफ़रत करने के लिए किसी वजह की ज़रूरत भी नहीं है। आप चाहे किसी भी धर्म, संस्कृति, भाषा, देश और प्रदेश के हैं, कुछ लोग आपसे नफ़रत करते हैं। यह एक सामाजिक सत्य है। आज हम इसी सब्जेक्ट पर बात करेंगे कि किस तरीक़े से आप इन नफ़रत करने वालों का माइंडसेट चेंज कर सकते हैं?
आदमी अपना फ़ायदा देख कर अपना विचार बदल लेता है
मैं इस बात को आपके सामने एक छोटी सी कहानी के ज़रिए पेश कर रहा हूं। एक दिन एक टीचर ने अपनी क्लास के स्टूडेंट्स से यह सवाल किया कि मान लो आप स्कूल से घर के लिए जा रहे हैं और आपको रास्ते में मिट्टी की दो मूर्तियां पड़ी हुई मिलती है, जिनमें से एक मूर्ति राम की है और दूसरी रावण की। अगर आपको एक मूर्ति घर ले जानी हो तो आप किस मूर्ति को उठाकर अपने घर ले जाएंगे?
मैं इस बात को आपके सामने एक छोटी सी कहानी के ज़रिए पेश कर रहा हूं। एक दिन एक टीचर ने अपनी क्लास के स्टूडेंट्स से यह सवाल किया कि मान लो आप स्कूल से घर के लिए जा रहे हैं और आपको रास्ते में मिट्टी की दो मूर्तियां पड़ी हुई मिलती है, जिनमें से एक मूर्ति राम की है और दूसरी रावण की। अगर आपको एक मूर्ति घर ले जानी हो तो आप किस मूर्ति को उठाकर अपने घर ले जाएंगे?
सभी बच्चों ने जवाब दिया कि हम राम जी की मूर्ति उठाकर अपने घर ले जाएंगे।
उस टीचर ने फिर सवाल किया कि मान लो उसमें राम जी की मूर्ति मिट्टी की है और रावण की मूर्ति सोने की है तो फिर आप उनमें से कौन सी एक मूर्ति उठाकर अपने घर ले जाएंगे?
इस कहानी के ज़रिए ह्यूमन साइकोलॉजी सामने आती है कि इंसान अपना फ़ायदा देख कर अपना ख़याल और अपना अमल बदल लेता है। आप किसी से डिबेट करके अपने आपको बढ़िया साबित कर भी दें तो भी आप अपने आप से नफरत करने वालों को मुहब्बत करने के लिए मजबूर नहीं कर सकते। उनका बिहेवियर वैसा ही रहेगा, जैसा उनका माईंडसेट है।
हाँ, अगर उन्हीं लोगों को आप से फ़ायदा पहुंचने लगे तो वे अपना फ़ायदा देखकर ज़रूर अपना ख़याल और अपना अमल बदल लेंगे और वे आपसे मोहब्बत करने लगेंगे। वे आपके पीछे चलने लगेंगे। वे आपकी बात मानने लगेंगे।
अब आप अपने आप से नफ़रत करने वालों को क्या फायदा पहुंचा सकते हैं यह सोचना आपका काम है। आजकल लाइव कोचिंग और वैलनेस कोचिंग का रिवाज आम है जिसके ज़रिए लोगों के जीवन की समस्याओं को दूर किया जाता है। आप यह कल्याणकारी ज्ञान हासिल करके लोगों को बहुत ज़्यादा फ़ायदा पहुंचा सकते हैं।
वैलनेस कोचिंग और लाइव कोचिंग के ज्ञान में यूनिवर्सल माइंड के काम करने के तरीके की जानकारी हासिल की जाती है इस जानकारी को हासिल करने के बाद हरेक यह आसानी से समझ सकता है कि जो लोग नफरत करते हैं, दरअसल वे हिप्नोटिज्म के शिकार हैं। नफरत के जादूगरो ने एक ही बात को बार-बार दोहरा कर उन्हें एक तिलिस्म (matrix) में कैद कर दिया है। आप सही दलीलों को बार-बार रिपीट करके और फ़ायदा पहुंचा कर नफ़रत के तिलिस्म में क़ैद लोगों को रिहा कर सकते हैं।
आप जिस समाज में रहते हैं उस समाज के लोगों के प्रति आपकी जिम्मेदारी बनती है। नफरत दिल का एक भयानक रोग है। एक अच्छा समाज बनाने के लिए और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप नफरत के रोगियों का इलाज करें और उन्हें हेल्दी बनाएं।
- मैं जब अपने संपर्क में आने वाले लोगों से बात करता हूं तो मैं उन्हें ऐसी बातें बताता हूं जिनसे उन्हें फायदा पहुंचता है। जैसे कि मैं उन्हें यह कानून कुदरत सिखाता हूं जो हर एक धर्म की किताब में लिखा हुआ है कि शुक्र करने से वह नेमत बढ़ने लगती है जिस नेमत पर शुक्र किया जाता है और यह कि शुक्र करने से अज़ाब और कष्ट दूर हो जाता है।
- मैं हर धर्म के ग़रीब क़र्ज़दार मज़दूरों और बेरोज़गार लड़के लड़कियों को छोटी पूंजी से व्यापार करके आमदनी दस गुना करना सिखाता हूँ। अल्हमदुलिल्लाह इससे काफी लोगों को रोज़गार मिला है और बहुत लोगों की आमदनी दोगुना और दस गुना हुई है।
- कहते हैं कि दिल का रास्ता पेट से होकर जाता है। इसलिए मैं अपनी जेब में किशमिश और बादाम या ऐसी ही कोई चीज़ रखता हूं। जिन्हें मैं दूसरों के साथ शेयर करता हूं। इससे दूसरों को अच्छा फ़ील होता है। मेरी कोशिश होती है कि मेरे पास आने वाले मुझसे मिलकर अच्छा फ़ील करें। इस बहाने मैं लोगों को फ़ूड हैबिट्स और सेहत के आपसी रिश्ते के बारे में कुछ अच्छी बातें बताता हूँ। जिनमें से कुछ बातें वे पहली बार सुनते हैं। उन्हें मुझसे पहली बार पता चलता है कि मामरा बादाम (Mamra Badam) नाम का कोई बादाम होता है और यह दूसरे बादाम से कई गुना ज़्यादा पावरफ़ुल होता है।
- इसके अलावा मेरी जानकारी में उनकी जो समस्या आती है, मैं उसे हल करने के लिए उनका साथ देता हूं। मैं उन्हें अपने ज्ञान से, अपने साधनों से और अपने धन से फ़ायदा पहुंचाने के काम करता हूं। इसका फ़ायदा यह होता है कि उन लोगों के दिलों में मेरे लिए मुहब्बत पैदा हो जाती है और वे भी मेरी भलाई में लग जाते हैं। मुझे अपने कामों में उनसे मदद मिलती है। वे रात और दिन, हर वक़्त मेरी मदद के लिए तैयार रहते हैं, अल्हम्दुलिल्लाह!
इससे एक ऐसा समाज वुजूद में आता है, जिसमें सब लोग एक दूसरे की भलाई में अपने धन और साधन से लगे हुए हैं।
मेरा मक़सद और मेरी चाहत यही है कि हम सब शुक्रगुज़ार हों और हम सब आपस में एक दूसरे के मददगार हों। इसी से हम सबका भला होगा।
उमदाह।✍🕋
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