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Wednesday, July 15, 2020

क्या इस्लामी नियम मानने के कारण हिंदू एक तरह के मुस्लिम बन चुके हैं?

समा चुका है इस्लाम हिंदुओं के दैनिक जीवन में
मैं इस्लाम की मज़ाक़ उड़ाने वाले आर्य समाजियों और हिंदुत्ववादियों को हमेशा एक छिपे हुए मिश्रित मुस्लिम के रूप में देखता हूँ।
ये पगलैट और हठधर्म होने का दिखावा करते हैं वर्ना हक़ीक़त यह है कि ये लोग चुपके चुपके इस्लामी सभ्यता और रहन सहन सीखते हैं और इस्लाम को उसका क्रेडिट नहीं देते कि अब हम वर्ण व्यवस्था पर नहीं बल्कि इस्लाम पर चलते हैं।
आप देख सकते हैं, अब ये लोग छूतछात नहीं मानते। कोविड19 से बचाव के लिए सरकार सोशल डिस्टेंस को कह रही है कि एक दूसरे से दूर रहो लेकिन
ये लोग मुस्लिमों की तरह सब एक दूसरे को छू रहे हैं। जिसके कारण हिंदू भाईयों से जुर्माने के रूप में करोड़ों रूपया वसूला जा चुका है।मुस्लिमों के आने से पहले भारतीय हिंदू जातियों की यह हालत न थी।
अब ये अपना घर यानी अपना वर्ण धर्म छोड़कर इस्लाम में शरण लिए हुए हैं।
इस्लामम् शरणम् गच्छामि।

इस सामाजिक सत्य को सब पहचानें।
मैं हिंदू भाईयों से यह नहीं कहता कि आप इस्लाम क़ुबूल कर लें क्योंकि यह काम काफ़ी कुछ वे पहले ही कर चुके हैं।
जिस पर मैं उन्हें बस मुबारकबाद देता हूँ कि
मुबारक हो, अब आप इस्लामी नियम मानने के कारण एक तरह के मुस्लिम हैं, अल्हम्दुलिल्लाह!
क्या आप मेरे नज़रिए से भारतीय समाज को देख सकते हैं?
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