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Monday, October 22, 2018

Dua Qubool Kyon Nahi Hoti? Answered by Dr. Anwer Jamal

Quran me likha h namaz me sukun hai aur preshani k waqt namaz se kaam liya kro usme sari preshani ka hal h.
Phir bhi log minimum 20-20 saal namaz padhte hain phir bhi unki namaz me sukun nhi hota aur namaz se madad nhi mil pati ......esa kyun ?
Ek baat aur unko pta bhi nhi h. jin logo ko nhi pta namaz me jo hum padh rhe hain uska hindi anuwad kya hai, kya phir bhi hume namaz me sukun milega ?
-Nasir Husain

जवाब: आपके सवालों के जवाब में हर आदमी जो भी कहेगा।
उनमें ये दो बातें बहुत अहमियत रखती हैं, वह मैं यहां रखता हूं।
१. नमाज़ में मदद की दुआ अलफ़ातिहा है। यह एक दुआ है और दुआ के कुछ रुक्न होते हैं। जैसे वुज़ू के चार फ़र्ज़ हैं कि अगर उनमें से एक भी न होगा तो वुज़ू न होगी और जब वुज़ू ही नहीं हुई फिर नमाज़ भी न होगी।
ज़्यादातर को यह पता नहीं है कि अलफ़ातिहा में वे रब से मदद की दुआ करते हैं।
अब थोड़े से लोगों को अलफ़ातिहा का तर्जुमा पता हो गया है लेकिन उन्हें अब भी दुआ के रूक्न पता नहीं हैं। जिनके न होने से दुआ, दुआ नहीं होती।

रूक्न के बाद शर्त का दर्जा है, जिनपर दुआ की क़ुबूलियत निर्भर है। शर्त नहीं पाई जाएगी तो दुआ क़ुबूल नहीं होगी।

आप 10 दीनदार मुबल्लिग़ दाईयों से पता करें कि 
दुआ के रूक्न और शर्तें क्या‌ हैं?
फिर आप देखें कि दस के दस को यह पता है या दस के दस को इनका पता ही नहीं है?

२. अल्लाह की ख़ास रहमत यह है कि कुछ भी पता न हो और आदमी रिवायती मालूमात के साथ भी सबसे हटकर मस्जिद में आकर नमाज़ अदा करता है तो उसे पहले की बनिस्बत ज़रूर कुछ सुकून मिलता है।

मैंने बरसों पहले ओमप्रकाश उर्फ़ महलू को 'सत्य का कल्याणकारी उपदेश' दिया और उसे कलिमा पढ़वाया। फिर मैं उसे मस्जिद में ले गया। मैंने उसे अपने साथ ज़ुहर की नमाज़ में, महज़ नमाजियों के साथ क़ियाम, रूकुअ और सज्दे करते देखा और सिर्फ़ इतना करने के बाद मैंने उसका चेहरा एकदम बदला हुआ देखा।
वह एक ग़रीब देहाती दलित था।
नमाज़ और सज्दे हर हाल में तन मन पर असर डालते हैं।
यह मेरा तजुर्बा है।
यह आज साइंटिफ़िक फ़ैक्ट है।
सजदे में दिल ऊपर और दिमाग़ नीचे होता है। जिससे दिमाग़ को ज़्यादा ख़ून, ज़्यादा आक्सीजन, ग्लूकोज़ और सभी ज़रूरी चीज़ें ज़्यादा मिलती हैं। जिससे उसकी ज़रूरत पूरी होती है। दिमाग़ पहले के मुक़ाबले ज़्यादा अच्छा महसूस करता है।
सजदे में पैर, हाथ और चेहरा व माथा ज़मीन को छूते हैं। इसे साइंस की ज़ुबान में अर्थिंग (Earthing) कहते हैं। इससे निगेटिव एनर्जी ज़मीन जज़्ब कर लेती है। इससे कष्ट देने वाली एनर्जी दूर होती है। यह अल्लाह की तरफ़ से कुदरती हीलिंग का तरीक़ा है। यह मन और तन की ज़्यादातर बीमारियां दूर करने की बहुत असरदार, आसान और साइंटिफ़िक तकनीक है। इससे सुकून मिलता है। यह नमाज़ में शामिल हैं।
💚🌿💚
Ye namumkin hai ki
Koi aalim ummat ke logon ki islah aur tarbiyat kare aur
Unhe Dua ke Rukn aur uski sharten na sikhaye!
🌿

Jab aap aise logon se milen, jo aapko gumrah aur khud ko maqbool batayen to Aap unse yh sawal Kar Len:
*Dua ke Rukn aur Uski Sharten kya Hain?*
💚
Fauran Use pata chal Jayega ki Uske Maqbool hone ki buniyad hi ghayab hai.
इस सवाल से आप तास्सुब रखने वाले मुस्लिमों के इल्मी तकब्बुर का इलाज भी कर सकते हैं।
अल्हम्दुलिल्लाह!

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