सवाल: अस्सलामुअलयकुम ❤🌹♥
अगर आपको कामयाब होना है तो सबसे पहले अपने सबसे बड़े दुश्मन शैतान को समझना होगा ।। उसे पहचानना होगा ।
शैतान की सबसे बड़ी चाल ये है कि वह हमारे माइंड से खेलता है ।। हमारा ध्यान भटका कर ।
डॉक्टर साहब मैं इस विषय में आपसे और यहां के सभी भाईयों से रिक्वेस्ट करता हूं कि मुझे इस विषय में ज्ञान, इल्म दें कि हम शैतान को कैसे पटक पटक कर उसकी धुलाई कर सकते हैं ?
जज़ाकल्लाहु ख़ैर♥🌹❤
उसकी धुलाई का एक तरीक़ा बहुत अच्छा है । सदक़ा दीजिए और और शैतान की कमर तोड़िए। मैंने ऐसा कई बार सुना है कि सदक़ा शैतान की कमर तोड़ देता है । वल्लाहु आलम । ये बात कितनी सही है ये तो आप आलिम लोग मुझे बताएं?
जज़ाकअल्लाहु ख़ैर❤🌹♥
-सरफ़राज़ मोटालिया, गुजरात
-सरफ़राज़ मोटालिया, गुजरात
जवाब: सरफ़राज़ भाई! आप रब का शुक्र करें और ख़ुश रहें, आप शैतान पर ग़ालिब रहेंगे इन् शा अल्लाह!
शुक्र का मतलब
शुक्र का मतलब
शुक्र का मतलब है क़द्र करना। जब आप रब के दिए नाम, नियम, वुजूद, गुण, कौशल (Skills), मौकों और साधनों का नबियों के तरीक़े पर अपनी और दूसरों की फ़लाह (कल्याण) की नीयत से इस्तेमाल करते हैं तो आप उनकी क़द्र करते हैं। तब आप रब का शुक्र करते हैं।
शुक्र का असर
शुक्र का असर
जो रब का शुक्र करता है, अल्लाह उसकी नेमतों में इज़ाफ़ा करता है और जो नाशुक्री करता है, उसकी नेमतें उससे छिन जाती हैं और वह कष्ट उठाता है।
(देखें पवित्र क़ुरआन 14:7)
आपने मुझे कुछ दिन पहले जो मैसेज भेजा था उससे पता चलता है कि आप इस काम में पहले से ही लगे हुए हैं, अल्हम्दुलिल्लाह!
नई ज़िन्दगी (Transformation)
आपका मैसेज यह था:
'डॉक्टर साहब अलहम्दुलिल्लाह । अल्लाह ने मुझे आपसे वह दिया जिसकी मुझे ज़रूरत थी ।। जिसकी मैं तलाश में था ।
सिर्फ़ मेरा दिल ही जानता है कघ मेरे दिल मे आपका क्या मक़ाम है ।। मैं रो पड़ता हु शुक्रगुज़ारी में अल्लाह के सामने क्योंकि अल्लाह ने आप जैसे मुसलमान से मिलवाया ।। ♥🌹❤
मैं अपने शब्दों में बयान नहीं कर सकता । आप मेरे दिल की कैफ़ियत बख़ूबी जान सकते हैं 🌹♥❤
अल्लाह ने आप जैसे कई अल्लाह के नेक बंदों से मिलावाया है ।। जिसका बदला मेरे पास आपके लिए दुआओं के अलावा मेरे पास कुछ भी नही 🌹♥❤
जज़ाकल्लाहु ख़ैरन 🌹♥❤
हम पांच भाई है ।। जिनमे से हम दो भाई आपके ग्रुप में है । जिनका नाम ज़हीर मोटालिया है ।
हम भाइयो में पहले से ज़्यादा मोहब्बत बन चुकी है ।। क्योंकि आप का दिया हुआ ज्ञान हम घर में शेयर करते है ।। हम अल्हम्दुलिल्लाह, अब अंदर से बेहतर से बेहतर मुसलमान बन रहे हैं ।।
में 10 साल से दाई का काम कर रहा हूं ।। मैं बस लोगों से डिबेट, सवाल जवाब में ही लगा रहता था ।। इस्लाम की अच्छी बातें भी बताता था । आज तक रिज़ल्ट ना मिला ।।
लेकिन जब से आपकी दावाह सायकोलॉजी में जुड़ा हूं और आपसे ज्ञान प्राप्त कर रहा हूं,
अब ये हाल है कि लोग मेरी बात सुनने के लिए भीड़ लगा देते हैं ।। मैं एकाउंट और टैक्सेशन की कंसल्टिंग करता हूं । मेरा कई पार्टियों में काम होता है ।। अब, उनसे पहले के बजाए आज बहुत बेहतर रिलेशन है । अल्हम्दुलिल्लाह ।। बल्कि अब तो वे मेरी इस्लाम की बात ऐसे सुनते हैं जैसे उनका भाई उन्हें कुछ बता रहा हो ।। अल्हम्दुलिल्लाह' 🌹♥❤
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शैतान के मिज़ाज को छोड़ दें
शैतान इब्लीस इंसान का सबसे पुराना और सबसे ज़्यादा खुला हुआ दुश्मन है। वह आदम से हसद (जलन) रखता था। ख़ुद को आदम से बड़ा मानता था। अल्लाह ने आदम को 'इल्म अस्मा कुल्लहा' दिया। सब फ़रिश्तों ने अल्लाह के हुक्म से आदम अलैहिस्सलाम को सज्दा किया। जो फ़रिश्ते जिन चीज़ों और जिन कामों पर लगे हुए हैं, वे उन चीज़ों से और वे अपने कामों से आदम अलैहिस्सलाम की नस्ल को सपोर्ट करते हैं। इस यूनिवर्स में आप हर तरफ़ यह लाईफ़ सपोर्ट सिस्टम देख सकते हैं।
Studies have shown that just looking at a natural green environment can boost one’s spirits.
There’s a whole branch of psychology called eco-psychology devoted to the mental benefits of nature.
अल्लाह का शुक्र है कि उसने हमारे लिए ज़मीन और आसमानों की तमाम चीजों को मुसख़्ख़र (वशीभूत) कर रखा है। जब हम अल्लाह के शुक्रगुजार बनते हैं तो हमारे और शैतान के मिज़ाज में फ़र्क़ पैदा हो जाता क्योंकि शैतान अपने रब का नाशुक्रा है।
शैतान ने रब तआला से कहा था कि आप ज़्यादातर आदमियों को शुक्रगुज़ार न पाएंगे। यही उसका मिशन है। उसकी सारी भागदौड़ इसी मिशन के लिए है कि वह आदमियों को नाशुक्रा बनाए।
शैतान का गुमान सच कैसे हुआ?
(शैतान) बोला, "अच्छा, इस कारण कि तूने मुझे गुमराही में डाला है, मैं भी तेरे सीधे मार्ग पर उनके लिए घात में ज़रूर बैठूँगा। फिर उनके आगे और उनके पीछे और उनके दाएँ और उनके बाएँ से उनके पास आऊँगा। और तू उनमें ज़्यादातर को शुक्रगुज़ार न पाएगा।
-पवित्र क़ुरआन 7:16-17
शैतान ने जो गुमान किया था, वह उस पर डटा रहा और वह उसी की ज़रूरत के मुताबिक़ अमल करता रहा। जिसका नतीजा यह हुआ कि उसका 'गुमान' (Assumption) सच हो गया। शैतान कुदरत के उन कानूनों को जानता है, जिनके मुताबिक़ काम करने से दिल का गुमान ज़मीन पर सच हो जाता है।
अल्लाह कहता है:
और शैतान ने अपने गुमान को (जो उनके बारे में किया था) सच कर दिखाया तो उन लोगों ने उसकी पैरवी की मगर ईमानवालों का एक गिरोह (न भटका)।
-पवित्र क़ुरआन 34:20
अकसर लोग शुक्र अदा नहीं करते
अकसर लोग शुक्र अदा नहीं करते
आप पवित्र क़ुर्आन में शब्द *”अकसर लोग”* (बहुत ज़्यादा लोग) तलाश करेंगे तो आप पाएंगे कि
* “अकसर लोग शुक्र अदा नहीं करते” –पवित्र क़ुरआन 2:243
* “अकसर लोग ईमान नहीं लाए” – पवित्र क़ुरआन 11:17
* “अकसर लोग शदीद नाफरमान हैं” –पवित्र क़ुरआन 5:59
* “अकसर लोग राहे हक से हट जाने वाले हैं” –पवित्र क़ुरआन 21:24
ऐसा इसलिए है क्योंकि
* “अकसर लोग जाहिल हैं” – पवित्र क़ुरआन 6:111
* “अकसर लोग नहीं जानते” – पवित्र क़ुरआन 7:187
आप पवित्र क़ुर्आन में शब्द *”क़लील”* (थोड़े लोग) तलाश करेंगे तो आप पाएंगे कि अल्लाह ने फ़रमाया है:
* “मेरे थोड़े ही बन्दे शुक्रगुज़ार हैं” – पवित्र क़ुरआन 34:13
* “और कोई ईमान नहीं लाया सिवाय चन्द के” –पवित्र क़ुरआन 11:40
* “नेमत भरी जन्नतों में होंगे; अगलों में से तो बहुत-से होंगे, और पिछलों में से कम ही” – पवित्र क़ुरआन 56:12-14
रब ने जिन्नों और इंसानों को 'अपनी इबादत' (हुक्म मानने) के लिए पैदा किया है। (पवित्र क़ुरआन 51:56)
रब के हुक्म बहुत से हैं। आप सबसे बुनियादी हुक्म को सबसे पहले मानने से इबादत की शुरुआत करें। रब आपको हुक्म देता है:
इसलिए तुम मुझे याद रखो मैं भी तुम्हें याद रखूंगा, मेरा शुक्र करो और नाशुक्री न करो।
पवित्र क़ुरआन 2:152
आप अपने रब की इबादत करेंगे तो रब आपकी मदद करेगा। रब आपकी मदद करेगा तो आप शैतान से बचेंगे बल्कि आप शैतान पर भारी पड़ेंगे।
शैतान को पहचानने का तरीक़ा
इब्लीस के अलावा भी बहुत से जिन्न और इंसान शैतान हैं। इसलिए आप शैतान को उसके सींग और दुम से नहीं पहचान सकते। आप शैतान को उसके पैटर्न से पहचान सकते हैं।
जो भी शैतान के तरीक़े (Pattern) पर चलता है, वह शैतान है। जो भी घमण्ड और जलन में लोगों में फ़साद फैलाता है और जब उसे रब की तरफ़ से आया अम्न और इंसाफ़ का, मेल-मिलाप का हुक्म बताओ तो वह बग़ावत और सरकशी करे तो वह शैतान होता है, चाहे वह कोई आदमी ही हो। किसी क़ौम और राष्ट्र का प्रमुख भी शैतान हो सकता है। आप पवित्र क़ुरआन 2:14 में ऐसे ही प्रमुखों का ज़िक्र देखेंगे। रब ने इन्हें शैतान कहा है। जो इनके पिछलग्गू (Followers) हैं, वे भी शैतान हैं।
इनमें से कुछ ख़न्नास हैं। जो एक ही झूठी फ़साद फैलाने वाली बात को बार बार दोहराते रहते हैं। आपको फ़ेसबुक पर ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो फ़ेंक आईडी से क़ुरआन के बारे में वही सवाल बार बार कापी पेस्ट करते रहते हैं, जिनके जवाब सौ साल से लगातार दिए जा रहे हैं। ये सब ख़न्नास हैं। शैतानों में और भी वैरायटी है। पवित्र क़ुरआन और मुबारक हदीसों में इनकी पूरी तफ़्सील आई है।
इनमें से कुछ ख़न्नास हैं। जो एक ही झूठी फ़साद फैलाने वाली बात को बार बार दोहराते रहते हैं। आपको फ़ेसबुक पर ऐसे कई लोग मिल जाएंगे जो फ़ेंक आईडी से क़ुरआन के बारे में वही सवाल बार बार कापी पेस्ट करते रहते हैं, जिनके जवाब सौ साल से लगातार दिए जा रहे हैं। ये सब ख़न्नास हैं। शैतानों में और भी वैरायटी है। पवित्र क़ुरआन और मुबारक हदीसों में इनकी पूरी तफ़्सील आई है।
ख़ुशी और शुक्र: शैतान पर ग़ालिब आने का तरीक़ा
शैतान का मक़सद आदम की औलाद को आख़िरत में जहन्नम में ले जाना ही नहीं हैं बल्कि उन्हें दुनिया में भी दुखी और मायूस रखना है। इब्लीस नाम के अर्थ ही दुखी और मायूस हैं। इस्लाम की तब्लीग़ करने वालों में भी कुछ लोग ऐसे हैं, जो हालात देखकर मायूस हैं और दूसरों में भी मायूसी फैलाते रहते हैं। मायूसी की वजह से इंसान में हालात बदलने की ताक़त खतमख़ हो जाती है।
जब आप बार बार ख़ुश होते हैं तो शैतान ईमान वालों को ख़ुश देखकर और ज़्यादा दुखी और मायूस होता है। आप ख़ुश रहना अपनी आदत बना लें और आप दूसरों को भी ख़ुश रहना सिखाएं।
आप ग़ुस्ल और वुज़ू करें, अच्छे कपड़े पहनें, सिर में तेल और लिबास पर इत्र लगाएं। ग़र्ज़ यह कि अपना हाल अच्छा बनाकर रखें। देखने वाले आपको ग़नी और ख़ुशहाल समझेंगे। फिर आप अपनी सच्ची दौलत पर ख़ुशी ज़ाहिर करें। आप रब से राज़ी हो जाएं, आपका रब आपसे राज़ी हो जाएगा।
आप बार बार कहें: मैं अल्लाह के रब और मुहम्मद के रसूल और इस्लाम के दीन होने पर ख़ुश हूं।
यह एक मस्नून दुआ का तर्जुमा है। वह दुआ यह है: रज़ीतु बिल्लाहि रब्बंव-वबि-मुहम्मदर्-रसूलंव-वबिल-इस्लामि दीना।
-हिस्ने हसीन
-हिस्ने हसीन
एक मोमिन को ये नेमतें हमेशा हासिल रहती हैं और वह इन पर जितना ज़्यादा ख़ुश होता है, उसे ख़ुश देखकर शैतान उतना ही ज़्यादा दुखी होता है। वह ख़ुद को आप पर नाकाम महसूस करता है।
दुनिया में ज़्यादा दौलत अट्रैक्ट करने का तरीक़ा
दुनिया में ज़्यादा दौलत अट्रैक्ट करने का तरीक़ा
एक ख़ास बात यह है कि दुनिया की दौलत, सच्ची दौलत के ताबेअ (अधीन) है। जब आप अपने रब से ख़ुश रहते हैं, अपना हाल अच्छा बनाते हैं और रब के लिए दूसरों पर ख़र्च करते हैं तो आपकी तरफ़ दुनिया की दौलत भी और ज़्यादा बढ़कर आने लगती है।
जब आप सदक़ा (ज़रूरतमन्दों को दान) देते हैं, तब आप शैतान की कमर तोड़ते हैं क्योंकि शैतान आपको कंजूसी पर उभारता है।
शैतान तुम्हें तंगदस्ती से डराता है...
-पवित्र क़ुरआन 2:268
अंग्रेज़ी में दो शब्द Miser और Misery बिल्कुल क़रीब हैं। इनसे भी आप कंजूसी और दुर्दशा का आपसी ताल्लुक़ समझ सकते हैं। शैतान आपको कंजूसी की प्रेरणा देकर आपका हाल ख़राब देखना चाहता है।
1. Miser: a person who loves to have a lot of money but hates to spend it
कंजूस, कृपण
2. Misery: great unhappiness or suffering
घोर निराशा या व्यथा, तकलीफ़, परेशानी, दुर्दशा
सदक़ा दें, फ़लाह पाएं
आप शैतान के वसवसों (कुविचारों) से बचकर रब के नाम पर लोगों की ज़रूरत में अपना माल ख़र्च करते हैं। इस तरह आप शैतान के मानसिक हमले (Psychic Attack) से बच जाते हैं और आप फ़लाह और कल्याण पा जाते हैं।
और जो अपने मन के लोभ और कंजूसी से बचा लिया जाए ऐसे लोग ही सफल हैं।
-पवित्र क़ुरआन 59:9
जब शैतान आपको फ़लाह पाते हुए देखता है तो वह आपके सामने ख़ुद को बेबस पाता है। यही उसकी कमर तोड़ना है।
यहाँ से आपको अमल शुरू करना है। फिर अपने इल्म और अमल को अपनी ताक़त के मुताबिक़ हिक्मत के साथ बढ़ाना है। ख़ुशी के साथ फ़राएज़ और वाजिबात की अदायगी ज़्यादा से ज़्यादा करनी है। सब्र करना है यानि अपने अमल पर डटे रहना है। कुछ वक़्त के बाद यह नया अमल आपकी नई आदत बन जाएगी।
रूकावट Resistance
आपको यह सब बहुत आसान लगेगा। आप कुछ दिन इस पर चलेंगे लेकिन फिर पुरानी निगेटिव आदतें ज़ोर मारेंगी और आप फिर पुराने पैटर्न पर चलने लगेंगे क्योंकि पुराना निगेटिव पैटर्न आपके दिल (यानि Subconscious mind) में जमा हुआ है। पुराना पैटर्न जल्दी से नहीं जाता। वह बार बार रूकावट बनेगा। उसकी वजह से आपके बाहर भी कोई काम बिगड़ सकता है। जब भी आप ख़ुद को बुलन्दी की तरफ़ ले जाएंगे, तब यह ज़रूर होगा। यह नेचुरल है। मेरे कुछ वेलनेस स्टूडेंट्स इस रूकावट (Resistance) की वजह से पुराने पैटर्न पर लौट चुके हैं। आप जागरूक (Aware) रहे तो आप इस हमले से बच सकते हैं।
ज़्यादातर लोगों में ग़ुस्से, डर और ग़म (Anger, Fear, Sadness) के जज़्बात ग़ालिब होते हैं। जब वे शुक्र करने और ख़ुश रहने का दीनी और कम्पलसरी अमल शुरू करते हैं तो ग़ुस्सा, डर और ग़म बार बार पलट कर आता है। आपका इन पर क़ाबू नहीं है। आप इन्हें अपने दिल में उभरने से नहीं रोक सकते लेकिन अपने रेस्पान्स पर आपका पूरा क़ाबू है।
आप उन निगेटिव जज़्बात के मुताबिक़ दिल, ज़ुबान और जिस्म से कोई अमल न करें। यह आप कर सकते हैं। आप यह ज़रूर करें।
आप फ़ौरन उस जज़्बे को अपने दिल से हटाकर शुक्र, ख़ुशी और मदद के जज़्बात ला सकते हैं। सो आप ऐसा ही करें।
जब भी आपको ग़ुस्सा दिलाने वाली, डर या ग़म की कोई बात पुरानी याद आए या ताज़ा पेश आए तो आप ख़बरदार हो जाएं। आप उसे जितना ज़्यादा सोचेंगे, आप उतनी ज़्यादा नाशुक्री करेंगे। उनके बजाय आप रब की उन नेमतों को और रब की उस मदद को याद करें, जो वह आपकी पहले कर चुका है और इस पल में भी कर रहा है। देखिए आपका सांस चल रहा है और आपका दिल धड़क रहा है। आपके अंदर ख़ून बन रहा है, जो गुर्दों से ख़ुद छन रहा है। आप इसके लिए हर वक़्त शुक्रगुजार हो सकते हैं। जिन लोगों से ये नेमतें छिन गई हैं, वे अब इनकी क़ीमत पहचानते हैं। रब के शुक्रगुज़ार बन्दे वे हैं, जो नेमतों को तब भी पहचानते हैं, जब वे उनके पास होती हैं।
और तुम अल्लाह की नेमतों की गिनती करना चाहो तो गिन नहीं सकते...
-पवित्र क़ुरआन 14:34
कल्पना: एक ज़बरदस्त शक्ति
आप अपनी कल्पना (Imagination) से काम लेंगे तो आपकी रूकावट (Resistance) बहुत कम हो जाएगी।
इसका तरीक़ा यह है कि अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की ज़िन्दगी में आपके लिए नमूना (Model) है। आप उनके वाक़यात को पढ़ें और हमेशा उन्हें अपने माइंड में रखें। कुछ लोगों की कल्पना (Imagination) इतनी ज़्यादा साफ़ होती है कि जब वे सीरते रसूल स. के वाक़यात लोगों के सामने बयान करते हैं तो सुनने वालों को ऐसा लगता है गोया कि वे ख़ुद उस सीन को देख रहे हों। शायरों और लेखकों में यह स्किल ज़्यादा डेवलप हो जाता है।
हमारे उस्ताद मौलाना शम्स नवेद उस्मानी रहमतुल्लाहि अलैह एक बेहतरीन शायर और लेखक थे। उनकी लिखी हुई किताबें दुनिया के कई मुल्कों में पढ़ी जाती हैं। वह अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के वाक़यात का इस तरह बयान करते थे कि सुनने वालों को यह लगता था कि मानो मौलाना, नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को देख रहे हों।
जब कोई आदमी कोई वाक़या पढ़ता है, तब वह अपने माइंड में, अपनी कल्पना (Imagination) में उसे धुंधला सा देखता भी रहता है। माइंड में तस्वीरें (Images) बनती रहती हैं। यह माइंड की नेचर है। यह माइंड की लैंग्वेज है। आप अपने माइंड में साफ़ तस्वीरें देखना शुरू कर सकते हैं। आप ख़ुद को अपने दिल में ज़कात देने और हज करने जैसे कामों को करते हुए देख सकते हैं, जो कि आप करना चाहते हैं और वे रब को पसंद हैं।
इससे आपको नक़द ख़ुशी मिलेगी। इससे आपकी नीयत और आपका मक़सद हमेशा आपके दिल में ताज़ा रहेगा। अपने दिल में अच्छे कामों की नीयत करना और अच्छे कामों के बारे सोचना भी इबादत में शामिल हैं। इससे बुरे वसवसे आने कम होते हैं और माइंड की यह नेचर है कि जब कोई किसी काम के बारे में लगातार सोचता रहता है तो माइंड उस काम के असबाब और मौकों को देखने लगता है। समझदार लोग इनसे हिकमत के साथ काम लेकर अपना मक़सद पूरा करते हैं।
हिकमत वालों के साथ बैठने से और उनकी किताबें पढ़ने से हिकमत मिलती है। हिकमत वालों को दोस्त बनाएं। शैतानों को दोस्त न बनाएं।
शैतान के असर से बचना है तो अपनी कल्पना को बेक़ाबू न होने दें। अपनी कल्पना में भी कोई गुनाह और जुर्म न करें। अपने दिल में भी सिर्फ़ अच्छे और जायज़ काम ही करें।
शैतान के असर से बचना है तो अपनी कल्पना को बेक़ाबू न होने दें। अपनी कल्पना में भी कोई गुनाह और जुर्म न करें। अपने दिल में भी सिर्फ़ अच्छे और जायज़ काम ही करें।
मन में भी बुरा काम न करें
अल्लाह के नबी ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है:
जिन लोगों का अपनी कल्पना और गुमान पर क़ाबू नहीं होता, उन पर शैतान का पूरा क़ाबू होता है। ऐसे ही लोग डिप्रेशन, तनाव और दूसरे मनोरोगों के शिकार बनते हैं। आज ऐसे रोगियों की भरमार है। शैतान उनके दिलों में जो भी बात डालता है, वे उसी को सोचने लगते हैं।
अल्लाह के नबी ईसा मसीह अलैहिस्सलाम ने फ़रमाया है:
तुम सुन चुके हो कि कहा गया था, कि व्यभिचार न करना।
परन्तु मैं तुम से यह कहता हूं, कि जो कोई किसी स्त्री पर बुरी नज़र डाले वह अपने मन में उस से व्यभिचार कर चुका।
मत्ती की इंजील 5:26-27
अल्लाह के बारे में बुरा गुमान न करें
क्योंकि यह मुनाफ़िक़ों और मुश्रिकों का तरीक़ा है और बुरे गुमान के कारण कष्ठ उठाना तय है।
'और कपटाचारी पुरुषों और कपटाचारी स्त्रियों और बहुदेववादी पुरुषों और बहुदेववादी स्त्रियों को, जो अल्लाह के बारे में बुरा गुमान रखते हैं, यातना दे। उन्हीं पर बुराई की गर्दिश है। उनपर अल्लाह का क्रोध हुआ और उसने उनपर लानत की, और उसने उनके लिए जहन्नम तैयार कर रखा है, और वह अत्यन्त बुरा ठिकाना है!'
पवित्र क़ुरआन 48:6
आप यह नहीं जानते हैं कि आपकी शक्ति से ही शैतान आपको नुक़सान पहुंचाता है। ख़ुद उसमें आपको नुक़सान पहुंचाने की कोई शक्ति नहीं है। अपनी ताक़त से अन्जान और लापरवाह रहना भी उसकी नाक़द्री करना है। अपनी ताक़त से फ़लाह पाने के बजाय बीमार या बर्बाद हो जाना भी नाशुक्री है।
समस्या के बजाय उसके हल पर विचार करें
समस्या के बजाय उसके हल पर विचार करें
आप अपनी कल्पना शक्ति का क्रिएटिव यूज़ करके ख़ुद अपनी चिंताओं और मनोरोगों का आसानी से इलाज कर सकते हैं। ऐसा करना शुक्र है। आप समस्या को सोच सोच कर परेशानी बढ़ाने के बजाए उसके हल पर सोचें और उसके हल के लिए ज़रूरी क़दम उठाएं। जो लोग उस समस्या को हल कर चुके हैं या उसका हल देने का स्किल रखते हैं, उनसे भी विचार मांग लें। आजकल लाइफ़ कोच, वेलनेस कोच और हैप्पीनेस कोच हर समस्या का हल देने के लिए आनलाईन मौजूद हैं। उनके टैलेंट से फ़ायदा उठाऊं।
Science Behind Gratitude
So, why do these gratitude experiences boost happiness and alleviate depression? Scientists say that these techniques shift our thinking from negative outcomes to positive ones, elicit a surge of feel good hormones like dopamine, serotonin and oxytocin, and build enduring personal connections.
शुक्र भरपूर करें कष्ट दूर
हक़ीक़त यह है कि शुक्र आपसे कष्ट और अज़ाब को दूर करता है।
अल्लाह को तुम्हें यातना देकर क्या करना है, यदि तुम कृतज्ञता दिखलाओ और ईमान लाओ? अल्लाह गुणग्राहक, सब कुछ जाननेवाला है.
-पवित्र क़ुरआन 4:147
हम सब मिलकर इस प्लैनेट के लोगों को शुक्र के फ़ायदों के बारे में जागरूक करें। इससे सबका कल्याण होगा और शैतान नाकाम होगा, इन् शा अल्लाह!
हम सब मिलकर इस प्लैनेट के लोगों को शुक्र के फ़ायदों के बारे में जागरूक करें। इससे सबका कल्याण होगा और शैतान नाकाम होगा, इन् शा अल्लाह!
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