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Saturday, April 18, 2020

यह पोस्ट 'वेदों में तौहीद की तलाश' पर है और इसलिए ख़ास है कि यह जानना बहुत अहम है कि वेदों के किन मंत्रों में तौहीद है?

फ़ेसबुक पर S A Tariq ग्रुप में इस पोस्ट पर किए अपने कमेंट को Abdullah Shariq ने मिटा दिया। बातचीत सबके फ़ायदे की है। सो उस पोस्ट पर हुए डायलॉग को मैं यहां महफ़ूज़ कर रहा हूं। आप सब लोग आगे की बातचीत यहाँ कमेंट करके जारी रख सकते हैं।

Anwer Jamal Khan: Kartik Kumar bhai, हरेक दाई को मज़बूत बंदा मिलता है। ऐसा एक बंदा मुझे मिला था। 
Dr. Anwar Ahmed Khan उनका नाम है।
मुस्लिमों में जितने वेदाचार्य मुझे मिले,
उन सबमें सबसे ज़्यादा वेदज्ञान Dr. Anwar Ahmed Khan को है और वैदिक ऋषियों की परम्परा का ज्ञान भी उन्हें है।
वेद से पहले क्या था और वेद कैसे बने और पुरूष सूक्त का वास्तविक अर्थ क्या था और उसमें अब आरोपित क्या किया?
कैसे वैदिक पंडित लगातार वेद का अर्थ और धर्म की परंपराएं बदलते रहे और क्यों बदलते रहे?
तंत्र परंपरा क्या है?
आदि आदि और भी बहुत सी ऐसी ही बातें।
मैं दस दिवसीय कैंप का ज्ञान लेकर उन्हें वेदों में तौहीद, रिसालत और आख़िरत समझाता था और वह हरेक तर्क को कच्ची ककड़ी की तरह चटख़ा देते थे।
इससे मैं दूसरा पक्ष देखने में सक्षम हुआ जोकि वेद का वास्तविक पक्ष है।
जिसे दावती कैंपों में नहीं बताया जाता।
एक भी मुबल्लिग़ Dr. Anwar Ahmad sb के सामने टिक नहीं सकता क्योंकि उसे उनके बराबर जानकारी नहीं है और दूसरे यह कि उसे ग़लत जानकारी है।
उनकी नज़र में मौलाना फ़ारूक़ ख़ां साहब का वेद पर लिखा लिट्रेचर एक बचकानी कोशिश मात्र है और मैं उनसे सहमत हूँ।
हालांकि मैं ख़ुद इतनी महारत रखता हूं कि अगर मैं दिखाना चाहूं तो अपना नाम वेद और गीता में दिखाकर अपने पैदा होने की भविष्यवाणी सिद्ध कर सकता हूं लेकिन यह सिर्फ़ एक हुनर है,
वास्तविकता नहीं।
वास्तविकता देखने के लिए अपने दिमाग़ को खोलना होगा।

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