एक बातचीत
Anwer Jamal: लोक डाऊन चलता रहे। यह देेश की जनता के हित में है। बस आस पास के भूखों को खिलाते रहो।
लोक डाऊन ज़ालिम को चंदा देने टैक्स चोरों की और अपने माल में निर्धन वंचित का हिस्सा न मानने वालों की फैक्ट्री बंद कर चुका है।
देख लो।
Honey Gaur: जनाब उन भूखे नंगे और गरीब लोगों के अलावा एक और तबका रहता है जिसे मिडिल क्लास कहते है। वो मांगते भी नही है और अब उन सबके पैसे धीरे धीरे खत्म होने को है। lockdown अगर चलता रहा तो उनकी जरूर अब कमर तोड़ेगा। इन भुको और गरीबो को तो सरकार और पब्लिक भी ठूसा रही है।
मेरे अल्फ़ाज़ सख्त लग सकते है लेकिन ये भी एक हक़ीक़त है।
Anwer Jamal: Honey Gaur bhai, आपके लफ़्ज़ सख़्त हैं तो ये आपके दर्दमंद होने की वजह से हैं लेकिन आपको यह जानकर ताज्जुब होगा कि इंसान की आमदनी चाहे जितनी कम हो, उसके लिए भूख कोई मसला नहीं है।
मसला हमारा नज़रिया है।
मसला यह है कि भोजन के बारे में हमारा नज़रिया नबियों के तरीक़े से हट चुका है।
हम ख़ुद पर दाल-चावल, रोटी-बोटी और सलाद फ़र्ज़ कर चुके हैं जोकि अल्लाह ने हम पर फ़र्ज़ नहीं किया न ही नबी मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने हमारी तरह के खाने 'हर दिन' खाए।
हमें हर दिन, हर वक़्त पका हुआ या भुना हुआ खाना चाहिए।
जब हमें अपनी आदत के मुताबिक़ खाना नहीं मिलता तो हम तकलीफ़ महसूस करते हैं जबकि वह भोजन हमें बीमार डालता है और हमें धीरे धीरे मारता है।
रिफ़ाईंड ऑयल और चीनी ज़हर हैं। ये बात सब जान चुके हैं।
हो सकता है कि अल्लाह हमें इन दिनों उनसे बचा रहा हो क्योंकि हमें अल्लाह से मुसीबत से नजात की दुआएं की हैं और दुआ के क़ुबूल होने के बाद ऐसे हालात बनते देखे गए हैं कि आदमी का भोजन बदल जाता है।
जब हज़रत यूनुस अलैहिस्सलाम को मछली ने निगल लिया था और उन्होंने अल्लाह से उस मुसीबत से नजात की दुआ की थी, तब अल्लाह ने उन्हें मछली के पेट से निकालकर एक ऐसी जगह डाल दिया जहां न चूल्हा था और न बाज़ार था और न वे चल फिर कर शिकार करके उसे भून कर खा सकते थे।
अल्लाह ने उनके ऊपर लौकी कद्दू की बेल उगा दी। हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम ने उसी लौकी कद्दू को कच्चा ही खाया। इससे उनके भोजन का मसला हल हो गया।
अल्हमदुलिल्लाह!
जिन लोगों के पास पैसे कम हैं, वे हजरत यूनुस अलैहिस्सलाम की तरह लौकी, कद्दू, खीरा, गाजर और टमाटर कच्चा खा सकते हैं।
मैंने कुछ दिन कच्ची लौकी खाकर देखी है तो 10 रूपये की लौकी में कई लोग अपना पेट भर सकते हैं।
कच्ची लौकी खाने का तरीका यह है कि उसकी स्किन को उतारकर अंदर से जो सफ़ेद गूदा निकले, उसे सेंधा नमक लगाकर खाएं। इससे कम लागत में फूड मिलेगा, गैस बचेगी और बड़ी अहम बात यह है कि आपकी आँत में जो दसियों किलो गंदगी पड़ी सड़ रही है, वह सारी गंदगी बाहर हो जाएगी। आपका वज़न बढ़ा हुआ है तो वह कम हो जाएगा। आपके दिल को ताक़त मिलेगी। जिन नसों में रिफाइंड ऑयल जमा हुआ है वह कम होना शुरू हो जाएगा। नया ख़ून बनेगा। इम्यूनिटी बढ़ेगी और बीमारी का ख़तरा कम होगा।
इस वक़्त मार्केट में लौकी कद्दू भरे हुए हैं। आप ख़ुद भी अपने घर में, गमलों में लौकी, कददू और टमाटर उगा सकते हैं।
अल्लाह ने फ़ूड को रूपए के मातहत नहीं रखा है। बंदे का रिज़्क़ अल्लाह के हाथ में है।
बंदे को अपनी आदतों की ग़ुलामी से आज़ादी की ज़रूरत है।
सरकार की तरफ़ या अमीर रिश्तेदार की तरफ़ देखने से केवल शिकायतें पैदा होंगी, जिससे आप मनोरोगी और बन जाएंगे।
सो इससे बचें और यह देखे कि तंगी के दिनों में नबियों ने कैसे सरवाईव किया?
इससे आप रब के शुक्रगुज़ार बनेंगे।
आप बीस तीस रूपये रोज़ के ख़र्च में मज़े से अपना परिवार पाल सकेंगे।
इससे आपके बच्चे मानसिक रूप से बहुत मज़बूत बन जाएंगे और वे ज़िंदगी में हर मसले को नबियों की ज़िन्दगी की रौशनी में हल करना सीख लेंगे।
अल्हमदुलिल्लाह!
AL-HAMDULIL-LAH...
ReplyDeleteBOHAT BOHAT SHUKRIYA JAZAK ALLAH...
GYAAN AVM KALYAAN KA DARSHAN...
जमाल भाई आपने सही कहा
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